Volodymyr Zelenskyy-Elon Musk Fight: दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क ने सोमवार ट्विटर यूजर्स से रूस और यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की योजना पर राय मांगी। जिससे न केवल यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की भड़क गए बल्कि यूक्रेन के लोगों को भी ये पसंद नहीं आया। मस्क ने यूक्रेन के चार कब्जे वाले क्षेत्रों में संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में चुनाव कराए जाने का प्रस्ताव रखा, जिन्हें पिछले हफ्ते रूस ने जनमत संग्रह के बाद खुद में शामिल कर लिया था। यूक्रेन और पश्चिमी देशों ने मतदान को अवैध और जबरदस्ती करार दिया है। ऐसे में मस्क ने कहा कि रूस यूक्रेन से तब ही जाएगा, जब वहां के लोग ऐसा चाहेंगे। उन्होंने ट्विटर पर एक पोल कराया।
जिसके सवाल में उन्होंने लिखा, ‘आइए इसे आजमाते हैं: डोनबास और क्रीमिया में रहने वाले लोगों को अपनी मर्जी से तय करना चाहिए कि वे रूस का हिस्सा हैं या फिर यूक्रेन।’ इसके ऑप्शन में उन्होंने लिखा, हां या न। इसके बाद सोमवार को मामले में जेलेंस्की ने ट्वीट किया। उन्होंने भी इसमें पोल कराया। अपने सवाल में यूक्रेन के राष्ट्रपति ने पूछा, ‘आप कौन से एलन मस्क को ज्यादा पसंद करते हैं? वो जो यूक्रेन का समर्थन करते हैं, या फिर वो जो रूस का समर्थन करते हैं?’
जेलेंस्की के इसी ट्वीट पर फिर एलन मस्क ने रिप्लाई किया। उन्होंने लिखा, ‘मैं अभी भी यूक्रेन का बहुत समर्थन करता हूं, लेकिन मुझे विश्वास है कि युद्ध के बड़े पैमाने पर बढ़ने से यूक्रेन और संभवतः दुनिया को बहुत नुकसान होगा।’ दोनों को इस तरह के ट्वीट करता देख लोग खूब प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कुछ लोग जेलेंस्की को सही ठहरा रहे हैं, तो कुछ एलन मस्क को सही बता रहे हैं। इससे पहले भी मस्क यूक्रेन युद्ध को लेकर चर्चा में आए थे। उन्होंने रूस से जंग लड़ रहे इस देश को अपनी सैटेलाइट की मदद से इंटरनेट सेवा देने की बात कही थी।
यूक्रेन के 4 क्षेत्रों को रूस ने खुद में शामिल किया
यूक्रेन के कब्जे वाले हिस्सों के विलय की घोषणा के लिए मॉस्को के भव्य सेंट जॉर्ज हॉल में क्रेमलिन द्वारा आयोजित समारोह में पुतिन ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि इन क्षेत्रों को रूस में शामिल करना “लाखों लोगों की पंसद है“ जिनका रूसी संघ के साथ साझा इतिहास रहा है। दोनेत्स्क, लुहांस्क, खेरसॉन और जापोरिज्जिया को रूस में शामिल करने की घोषणा की गई है।
पुतिन ने कहा, “हम कीव के सत्ताधारियों से शत्रुता को तुरंत समाप्त करने, उस युद्ध को समाप्त करने का आह्वान करते हैं, जिसे उन्होंने 2014 में वापस शुरू किया था। हम उनसे बातचीत दोबारा शुरू करने की अपील करते हैं। हम इसके लिए तैयार हैं।” उन्होंने कहा, ‘लेकिन हम दोनेत्स्क, लुहांस्क, खेरसॉन और जापोरिज्जिया में लोगों की पसंद पर चर्चा नहीं करेंगे। रूस उनके साथ विश्वासघात नहीं करेगा।’ रूसी राष्ट्रपति ने जो स्पष्ट नहीं किया, वह यह है कि ये नवनिर्मित तथाकथित रूसी क्षेत्र वास्तव में किसका प्रतिनिधित्व करते हैं।
हमले से पहले ही गणराज्य घोषित किया
गौरतलब है कि यूक्रेन पर फरवरी में हमला शुरू करने से एक दिन पहले पुतिन ने डोनबास क्षेत्र के दोनेत्स्क और लुहांस्क को गणराज्य घोषित कर दिया था। मौजूदा समय में यूरोप के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र के स्थल जापोरिज्जिया के आसपास समेत सभी चार क्षेत्रों में भयंकर लड़ाई जारी है। एक अनुमान के मुताबिक 40 हजार वर्ग मील में फैले यह चारों प्रांत यूक्रेन के कुल क्षेत्रफल का करीब 15 प्रतिशत हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी सैनिकों ने जापोरिज्जिया में आम लोगों के एक काफिले को निशाना बनाकर हमला किया, जिसमें 25 लोगों की मौत हो गई है। रूस ने इसके लिए यूक्रेन को जिम्मेदार ठहराया है।
तालिबान का शीर्ष नेतृत्व सुप्रीम कमांडर हिबतुल्लाह अखुंदजादा को पद से हटाने पर विचार कर रहा है। नेतृत्व का मानना है कि अखुंदजादा के कारण तालिबान सरकार के दो फाड़ होने का खतरा बढ़ गया है। हिबतुल्लाह किसी भी कीमत पर महिला शिक्षा पर लगे प्रतिबंध को हटाने के पक्ष में नहीं हैं।
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यूक्रेन युद्ध क्षेत्र में अपने बच्चे की जान बचाने को सुरक्षित स्थान की ओर जाती महिला (फाइल)
Russia-Ukraine War: यूक्रेन युद्ध ने दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर ला कर खड़ा कर दिया है। यूरोपियन देशों के अलावा गैर यूरोपियन देश भी अब यूक्रेन युद्ध में कूद रहे हैं। वहीं रूस अभी तक अकेले ही जंग लड़ रहा है। मगर जिस तरह से एक के बाद एक देश यूक्रेन की मदद को खुलकर सामने आ रहे हैं। उससे तीसरे विश्व युद्ध का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। अब तक यूक्रेन के साथ अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, पोलैंड और आस्ट्रेलिया जैसे ताकतवर देश मजबूती से खड़े हैं। यह सभी यूक्रेन को युद्धक सामग्री से लेकर हर जरूरी मदद कर रहे हैं। इससे बौखलाया रूस अब परमाणु हमले की तैयारी में जुट गया है।
हाल ही में फ्रांस ने यूक्रेन को फाइटर जेट देने का ऐलान किया था। अब फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया ने 155 मिलीमीटर तोप के हजारों गोले संयुक्त रूप से बनाने और आगामी हफ्तों से उन्हें यूक्रेन भेजने की तैयारी में जुट गए हैं। दोनों देश यूक्रेन को भेजे जाने वाले इन तोप गोलों पर कई लाख डॉलर खर्च करेंगे। आपको बता दें कि रूसी युद्ध का सामना कर रहे यूक्रेन की हालत इस वक्त खस्ता हो चुकी है। यूक्रेन के पास गोला, बारूद, हथियारों, टैकों और फाइटर जेट की भारी कमी है। ऐसे में राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने अपने पश्चिमी सहयोगियों से भारी हथियार और दीर्घकालिक आपूर्ति का अनुरोध किया है। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्लेस और फ्रांसीसी रक्षा मंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू ने तोप गोलों की यूक्रेन को आपूर्ति करने की संयुक्त घोषणा करके रूस को बड़ा संदेश दिया है।
पोलैंड और बेल्जियम पहले ही कर चुके यूक्रेन को हथियार देने का ऐलान
अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस के बाद पोलैंड और बेल्जियम ने यूक्रेन को बड़ी रक्षा और सैन्य सहायता देने का ऐलान किया है। पोलैंड ने यूक्रेन को 60 अत्याधुनिक टैक देने की घोषणा की है। वहीं बेल्जियम ने यूक्रेन को करीब 100 मिलियन डॉलर के सैन्य उपकरण देने का ऐलान किया है। यह यूक्रेन को दी जाने वाली अब तक की सबसे बड़ी सैन्य सहायता है। इससे पहले जर्मनी ने 14 तेंदुआ-2 टैंक, अमेरिका ने 30 अब्राम टैंक, ब्रिटेन ने करीब 30 विशेष टैंक और फ्रांस फाइटर जेट देने का ऐलान कर चुका है। ऐसे में यूक्रेन के पास टैंकों और सैन्य उपकरणों की कमी का रोना अब लगभग खत्म हो चुका है। इसी हफ्ते जर्मनी और अमेरिका व ब्रिटेन ने अपने टैंक यूक्रेन को भेजने का वादा किया है। इसके बाद यूक्रेन युद्ध में और मजबूती से रूस को टक्कर दे सकेगा।
यूक्रेन की मदद करने वाले देशों पर फायर हुए पुतिन
यूरोपीय संघ और अमेरिका की ओर से यूक्रेन को घातक हथियारों की आपूर्ति को रूस ने सीधे युद्ध में एंट्री माना है। इसलिए पुतिन ने अमेरिका समेत फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, पोलैंड और बेल्जियम समेत अन्य यूरोपीय देशों व आस्ट्रेलिया जैसे गैर यूरोपीय देशों को घातक अंजाम भुगतने की धमकी दे डाली है। रूस ने कहा है कि वह इन सभी टैंकों और हथियारों को नष्ट कर देगा। साथ ही यूक्रेन को इन खतरनाक हथियारों को देने वाले देशों से भी हिसाब लेगा। रूस ने साफ कहा है कि वह अब यूक्रेन की मदद करने वाले किसी भी देश को नहीं छोड़ेगा। विदेश मामलों के जानकारों को भी अब आशंका है कि यूरोपीय संघ और अमेरिका के उक्त कदमों के बाद दुनिया तीसरे विश्व युद्ध में लगभग एंट्री कर गई है।
BBC ने श्रृंखला का यह कहते हुए बचाव किया कि यह ‘उच्चतम संपादकीय मानकों के अनुसार कठोर शोध” था. सरकार ने 21 जनवरी को डॉक्यूमेंट्री की क्लिप साझा करने वाले कई यूट्यूब और ट्विटर पोस्ट को ब्लॉक करने के निर्देश जारी किए थे, जिसकी विपक्षी दलों ने तीखी आलोचना की थी.