भारतीय क्रिकेट में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, और जब बात युवा सितारों की आती है, तो तमिलनाडु के प्रतिभाशाली बाएं हाथ के बल्लेबाज साई सुदर्शन का नाम अक्सर उभरकर सामने आता है। हाल ही में वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरे टेस्ट में उनके करियर-सर्वश्रेष्ठ 87 रनों ने न केवल आलोचकों को शांत किया, बल्कि भारतीय टीम प्रबंधन को भी उनकी क्षमता पर और अधिक विश्वास दिलाया। लेकिन क्रिकेट में सिर्फ संख्याएं ही सब कुछ नहीं होतीं; असली खेल तो बल्लेबाज की तकनीक, संयम और मैच को पढ़ने की क्षमता में होता है। यहीं पर टीम के बल्लेबाजी कोच सितांशु कोटक की सूक्ष्म दृष्टि काम आती है, जिन्होंने साई सुदर्शन के खेल का गहराई से विश्लेषण किया है, उनकी मजबूती और एक ऐसी खामी को उजागर किया है, जिस पर काम जारी है।
कोच की पैनी नजर: अंकों से परे की कहानी
जब हम साई सुदर्शन जैसे युवा खिलाड़ी के प्रदर्शन का मूल्यांकन करते हैं, तो आम तौर पर हमारा ध्यान स्कोरकार्ड पर रहता है। लेकिन सितांशु कोटक जैसे अनुभवी कोच के लिए, तस्वीर कहीं अधिक व्यापक होती है। वे सिर्फ रनों को नहीं देखते, बल्कि पारी के निर्माण, शॉट चयन और उस शांत आत्मविश्वास को समझते हैं जो एक `फिनिश्ड प्रोडक्ट` बनने की संभावना का संकेत देता है। कोटक ने स्वीकार किया कि सुदर्शन का टेस्ट करियर की शुरुआत मामूली रही थी, लेकिन उनका मानना है कि आंकड़े कभी पूरी कहानी नहीं बताते।
“हम सभी जानते हैं कि वह कितना प्रतिभाशाली है। हर बार आप सिर्फ स्कोर नहीं देखते, आप बल्लेबाज को भी देखते हैं – वह कैसे बल्लेबाजी कर रहा है, अपनी पारी को कैसे गति दे रहा है, किस तरह के शॉट्स खेलता है। कभी-कभी, एक-दो पारियों में कोई भी असफल हो सकता है, लेकिन उसने आज शानदार बल्लेबाजी की,” कोटक ने वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले दिन के खेल के बाद कहा।
कोटक के लिए, दबाव में भी साई सुदर्शन का संयम सबसे बड़ी बात थी। उनका मानना है कि साई मानसिक रूप से बहुत मजबूत हैं और दबाव में भी अपने खेल के तरीके को नहीं बदलते। वह हमेशा योग्यता के आधार पर खेलते हैं, जैसा कि उन्होंने हालिया पारी में दिखाया।
एक सूक्ष्म तकनीकी पहलू: वह `कमजोरी` जिस पर काम जारी है
हालांकि, कोच कोटक ने यह भी स्वीकार किया कि साई सुदर्शन का विकास अभी `प्रगति पर` है। उन्होंने विशेष रूप से स्पिन गेंदबाजों के खिलाफ एक सूक्ष्म तकनीकी खामी की ओर इशारा किया।
“एकमात्र बात जिसके बारे में हम बात करते हैं वह यह है कि कुछ बहुत फुल गेंदों पर भी वह बैक-फुट पर खेलते हैं। तो, हम उस पर अंकुश लगाने की कोशिश कर रहे हैं। वह इसे अच्छी तरह से जानते हैं, और वह इसे सुधारने की कोशिश कर रहे हैं।”
कोटक ने उदाहरण के तौर पर वेस्टइंडीज के बाएं हाथ के स्पिनर जोमेल वारिकन की एक गेंद का जिक्र किया, जिसने सुदर्शन को लेग-बिफोर ट्रैप किया था। उनके अनुसार, अगर उसी गेंद को ऑफ-स्टंप की लाइन के बाहर खेला जाता और फ्रंट-फुट का इस्तेमाल किया जाता, तो प्रभाव ऑफ-स्टंप के बाहर होता। यह दर्शाता है कि यह कोई बड़ी कमजोरी नहीं है, बल्कि एक विशिष्ट स्थिति में शॉट चयन का मामला है जिसे परिष्कृत किया जा सकता है।
ताकत जो उन्हें अद्वितीय बनाती है: बैक-फुट का बादशाह
कोटक ने साई सुदर्शन की तकनीकी का गहरा विश्लेषण किया और उन्हें मुख्य रूप से एक बैक-फुट खिलाड़ी बताया। यह विशेषता तमिलनाडु की टर्निंग पिचों पर उनके बचपन के खेल के कारण विकसित हुई है, जहां स्पिन के खिलाफ बैक-फुट का खेल महत्वपूर्ण होता है। यही कारण है कि वह स्पिन के खिलाफ काफी अच्छे हैं।
दिलचस्प बात यह है कि यही बैक-फुट का खेल उन्हें अद्वितीय शक्ति और नियंत्रण भी देता है। “उनके (सुदर्शन) बल्ले की स्विंग और जिस तरह से वह बल्लेबाजी करते हैं, बैक-फुट पर जो शक्ति वह उत्पन्न करते हैं वह भी अद्भुत है। कुछ शॉट्स, जैसे कवर्स और मिडविकेट के माध्यम से, वह उनकी ताकत है,” कोटक ने जोर देकर कहा। यह किसी विडंबना से कम नहीं कि जिस बैक-फुट खेल में एक छोटी सी खामी है, वही उनकी सबसे बड़ी ताकत भी है।
कोटक का मानना है कि साई सुदर्शन के खेल में कोई बड़ी कमजोरी नहीं है। उन्हें स्पिनर या तेज गेंदबाज से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता; वह दोनों के खिलाफ समान रूप से अच्छा खेलते हैं। पिछले दो-तीन सालों में भारत और इंग्लैंड `ए` सीरीज में उनके प्रदर्शन (तीन मैचों में दो शतक) को देखते हुए, कोच को लगता है कि पिच या अन्य परिस्थितियां उनके लिए मायने नहीं रखतीं, हालांकि टर्निंग ट्रैक पर वह निश्चित रूप से एक बेहतरीन खिलाड़ी हैं।
आधुनिक खेल में व्यक्तिगत शैली का महत्व
पहले की पीढ़ी के बल्लेबाजों के लिए स्पिनरों के खिलाफ क्रीज से बाहर निकलना एक स्वाभाविक प्रवृत्ति होती थी। लेकिन कोटक का मानना है कि आज के खेल में कोई सार्वभौमिक फार्मूला नहीं है। “मुझे नहीं लगता कि हमें हर किसी के लिए किसी विशेष प्रकार के खेल की आवश्यकता है। जैसे, केएल (राहुल) क्रीज से बाहर निकलते हैं, गिल क्रीज से बाहर निकलते हैं, जायसवाल भी निकलते हैं यदि उन्हें फ्लाइटेड गेंदें मिलती हैं। लेकिन यह अनिवार्य नहीं है।”
चेतेश्वर पुजारा के स्पिनरों के खिलाफ सक्रिय दृष्टिकोण की याद दिलाने पर, कोटक ने तुलना में संयम बरता। “पुजारा अलग थे। पुजारा ऐसे व्यक्ति थे जो क्रीज से बाहर निकलना पसंद करते थे और गेंदबाज को शॉर्ट गेंद फेंकने के लिए मजबूर करते थे, फिर वह कट शॉट खेलते थे। तो उनका खेल शानदार था, और इसे उसी तरह ढाला गया था जैसे वह चाहते थे। वह ऐसे व्यक्ति थे जो गेंदबाज को अपनी इच्छानुसार गेंदबाजी कराने की कोशिश करते थे। लेकिन फिर, हर किसी की अलग-अलग ताकत होती है।” यह बात आज के क्रिकेट की व्यावहारिकता को दर्शाती है, जहां व्यक्तिगत शैली और अनुकूलन क्षमता को अधिक महत्व दिया जाता है, बजाय किसी सख्त नियम का पालन करने के।
साई सुदर्शन भारतीय क्रिकेट के लिए एक रोमांचक भविष्य का वादा करते हैं। उनकी मानसिक दृढ़ता, बैक-फुट पर उनकी असाधारण शक्ति, और स्पिन के खिलाफ उनकी सहजता उन्हें एक विशेष खिलाड़ी बनाती है। कोच सितांशु कोटक का गहरा विश्लेषण दिखाता है कि टीम प्रबंधन सिर्फ प्रदर्शन नहीं, बल्कि खिलाड़ी के विकास के हर पहलू को बारीकी से देखता है। जिस छोटी सी खामी पर काम चल रहा है, वह दर्शाता है कि कोई भी खिलाड़ी पूर्ण नहीं होता, लेकिन समर्पण और सही मार्गदर्शन से वह अपनी क्षमता की ऊंचाइयों को छू सकता है। सुदर्शन निश्चित रूप से उन क्षेत्रों को जानते हैं जिनमें उन्हें बेहतर होने की जरूरत है, और यह आत्म-जागरूकता ही उन्हें एक महान क्रिकेटर बनने की राह पर ले जाएगी।