वॉशिंगटन: आज से लाखो साल पहले धरती से एकाएक हजारों प्रजातियां विलुप्त हो गई थीं। इनमें कई तरह के जीव-जंतु और पेड़-पौधे शामिल थे। उन प्रजातियों के अवशेष आज भी कई जगहों पर खुदाई के दौरान मिल जाते हैं। इनके विलुप्त होने के कारणों को लेकर हमेशा से विवाद रहा है। लेकिन, अब एक ताजा शोध में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने इस रहस्य की गुत्थी को सुलझा लिया है। उनका दावा है कि पृथ्वी पर आज से 183 मिलियन वर्ष पहले विनाशकारी ज्वालामुखी विस्फोटों की एक श्रृंखला शुरू हुई थी। इससे दुनिया में अब तक का सबसे खराब सामूहिक विलोपन हुआ और धरती के हजारों प्रजातियों का अस्तित्व ही मिट गया। इस घटना से पृथ्वी के वायु मंडल में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा भी काफी बढ़ गई थी। महाद्वीपों की गति मंद होने के कारण मची थी तबाही इस घटना को अर्ली टॉर्सियन ओशनिक एनोक्सिक इवेंट (टी-ओएई) के रूप में जाना जाता है। इस घटना ने हमेशा से वैज्ञानिकों के सामने बड़े पैमाने पर विस्फोट का कारणों का पता लगाने की चुनौती पेश की है। अब इस घटना को लेकर प्रसिद्ध साइंस जर्नल साइंस एडवांसेज में शुक्रवार को एक स्टडी प्रकाशित हुई है। इस स्टडी को करने वाली टीम का मानना है कि जीव-जन्तुओं के विलुप्त होने की घटना महाद्वीपों की गति में मंदी के कारण हो सकती है। हालांकि, महाद्वीपों के बीच दूरी आज भी लगातार बढ़ रही है।
गति धीमी होने के धरती पर शुरू हो गया था ज्वालामुखी विस्फोट जुरासिक युग के दौरान गति में परिवर्तन होने के कारण धरती के अंदर मौजूद मैग्मा सतह पर आने लगा। इस कारण बड़े पैमाने पर ज्वालामुखी विस्फोट की घटनाएं हुईं। इतना ही नहीं, इससे पृथ्वी की सतह पर ज्वालामुखीय चट्टानों का विस्तार भी हुआ। इसके प्रमाण आज भी अफ्रीका के दक्षिणी हिस्सों और अंटार्कटिका में देखे जा सकते हैं। यह सिद्धांत पूरे इतिहास में कई अन्य प्रमुख ज्वालामुखी घटनाओं के समय के साथ भी फिट बैठता है।
शोधकर्ता बोले- भविष्यवाणी करने में भी मिलेगी मदद ट्रिनिटी कॉलेज में तलछट विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर मीका रूहल ने कहा कि हमने कई अन्य ज्वालामुखीय घटनाओं का अध्ययन कर निष्कर्ष निकाला कि इनमें कोई न कोई समानता जरूर है। अतीत में कई ऐसे मौके आए हैं, जब पृथ्वी पर एक सीरीज में ज्वालामुखी विस्फोट हुए हैं। इनका संबंध महाद्वीपों के बीच बढ़ती दूरी से है। यह मॉडल पृथ्वी के इतिहास के काफी बड़े हिस्से पर लागू हो सकता है। नया सिद्धांत अगले बड़े पैमाने पर विलुप्त होने की घटना की भविष्यवाणी करने में भी मदद कर सकता है।
बॉलीवुड सेलिब्रिटी समेत कई बिजनेसमैन यहां पर घरों को एक निवेश के तौर पर भी देख रहे हैं। शिल्पा शेट्टी, शाहरुख खान और अक्षय कुमार का घर यहां पर है। इसके अलावा उद्योगपति मुकेश अंबानी और फुटबॉलर डेविड बैकहम का घर भी यहां है। रिपोर्ट्स के मुताबिक मुकेश अंबानी के विला में 10 बेडरूम, एक प्राइवेट, इनडोर और आउटडोर पूल है। इसकी कीमत 8 करोड़ डॉलर है।
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चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पाक पीएम शहबाज शरीफ
नई दिल्ली: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने साफ शब्दों में चीन से कह दिया है कि उसके लोग यहां बिजनेस करना बंद कर दें, अन्यथा उनकी जान जा सकती है। शरीफ ने पाकिस्तान में व्यापार कर रहे सभी चीनियों को तत्काल अपने कारोबार को समेटने के लिए कहा है। मगर आप सोच रहे होंगे कि पाकिस्तान और चीन तो दोस्त हैं, फिर आखिर ऐसा क्या हो गया कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने चीन को यह अल्टीमेटम दे डाला…तो आइए आपको बताते हैं कि पूरा मामला है क्या?
पाकिस्तान की ओर से अचानक मिले इस अल्टीमेटम से चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी हैरान हो गए हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने चीन को यह अल्टीमेटम यूं ही नहीं दिया है, बल्कि पिछले कुछ महीनों में चीन के कई नागरिक उनके देश में मारे जा चुके हैं। इसमें चीन के कई इंजीनियर, डॉक्टर और व्यापारी समेत अन्य नागरिक शामिल हैं।
चीनी नागरिकों को कौन बना रहा निशाना
अब आपको बताते हैं कि चीन के इन नागरिकों को आखिर पाकिस्तान में निशाना कौन बना रहा है। पाकिस्तान की सरकार के अनुसार विभिन्न आतंकी गुटों के निशाने पर चीनी नागरिक हैं। वह उन्हें लगातार टारगेट कर रहे हैं और उनकी जान को सबसे ज्यादा खतरा बना हुआ है। इसलिए पाकिस्तान की सरकार ने चीनी नागरिकों को तत्काल अपने देश से कारोबार बंद करने को कहा है। आपको बता दें कि वर्ष 2022 में ग्वादर के दासू प्रोजेक्ट पर काम कर रहे चीनी इंजीनियरों की एक बस को आतंकियों ने निशाना बनाया था, जिसमें 10 चीनी इंजीनियरों की मौत हो गई थी।
इसके अलावा पाकिस्तान के पेशावर में भी कई चीनी नागरिकों को आतंकी निशाना बना चुके हैं। पाकिस्तान में चीनी नागरिकों को निशाना बनाए जाने के पीछे एक खास वजह भी है। दरअसल पाकिस्तान के आतंकी संगठनों को लगता है कि चीनी नागरिकों की बढ़ती मौजूदगी की वजह से उनके समुदाय और इलाकों को खतरा है। वह आतंकियों के कारोबार पर भी असर डाल रहे हैं। इसलिए आतंकी चीनी नागरिकों को चुन-चुन मार रहे हैं।
पाकिस्तान को चीन से मदद नहीं मिलने का डर
आतंकियों के निशाने पर चल रहे चीनी नागरिकों को बचाने में पाकिस्तान की सरकार नाकाम साबित हो रही है। इसलिए अब वह उन्हें कारोबार बंद करने और अपने देश लौटने के लिए कह रही है। पाकिस्तान को पता है कि अगर चीनी नागरिकों की लगातार मौत होती रही तो चीन उसकी मदद करना बंद कर देगा। फिलहाल आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज की जरूरत है, जिसे चीन की मदद के बगैर हासिल करना पाकिस्तान के लिए कतई संभव नहीं है।
अल्टीमेटम के बाद चिंता में पड़ा चीन
पाकिस्तान के इस अल्टीमेटम के बाद चीन खासी चिंता में पड़ गया है। इसकी वजह है कि चाइना पाकिस्तान इकोनामिक कॉरिडोर (सीपीईसी) में चीन ने करीब 60 अरब डालर का निवेश किया है। कई वर्षों से प्रोजेक्ट चल रहा है और इस पर दो तिहाई पैसा अब तक खर्च हो चुका है। इसके अलावा भी चीन के कई प्रोजेक्ट पाकिस्तान में चल रहे हैं। ऐसे में अगर चीनी नागरिकों को पाकिस्तान से वापस लौटना पड़ा तो उनके कई अहम प्रोजेक्ट भी खटाई में पड़ सकते हैं।
एक तरफ आर्थिक संकट में फंसे पाकिस्तान (Pakistan Economic Crisis) को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) की तरफ से कर्ज का इंतजार है तो दूसरी ओर वह दूसरे देशों को कर्ज देकर उसके जख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर रहा है। आईएमएफ ने ताजा घटनाक्रम में अर्जेंटीना (Argentina) के लिए राहत पैकेज का ऐलान किया है।