वियान मुल्डर का ऐतिहासिक तिहरा शतक: क्रिकेट के मैदान पर नए कीर्तिमान

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टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में जब भी महानतम पारियों का ज़िक्र होगा, दक्षिण अफ्रीका के वियान मुल्डर का नाम अब निश्चित तौर पर शामिल किया जाएगा। ज़िम्बाब्वे के खिलाफ खेले जा रहे टेस्ट मैच में मुल्डर ने 367 रनों की नाबाद पारी खेलकर न केवल अपनी टीम को मजबूत स्थिति में पहुंचाया, बल्कि कई दशकों पुराने रिकॉर्ड्स को ध्वस्त करते हुए क्रिकेट जगत को हैरान कर दिया। यह सिर्फ एक स्कोर नहीं था, बल्कि आंकड़ों का एक ऐसा तूफान था जिसने कई नए बेंचमार्क सेट किए। आइए, मुल्डर की इस अविस्मरणीय पारी से जुड़े कुछ सबसे दिलचस्प और चौंकाने वाले आँकड़ों पर नज़र डालें।

टॉप 5 में शामिल: मुल्डर का 367* रन टेस्ट क्रिकेट के इतिहास का पांचवां सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर है। इस लिस्ट में वह वेस्टइंडीज के दिग्गज ब्रायन लारा (400*) के साथ शामिल हो गए हैं, जिन्होंने 2004 में इंग्लैंड के खिलाफ यह कीर्तिमान बनाया था। 350 या उससे अधिक रन बनाने वाले वह दुनिया के केवल छठे बल्लेबाज बने। दक्षिण अफ्रीका के लिए, वह हाशिम अमला (311* बनाम इंग्लैंड, 2012) के बाद तिहरा शतक लगाने वाले दूसरे खिलाड़ी हैं। अमला ने धीमे, शास्त्रीय अंदाज़ में रन बनाए थे, जबकि मुल्डर की पारी में आधुनिक आक्रामकता का मिश्रण था।

विदेशी सरज़मीं पर सबसे बड़ा धमाका: 367* रनों की यह पारी किसी भी बल्लेबाज द्वारा विदेशी सरज़मीं पर बनाया गया अब तक का सबसे बड़ा टेस्ट स्कोर है। उन्होंने पाकिस्तान के हनीफ मोहम्मद के 1958 में वेस्टइंडीज के खिलाफ बनाए गए 337 रनों के रिकॉर्ड को तोड़ा। डॉन ब्रैडमैन, वैली हैमंड और मार्क टेलर जैसे दिग्गजों के विदेशी तिहरे शतकों को भी मुल्डर ने पीछे छोड़ दिया। यह अपने आप में एक असाधारण उपलब्धि है, यह दर्शाती है कि मुल्डर ने मुश्किल परिस्थितियों में भी दबाव को कैसे संभाला।

तेज़ गति का तिहरा शतक: मुल्डर ने 300 रन के आंकड़े तक पहुँचने के लिए सिर्फ 297 गेंदें लीं, जो टेस्ट इतिहास का दूसरा सबसे तेज तिहरा शतक है (गेंदों की संख्या के आधार पर)। इस मामले में वह केवल भारत के वीरेंद्र सहवाग (278 गेंद, बनाम दक्षिण अफ्रीका, 2008) से पीछे हैं। सहवाग का नाम आते ही भारतीय फैंस के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है, और मुल्डर ने उन्हें गति के मामले में कड़ी टक्कर दी है। और तो और, टेस्ट इतिहास के सिर्फ दो तिहरे शतकों का स्ट्राइक रेट 100 से ऊपर रहा है: सहवाग के 319 रन (SR 104.93) और मुल्डर के 367* रन (SR 109.88)। यह साबित करता है कि मुल्डर की पारी कितनी आक्रामक और प्रभावी थी।

एक पारी में दो सत्रों में 100+: मुल्डर टेस्ट इतिहास के केवल तीसरे बल्लेबाज बने जिन्होंने एक ही पारी के दो अलग-अलग सत्रों में 100 से अधिक रन बनाए। उन्होंने पहले दिन के अंतिम सत्र में 131* रन बनाए और दूसरे दिन लंच से पहले 103* रन और जोड़े। इस विशिष्ट क्लब में उनके साथ डॉन ब्रैडमैन और मैथ्यू हेडन जैसे नाम शामिल हैं, जो खेल के सर्वकालिक महान खिलाड़ियों में से हैं।

पहले बल्लेबाजी करते हुए तिहरा शतक: यह टेस्ट इतिहास में केवल तीसरा मौका था जब किसी टीम को पहले बल्लेबाजी करने के लिए आमंत्रित किया गया और उनके बल्लेबाज ने तिहरा शतक बनाया। इससे पहले ग्राहम गूच (333 बनाम भारत, 1990) और मैथ्यू हेडन (380 बनाम ज़िम्बाब्वे, 2003) ने यह कारनामा किया था। टॉस हारकर भी इतना बड़ा स्कोर बनाना टीम के लिए मनोबल बढ़ाने वाला रहा होगा।

टीम के कुल स्कोर में एकाधिकार: दक्षिण अफ्रीका की पारी में मुल्डर के 367* और दूसरे सर्वोच्च स्कोर (डेविड बेडिंगहम के 82 रन) के बीच 285 रनों का विशाल अंतर था। यह टेस्ट इतिहास में किसी पारी के टॉप दो स्कोरों के बीच तीसरा सबसे बड़ा अंतर है। ऐसा लगा मानो मुल्डर अकेले ही ज़िम्बाब्वे के गेंदबाजों से निपट रहे थे, जबकि बाकी खिलाड़ी सिर्फ दर्शक थे। ब्रायन लारा की दो विशाल पारियों (375 और 400*) में भी इसी तरह के बड़े अंतर देखे गए थे, जो मुल्डर की पारी की अद्वितीयता को दर्शाता है।

बाउंड्री किंग: मुल्डर ने अपनी पारी में 53 बाउंड्री (49 चौके और 4 छक्के) लगाए, जो टेस्ट इतिहास में दूसरे सबसे ज़्यादा हैं। उनसे आगे केवल इंग्लैंड के जॉन एडरिच (57 बाउंड्री, 1965 में 310* रन की पारी में) हैं। मुल्डर के 220 रन बाउंड्री से आए, यह आंकड़ा भी एडरिच के 238 रन के बाद दूसरा सबसे बड़ा है। यह दर्शाता है कि मुल्डर सिर्फ धैर्यवान ही नहीं थे, बल्कि स्कोरबोर्ड को लगातार चला रहे थे, ज़िम्बाब्वे की फील्डिंग को परेशान कर रहे थे।

कप्तान के तौर पर पदार्पण और रिकॉर्ड: इस टेस्ट में कप्तानी का जिम्मा संभाल रहे मुल्डर पहले ऐसे खिलाड़ी बने जिन्होंने अपनी कप्तानी पारी के पहले ही टेस्ट में 250 से अधिक रन बनाए। यह उन पर अतिरिक्त जिम्मेदारी का कोई असर नहीं पड़ने का प्रमाण है, बल्कि उन्होंने तो इस जिम्मेदारी को और भी बेहतर प्रदर्शन के लिए ईंधन बना लिया।

संक्षेप में, वियान मुल्डर की 367* रनों की पारी टेस्ट क्रिकेट की एक यादगार गाथा बन गई है। उन्होंने गति, धैर्य, आक्रामकता और रिकॉर्ड बनाने की क्षमता का शानदार प्रदर्शन किया। यह पारी न केवल उनके करियर का hoogtepunt (सर्वोच्च बिंदु) है, बल्कि इसने क्रिकेट इतिहास की किताबों में भी अपना नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज करा लिया है। ज़िम्बाब्वे के गेंदबाज शायद इस पारी को जल्द नहीं भूल पाएंगे, और क्रिकेट प्रेमी इस प्रदर्शन को लंबे समय तक याद रखेंगे।