एक बार फिर, फुटबॉल विश्व कप क्वालीफिकेशन का रण इटली के लिए सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि एक जटिल पहेली बनकर सामने आया है। `एज़्ज़ुरी` के लिए सीधे क्वालीफाई करने की उम्मीदें अब लगभग धराशायी हो चुकी हैं, और एक परिचित डर – प्लेऑफ की राह – उनके सामने खड़ी है।
नॉर्वे का `पंच`: सीधे क्वालीफिकेशन की उम्मीदों पर `गोल`
हाल ही में इजरायल के खिलाफ नॉर्वे की 5-0 की शानदार जीत ने समूह में उनकी स्थिति को मजबूत कर दिया है। इस जीत के साथ, नॉर्वे ने अंक तालिका में शीर्ष स्थान पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है, और सबसे महत्वपूर्ण बात, उनके पास अब +26 का प्रभावशाली गोल अंतर है, जबकि इटली का गोल अंतर केवल +7 है। यह अंतर इतना बड़ा है कि इटली के लिए सीधे विश्व कप में जगह बनाने की उम्मीदें अब गणितीय रूप से लगभग असंभव सी लगने लगी हैं। यह फुटबॉल का क्रूर नियम है, जहां केवल जीत ही नहीं, बल्कि कितने गोल से जीतते हैं, यह भी मायने रखता है।
प्लेऑफ: इटली के लिए `अंतिम आशा`
अब, गैटूसो की टीम के लिए असली लड़ाई दूसरे स्थान पर कब्जा करने की है, जो उन्हें प्लेऑफ का टिकट दिलाएगा। फुटबॉल प्रशंसकों के लिए `प्लेऑफ` शब्द इटली के संदर्भ में एक कड़वी याद दिलाता है। कई सालों से, इटली विश्व कप क्वालीफिकेशन में खुद को इसी जटिलता में फंसा हुआ पाता है, जहां हर मैच `करो या मरो` का मुकाबला बन जाता है। इस बार भी कुछ अलग नहीं है।
इजरायल के खिलाफ `निर्णायक` मुकाबला: उडाइन में अग्निपरीक्षा
इटली के लिए दूसरा स्थान पक्का करने की राह में सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव 14 अक्टूबर को उडाइन के ब्लूएनर्जी स्टेडियम में इजरायल के खिलाफ होने वाला मुकाबला है। यह वही इजरायल है जिसके खिलाफ इटली ने पिछले मैच में 5-4 की एक पागलपन भरी जीत दर्ज की थी।
- अगर इटली जीतता है: इजरायल के खिलाफ जीत इटली को गणितीय रूप से दूसरे स्थान पर पहुंचा देगी, और वे प्लेऑफ में सीडेड टीम के रूप में प्रवेश कर पाएंगे। यह सबसे सीधा और सुरक्षित रास्ता है।
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अगर इटली बराबरी पर रहता है या हारता है: तब चीजें थोड़ी और पेचीदा हो जाएंगी। इटली को प्लेऑफ का टिकट पक्का करने के लिए नवंबर में होने वाले अगले दो मैचों से कम से कम एक अंक हासिल करना होगा:
- 13 नवंबर को मोल्दाविया के खिलाफ (अवे मैच)
- 16 नवंबर को नॉर्वे के खिलाफ (घरेलू मैच)
यहां तक कि नॉर्वे और मोल्दाविया के बीच ड्रॉ भी इटली के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, बशर्ते इटली इजरायल के खिलाफ भी कम से कम एक ड्रॉ हासिल करे। जटिलता की यह कला इटली की फुटबॉल का एक और पर्यायवाची बन चुकी है।
बार-बार की कहानी: `इटली तब क्वालीफाई करेगा जब…`
जैसे ही घड़ी में विश्व कप क्वालीफिकेशन का समय नजदीक आता है, इटली के प्रशंसकों के दिलों में एक परिचित धड़कन सुनाई देने लगती है: `इटली तब क्वालीफाई करेगा जब…`। यह शीर्षक एक ऐसा क्लासिक बन गया है जिसे हर साल फुटबॉल के संपादक फिर से जीवंत कर देते हैं। वर्षों से, `एज़्ज़ुरी` के समर्थकों ने इस नाटक को कई बार देखा है, कुछ ने खुशी के साथ, और कुछ ने कड़वी निराशा के साथ। यह एक ऐसा चक्र है जिससे इटली की राष्ट्रीय टीम बाहर निकलने के लिए बेताब है, लेकिन हर बार खुद को उसी उलझन में पाती है। इस बार भी बहसें तेज हैं, कोई टीम की गुणवत्ता पर सवाल उठा रहा है, तो कोई क्वालीफिकेशन प्रारूप पर। लेकिन अंततः, यह मैदान पर प्रदर्शन ही तय करेगा।
गैटूसो और उनकी टीम के लिए यह केवल फुटबॉल मैच नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव और लाखों प्रशंसकों की उम्मीदों का बोझ है। क्या वे इस बार प्लेऑफ की बाधा को पार कर पाएंगे और विश्व कप 2026 में अपनी जगह बना पाएंगे? इसका जवाब अगले कुछ हफ्तों में मैदान पर ही मिलेगा।