भारतीय क्रिकेट के दो महान स्तंभ, विराट कोहली और रोहित शर्मा, दशकों से करोड़ों प्रशंसकों के दिलों पर राज कर रहे हैं। उनकी बल्लेबाजी ने अनगिनत मैच जीते हैं और कई रिकॉर्ड तोड़े हैं। लेकिन, हर चमकते सितारे की तरह, उनके अंतरराष्ट्रीय करियर के क्षितिज पर अब एक नया सवाल मंडरा रहा है: क्या वे 2027 के एक दिवसीय (ODI) विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व कर पाएंगे? यह सवाल सिर्फ उनकी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा का नहीं, बल्कि भारतीय क्रिकेट के भविष्य का भी है, क्योंकि अनुभव का कोई विकल्प नहीं होता।
दौहरा संकट: सीमित खेल और फिटनेस की चुनौती
विराट कोहली और रोहित शर्मा दोनों ने टेस्ट और टी20 अंतरराष्ट्रीय प्रारूपों से खुद को दूर कर लिया है, जिससे एक दिवसीय मैच ही उनके अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन का एकमात्र मंच बचा है। समस्या यह है कि आजकल एक दिवसीय मैच उतनी नियमितता से नहीं खेले जाते, जितनी पहले खेले जाते थे। ऐसे में, अनुभवी खिलाड़ियों के लिए लगातार “मैच फिटनेस” बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन गया है। नियमित जिम और मैदान पर अभ्यास काफी है, लेकिन खेल के दौरान की गति, दबाव और शारीरिक मांग बिल्कुल अलग होती है। यह उस बारीक अंतर को दर्शाता है जो एक खिलाड़ी को शीर्ष स्तर पर बने रहने के लिए चाहिए होता है।
इरफान पठान की `देसी` सलाह: वापसी का रास्ता?
इसी असमंजस के बीच, भारत के पूर्व हरफनमौला खिलाड़ी इरफान पठान ने एक ऐसी सलाह दी है जो सुनने में शायद थोड़ी `परंपरागत` लगे, लेकिन उसकी व्यावहारिकता से इनकार नहीं किया जा सकता। पठान का सुझाव है कि विराट कोहली और रोहित शर्मा को घरेलू क्रिकेट में वापस लौटना चाहिए। उनका तर्क सीधा और स्पष्ट है:
“रोहित शर्मा और विराट कोहली 2027 विश्व कप खेलना चाहते हैं, लेकिन उनके लिए मैच फिटनेस एक बड़ी चुनौती होगी। रोहित ने अपनी फिटनेस पर काफी काम किया है, लेकिन `नियमित फिटनेस` और `मैच-टाइम फिटनेस` में जमीन-आसमान का फर्क होता है।”
इरफान की यह बात हमें याद दिलाती है कि खेल के कुछ सिद्धांत शाश्वत होते हैं, भले ही समय कितना भी बदल जाए।
घरेलू क्रिकेट क्यों है इतना महत्वपूर्ण?
घरेलू क्रिकेट में वापसी का मतलब यह नहीं कि उनकी क्षमता पर सवाल उठाया जा रहा है। इसका अर्थ है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए आवश्यक `मैच की तीव्रता` को पुनः प्राप्त करना। जब कोई खिलाड़ी नियमित रूप से बड़े प्रारूप के मैच नहीं खेलता, तो उसकी लय, निर्णय लेने की क्षमता और शारीरिक सहनशीलता पर असर पड़ सकता है। घरेलू मैच, भले ही उनका दबाव अंतरराष्ट्रीय स्तर का न हो, खिलाड़ियों को खेल की गति से जोड़े रखते हैं, उन्हें लंबे समय तक क्रीज पर रहने या फील्डिंग करने का अभ्यास देते हैं। यह एक तरह का `कम्प्रेस्ड ट्रेनिंग मॉड्यूल` है जो उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर चमकने के लिए तैयार करता है। यह उस पुरानी कहावत को चरितार्थ करता है कि “बुनियादी बातें हमेशा काम आती हैं।”
एक विडंबना भरी सीख: दिग्गजों को भी चाहिए बुनियाद
यह शायद नियति की विडंबना ही है कि जिन खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में इतने उच्च मानक स्थापित किए हैं, उन्हें अब अपने करियर के उत्तरार्ध में, अपने ही देश के घरेलू मैदानों पर खुद को फिर से साबित करने की सलाह दी जा रही है। क्या यह क्रिकेट के बदलते स्वरूप का संकेत है, जहाँ हर प्रारूप की अपनी विशिष्ट मांगें हैं? या यह सिर्फ एक अटल सत्य कि खेल के हर स्तर पर, निरंतरता और तैयारी ही सफलता की कुंजी है, चाहे आप कितने भी बड़े खिलाड़ी क्यों न हों? यह दर्शाता है कि क्रिकेट की दुनिया में कोई भी `लार्जर दैन लाइफ` नहीं होता, और मूलभूत सिद्धांतों का पालन सभी के लिए अनिवार्य है।
BCCI का रुख और आगे की राह
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने अभी तक विराट और रोहित के 2027 विश्व कप में खेलने की कोई गारंटी नहीं दी है। रोहित को एक दिवसीय कप्तान के पद से हटाए जाने के बाद, उनकी निरंतरता को लेकर चिंताएं और बढ़ गई हैं। ऐसे में, इरफान पठान की सलाह एक महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश बन सकती है। यदि इन दिग्गजों को वास्तव में 2027 विश्व कप का हिस्सा बनना है, तो उन्हें मैच समय सुनिश्चित करना होगा। यह सिर्फ उनकी फिटनेस का नहीं, बल्कि भारतीय टीम की मजबूती का भी सवाल है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मंच पर उनका अनुभव अमूल्य है।
निष्कर्ष: एक विरासत, एक चुनौती, एक स्पष्ट रास्ता
विराट कोहली और रोहित शर्मा सिर्फ खिलाड़ी नहीं, प्रेरणास्रोत हैं। उनका समर्पण और खेल के प्रति जुनून अद्वितीय रहा है। यदि वे घरेलू क्रिकेट में वापसी का फैसला करते हैं, तो यह सिर्फ उनकी व्यक्तिगत यात्रा का एक नया अध्याय नहीं होगा, बल्कि देश के युवा खिलाड़ियों के लिए एक सशक्त संदेश भी होगा: “कोई भी खिलाड़ी इतना बड़ा नहीं होता कि वह सीखने और खुद को बेहतर बनाने के बुनियादी सिद्धांतों से ऊपर उठ जाए।” यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वे इस `घरेलू नुस्खे` को अपनाकर अपने 2027 विश्व कप के सपने को साकार कर पाते हैं या नहीं। भारतीय क्रिकेट के लिए यह एक महत्वपूर्ण समय है, जहाँ अनुभव और युवा ऊर्जा के संतुलन को साधना होगा ताकि हम भविष्य में भी ऐसे ही शानदार प्रदर्शन देख सकें।