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US Military Aid to Ukraine: यूक्रेन को हथियारों से पाटने के लिए जर्मनी में नया मिलिट्री कमांड बनाएंगा अमेरिका, रूस की बढ़ेगी टेंशन

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वॉशिंगटन: अमेरिका ने यूक्रेन को हथियार देने के लिए जर्मनी में नया मिलिट्री कमांड बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। अब इसी कमांड के जरिए यूक्रेन को सैन्य मदद भेजी जाएगी। जर्मनी में पहले से ही अमेरिका के यूरोपीय कमांड का मुख्यालय मौजूद है। लेकिन, रूस और चीन से बढ़ते खतरों के बीच पूरे यूरोप पर नजर रखने में इस कमांड को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में अमेरिका की यूरोपीय कमांड के कमांडर जनरल क्रिस्टोफर जी कावोली ने रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन के सामने नए कमांड का प्रस्ताव रखा है। इसके तहत अब यूक्रेन में मिलिट्री ऑपरेशन को नए यूरोपीय कमांड के तहत अंजाम दिया जाएगा। अमेरिका के नए मिलिट्री कमांड के यूरोप में स्थापित होने से रूस को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इससे आर्कटिक क्षेत्र में रूसी सैन्य अभियानों को भी अमेरिकी प्रतिरोध का सामना करना पड़ेगा।

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय जल्द कर सकता है नए कमांड का ऐलान
द न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन और रक्षा मंत्रालय अपने यूरोपीय कमांडर के सुझाव की समीक्षा कर रहे हैं। उम्मीद है कि आने वाले हफ्तों में इस बारे में बड़ा ऐलान किया जा सकता है। व्हाइट हाउस और पेंटागन ने पहले ही संकेत दिए हैं कि वे यूरोप में नए मिलिट्री कमांड को स्थापित करने के पक्ष में हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि 24 फरवरी को यूक्रेन में रूस के स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन शुरू करने के बाद इस कमांड को स्थापित करने का प्रस्ताव रखा गया था। इसे पिछले दो दशकों में इराक और अफगानिस्तान में अमेरिकी ट्रेनिंग अभियानों के आधार पर प्रस्तावित किया गया है। इस कमांड के जरिए न सिर्फ यूक्रेन को सैन्य सहायता दी जाएगी, बल्कि यूक्रेनी सैनिकों को ट्रेनिंग देने का भी प्रस्ताव है।

जनरल कैवोली को रिपोर्ट करेगी नई कमांड
अमेरिकी सेना की नई कमांड जनरल कैवोली को रिपोर्ट करेगी। इसमें मिशन के लिए समर्पित लगभग 300 लोग यूरोप में अमेरिकी सेना का मुख्यालय जर्मनी के वेसबाडेन में तैनात हैं। यह कमांड अमेरिका के नेतृत्व वाले यूक्रेन रक्षा संपर्क समूह के किए गए निर्णयों को लागू करेगी, जिसे पश्चिम द्वारा कीव को सैन्य सहायता के लिए स्थापित किया गया था। 40 से अधिक सदस्य देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने 28 सितंबर को ब्रसेल्स में नाटो के मुख्यालय में मुलाकात की और चर्चा की कि यूक्रेन के लिए हथियारों और गोला-बारूद का उत्पादन कैसे बढ़ाया जाए।

यूक्रेनी सैनिकों को हथियारों के साथ दी जाएगी ट्रेनिंग
पिछले कुछ महीनों में, लेफ्टिनेंट जनरल क्रिस्टोफर टी. डोनह्यू ने वेसबाडेन में अपने मुख्यालय में यूक्रेन को भेजे जाने वाले सैन्य सहायता का समन्वय किया है। जनरल क्रिस्टोफर के ही नेतृत्व में अगस्त 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी हुई थी। हालांकि, रक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, अमेरिकी सेना की 18वीं एयरबोर्न कोर के कमांडिंग जनरल जो यूक्रेन की सेना के लिए प्रशिक्षण की देखरेख में मदद कर रहे हैं, वे अगले महीने नॉर्थ कैरोलाइना के फोर्ट ब्रैग लौटने वाले हैं। ऐसे में ओवरहाल किए गए कमांड स्ट्रक्चर के लिए एक नए अधिकारी की आवश्यकता होगी।



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नारंगी घड़‍ियाल कभी देखा है आपने? नेपाल के चितवन नेशनल पार्क में अजूबे को देखने उमड़ रही भीड़

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नेपाल में मीठे पानी में पाए जाने वाले मगरमच्छ और घड़ियाल नारंगी रंग के हो रहे हैं। इन अजीब रंग के जीवों को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़ रहे हैं। ये घड़ियाल नेपाल के चितवन नेशनल पार्क में बहुतायत संख्या में मिल रहे हैं। वैज्ञानिकों ने इनके नारंगी रंग के होने का कारण भी बताया है।

 



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जर्मनी से कौन सी पनडुब्बी खरीद रहा भारत? 400 मीटर तक लगा सकती है गोता, दुश्मन के रडार होंगे नाकाम

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भारत जल्द ही जर्मनी के साथ प्रोजेक्ट-75आई के तहत छह पनडुब्बियों की खरीद के लिए करार कर सकता है। इन पनडुब्बियों का निर्माण ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के जरिए भारत के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में किया जाएगा। भारतीय नौसेना 2020 से ही छह पनडुब्बियों के लिए विदेशी पार्टनर की तलाश कर रही है।



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महासागर में महासमर की तैयारी में हिंदुस्तान, स्वदेशी टॉरपीडो ने पानी में मचाया तूफान

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भारतीय नौसेना द्वारा निर्मित टॉरपीडो

तेजी से बदले वैश्विक परिवेश और युद्ध की आशंकाओं के मद्देनजर भारत ने भी अपनी तीनों सेनाओं को सशक्त बनाने की जिद ठान ली है। जल, थल और वायु तीनों ही सेनाओं को मोदी सरकार हथियारों से सुसज्जित, आत्मनिर्भर और ताकतवर बना रही है। इस क्रम में भारतीय नौसेना को महासागर में महासमर के लिए तैयार किया जा रहा है। आइएनएस विक्रांस से लेकर, कलावरी पनडुब्बियां और बैलिस्टिक मिसाइलें, परमाणु पनडुब्बी समेत अन्य घातक युद्ध पोत दुश्मनों को ललकार रहे हैं। इसी क्रम में भारतीय नौसेना ने स्वदेशी टॉरपीडो विकसित किया है, जिसने समुद्र के भीतर सफलतापूर्वक अपने लक्ष्य को भेद कर सबको चौंका दिया है।

बता दें कि भारतीय नौसेना के स्वदेश में विकसित भारी वजन वाले टॉरपीडो ने पानी के भीतर एक लक्ष्य को सफलतापूर्वक निशाना बनाया। नौसेना ने इस सफलता को ‘‘महत्वपूर्ण मील का पत्थर’’ करार दिया है। नौसेना ने मंगलवार को एक संक्षिप्त बयान में कहा कि टॉरपीडो के अचूक निशाने से आत्मनिर्भरता के जरिए भविष्य की उत्कृष्ट युद्ध तैयारियों के प्रति उसकी प्रतिबद्धता का पता चलता है।

टॉरपीडो सफलता मील का पत्थर

नौसेना के अनुसार स्वदेशी रूप से विकसित भारी वजन वाले टॉरपीडो द्वारा पानी के भीतर लक्ष्य को निशाना बनाया जाना पानी के नीचे के क्षेत्र में लक्ष्य को नष्ट करने संबंधी आयुध की सटीक प्रदायगी की भारतीय नौसेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की ललक को दिखाने वाला एक ‘‘महत्वपूर्ण मील का पत्थर’’ है। नौसेना ने कहा, ‘‘यह आत्मनिर्भरता के माध्यम से भविष्य की युद्ध तैयारियों के प्रमाण के प्रति हमारी वचनबद्धता को प्रदर्शित करता है।’’ पिछले कुछ वर्षों से नौसेना संबंधित क्षेत्र में चीनी नौसेना की बढ़ती आक्रामकता के मद्देनजर विशेष रूप से हिंद महासागर में अपनी युद्ध तैयारी बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

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