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UPA के शासनकाल के दौरान मणिपुर की हालात को याद करे कांग्रेस: हिमंत बिस्वा सरमा

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गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को मणिपुर में 2017 तक के कार्यकाल को लेकर कांग्रेस और यूपीए (UPA) पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के राज्यों में यूपीए के शासनकाल के दौरान मणिपुर देश की नाकाबंदी राजधानी बन गया था  और अब कांग्रेस अचानक मणिपुर में अत्यधिक रुचि दिखा रही है.

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असम के CM सरमा ने ट्विटर पर कहा, “कांग्रेस अचानक मणिपुर में अत्यधिक रुचि दिखा रही है. थोड़ा पीछे मुड़कर राज्य में इसी तरह के संकटों पर पीएम मनमोहन सिंह की प्रतिक्रिया को देखना महत्वपूर्ण है. पार्टी का दोहरापन चिंताजनक है.”

उन्होंने आगे कहा कि मणिपुर में यूपीए कार्यकाल के दौरान हर साल एक महीने से अधिक समय तक राज्य में नाकेबंदी होती थी. यूपीए के कार्यकाल के दौरान, मणिपुर देश की नाकाबंदी राजधानी बन गया. 2010-2017 के बीच, जब कांग्रेस ने राज्य में शासन किया, हर साल साल में 30 दिन से लेकर 139 दिन तक नाकाबंदी होती थी.”

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि वर्ष 2011 मणिपुर में सबसे खराब अवरोधों में से एक था, जो 120 दिनों से अधिक समय तक चला और प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी चार महीने से अधिक समय तक इस मुद्दे पर चुप रहे.

उन्होंने कहा, “इनमें से प्रत्येक नाकेबंदी के दौरान पेट्रोल और एलपीजी की कीमतें ₹ 240 और ₹ 1,900 प्रति लीटर तक पहुंच गईं, जो पूरी तरह से मानवीय संकट में तब्दील हो गईं. 2011 मणिपुर में 120 दिनों से अधिक समय तक चलने वाली सबसे खराब नाकाबंदी में से एक थी.”

मणिपुर में, बहुसंख्यक समुदाय की भीड़ द्वारा दो महिलाओं को मुक्त करने से पहले नग्न घुमाया गया और उनका यौन उत्पीड़न किया गया. यह घटना कथित तौर पर मणिपुर में जातीय संघर्ष भड़कने के एक दिन बाद 4 मई को हुई थी. मणिपुर में हिंसा अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में मैतेई समुदाय के लोगों को शामिल करने के प्रस्ताव के विरोध में 3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (एटीएसयूएम) की एक रैली के बाद भड़क गई थी.

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मराठा कोटा के लिए भूख हड़ताल करने वाले ने लगाई फांसी, 13 महीने का है बच्चा

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खुदकुशी करने वाले शख्स की पहचान सुदर्शन देवराय के रूप में की है। देवराय ने नांदेड़ जिले की हिमायतनगर तहसील में रविवार आधी रात के बाद कथित तौर पर खुदकुशी कर ली।



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भारत ने कनाडा के राजनयिक को निकाला, 5 दिन में देश छोड़ने का आदेश

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Image Source : PTI/AP
भारत-कनाडा।

कनाडा और भारत के बीच कूटनीतिक रिश्ते बुरे दौर में जाते हुए दिखाई दे रहे हैं। कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो द्वारा भारत पर अनर्गल आरोपों के बाद कनाडा ने भारतीय राजनयिक को बर्खास्त कर दिया था। अब इस कदम के जवाब में भारत सरकार ने भी कनाडा के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। भारत सरकार ने भी एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को बर्खास्त कर दिया है और उन्हें 5 दिनों में देश छोड़ने का आदेश दिया है। 

उच्चायुक्त तलब


कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के भारत विरोधी कदमों के बाद भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने विरोध जताने के लिए भारत में कनाडा के उच्चायुक्त कैमरून मैकेई को तलब किया था। ऐसा माना जा रहा था कि कनाडा को जवाब देने के लिए भारत सरकार भी कड़ा कदम उठा सकती है। 

विदेश मंत्रालय का बयान

भारतीय विदेश मंत्रालय ने जारी किए गए बयान में कहा है कि भारत में कनाडा के उच्चायुक्त कैमरून मैकेई को आज तलब किया गया। उन्हें भारत में रह रहे एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को निष्कासित करने के भारत सरकार के फैसले के बारे में सूचित किया गया। संबंधित राजनयिक को अगले पांच दिनों के भीतर भारत छोड़ने के लिए कहा गया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह निर्णय हमारे आंतरिक मामलों में कनाडाई राजनयिकों के हस्तक्षेप और भारत विरोधी गतिविधियों में उनकी भागीदारी पर भारत सरकार की बढ़ती चिंता को दर्शाता है।

क्यों तल्ख हुए रिश्ते?

G-20 समिट में फटकार खाने के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत विरोधी कदमों में जुट गए हैं। ट्रू़डो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का कनेक्शन भारत से जोड़ते हुए भारत के एक राजनयिक को निकाल दिया था। हालांकि, भारत सरकार ने कनाडाई पीएम के आरोपों को बेबुनियाद और आधारहीन करार दिया है। भारत ने साथ ही कनाडा से आतंकी तत्वों पर कार्रवाई करने की मांग की है। भारत ने कहा है कि इस तरह के बयान खालिस्तानियों से ध्यान हटाने के लिए दिए गए हैं।

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Parliament Session New Bill: महिला आरक्षण से ही होगा नई संसद का ‘श्रीगणेश’, आज ही पेश करने की तैयारी

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महिला आरक्षण बिल को लेकर स्थिति लगभग साफ होती नजर आ रही है। खबर है कि सरकार मंगलवार को ही संसद में बिल पेश कर सकती है। हालांकि, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। सोमवार को कैबिनेट बैठक में विधेयक पर मुहर लगा दी गई थी। इधर, महिला आरक्षण का श्रेय लेने के लिए कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में होड़ लगती नजर आ रही है।

खास बात है कि मंगलवार से ही विशेष सत्र नए संसद भवन में पहुंच रहा है। ऐसे में अगर सरकार महिला आरक्षण बिल आज पेश कर देती है, तो नई संसद में पेश होने वाला यह पहला बिल होगा। हालांकि, यह बिल करीब 27 सालों से लंबित है और कांग्रेस की अगुवाई वाली UPA सरकार ने साल 2010 में इसे राज्यसभा में पास करा लिया था।



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