Connect with us

International

Russia-Ukraine War: रूस आखिर यूक्रेन से अचानक क्यों वापस बुलाने लगा अपने सैनिक, क्या खत्म होने वाला है युद्ध ?

Published

on


Image Source : INDIA TV
Russia-Ukraine war

Highlights

  • रूसी सैनिकों ने खाली किया खार्कीव शहर
  • यूक्रेन ने खार्कीव पर फिर से पाया कब्जा
  • रूस ने कहा डोनबास को मुक्त कराने के विशेष सैन्य अभियान के तहत वापस बुलाए सैनिक

Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे भीषण युद्ध को छह महीने से अधिक का समय बीत चुका है। मगर अभी तक इसका कोई अंत होता नहीं दिखाई दे रहा है। जबकि इस युद्ध में रूस और यूक्रेन दोनों को ही भारी नुकसान पहुंचा है। बावजूद दोनों ही देश एक दूसरे पर लगातार बमवर्षा कर रहे हैं। रूस यूक्रेन को आत्मसमर्पण कराने तक यह युद्ध जारी रखना चाहता है, लेकिन यूक्रेन किसी भी कीमत पर घुटने नहीं टेकने की जिद कर बैठा है। ऐसे में यह युद्ध महाविनाशकारी हो चला है। मगर इसी बीच यूक्रेन के वॉर जोन से आ रही एक बड़ी खबर ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार रूस अब यूक्रेन से अपने सैनिकों को वापस बुला रहा है। अब क्या माना जाए कि रूस का हृदय परिवर्तन हो गया या फिर वह यूक्रेन से डर गया, जो अपने सैनिकों की वापसी करवा रहा है। आइए अब आपको बताते हैं कि इसकी मुख्य वजह क्या है। 

दरअसल पिछले छह माह से रूसी सैनिक यूक्रेन से जूझ रहे हैं। रूस ने यूक्रेन के ज्यादातर शहरों और इलाकों पर कब्जा कर लिया था। यहां तक कि उसके परमाणु संयंत्र से लेकर रेल और हवाई नेटवर्क भी रूस के कब्जे में आ गए थे। इससे यूक्रेन के हौसले पस्त हो रहे थे। एक समय तो ऐसा लगने लगा था कि शुरुआत के 20 दिनों में ही यह युद्ध समाप्त हो जाएगा और रूस यूक्रेन की राजधानी कीव पर आसानी से कब्जा कर लेगा। रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन को भी यही उम्मीद थी कि उनके सैनिक जल्द ही यूक्रेन राष्ट्रपति ब्लादिमिर जेलेंस्की से आत्मसमर्पण करवा लेंगे। मगर रूस का यह आंकलन गलत साबित हो गया। नाटो और अमेरिका के सहयोग से यूक्रेन ने युद्ध में जबरदस्त वापसी करते हुए। रूस को कांटे की टक्कर देने लगा। अब स्थिति ऐसी आ गई है कि कई इलाकों में रूसी सैनिकों को अपनी जान बचाना मुश्किल हो रहा है। इसकी वजह ये है कि रूसी सैनिकों को हथियार से लेकर खाने-पीने की चीजों और तेल-पानी की भी दिक्कत होने लगी है। ऐसे में रूसी सैनिक हौसला तोड़ रहे हैं। 

रूस ने खार्कीव से वापस बुलाए सैनिक 


यूक्रेन के वॉर जोन से रूस ने अपने सैनिकों को वापस बुलाकर पूरी दुनिया को सकते में डाल दिया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार खार्कीव से रूस ने अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है। खास बात यह है कि रूसी सैनिक अपने संग लाए गोला-बारूद और हथियारों को खार्कीव में ही छोड़कर चले गए हैं। क्या यह माना जाए कि रूसी सैनिकों पर यूक्रेन भारी पड़ गया, जिससे उनके सैनिकों को जान बचाकर हथियार और गोला-बारूद तक छोड़कर भागना पड़ा या फिर रूस ने किसी रणनीति के तहत अपने इन सैनिकों को खार्कीव से वापस बुलाया है। वजह जो भी हो, लेकिन पूरी दुनिया पुतिन के इस फैसले से हैरान हो गई है। साथ ही सशंकित भी है। क्योंकि सभी को पता है कि पुतिन हार मानने वाले नहीं हैं। ऐसे में वह कुछ भी कर सकते हैं। 

Russia-Ukraine war

Image Source : INDIA TV

Russia-Ukraine war

यूक्रेन ने रूसी कब्जे से 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन मुक्त कराने का दावा किया

यूक्रेन की सेना ने रूस से अब तक 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन मुक्त करवा लेने का दावा किया है। खार्कीव से रूसी सैनिकों की वापसी से कुछ घंटे पहले ही यूक्रेन ने कुपियांस्क शहर पर भी कब्जे का दावा किया। बताया जा रहा है कि इसी कुपियांस्क शहर से यूक्रेन के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में मोर्चे पर डटे रूसी सैनिकों को सैन्य आपूर्ति की जा रही थी। ऐसे में यह रूस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। वहीं यूक्रेन की सेना ने रेल नेटवर्क को भी रूसी सैनिकों के कब्जे से मुक्त कराने का दावा किया है। 

यूक्रेनी नागरिकों की जान बचाने को रूसी सैनिकों ने खाली किया शहर

पिछले दिनों यूक्रेन ने खार्कीव में रूस की गोलाबारी में अपने कई नागरिकों के मारे जाने की पुष्टि की थी। यूक्रेन रूस पर लगातार नागरिकों को निशाना बनाने का आरोप लगा रहा था। वोवचांस्क जिले के सैन्य नागरिक प्रशासन ने रूसी सांसद येवगेनी के हवाले से जानकारी दी है कि यूक्रेनी नागरिकों की जान बचाने के लिए रूसी सैनिक खार्कीव शहर को खाली कर गए हैं। मगर खार्कीव के गैर रिहाइशी इलाकों में उनका कब्जा फिर से हो जाएगा। वहीं खार्कीव से रूसी सैनिकों की वापसी के बाद यूक्रेन ने शहर पर फिर से कब्जा कर लिया है। 

रूसी रक्षा मंत्रालय ने क्या कहा

खार्कीव से अपने सैनिकों को वापस बुलाए जाने पर रूसी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता इगोर कोनशेंकोव के हवाला कहा गया है कि यूक्रेन के महत्वपूर्ण हिस्से डोनबास को मुक्त कराने के लिए विशेष सैन्य अभियान के तहत इन सैनिकों को वापस लौटाया गया है। दोनेस्क क्षेत्र में रूसी सैनिकों को फिर बाद में तैनात कर दिया जाएगा। इधर जेलेंस्की ने इस मामले पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैंकोंव को पूरी जानकारी से अवगत कराया है। 

Latest World News





Source link

International

आटा खत्‍म, अब ईरान से खाने की तस्‍करी कर रहे पाकिस्‍तानी, रमजान में चोरी को मजबूर जिन्‍ना का देश

Published

on

By


इस्‍लामाबाद: पाकिस्‍तान में कंगाली और रेकॉर्ड तोड़ महंगाई से बुरा हाल है और देश की जनता अब खाने की तस्‍करी करने को मजबूर हो गई है। रमजान के महीने में पाकिस्‍तानी जनता को ईरान से सस्‍ते खाने की तस्‍करी करने को मजबूर होना पड़ा है। पाकिस्‍तान में शहरी इलाकों में वार्षिक खाद्यान महंगाई 41.9 प्रतिशत और ग्रामीण इलाकों में 47 प्रतिशत पहुंच गई है। यह पिछले साल से क्रमश: 14.3 और 14.6 प्रतिशत अधिक है। आलम यह है कि सभी सब्जियों के दाम तीन अंक में पहुंच गए हैं। डॉलर के लिए तरस रहे पाकिस्‍तान के लोग अब ‘बढ़‍िया खाना’ ईरान से तस्‍करी कर रहे हैं। यह खाना अब रावलपिंडी और इस्‍लामाबाद जैसे शहरों में थोड़ा कम दाम में उपल‍ब्‍ध है। रावलपिंडी और इस्‍लामाबाद में कई वेंडरों ने इन ईरानी खानों के लिए एक खास स्‍थान तैयार कर दिया है। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक इनमें तेल और चीज भी शामिल हैं। इस ईरानी खाने के लिए अगर कोई मोलभाव करना चाहता है तो उसके लिए पेशावर का साप्‍ताहिक बाजार शानदार जगह है।

पाकिस्‍तान में खाने का दाम आसमान छू रहा

डॉन ने बताया कि ग्रामीण पाकिस्‍तान में एक परिवार को इस साल फरवरी में जिस खाने के लिए 14700 पाकिस्‍तानी रुपया खर्च करना पड़ रहा था, उसके लिए उन्‍हें पिछले साल मात्र 10 हजार रुपये देने पड़ रहे थे। यही नहीं शहरी इलाके में इसी खाने को अब 14,190 रुपये में खरीदना पड़ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्‍तान में यह हालात अभी लंबे समय तक चल सकते हैं क्‍योंकि पिछले साल देश को भयानक बाढ़ से जूझना पड़ा था और इसमें काफी फसलें तबाह हो गई थीं।

इसके अलावा कमजोर होता पाकिस्‍तानी रुपया और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनिया में जरूरी सामानों की कीमतें बहुत बढ़ गई हैं। यही नहीं पाकिस्‍तान में राजनीतिक हालात बहुत खराब हैं जिससे आईएमएफ समेत दुनिया के अन्‍य देश कर्ज देने से कतरा रहे हैं। इसके अलावा कई जमाखोर भी संकट में सक्रिय हो गए हैं और वे खाद्यान को जमा कर रहे हैं। साथ इन खाद्यान की पड़ोसी अफगानिस्‍तान में तस्‍करी भी पाकिस्‍तान के लिए चिंता का सबब बन गई है। देश में खाने की बढ़ती कीमतों को देखते हुए अब पाकिस्‍तानी ईरान से तस्‍करी करने को मजबूर हो गए हैं।

डिफॉल्‍ट होने की कगार पर पाकिस्‍तान

तस्‍करी करके लाए गए इस ईरानी खाने के प्रति पाकिस्‍तानी लोग अच्‍छी रुचि दिखा रहे हैं। यह खाना कई बार तो पाकिस्‍तान में उपलब्‍ध उसी फूड आइटम से 50 फीसदी सस्‍ता है। डॉन ने बताया कि इस खाने को ईरान से आधिकारिक रूप से नहीं मंगाया जा रहा है, बल्कि बलूचिस्‍तान बॉर्डर और अफगानिस्‍तान के रास्‍ते तस्‍करी करके लाया जा रहा है। पाकिस्‍तान इस समय गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है और देश के डिफॉल्‍ट होने का खतरा है।



Source link

Continue Reading

International

डोकलाम को सुलझाने में चीन की भी समान भूमिका, ड्रैगन के सुर में सुर मिला रहे भूटानी PM

Published

on

By


थिंपू : भूटान के प्रधानमंत्री इन दिनों चीन के सुर में सुर मिला रहे हैं। एक इंटरव्यू में भूटानी पीएम लोटे शेरिंग ने कहा कि डोकलाम विवाद को हल करने में चीन की भी समान भूमिका है। उनके हालिया बयान इस विवादित और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र पर भूटान के बदलते पक्ष को दिखाते हैं। इससे पहले भूटान ने दावा किया था कि चीन ने उसकी सीमा में कोई गांव नहीं बसाया है। डोकलाम भारत, चीन और भूटान तीनों देशों को जोड़ने वाला केंद्र बिंदु है। साल 2017 के डोकलाम गतिरोध के बाद से यह तीनों देशों के बीच तनाव का प्रमुख कारण रहा है।

बेल्जियन अखबार La Libre को दिए एक हालिया इंटरव्यू में शेरिंग ने कहा, ‘समस्या को हल करना अकेले भूटान के हाथ में नहीं है। हम तीन देश हैं। कोई मुल्क बड़ा या छोटा नहीं है, तीनों समान हैं, प्रत्येक की गिनती एक तिहाई के रूप में होती है।’ चीन ने डोकलाम के पास भूटान के क्षेत्र में गांवों और सड़कों का निर्माण किया है जो क्षेत्र में भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं। भारत डोकलाम में चीन के विस्तार का विरोध करता है और अपने रणनीतिक सिलीगुड़ी कॉरिडोर के लिए इसे सबसे बड़ा खतरा मानता है।

Bhutan PM on China: डोकलाम पर भूटान के पीएम का बयान भारत के लिए चिंता की बात क्यों? समझें इसके रणनीतिक मायने

ट्राई-जंक्शन को शिफ्ट करना चाहता है चीन

शेरिंग का बयान दिखाता है कि भूटान भारत और चीन के साथ डोकलाम की स्थिति पर बातचीत करने और विवाद को हल करने में इच्छुक है। चीन का लक्ष्य ट्राई-जंक्शन को दक्षिण की ओर शिफ्ट करना है जिससे पूरा डोकलाम कानूनी रूप से चीन का हिस्सा बन जाएगा। भारत इस कदम का विरोध करता है। एक तरफ भूटानी पीएम दावा कर रहे हैं कि चीन उनकी सीमा में नहीं घुसा है तो वहीं सैटेलाइट तस्वीरें बताती हैं कि चीन ने भूटान के क्षेत्र में 10 गांव बसा लिए हैं।

Indian Army News: जानिए कौन हैं कर्नल गीता राणा? जो चीन सीमा के पास तैनात होने वाली पहली महिला अर्मी अफसर बनीं

‘सिलीगुड़ी कॉरिडोर’ तक पहुंचना चाहता है चीन

साल 2017 में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच दो महीने से अधिक समय तक तनावपूर्ण गतिरोध चला था। भारतीय सैनिकों ने डोकलाम पठार में प्रवेश किया था ताकि चीन को माउंट जिपमोची और आसपास के झम्फेरी रिज की ओर अवैध रूप से निर्मित सड़क का विस्तार करने से रोका जा सके। भारतीय सेना का दावा है कि चीनी सेना को झम्फेरी तक पहुंचने दिया गया तो उन्हें सिलीगुड़ी कॉरिडोर के लिए एक ‘साफ रास्ता’ मिल जाएगा।



Source link

Continue Reading

International

रूस ने दुनिया को दिखा रहा महाविनाशक यार्स परमाणु मिसाइल, अमेरिका तक मचा सकती तबाही

Published

on

By


मास्‍को: यूक्रेन में चल भीषण युद्ध के बीच रूस की सेना ने अपनी महाविनाशक यार्स अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल के साथ अभ्‍यास शुरू किया है। इस मिसाइल की रेंज 12 हजार किमी है और यह अमेरिका तक तबाही मचा सकती है। यह रूसी यार्स इतना खतरनाक है कि केवल एक मिसाइल अपने साथ कई परमाणु बम ले जा सकती है। इस अभ्‍यास में रूस के हजारों की तादाद में सैनिक भी हिस्‍सा ले रहे हैं। माना जा रहा है कि इस अभ्‍यास के जरिए रूस अपनी परमाणु ताकत का प्रदर्शन कर रहा है। रूस के रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को कहा, ‘कुल 3000 सैनिक और 300 हथियार इस अभ्‍यास में हिस्‍सा ले रहे हैं।’ रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन का इरादा है कि यार्स मिसाइल सिस्‍टम को रूस के ‘अपराजेय हथियारों’ में शामिल किया जाए। यह यार्स मिसाइल टोपोल सिस्‍टम की जगह लेगी और जमीनी रास्‍ते से परमाणु हमला करने का मुख्‍य हथियार बनाने का इरादा है। इसके दौरान यार्स मोबाइल सिस्‍टम के साथ रूस के तीन इलाकों में अभ्‍यास किया जाएगा। रूस ने यह नहीं बताया कि किस इलाके में यह अभ्‍यास किया जाएगा।

रूसी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि रणनीतिक मिसाइल को संभालने वाले सैनिक इसे छिपाकर करेंगे और इस बात के प्रत्‍येक कदम उठाए जाएंगे जिससे उसकी अंतरिक्ष से निगरानी नहीं की जा सके। इसमें एयरोस्‍पेस फोर्स का भी इस्‍तेमाल किया जाएगा। यह मिसाइल 12000 किमी तक कई परमाणु बमों के साथ हमला कर सकती है जिससे रूसी परमाणु प्रतिरोधक क्षमता काफी बढ़ गई है। इसे ट्रक पर लेकर कहीं भी ले जाया जा सकता है या फिर उसे मिसाइल साइलो में रखा जा सकता है।

यूक्रेन पर पिछले साल हमला करने के बाद रूस ने या तो खुद से या फिर चीन तथा दक्षिण अफ्रीका के साथ कई सैन्‍य अभ्‍यास किया है। यही नहीं रूस ने अपने करीबी बेलारूस के साथ भी कई जोरदार युद्धाभ्‍यास किए हैं। ये अभ्‍यास यूक्रेन की सीमा पर आयोजित किए गए हैं। रूस ने पिछले दिनों ऐलान किया है कि वह बेलारूस में परमाणु हथियार तैनात करने जा रहा है। इन हथियारों की तैनाती से नाटो देशों के साथ रूस और बेलारूस की टेंशन बढ़ गई है। बेलारूस लगातार यूक्रेन को चेतावनी दे रहा है।



Source link

Continue Reading