वैश्विक ऋणदाता की कठोर स्थिति ने सरकार को अपने भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन, और नेताओं के बीच अविश्वास के पिछले इतिहास के कारण अपने प्रलोभन के आगे झुकने के लिए मजबूर कर दिया है। राजनीतिक बिंदु स्कोरिंग और लाभ, अब देश को एक ऐसे बिंदु पर ले आए हैं, जहां सौदा हासिल करना अब सरकार के नियंत्रण में नहीं है। पाकिस्तान को मित्र देशों से दृढ़ गारंटी और समर्थन की आवश्यकता है। इस मोर्चे पर भी, पाकिस्तान अब अविश्वास और संदेह की धारणा का सामना कर रहा है, यहां तक कि उसके मित्र देशों की ओर से भी, जो अब इस्लामाबाद से अपना समर्थन हटा रहे हैं।
दुनियाभर में खराब हो रही पाकिस्तान की छवि
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इस्लामाबाद की बिगड़ती छवि के स्पष्ट संकेत दिख रहे हैं। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की ओर से आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा से 2.5 बिलियन डॉलर मूल्य की शेष किश्तों को हासिल करने में समर्थन मांगने के बाद इस्लामाबाद को बेलआउट प्रोग्राम को पुनर्जीवित करने के लिए मनाने की आखिरी बातचीत विफल हो गई। तुर्की, चीन, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जैसे मित्र देश भी अब बदलाव करते दिख रहे हैं।
राजनीतिक अशांति बनी बर्बादी का कारण
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक अदनान शौकत ने कहा, ‘पाकिस्तान के प्रति आईएमएफ की उपेक्षा का एक प्रमुख कारण देश में राजनीतिक अशांति है। पीडीएम सरकार न केवल आईएमएफ की मांगों को पूरा करने में विफल रही है, बल्कि राजनीतिक स्थिति को स्थिर करने में भी विफल रही है। आईएमएफ ने खुद इस चिंता का उल्लेख अपने हालिया बयान में किया है। पाकिस्तान जैसे राजनीतिक अस्थिर देश को विश्वसनीय नहीं माना जा सकता है। कम से कम आईएमएफ की नजर में तो नहीं।’ समय के साथ, आईएमएफ सौदे को सुरक्षित करने में इस्लामाबाद की विफलता ने अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि पर अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया है।