क्रिकेट के मैदान पर रणनीति, धैर्य और प्रतिभा का अद्भुत संगम देखने को मिलता है, खासकर जब बात रणजी ट्रॉफी जैसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट की हो। विदर्भ और शेष भारत के बीच चल रहे मुकाबले के चौथे दिन का खेल समाप्त होते-होते, रणभूमि का चित्र लगभग स्पष्ट हो चला है। ऐसा लग रहा है मानो विदर्भ ने जीत की बिसात पर अपनी अंतिम चाल चल दी हो और शेष भारत के सामने अब किसी असंभव चुनौती से कम कुछ नहीं है। यह सिर्फ एक मैच नहीं, बल्कि दृढ़ संकल्प और दबाव में प्रदर्शन की एक गाथा है।
कंबोज का जौहर, फिर भी विदर्भ का पलड़ा भारी
चौथे दिन की सुबह विदर्भ ने अपनी दूसरी पारी 96 रन पर दो विकेट के नुकसान पर शुरू की थी, और उन्हें उम्मीद थी कि वे अपनी बढ़त को और मजबूत करेंगे। लेकिन शेष भारत के युवा तेज गेंदबाज अंशुमान कंबोज ने सुबह के सत्र में अपनी गेंदों से आग उगली। उन्होंने एक के बाद एक तीन अहम विकेट चटकाकर विदर्भ को शुरुआती झटके दिए। डैनिश मालेवार, ध्रुव शौरी और यश राठौड़ जैसे अनुभवी बल्लेबाज कंबोज की धारदार गेंदबाजी का शिकार बने। उनकी 4 विकेट की शानदार गेंदबाजी (4/34) ने एक पल के लिए शेष भारत के खेमे में उम्मीद की किरण जगा दी थी कि वे विदर्भ को कम स्कोर पर समेट कर मैच में वापसी कर सकते हैं।
हालांकि, क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है, और विदर्भ ने यह साबित किया। शुरुआती झटकों के बावजूद, अमन मोखाडे (37) और अक्षय वड़कर (36) जैसे बल्लेबाजों ने संयम से खेलते हुए अपनी टीम को मुश्किल से निकाला। उन्होंने छोटी, लेकिन महत्वपूर्ण साझेदारियां कीं, जिन्होंने विदर्भ को एक सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाने में मदद की। पूरी टीम 232 रनों पर आउट हो गई, लेकिन तब तक उन्होंने शेष भारत के सामने एक विशालकाय लक्ष्य खड़ा कर दिया था। पहली पारी की बढ़त को मिलाकर, शेष भारत को जीत के लिए अब 361 रन बनाने थे – एक ऐसा लक्ष्य जो पांचवें दिन की पिच पर किसी हिमालय को चढ़ने जैसा लगता है।
अंतिम घंटों का कहर: शेष भारत पर दबाव
चौथे दिन का खेल समाप्त होने में लगभग एक घंटे का समय बचा था, जब शेष भारत अपनी दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने उतरी। 361 रनों का लक्ष्य दिमाग में था, और टीम को एक मजबूत शुरुआत की सख्त जरूरत थी। लेकिन विदर्भ के गेंदबाजों ने अपनी रणनीति के साथ कोई ढिलाई नहीं बरती। उन्होंने तुरंत ही शेष भारत के दोनों सलामी बल्लेबाजों, अभिमन्यु ईश्वरन और आर्यन जुयाल को पवेलियन भेजकर विरोधी टीम की कमर तोड़ दी। दिन का खेल खत्म होने तक, शेष भारत का स्कोर 30 रन पर 2 विकेट हो चुका था, और उन्हें जीत के लिए अभी भी 331 रन चाहिए थे।
यह कहना गलत नहीं होगा कि यह सिर्फ अंकों का खेल नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक युद्ध भी था। एक तरफ विदर्भ आत्मविश्वास से लबरेज था, वहीं दूसरी ओर शेष भारत के बल्लेबाज गहरी चिंता में डूबे होंगे। दो विकेट जल्दी गंवाने से न केवल उनका रन-रेट धीमा हुआ, बल्कि यह उनके मनोबल पर भी भारी पड़ा होगा।
इस बिंदु पर मैच की स्थिति कुछ यूं थी:
- विदर्भ: पहली पारी 342 रन, दूसरी पारी 232 रन। कुल 574 रन।
- शेष भारत: पहली पारी 214 रन, दूसरी पारी 30/2 रन। कुल 244 रन।
- जीत के लिए शेष भारत को चाहिए: 331 रन।
- हाथ में बचे विकेट: 8।
यह आंकड़े ही कहानी कह रहे हैं – विदर्भ ने मैच पर अपनी पकड़ कस ली है।
अंतिम दिन की प्रतीक्षा: चमत्कार या सुनिश्चित विजय?
अब सारा दारोमदार पांचवें और अंतिम दिन के खेल पर है। शेष भारत को जीत के लिए एक असाधारण प्रदर्शन की आवश्यकता होगी – एक ऐसा प्रदर्शन जो शायद ही पहले कभी देखा गया हो। उन्हें न केवल हर सत्र में विकेट बचाने होंगे, बल्कि तेजी से रन भी बनाने होंगे। यह एक मुश्किल चुनौती है, खासकर तब जब सामने विदर्भ जैसी टीम हो, जो दबाव में भी शांत रहने और निर्णायक क्षणों में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए जानी जाती है।
क्रिकेट में कुछ भी असंभव नहीं होता, यह कहावत अक्सर सुनने को मिलती है। क्या शेष भारत इस `असंभव` को संभव कर दिखाएगा? या फिर विदर्भ अपनी शानदार रणनीति और एकजुट प्रदर्शन के दम पर एक और महत्वपूर्ण जीत दर्ज करेगा? पांचवां दिन खेल प्रेमियों के लिए एक रोमांचक सुबह लेकर आएगा, जहां हर गेंद, हर रन और हर विकेट महत्व रखेगा। विदर्भ के लिए यह विजय का पथ हो सकता है, जबकि शेष भारत के लिए यह वास्तव में एक अग्निपरीक्षा का दिन होगा।