रणजी ट्रॉफी: दूसरे दिन का महासंग्राम, जहां बल्लेबाजों ने रच दिया इतिहास और गेंदबाजों ने दिखाया दम!

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भारतीय घरेलू क्रिकेट का महाकुंभ, रणजी ट्रॉफी, अपने शुरुआती चरण में ही रोमांच के नए आयाम गढ़ रहा है। दूसरे दिन देश के विभिन्न मैदानों पर बल्लेबाजों ने ऐसा जलवा बिखेरा कि दर्शक दांतों तले उंगलियां दबाने को मजबूर हो गए। एक तरफ जहां शतकों और दोहरे शतकों की झड़ी लगी, वहीं दूसरी ओर गेंदबाजों ने भी अपनी धारदार गेंदों से मैच में जान फूंकने की पूरी कोशिश की। आइए, रणजी ट्रॉफी के दूसरे दिन के इस दिलचस्प `ड्रामा` का विश्लेषण करें।

बल्लेबाजों का बोलबाला: दोहरे शतकों की अद्भुत गाथा

रणजी ट्रॉफी के दूसरे दिन का सबसे शानदार नजारा दोहरे शतकों का था, जिसने कुछ टीमों को बेहद मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया। यह सिर्फ रन नहीं थे, बल्कि विपक्षी टीम के हौसले पस्त करने वाला एक बयान था कि मैदान पर कुछ खास होने वाला है।

  • दिल्ली का दबदबा: दिल्ली के लिए सनत सांगवान (211*) और आयुष दोसेजा (209) ने हैदराबाद के खिलाफ रनों का अंबार लगा दिया। इन दोनों ने अपनी रातोंरात की साझेदारी को 319 रनों की विशाल साझेदारी में बदल दिया, जिससे दिल्ली ने 529/4 पर अपनी पारी घोषित कर दी। यह एक ऐसी नींव थी जिस पर टीम अपने विजय महल की पहली ईंट रख सकती है।
  • गोवा की गौरवगाथा: इसी तरह गोवा में भी अभिनव तेजराना (205) और ललित यादव (213) ने अपने बल्ले का जादू दिखाया। उनके दोहरे शतकों की बदौलत गोवा ने अपनी पहली पारी में 566 रन का पहाड़ जैसा स्कोर खड़ा कर दिया। ऐसा लगा मानो बल्लेबाजों ने मैदान पर आकर `आज रन बनेंगे` का संकल्प ले लिया हो और उसे पूरा भी किया।

कप्तान का नेतृत्व और मुश्किल में `मसीहा`

जहां कुछ बल्लेबाजों ने बड़े स्कोर बनाकर अपनी पहचान बनाई, वहीं कुछ ने मुश्किल परिस्थितियों में अपनी टीम को संभाला और कप्तान के तौर पर मिसाल पेश की, या एक भरोसेमंद बल्लेबाज के रूप में संकटमोचन बनकर उभरे।

  • रजत पाटीदार का शानदार शतक: मध्य प्रदेश के कप्तान रजत पाटीदार ने इंदौर में पंजाब के खिलाफ शानदार 107 रन की नाबाद पारी खेलकर टीम को 73 रनों की महत्वपूर्ण बढ़त दिलाई। जब टीम को लीड की जरूरत थी, तब कप्तान ने आगे बढ़कर जिम्मेदारी संभाली और अपनी टीम को राह दिखाई।
  • दीपक हुड्डा की बचाव पारी: राजस्थान के लिए दीपक हुड्डा ने नाबाद 101 रन बनाए। उनकी टीम 26/2 पर जूझ रही थी, तब हुड्डा ने मैदान संभाला और अभिनव तोमर व कार्तिक शर्मा के साथ उपयोगी साझेदारियां कर टीम को 200 के पार पहुंचाया। यह किसी `संकटमोचन` से कम नहीं था, जिसने लड़खड़ाती पारी को सहारा दिया।
  • पारस डोगरा का जम्मू-कश्मीर के लिए योगदान: जम्मू-कश्मीर के कप्तान पारस डोगरा ने भी 112 रन की नाबाद पारी खेलकर अपनी टीम को 32/3 की शुरुआती लड़खड़ाहट से उबारा और 273/7 के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया। यह पारी दर्शाती है कि अनुभव और नेतृत्व क्षमता का क्या मोल होता है।

शतकवीर और `करीब पहुंचकर चूकने वाले`

कई खिलाड़ियों ने अपने शतकों से प्रभावित किया, वहीं कुछ ऐसे भी रहे जो इस जादुई आंकड़े के बेहद करीब आकर चूक गए। क्रिकेट का खेल भी अजीब है, कभी-कभी एक अंक भी सदियों के इंतजार जैसा लगता है, खासकर जब आप तिहरे अंक के मुहाने पर हों।

  • शानदार एकल प्रदर्शन:

    • झारखंड के ईशान किशन ने अपने पहले दिन के नाबाद शतक को 173 रन में बदला, जिससे झारखंड ने 419 का मजबूत स्कोर खड़ा किया।
    • विदर्भ के सलामी बल्लेबाज अमन मोखाडे ने 183 रन बनाए, हालांकि वह इसे दोहरे शतक में नहीं बदल पाए। निचले क्रम के योगदान से विदर्भ 463 तक पहुंचा।
    • आंध्र के लिए शैख़ रशीद ने 136 रन की शानदार पारी खेली, जिससे टीम का स्कोर 470 तक पहुंचा।
    • हरियाणा के पार्थ वत्स ने नंबर 7 पर आकर 100 रन बनाकर अपनी टीम को 244 रनों की बढ़त दिलाई, जो एक महत्वपूर्ण योगदान था।
  • नजदीकी चूकने वाले हीरो:

    • बंगाल के सुदीप चटर्जी 98 रन पर आउट होकर शतक से चूक गए, जबकि सुमंत गुप्ता 82 रन बनाकर क्रीज पर थे और अपने शतक के करीब थे।
    • सर्विसेज के विकेटकीपर भी 96 रन पर आउट होकर अपने शतक से मात्र चार रन से चूक गए। उस पल का दर्द सिर्फ वही समझ सकता है जो शतक के इतने करीब आया हो।
    • सौराष्ट्र के चिराग जानी 90 रन पर आउट हुए, जिससे उनकी टीम कर्नाटक के खिलाफ अच्छी शुरुआत के बाद 4 विकेट पर 31 रन गंवाकर दिन का अंत 200/4 पर कर पाई।
    • शम्स मुलानी भी शतक से 9 रन पीछे रह गए, जो किसी भी बल्लेबाज के लिए निराशाजनक होता है।

गेंदबाजों का पलटवार: जब बल्लेबाजों को मिली चुनौती

बल्लेबाजों के इस दबदबे के बावजूद, गेंदबाजों ने भी हार नहीं मानी और अपनी टीम के लिए महत्वपूर्ण सफलताएं हासिल कीं। उन्होंने दिखा दिया कि क्रिकेट सिर्फ बल्लेबाजों का खेल नहीं, बल्कि धैर्य और रणनीति से भरी गेंदबाजी भी निर्णायक हो सकती है।

  • विशाल कश्यप का जादू: चंडीगढ़ के विशाल कश्यप ने गोवा के खिलाफ 7 विकेट लेकर 173 रन दिए। यह मैदान पर उनके संघर्ष और दृढ़ता का परिणाम था, क्योंकि इतने रन बनने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी।
  • सुमित कुमार का `फाइफर`: हरियाणा के सुमित कुमार ने 10-4-16-5 के प्रभावशाली आंकड़ों के साथ 5 विकेट चटकाए। यह आंकड़े अपने आप में उनकी घातक गेंदबाजी की कहानी कहते हैं।
  • स्वप्निल सिंह का पंच: त्रिपुरा के स्वप्निल सिंह ने सर्विसेज के खिलाफ कुल 5 विकेट (5/104) लेकर टीम को मजबूत स्थिति में लाने में मदद की।
  • उत्तर प्रदेश के विपराज निगम (4/136), रेलवे के हिमांशु सांगवान (4/31) और कुणाल यादव (3/52) तथा उत्तराखंड के देवेंद्र सिंह बोरा (शीर्ष चार विकेट) ने भी अपनी-अपनी टीमों के लिए महत्वपूर्ण सफलताएं हासिल कीं, जो बल्लेबाजों के दबदबे को चुनौती देने के लिए काफी थी।

रणजी ट्रॉफी का दूसरा दिन व्यक्तिगत प्रतिभा और टीम भावना का अद्भुत संगम रहा। जहां बल्लेबाजों ने रनों का अंबार लगाकर अपनी छाप छोड़ी, वहीं गेंदबाजों ने भी अपनी टीम को मुकाबले में बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास किया। यह दिन भारतीय घरेलू क्रिकेट की गहराई और प्रतिभा को दर्शाता है। अब सभी की निगाहें तीसरे दिन पर हैं, जहां इन मैचों के परिणाम और भी स्पष्ट होंगे और हमें और भी रोमांचक क्रिकेट देखने को मिलेगा। उम्मीद है कि यह रोमांच आगे भी जारी रहेगा और क्रिकेट प्रेमी खिलाड़ियों के बेहतरीन प्रदर्शन का आनंद लेते रहेंगे।

एक क्रिकेट प्रेमी द्वारा