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इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहली बार सनातन पर हो रहे विरोधी दलों के हमलों पर खुलकर बात की. मोदी ने साफ कहा कि विरोधी दलों ने एक गठबंधन बनाया है, इस गठबंधन का एक ही लक्ष्य है, एक ही मकसद है – सनातन को खंड खंड करना, सनातन को खत्म करना, भारतवर्ष की हजारों सालों की सनातन परंपराओं को छिन्न भिन्न करना. मोदी ने कहा कि ये वक्त की मांग है कि संगठन की ताकत से सनातन को बचाना है. मोदी मध्य प्रदेश के बीना में पचास हजार करोड़ रु. की योजनाओं का उदघाटन और शिलान्यास करने का बाद एक जनसभा को सम्बोधित कर रहे थे. मोदी ने बात शुरू की, विरोधी दलों के गठबंधन से. कहा, कि विरोधी दलों का जो गठबंधन बना है, उसके नेताओं ने मुंबई में हुई मीटिंग में यही तय किया है, यही लक्ष्य रखा है कि सनातन पर हमले करो, सनातन को बदनाम करो, सनातन को खंडित करो, सनातन को खत्म करो. सनातन को खत्म करने की बात DMK के नेता, तमिलनाडु सरकार में मंत्री, मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने शुरू की थी. कहा था कि सनातन के विरोध से काम नहीं होगा, सनातन को जड़ से खत्म ही करना पड़ेगा, सनातन का समूल नाश जरूरी है. मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे ने उदयनिधि का समर्थन किया, फिर ए.राजा ने उदयनिधि की बात को आगे बढ़ाया. उसके बाद तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री के. पोनमुडी ने सनातन पर हमला किया, लेकिन इंडिया अलायन्स में शामिल किसी पार्टी ने कड़े शब्दों में न तो सनातन पर हमलों का विरोध किया, न DMK के नेताओं को मुंह बंद रखने को कहा.
दो हफ्ते से लगातार सनातन पर हमले हो रहे हैं. दो हफ्ते से मोदी सब सुन रहे थे और गुरुवार को उन्होंने सबको आईना दिखा दिया. मोदी ने कहा कि सनातन को अहिल्या बाई होल्कर, स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी जैसे महापुरूषों ने शक्ति का स्रोत माना, समाज में फैली बुराइयों को दूर करने का साधन बनाया था. मोदी ने कहा कि जो सनातन स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों के लिए आजादी की लड़ाई में संबल बना, इंडिया एलायन्स के नेता सनातन का समूल नाश करना चाहते हैं, ये सहन नहीं किया जाएगा, इसका प्रतिकार होगा, इसका जवाब दिया जाएगा. हालांकि इससे पहले, सनातन पर DMK के नेताओं के हमलों पर बीजेपी के नेताओं ने जोरदार जवाब दिए हैं. इसका असर ये हुआ कि DMK और विरोधी दलों के गठबंधन में शामिल दूसरी पार्टियों ने ये कहना शुरू कर दिया कि वो सनातन के खिलाफ नहीं हैं, वो सनातन में पैदा हुई बुराइयों को दूर करने की बात कह रहे हैं, जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ बोल रहे हैं, वो दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के साथ अन्याय की बात कर रहे हैं. मोदी ने जवाब में महर्षि वाल्मीकि, माता शबरी और संत रविदास का उदाहरण देते हुए कहा कि आदिकाल से अब तक ये सारे महापुरूष सनातन के संवाहक थे, सनातन परंपरा को आगे बढ़ाने वाले थे लेकिन विरोधी दल अब सनातन को खत्म करने की बात कह रहे हैं, ये सहन नहीं किया जाना चाहिए.मोदी ने कहा कि देश के करोड़ों लोगों को एकजुट होकर इस मुद्दे पर विरोधी दलों को सबक सिखाना होगा, संगठन की ताकत से सनातन की रक्षा करनी होगी. माता शबरी आदिवासी थीं, लेकिन प्रभु राम ने माता शबरी के जूठे बेर खाए थे. महर्षि बाल्मीकि दलित थे, प्रभु राम के अनन्य भक्त थे, उन्होंने रामायण की रचना की. संत रविदास भी दलित थे, इन सब महान संतों की आज भी पूजा होती है. मोदी ने इन सबका नाम इसलिए लिया क्योंकि विरोधी दलों के नेता DMK के नेताओं के बयानों का ये कहकर बचाव कर रहे हैं कि DMK सनातन के नहीं, ब्राह्मणवाद के खिलाफ है, जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ है, लेकिन मोदी ने सबको जवाब दे दिया. ये भी साफ कर दिया कि सनातन पर हमलों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
विरोधी दलों के नेता भी समझ गए हैं, अब बीजेपी पूरे देश में इसे बड़ा मुद्दा बनाएगी और वो इस पिच पर बीजेपी की धारदार बॉलिंग को झेल नहीं पाएंगे. इसीलिए मोदी के कड़े रुख का असर तुरंत दिखाई दिया. जो प्रियांक खरगे दो दिन पहले तक कह रहे थे कि जिस धर्म में जहां इंसानों में भेदभाव हो, उसे खत्म हो जाना चाहिए, वही गुरुवार को ये कहते सुनाई दिए कि सनातन को बचाने के लिए किसी प्रधानमंत्री या मंत्री की ज़रूरत नहीं है. सनातन ख़ुद अपनी रक्षा करने में सक्षम है, सनातन हजारों साल से चला आ रहा है. ये न कभी खत्म हुआ, न होगा. प्रियांक खरगे ने कहा कि मोदी को सनातन की चिंता करने की बजाए मंहगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए. उद्धव ठाकरे की शिवसेना के नेता अरविन्द सावंत ने कहा कि अगर किसी पार्टी के एक-दो नेताओं ने कुछ गलत कह दिया तो उसे इतना बड़ा मुद्दा बनाना, पूरे देश में उसको लेकर माहौल खराब करना प्रधानमंत्री को शोभा नहीं देता. आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी सनातन के बारे में DMK के नेताओं के बयानों का विरोध करती है लेकिन मोदी और बीजेपी को भी सनातन धर्म पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि हिंदू धर्म और सनातन परंपरा को सबसे ज़्यादा नुक़सान मोदी और बीजेपी ने ही पहुंचाया है.
अब एक बात तो साफ दिख रही है कि कल तक विरोधी दलों के नेता सनातन पर हमले कर रहे थे, उन्हें समझ आ गया कि सनातन धर्म पर प्रहार करने से नुकसान होगा लेकिन ये समझ आया थोड़ी देर से. गुरुवार को मोदी ने जब जवाबी हमला किया, तो इंडिया अलायन्स की सारी पार्टियां इधर उधर की बातें करने लगीं. हालांकि विरोधी दलों की मजबूरी है कि मोदी को हराने के लिए उनका एक होना जरूरी है, DMK गठबंधन की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है. उसे नाराज नहीं कर सकते इसलिए बुधवार को एक बीच का रास्ता निकाला गया था. विरोधी दलों के गठबंधन की कोऑर्डिनेशन कमेटी की मीटिंग के बाद बताया गया कि सनातन के विरोध के मुद्दे पर DMK से सफाई मांगी गई. DMK के टी.आर. बालू ने मीटिंग में बताया कि मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने अपनी पार्टी के सभी नेताओं को हिदायत दे दी है कि अब सनातन के बारे में कोई उल्टी सीधी बात नहीं करेगा. इसके बाद विरोधी दलों के गठबंधन की सभी पार्टियों ने मान लिया कि अब ये मुद्दा खत्म हो गया. हालांकि इसके बारे में न तो एम. के. स्टालिन का कोई बयान आया, न कोई प्रेस नोट आया जिससे ये पता लगे कि वाकई में एम. के. स्टालिन ने अपनी पार्टी के नेताओं को सनातन के खिलाफ बोलने से रोका है. लेकिन मीटिंग के बाद कांग्रेस के प्रवक्ता गुरदीप सप्पल ने कह दिया कि अब सनातन का मुद्दा खत्म, हालांकि आज ही सप्पल की बात गलत साबित हो गई. DMK के नेता डिंडीगुल लियोनी ने फिर सनातन पर सवाल खड़े किए. उन्होंने भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाया, कहा कौन कहता है कि अयोध्या में राम का जन्म हुआ था. लियोनी ने कहा कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिराकर अब राम मंदिर बनाया जा रहा है, ये सनातन को मानने वाली ताकतों का सबसे बड़ा धोखा है.
हैरानी की बात ये है महाराष्ट्र NCP के नेता जितेन्द्र अव्हाड ने भी कहा, कि वो हिन्दू थे, हिन्दू हैं और हिन्दू ही मरेंगे, लेकिन वो सनातनी नहीं हैं. जितेन्द्र अव्हाड ने कहा कि कौन कहता है कि भगवान राम सनातनी थे. जितेंद्र अव्हाड़ जैसे लोगों को, भगवान राम पर सवाल उठाने वालों को योगी आदित्यनाथ ने जवाब दिया. योगी ने बताया कि प्रभु राम सनातनियों के लिए क्या हैं, कृष्ण का सनातन परंपरा में कैसा स्थान हैं और सनातन में कितनी शक्ति है. ये बात तो बच्चा बच्चा जानता है कि कांग्रेस ने कोर्ट में भगवान राम को काल्पनिक बताया था, किस्से कहानियों का पात्र बताया था. बाद में कांग्रेस का जो नुकसान हुआ, वो सब ने देखा, इसलिए अब कांग्रेस के नेता हिन्दुत्व की लाइन पर आने की जी-तोड़ कोशिश कर रहे थे लेकिन लगता है मोदी विरोध के चक्कर में, मोदी को हराने के लिए.. सभी विरोधियों को एक साथ लाने के चक्कर में अब विरोधी दलों के नेता डिरेल हो गए हैं, कन्फ्यूज़. हो गए हैं. राहुल गांधी कहते हैं कि वो सनातनी हैं, हिन्दू कोई धर्म नहीं है, हिन्दुत्व नाम की कोई चीज नहीं है और जितेन्द्र अव्हाड कह रहे हैं कि वो हिन्दू हैं, हिन्दुत्व को मानते हैं. DMK के नेता कह रहे हैं कि सनातन का समूल नाश कर देंगे और अब विरोधी दलों को नेता ये कहने पर मजबूर हैं कि सनातन अजर, अमर है, कोई इसे खत्म नहीं कर सकता. इसीलिए मैंने कहा कि उदयनिधि स्टालिन ने सनातन को गाली देकर मोदी के हाथ में एक हथियार दे दिया है. अब मोदी और योगी के जवाबी वार ने इंडिया अलायंस के नेताओं को बैकफुट पर पहुंचा दिया. ‘ राम चरित मानस’ में लिखा है -” जाको प्रभु दारुण दुख देही, ताकी मति पहले हर लेही”, राष्ट्रकवि दिनकर ने ‘रश्मिरथी’ में भी लिखा है – ” जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है”. लगता है कि DMK के नेताओं के साथ यही हो रहा है. उन के साथ अलायंस पार्टनर्स भी मुसीबत में हैं पर DMK का कहना है ‘हम तो डूबेंगे सनम, तुम्हें भी ले कर डूबेंगे’. (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 14 सितंबर, 2023 का पूरा एपिसोड
MP chunav news: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की। 39 सीटों पर कई दिग्गजों को चुनावी मैदान में उतारा गया है। इनमें तीन केंद्रीय मंत्री, चार सांसद और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय शामिल हैं। भाजपा सूत्रों के मुताबिक, दूसरी लिस्ट देखकर राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी आश्चर्यचकित हो गए थे। एक सूत्र ने बताया कि अब अगला सीएम कौन बनेगा यह बताया नहीं जा सकता। पहली लिस्ट में 39 और दूसरी में भी 39 सीटें पर नाम के ऐलान के बाद पार्टी के अंदर और बाहर खुसुर-फुसुर तेज हो गई है। ऐसे में भाजपा के दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गीय ने खुद बताया कि पार्टी ने यह फैसला क्यों लिया है।
भाजपा का अपराजेय’ वाला फॉर्मूला
कैलाश विजयवर्गीय ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को दिए इंटरव्यू में बताया कि यह फैसला पार्टी नेतृत्व का है। दूसरी लिस्ट में जिन 8 सीनियर नेताओं (तीन केंद्रीय मंत्री, चार सांसद और कैलाश विजयवर्गीय) के नाम का ऐलान किया गया है वो कभी भी चुनाव नहीं हारे हैं। पार्टी ने हम लोगों को इसलिए चुनावी मैदान में उतारा है कि हम भाजपा की जीत को सुनिश्चित कर सकें।
बताया 2024 का भी प्लान
कैलाश विजयवर्गीय ने आगे कहा कि इससे यह पता चल रहा है कि भाजपा इस चुनाव को बेहद गंभीरता से ले रही है। चुनाव में हम सब एक टीम की तरह मैदान में उतरेंगे और सरकार बनने के बाद भी एक टीम की तरह ही काम करेंगे। फिर हम लोग अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत सुनिश्चित करेंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक बार फिर पीएम बनाएंगे।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में भाजपा ने दो लिस्ट में कुल 78 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है। दूसरी लिस्ट जारी होने के बाद नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय और सीएम शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री पद के लिए प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। भाजपा ने यही प्लान त्रिपुरा चुनाव में भी अपनाया था जहां माणिक साहा और प्रतिमा भौमिक दोनों को चुनावी समर में उतारा गया था।
Bihar Politics Over Rajput Community: संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल पर राज्यसभा में राजद की ओर से मनोज झा ने चर्चा की थी। इस दौरान कोटे के अंदर कोटा की मांग करते हुए उन्होंने सभी लोगों से अपने अंदर के ठाकुर को मारने का आह्वान किया था। झा ने वंचितों के लिए भागीदारी सुनिश्चित कराने की सभी लोगों से अपील की थी। उन्होंने अपनी बात के समर्थन में सदन में ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता ‘ठाकुर का कुआं’ की कुछ लाइनें भी पढ़ीं थीं। अब उनके इस कविता पाठ पर बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश तक सियासी रार छिड़ा है।
लालू यादव की पार्टी राजद के अंदर ही मनोज झा के ठाकुरों पर दिए बयान का विरोध हो रहा है। पहले पूर्व सांसद आनंद मोहन के MLA बेटे चेतन आनंद ने बयान दिया। बाद में खुद आनंद मोहन तीखी जुबान के साथ कूद पड़े और कह डाला कि अगर वह सदन में होते तो झा की जुबान खींच लेते। उधर, बीजेपी भी राजद सांसद के बयान पर बिहार में खूब हंगामा कर रही है। बीजेपी नेताओं ने पटना में इनकम टैक्स गोलंबर पर धरना प्रदर्शन दिया और झा के माफी नहीं मांगने पर सड़क से लेकर गली-गली तक विरोध की बात कही।
क्या है लालू का ‘परबल’ और उसका ‘र’
दरअसल, ये सारी कवायदें अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर हो रही हैं। राजपूत समाज अगड़ी जाति के तहत आता है। झा यानी ब्राह्मण भी उसी अगड़ी जाति के समुदाय का हिस्सा है। इनके अलावा राजपूत और कायस्थ जातियां भी अगड़ी जातियों में गिनी जाती हैं, जिसे लालू प्रसाद ने 1990 के दौर में कभी ‘परबल’ कहा था और उसकी भुजिया बनाने को कहा था। लालू ने इसी तरह के नारों से समाज के पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग को इनके खिलाफ लामबंद कर 15 वर्षों तक राज किया था। परबल का मतलब- प से पंडित, र से राजपूत, ब से बाभन (भूमिहार) और ल से लाला यानी कायस्थ है।
इसे कथित तौर पर ‘भूरा बाल’ भी कहा गया था। हालांकि, बाद के कई साक्षात्कारों में लालू यादव ने इस बात का खंडन किया कि उन्होंने कभी नहीं कहा कि ‘भूरा बाल’ साफ करो। यहां भी भूरा बाल से मतलब- भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण और लाला से है। लालू-राबड़ी के 15 वर्षों के शासनकाल और बाद के वर्षों में भी अगड़े समाज की तीन जातियों (ब्राह्मण, भूमिहार और कायस्थों) का बहुत ही कम वोट लालू यादव की पार्टी को मिलता रहा है लेकिन राजपूत वोट बैंक में लालू यादव ने शुरुआत से ही सेंधमारी कर रखी है।
बिहार में राजपूत कितना अहम?
बिहार में राजपूतों की आबादी करीब 6 से 8 फीसदी है। 30 से 35 विधानसभा सीटों में इस जाति की मजबूत पकड़ है। 2020 के विधानसभा चुनाव में राज्य की 243 सीटों में से 64 सीटों पर अगड़ी जाति के उम्मीदवारों की जीत हुई है। इनमें से 28 अकेले राजपूत हैं। 2015 के विधानसभा चुनाव में 20 राजपूत उम्मीदवार विधायक बने थे। बीजेपी ने असेंबली चुनावों से पहले अभिनेता सुशांत सिंह का मुद्दा खूब उठाया था। इसका फायदा भी उसे मिला। बीजेपी के 21 राजपूत उम्मीदवारों में से 15 जीतने में कामयाब रहे, जबकि उसकी सहयोगी रही जेडीयू के सात में से दो राजपूत कैंडिडेट ही जीत सके थे। एनडीए गठबंधन में वीआईपी के टिकट पर भी दो राजपूतों ने जीत दर्ज की थी।
राजद का स्ट्राइक रेट सबसे ज्यादा
तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले गठबंधन ने कुल 18 राजपूतों को टिकट दिया था, जिसमें 8 ही जीतकर विधानसभा पहुंच सके। हालांकि, राजद के आठ राजपूत कैंडिडेट में से सात जीतने में कामयाब रहे और सबसे अधिर स्ट्राइक रेट दर्ज की। कांग्रेस ने 10 को टिकट दिया लेकिन जीते सिर्फ एक। इससे पहले यानी 2015 के चुनावों में बीजेपी के 9, आरजेडी के 2, जेडीयू के 6 और कांग्रेस से तीन राजपूत विधायक जीते थे।
लोकसभा में भी राजपूतों का चला सिक्का
2019 के लोकसभा चुनावों में भी बिहार में राजपूत उम्मीदवारों का सिक्का चला। सबसे ज्यादा सात सीटों पर इसी बिरादरी के लोगों ने जीत दर्ज की। बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। इनमें से 39 सीटों पर बीजेपी-जेडीयू के गठबंधन वाली एनडीए ने जीत दर्ज की थी। 39 में सबसे ज्यादा सात पर राजपूत, 5 पर यादव, 3-3 पर भूमिहार- कुशवाहा, वैश्य, दो पर ब्राह्मण, एक-एक पर कायस्थ और कुर्मी, एससी के 6 और अति पिछड़ा वर्ग के 7 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। एक मात्र मुस्लिम चेहरे ने कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की थी।
राजपूतों का झुकाव किस ओर?
चुनावी समीकरणों और हार-जीत के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि भूमिहार, ब्राह्मण और कायस्थ भाजपा के साथ है, जबकि राजपूत वोट अभी भी एकमुश्त भाजपा की तरफ नहीं है। हालांकि 2019 और 2020 में उनकी लामबंदी का फायदा भाजपा को मिला है लेकिन राजपूत समाज लालू का भी कोर वोट बैंक रहा है। लालू रघुवंश प्रसाद सिंह, जगदानंद सिंह, प्रभुनाथ सिंह और उमाशंकर सिंह जैसे राजपूत नेताओं के सहारे इस वोट बैंक में सेंध लगाते रहे हैं। 2009 के संसदीय चुनाव में राजद के तीन राजपूत उम्मीदवार सांसद बने थे। इनमें वैशाली से रघुवंश सिंह, बक्सर से जगदानंद सिंह और महाराजगंज से उमा शंकर सिंह शामिल थे।
आगे की रणनीति क्या?
राजद इस समुदाय का वोट पाने के लिए इनके नेताओं को तरजीह देती रही है। इसी कड़ी में प्रदेश राजद के अध्यक्ष के रूप में जगदानंद सिंह की नियुक्ति है। इसके अलावा चुनावों से ऐन पहले आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद को राजद में शामिल कराना और उनके बेटे को टिकट देना भी शामिल रहा है। हालांकि, हाल के दिनों में रघुवंश सिंह के विवाद के बाद राजद की स्थिति अपेक्षाकृत कमजोर हुई है, जबकि बीजेपी की स्थिति पहले से और मजबूत हुई है।
बीजेपी ने जिस तरह से सुशांत सिंह के मुद्दे को राजपूत अस्मिता और युवा अभिमान से जोड़कर राजपूत वोट बैंक को लामबंद किया है, उसी तरह से नए विवाद के जरिए भी 2024 के लोकसभा चुनाव में भी राजपूतों पर डोरे डाल रही है और सीधे तौर पर राजद को ही खलनायक बता रही है, जिसके पास बीजेपी के बाद सबसे ज्यादा रोजपूत वोट बैंक का शेयर है।
देश के ऊपर विदेशी कर्ज (India’s foreign debt) का आकार काफी बड़ा है। भारत का विदेशी कर्ज जून 2023 के आखिर में मामूली रूप से बढ़कर 629.1 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, हालांकि कर्ज-जीडीपी अनुपात में गिरावट आई है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों में यह बात सामने आई। आंकड़ों में निकलकर सामने आया है कि, कर्ज में 4.7 अरब अमेरिकी डॉलर का इजाफा हुआ है। मार्च के आखिर में यह 624.3 अरब अमेरिकी डॉलर था।
सरकार का सामान्य बकाया कर्ज घटा
खबर के मुताबिक, आरबीआई (RBI) ने कहा कि जून 2023 के आखिर में विदेशी ऋण (India’s foreign debt) और सकल घरेलू उत्पाद का अनुपात घटकर 18.6 प्रतिशत हो गया, जो मार्च 2023 के आखिर में 18.8 प्रतिशत था। आरबीआई (RBI) ने कहा कि सरकार का सामान्य बकाया कर्ज कम हुआ, जबकि गैर-सरकारी कर्ज जून 2023 के आखिर में बढ़ गया। इसके अलावा, विदेशी कर्ज में 32.9 प्रतिशत की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी कर्ज की रही। इसके बाद इसमें मुद्रा और जमा, व्यापार ऋण और एडवांस और ऋण प्रतिभूतियों का योगदान रहा।