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इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा
ऑस्ट्रेलिया में नए भारत की ताकत दिखाई दी.. ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने स्टेडियम में तीस हजार लोगों के सामने कहा, मोदी इज द बॉस। सिडनी के कुडोस बैंक अरेना में प्रोग्राम तो ऑस्ट्रेलिया में बसे भारतीयों के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इंटरैक्शन का था, लेकिन इस प्रोग्राम में ऑस्ट्रेलिया की पूरी सरकार, विपक्ष के नेता और दूसरे दलों के नेता भी पहुंचे। यहां ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने जो माहौल देखा, लोगों में जोश देखा, मोदी के प्रति लोगों की जो दीवानगी देखी, तो वो भी हैरत में पड़ गए., लेकिन मोदी ने न सियासत की बात की, न किसी की आलोचना की., सिर्फ भारत और भारतीयों की बात की।
मोदी ने बताया कि आजकल दुनिया भारत को क्यों सलाम कर रही है., उनकी सरकार का मंत्र क्या है., उनकी सरकार के काम क्या हैं और उसका असर क्या हो रहा है? इस प्रोग्राम में मोदी ने आज जो कहा, उसे सुनना और देखना जरूरी है क्योंकि इससे पता चलता है कि मोदी को अब वर्ल्ड लीडर क्यों कहा जाता है, मोदी के प्रति लोगों में इतना भरोसा क्यों है.. 2014 में जब मोदी प्रधानमंत्री बने थे, तो बहुत सारे लोग पूछते थे कि ये विदेश नीति कैसे चलाएंगे? ये बड़े-बड़े मुल्कों के नेताओं से संबंध कैसे बनाएंगे? आज उन लोगों को देखना और सुनना चाहिए कि कैसे ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने मोदी को बॉस कहा, सिर्फ पिछले चार दिन में हमने देखा, अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन मोदी को ढूढ़ते हुए आए और उन्हें गले लगाया। अमेरिका के प्रेसीडेंट ने कहा कि मोदी की लोकप्रियता इतनी है कि लगता है उन्हें भी मोदी का ऑटोग्राफ लेना पड़ेगा..
पापुआ न्यू गिनी के प्राइम मिनिस्टर ने मोदी के पैर छुए, ये छोटी बात नहीं है.. पिछले नौ साल में मोदी जिस भी देश में गए., उन्होंने वहां नेताओं से संबंध बनाए और भारत का मान बढ़ाया। इस बात में कोई शक नहीं कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पूरी दुनिया में भारत के प्रति लोगों का नजरिया बदला है। मैं जब भी विदेशों में रहने वाले भारतीय लोगों से बात करता हूं तो वो कहते हैं वि इस बदलाव को हर रोज अपने लाइफ में महसूस करते हैं, चाहे अमेरिका हो….यूरोप हो या अफ्रीकी देश हर जगह भारत, भारतीय और भारतीयता का सम्मान दिखाई देता है और इसका बहुत बड़ा श्रेय नरेन्द्र मोदी को जाना ही चाहिए।
मोदी ने देश के लिए प्रतिष्ठा हासिल करने के लिए बहुत मेहनत की बहुत दिमाग लगाया, छोटी छोटी चीजों का ध्यान रखा..बड़े बड़े फैसले लिए, और ये काम आसान नहीं था। आज अगर कोई देश यूक्रेन और रशिया दोनों से आंख में आंख डालकर बात कर सकता है तो वो भारत है। मुसीबत के वक्त दुनिया का कोई देश किसी दूसरे मुल्क से मदद की उम्मीद करता है, तो वो भारत है। दुनिया के किसी भी कोने में फंसे अपने नागरिकों की सबसे पहले हिफाजत करता है,.तो वो भारत है। अगर तरक्की के लिए., बढ़ते प्रभाव के लिए किसी देश की मिसाल दी जाती है, तो वो भारत है। हिन्दुस्तान की ये पहचान नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में बनी है। इसीलिए नरेन्द्र मोदी को आज वर्ल्ड लीडर माना जाता है और ये मान सम्मान सिर्फ तस्वीरों और स्पीचेज तक सीमित नहीं रहता। पूरे मुल्क को इसका फायदा व्यापार में होता है., टूरिज्म में होता है., इन्वेस्टमेंट में होता है. जब किसी देश का नेता बड़ा बनता है तो दुनिया में उसका मान बढता है, उसका फायदा देश के ओवरऑल डेवलपमेंट को होता है। रोचक बात ये है कि पूरी दुनिया नरेन्द्र मोदी का स्वागत कर रही है…लेकिन हमारे देश में तमाम विरोधी दल इस वक्त मिलकर मोदी को हराने.,मोदी को हटाने के फॉर्मूले खोज रहे हैं..
कांग्रेस आम आदमी पार्टी का समर्थन क्योें नहीं करेगी
कोलकाता में मंगलवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की और दिल्ली संबंधी अध्यादेश के विरोध के मुद्दे पर उनकी पार्ची का समर्थन मांगा। ममता बनर्जी ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि सभी विरोधी दलों को मिलकर मोदी का मुकाबला करना होगा..क्योंकि मोदी लोकतंत्र के लिए खतरा हैं। केजरीवाल चाहते हैं कि मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ दिल्ली के LG को पुरानी पावर्स लौटाने के लिए जो ऑर्डिनेंश जारी किया है, सारे विपक्षी दल उसका विरोध करें। इसी सिलसिले में केजरीवाल पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी, आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह और राघव चड्ढा को लेकर ममता बनर्जी से मिलने पहुंचे थे। लेकिन दूसरी तरफ दिल्ली कांग्रेस के नेताओं ने खुलकर कहना शुरू कर दिया है कि कांग्रेस को किसी कीमत पर किसी मुद्दे पर केजरीवाल का साथ नहीं देना चाहिए।
दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि केजरीवाल जिस सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने की बात कर रहे हैं, उसी सुप्रीम कोर्ट ने अपने जजमेंट में साफ कहा है कि संसद के पास पूरा अधिकार है कि वो एलजी को कोई भी पावर दे सकती है, इसलिए केन्द्र सरकार ने आर्डिनेंश जारी करके कोई गलत काम नहीं किया। केजरीवाल सिर्फ अफसरों पर हुक्म चलाने की चाहत में इसे सियासी रंग दे रहे हैं, जनता की लड़ाई बता रहे हैं, ये सही नहीं है। अजय माकन की बात को कांग्रेस के एक और नेता संदीप दीक्षित ने कहा कि केजरीवाल ने हमेशा कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की., कांग्रेस पर झूठे इल्जाम लगाए. इसलिए जब तक केजरीवाल सार्वजनिक तौर पर नहीं मानते कि वो झूठे हैं..उन्होंने सत्ता के लालच में झूठ बोला, केजरीवाल को समर्थन देने की बात सोचना भी नहीं चाहिए। अजय माकन दिल्ली कांग्रेस के बड़े नेता हैं, इसलिए कांग्रेस हाईकमान उनके विरोध को अनदेखा नहीं कर सकता।
कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा है कि कांग्रेस ने अभी कोई फैसला नहीं किया है, कांग्रेस पहले दिल्ली यूनिट से बात करेगी., उसके बाद कोई फैसला लेगी। पंजाब कांग्रेस के बड़े नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा और प्रताप सिंह बाजवा ने भी कहा है कि आम आदमी पार्टी बीजेपी की बी-टीम है, विपक्षी दलों को केजरीवाल से सावधान रहना चाहिए, वो कभी भी धोखा दे सकते है। कांग्रेस के नेताओं की चिंता तो जायज़ है..क्योंकि केजरीवाल ने अपनी जमीन उन्ही राज्यों में बनाई जहां कांग्रेस मजबूत थी। दिल्ली और पंजाब में केजरीवाल की पार्टी की सरकार बन गई.और कांग्रेस तीसरे नंबर की पार्टी बन गई। इसी तरह गुजरात, उत्तराखंड और गोवा में जहां कांग्रेस का सीधा मुकाबला बीजेपी से था, वहां केजरीवाल ने पूरी ताकत से चुनाव लड़ा और कांग्रेस हार गई।
अब राजस्थान, मध्य प्रदेश.और छत्तीसगढ़ में चुनाव होना है, हरियाणा में अगले साल चुनाव हैं, .इन सभी राज्यों में बीजेपी और कांग्रेस आमने सामने हैं। केजरीवाल ने एलान कर दिया कि उनकी पार्टी इन राज्यों में भी चुनाव लड़ेगी। इसीलिए कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि जब विधानसभा चुनाव में केजरीवाल कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं तो लोकसभा चुनाव में केजरीवाल कांग्रेस के साथ की उम्मीद कैसे कर सकते हैं। ये तो सिर्फ एक पार्टी का झगड़ा है.. जब सीटों के बंटवारे की बात आएगी तो दूसरे राज्यों में विपक्षी एकता धरी रह जाएगी। ऐसा महाराष्ट्र में दिखने लगा है…वहां सीटों पर झंझट शुरू हो गया है.. (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 23 मई, 2023 का पूरा एपिसोड
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में रहते हुए (#9YearsOfPMModi) नौ साल पूरा होने पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह से डिजिटल इंडिया को लेकर उनके विजन ने पूरे देश को विश्व मानचित्र पर एक अलग पहचान दिलाई. और डिजिटल क्रांति ने किस तरह से देशवासियों के जीवन को सरल और सुगम बनाया है.
बैंक हो, पहचान का प्रमाण हो, यात्रा की सुविधा हो या फिर स्वास्थ्य संबंधि मुद्दे, ये सारे काम 2023 के डिजिटल इंडिया में एक क्लिक के साथ हो जाते हैं. आठ साल पहले प्रधानमंत्री मोदी ने जिस डिजिटल क्रांति की बात की थी, उसका लाभ अब मिलने लगा है. (यहां देखिए, डॉक्यूमेंट्री सीरीज के सातवें एपिसोड का पूरा वीडियो)
मैं एक ऐसे डिजिटल भारत का सपना देखता हूं, जहां सरकार सक्रिय रूप से सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों के साथ जुड़ती है. मैं एक ऐसे डिजिटल भारत का सपना देखता हूं जहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा डिजिटल शिक्षा द्वारा संचालित सबसे दुर्गम कोनों तक पहुंचती है. मैं एक ऐसे डिजिटल भारत का सपना देखता हूं जहां नेटिजन एक सशक्त नागरिक हो.
नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री
2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री मोदी के पहले बड़े लक्ष्यों में से एक डिजिटल भारत भी था. मोदी सरकार की नौवीं वर्षगांठ पर डिजिटल इंडिया का असर अब जमीन पर दिख रहा है. 2015 में डिजिटल डॉक्युमेंट स्टोर डिजीलॉकर की लॉन्चिंग की गई. इसके बाद 2016 में डिजिटल पेमेंट के लिए UPI लॉन्च किया गया. 2021 में वन स्टॉप कोविड-19 वैक्सीन प्लेटफॉर्म की लॉन्चिंग हुई. जबकि 2022 में एयरपोर्ट पर भीड़ कम करने के लिए डिजी यात्रा की लॉन्चिंग की गई. मोदी सरकार की ये तमाम पहले अब लाखों जिंदगियों को छू रहा है.
भारत ने उस तरीके को बदल दिया है. जिसमें दूरस्थ भारतीय नागरिक सहित हर नागरिक के लिए शासन शामिल है.
राजीव चंद्रशेखर
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री
पीएम के आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबराय ने कहा कि शायद यह एकमात्र उदाहरण है, जहां सरकार द्वारा संचालित पहल इतनी ज्यादा सफल रही है. वहीं, फैक्टरडेली के को-फाउंडर पंकज मिश्रा ने कहा कि अब हम टेक और डिजिटल के बारे में ऐसे बात नहीं करते हैं, जैसे वो हमारे जीवन से अलग हैं. पिछले दशक में इन चीजों में तेजी से बदलाव आया है. जबकि नेशनल हेल्थ अथॉरिटी के सीईओ आरएस शर्मा का कहना है कि डिजिटल इंडिया सचमुच में एक ऐसा कार्यक्रम हमारी सरकार का रहा है, जिसने लोगों के काम करने के तरीके में काफी बदलाव लेकर आया है. इससे सरकारी सेवाओं और सुविधाओं में बड़ी क्रांति आई है. इसे लेकर प्रसार भारती के पूर्व सीईओ शशि शेखर वेम्पति ने कहा कि डिजिटल इंडिया सिर्फ ऐप तक ही सीमित नहीं है. इसका प्रसार अब बड़े स्तर पर हो चुका है.
डिजिटल इंडिया को समझने के लिए आंकड़े खंगालने पड़ेंगे
आज देश के व्यस्क आबादी के 99 फीसदी हिस्से के पास यूनिक आइडेंटिटी नंबर है. मई 2023 तक 137 करोड़ से ज्यादा आधार कार्ड जारी किए गए हैं. फैक्टरडेली के को-फाउंडर पंकज मिश्रा ने कहा कि ये अप्रत्याशित है. दुनिया में कहीं भी 1.34 अरब लोगों को अपना पहचान पत्र आधार जैसी किसी प्रणाली या मंच का इस्तेमाल करते हुए नहीं मिला. लगभग 111 करोड़ भारतीयों ने कोविड के टीकों का लाभ उठाने के लिए कोविन पर रजिस्ट्रेशन करवाया.
आरएस शर्मा, सीईओ, नेशनल हेल्थ अथॉरिटी ने कहा कि किसी देश में ऐसी कोई मिसाल नहीं है जहां एक डेटाबेस को आठ या नौ महीने से भी कम समय में अरब से भी ज्यादा लोगों तक पहुंचाया गया हो.
UPI से मासिक लेन-देन 14 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा
यूपीआई में मासिक लेन-देन 14 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा को हो चुका है.पंकज मिश्रा कहते हैं कि यूपीआई की विभिन्न मंचों पर काम करने की क्षमता विश्वस्तरीय है. बहुत से देश जिन्हें लगता था कि वो वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में शामिल नहीं किए गए वो अब यूपीआई को देखकर कह रहे हैं कि हम भी इन बाधाओं से आगे निकल सकते हैं. डिजिटल इंडिया स्टैक का यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस एक गेम चेंजर साबित हुआ है. रेहड़ी वालों और रिक्शा चालकों से लेकर चमचमाते शो रूम और होटलों तक सभी छोटे बड़े कारोबार क्यू आर कोड की छत्रछाया में चले आए हैं.
“आज 100 के 100 रुपये नागरिकों तक पहुंचते हैं”
व्यापार में आसानी के अलावा इस मंच की सबसे बड़ी उपलब्धि है वित्तीय समावेश. प्रसार भारती के पूर्व सीईओ शशि शेखर वेम्पति ने कहा कि जब-जब देश में चुनौतियां आई हैं जैसे नोटबंदी हो, लॉकडाउन हो, तब-तब डिजिटल इंडिया के जितने प्रोजेक्ट हैं वो काम आए हैं. और 100 करोड़ से भी ज्यादा जो आबादी है देश में उस स्तर पर डिजिटल होने के फायदे को पहुंचाने वाला भारत दुनिया में एकलौता देश है. वहीं, केंद्रीय राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि आज अगर देश की राजधानी या राज्य की राज्यधानी से 100 रुपये निकलते हैं तो वो 100 के 100 रुपये पहुंचते हैं नागरिक के खाते में. और इसको संभव बनाता है यूपीआई का डिजिटल प्लेटफॉर्म.
निर्बाध पेमेंट गेटवे से सड़क यात्रा आसान हुई है. फास्टट्रैक से अब टोल बूथ पर लंबी कतारें नहीं लगती हैं. फास्टट्रैक स्टीकर्स अपने आप यूपीआई खातों से टोल टैक्स काट लेते हैं जिस वजह से अब टोल प्लाजों पर वाहनों को रुकना नहीं पड़ता है. जहां यूपीआई ने भारतीयों को बिना कैश के बाहर निकलने की आजादी दी, वहीं आधार ने उन्हें एक नई पहचान दी. जिसने ई-गवर्नेंस के लिए राह बनाई. नंदन नीलेकणी की अगुवाई में आज हर भारतीय का एक यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर है.
“आज 130 करोड़ भारतीयों के पास आधार”
यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पहले अध्यक्ष के तौर पर नंदन नीलेकणी ने वो नींव रखी, जिसके ऊपर गवर्नेंस की योजनाएं आधारित हैं. आरएस शर्मा ने कहा कि आज 130 करोड़ लोगों के पास आधार है. मतलब लगभग हर व्यक्ति के पास आधार है. तो आज हिन्दुस्तान अकेला ऐसा देश है जिसके पास ऑनलाइन सिग्नेचर सर्विस उपलब्ध है, डिजिटल लॉकर है जिसमें 550 करोड़ डाक्यूमेंट्स रखे गए हैं. उसी तरह से हमारे पास डिजिटल केवाईसी है, जिसके माध्यम से अब आप घर बैठे ही बैंक एकाउंट खोल सकते हैं. ये जो चीज हुई है, इसे डिजिटल क्रांति कहते हैं जो हिन्दुस्तान में हुई है.
ये अनूठी पहचान पूरी तरह से डिजिटल है. आपको कार्ड भी साथ रखने की जरूरत नहीं है. क्योंकि ये डिजिलॉकर पर उपलब्ध है. एक ऐसा ऐप जो सारे अहम दस्तावेज फोन पर उपलब्ध कराता है. फिर ये डिजिटल आईडी अन्य ऐप से जुड़कर सुविधाएं देता है. जैसे डिजि यात्रा हवाई यात्रा को ज्यादा आसान बनाता है. या आरोग्य सेतु की मदद से कोविड की स्थिति पर निगरानी रखी जाती है.
डिजिटल इंडिया ने सरकार के कामकाज के तरीके को भी बदला है
डिजिटल इंडिया ने ना सिर्फ आम भारतीयों की जिंदगियां बदल दी हैं बल्कि सरकार के कामकाज के तरीके को भी बदला है. शशि शेखर वेम्पति कहते हैं कि मैं जो एक बड़ी उपलब्धि मानता हूं सरकार के अंदर तकनीक के इस्तेमाल का वो है गवर्मेंट ई मार्केट प्लेस, जेम पोर्टल. इसमें सरकार की जितनी भी सारी खरीददारी है वो ऑनलाइन हो रहा है.और ये ओपन मार्केट प्लेस है. इसमें छोटे से छोटे दुकानदार हो या सर्विस प्रोवाइडर हो वो इस जेम पोर्टल पर रजिस्टर हो सकते हैं. और अपने जो भी प्रोडक्ट्स हैं सर्विसेज हैं वो सरकारी मंत्रालय को ऑफर कर सकते हैं.
वैसे डिजिटल पहुंच अब भी एक चुनौती है. और अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने के लिए अभी बहुत कुछ करना बाकि है. फिलहाल देश के आधे हिस्से तक ही इंटरनेट पहुंचता है. इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन के अनुसार 2022 में देश की 52 फीसदी आबादी तक इंटरनेट की पहुंच हुई है. विश्व बैंक के आंकड़े देखें तो इंटरनेट की पहुंच जो 2014 तक सिर्फ 14 फीसदी थी वो अब बढ़ी तो है लेकिन अभी इस क्षेत्र में और काम करने की जरूरत है.
दिल्ली के बाहरी ग्रामीण इलाके में किसान कहते हैं कि वहां इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं है. और कुछ लोगों का जीवन बिल्कुल वैसा है जैसे डिजिटल इंडिया मिशन से पहले था. मुरशाहिद जो किसान हैं, का कहना है कि सरकार ने जो कहा था कि हम किसानों तक इंटरनेट के माध्यम से बात पहुंचा देंगे वो बात हम तक नहीं आ पाती है. सरकार हमारी मदद कर रही है लेकिन वो हम तक नहीं आती है.
वहीं, तबस्सुम, जो गृहिणी हैं, कहती हैं कि लॉकडाउन से पहले बच्चे अच्छे नंबर से पास हो जाते थे लेकिन लॉकडाउन में पढ़ाई ना होने की वजह से नंबर कम आए. क्योंकि और बच्चों की तरह हमारे बच्चे से इंटरनेट से पढ़ाई नहीं कर पाए. हमारे बस की बड़ा फोन लेना है नहीं. हम तो सिर्फ बात करने के लिए ही फोन का इस्तेमाल कर पाते हैं.
ग्रामीण भारत में भी डिजिटल अपना पांव पसार रहा है. शशि शेखर वेम्पति कहते हैं कि भारत नेट जो हर गांव और हर पंचायत में फाइबर ऑपटिक एक्सिस का एक प्रोजेक्ट है, वो भी आगे बढ़ रहा है. हाल ही में सरकार ने बीएसएनएल को एक बड़ा पैकेज दिया हुआ है जिससे 4 जी नेटवर्क का भी विस्तार होने वाला है. मुझे लगता है कि ये सिर्फ एक समय की बात है कि देश में इंटरनेट की पहुंच और बढ़ने वाली है.
साइबर सुरक्षा भी एक बड़ी चुनौती
साइबर सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है. इंटरनेट पर डेटा के साथ जोखिम जुड़े रहते हैं. जिससे डिजिटल इंडिया भी अछूता नहीं है. आरएस शर्मा कहते हैं कि ऑनलाइन डिजिटल दुनिया, एक ऐसी दुनिया है जहां डेटा ब्रिच का रिस्क हमेशा रहता है. किसी भी सिस्टम को ये सुनिश्चित करना चाहिए की वहां डेटा का ब्रिच ना हो. सुरक्षा को सुनिश्चित करना भी जरूरी है. इन चुनौतियों के बावजूद डिजिटल इंडिया कई नए मंचों पर आ रहा है. एक बड़ा कदम है सरकार समर्थित ई कॉमर्स का मंच ओएनडीसी. जो देश भर के 35 हजार से ज्यादा छोटे कारोबार और रेस्टोरेंट मालिकों का सशक्तिकरण करके ऑनलाइन रिटेल में बदलाव ला रहा है. इस तरह के अभियानों के साथ डिजिटल इंडिया का भविष्य उज्जवल है.
डॉक्यूमेंट्री सीरीज के पहले 5 एपिसोड आप यहां देख सकते हैं:-
पाकिस्तान के गृह मंत्री ने मंगलवार को कहा कि इमरान खान के खिलाफ सैन्य अदालत में मुकदमा चलाया जाएगा क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री सैन्य प्रतिष्ठानों पर नौ मई को हुए हमले की घटनाओं के लिए जिम्मेदार थे।
केंद्र सरकार मार्च ने साल 2016 में केरल कैडर के पुलिस अधिकारी सिन्हा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्रियों की सुरक्षा करने वाले विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) का प्रमुख नियुक्त किया था।