एम्सटर्डम : नीदरलैंड में चरमपंथी इस्लाम विरोधी समूह पेगिडा (Pegida) के नेता एडविन वैगन्सफेल्ड ने डेन हैग शहर में इस्लाम की पवित्र किताब कुरान की एक कॉपी को फाड़ दिया और फिर उसे जला दिया। इससे पहले स्वीडन में भी इस तरह की घटना सामने आई थी, जहां कुरान की एक कॉपी को जला दिया गया था। इस घटना ने मुस्लिम देशों में आक्रोश पैदा कर दिया है। पाकिस्तान और सऊदी अरब, यूएई जैसे अरब देशों ने इस घटना की निंदा की है। सोमवार को धुर-दक्षिणपंथी राजनेता एडविन वैगन्सवेल्ड ने ट्विटर पर द हेग में संसद भवन के सामने कुरान को फाड़ने का एक वीडियो शेयर किया। वैगन्सवेल्ड के वीडियो में देखा जा सकता है कि घटना के समय डच पुलिस वैगन्सवेल्ड के पीछे खड़ी थी। पुलिस के सामने ही उन्होंने पहले कुरान पर पैर रखे, उसके पन्ने फाड़े और उसमें आग लगा दी। वैगन्सवेल्ड ने ट्वीट किया, ‘जो लोग हमें जानते हैं और फॉलो करते हैं, वे जानते हैं कि हम कभी हार नहीं मानते। हम खुद पर हिंसा और जान से मारने की धमकियों को हावी नहीं होने दे सकते।’ उन्होंने कहा, ‘दो बार पहले गिरफ्तार और हिरासत में लिए जाने के बाद, आज तीसरी बार है।’
Anadolu Agency की रिपोर्ट के अनुसार, ‘डच पुलिस ने उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी, बशर्ते कि वह मुस्लिमों की पवित्र पुस्तक को न जलाए।’ घटना को लेकर दुनियाभर में मुस्लिम देश गुस्से में हैं। तुर्की ने मंगलवार को अंकारा में डच राजदूत जोएप विजनैंड्स को तलब किया। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि हम 22 जनवरी को द हेग में एक इस्लाम विरोधी शख्स के हमारी पवित्र किताब को निशाना बनाए जाने की कड़े से कड़े शब्दों में निंदा करते हैं।
दुनियाभर के मुस्लिम देश गुस्से में
सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने भी कुरान की एक कॉपी को जलाए जाने की कड़ी निंदा की है। सऊदी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि नीदरलैंड में कुरान की कॉपी को फाड़ना ‘दुनियाभर के करोड़ों मुसलमानों की भावनाओं के लिए एक भड़काऊ कदम है।’ पाकिस्तान ने भी बुधवार को इस कृत्य की निंदा की है। पाकिस्तान की ओर से जारी बयान में कहा गया कि दुनियाभर में 1.5 अरब मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंची है।
अंकारा/दमिश्क: सीरिया युद्ध के कारण पहले ही बर्बादी की कगार पर था। लेकिन सोमवार की सुबह 4:17 बजे आए भूकंप ने यहां प्रलय जैसे हालात पैदा हो गए हैं। बड़े पैमाने पर लोगों की मौत हुई है। इस भूकंप के कारण सीरिया के इड्लिब में बड़ी तबाही दिखी है। लोग ठंड के मौसम में बेघर हो गए हैं। लोग अपने घरों के बाहर बिना किसी साधन के रहने को मजबूर हैं। तुर्की और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप में मरने वालों की संख्या बढ़कर 4,300 से अधिक हो गई है। दोनों पड़ोसी देशों में भारी बारिश और हिमपात के बीच बचाव दलों को पीड़ितों को मदद पहुंचाने और मलबे में दबे लोगों को निकालने में काफी परेशानी हो रही है। बीबीसी ने बताया कि मंगलवार सुबह तक, तुर्की में मरने वालों की संख्या 2,921 थी, जबकि सीरिया में 1,500। तुर्की के डिजास्टर एंड इमरजेंसी मैनेजमेंट अथॉरिटी (एएफएडी) के अनुसार, कम से कम 15,834 लोग घायल हुए हैं, जबकि 7,840 लोगों को मलबे से जिंदा निकाला गया। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, एएफएडी ने यह भी कहा कि कम से कम 5,606 इमारतें नष्ट हो गई। कुल 14,720 लोग मदद पहुंचाने का काम कर रहे हैं जिसमें सैन्यकर्मी भी शामिल हैं।
तुर्की के दक्षिणी प्रांत कहरामनमारस में सोमवार सुबह 4.17 बजे विनाशकारी 7.8 तीव्रता का भूकंप आया, जिसके कुछ मिनट बाद गजियांटेप प्रांत में 6.4 तीव्रता का भूकंप आया। यूएस जियोलॉजिकल सर्वे (यूएसजीएस) ने कहा कि 7.8 तीव्रता के भूकंप का केंद्र गजियांटेप में नूरदगी से 23 किमी पूर्व में 24.1 किमी की गहराई में था। लगभग 1.30 बजे, 7.5 तीव्रता का एक और झटका कहरामनमारस में आया, जिसके बारे में अधिकारियों ने कहा कि यह आफ्टरशॉक नहीं था। पूरे दिन में 60 से अधिक झटके महसूस किए गए। सीएनएन ने सरकारी समाचार एजेंसी सना के हवाले से कहा कि सीरिया में सरकार के नियंत्रण वाले इलाकों में कुल मिलाकर 711 मौतें दर्ज की गईं, जिनमें से ज्यादातर अलेप्पो, हमा, लताकिया और टार्टस के क्षेत्रों में दर्ज की गईं। ‘व्हाइट हेल्मेट्स’ समूह, जिसे आधिकारिक तौर पर सीरिया नागरिक सुरक्षा के रूप में जाना जाता है, ने विपक्ष-नियंत्रित क्षेत्रों में 740 मौतों की सूचना दी।
अमेरिका ने दिया मदद का भरोसा
बीबीसी ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी दी है कि मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है क्योंकि दोनों देशों में बचाव अभियान अभी भी जारी है। भूकंप के केंद्र के पास तुर्की के उस्मानिया शहर में, भारी बारिश से बचाव कार्य प्रभावित हुआ। तबाही के बाद शहर में बिजली भी गुल है। भूकंप से तुर्की के तीन हवाई अड्डों को भी काफी नुकसान पहुंचा है, जिससे राहत और बचाव कार्य में कई चुनौतियां आ रही हैं। कई देशों ने प्रभावित क्षेत्र की मदद के लिए बचावकर्मियों को भेजा है और समर्थन की पेशकश की है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने तुर्की समकक्ष रेसेप तैयप एर्दोगन से बात की और हर संभव मदद देने का भरोसा दिया।
पूरी दुनिया आई समर्थन में
भारत ने सोमवार को घोषणा की कि विशेष रूप से प्रशिक्षित डॉग स्क्वॉड और आवश्यक उपकरणों के साथ 100 कर्मियों वाली एनडीआरएफ की दो टीमें प्रभावित क्षेत्रों में गई हैं। आवश्यक दवाओं के साथ मेडिकल टीमें भी तैयार की जा रही हैं। तुर्की सरकार और अंकारा में भारतीय दूतावास और इस्तांबुल में महावाणिज्य दूतावास के तालमेल से राहत सामग्री भेजी जाएगी। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल ने बचाव दल और आपातकालीन चिकित्सा सामग्री तुर्की भेजने का आदेश जारी किया।
यूरोपीय संघ तुर्की में खोज और बचाव दल भेज रहा है, जबकि नीदरलैंड और रोमानिया के बचावकर्मी पहले से ही रवाना हो चुके हैं। ब्रिटेन ने कहा है कि वह 76 विशेषज्ञ, उपकरण और खोजी कुत्ते भेजेगा। फ्रांस, जर्मनी और इजराइल ने भी मदद करने का वादा किया है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने तुर्की और सीरिया दोनों को मदद की पेशकश की है। ऑस्ट्रेलिया ने 10 मिलियन डॉलर की सहायता राशि तुर्की को देने का वादा किया है।
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चीन को फूटा गुब्बारा नहीं देगा अमेरिका
US-China Relationship: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने सोमवार को कहा कि चीन ने अमेरिका में जासूसी के लिए गुब्बारों को उड़ाने का दुस्साहसपूर्ण काम किया क्योंकि‘‘ वे चीनी सरकार है।’’ बाइडन ने व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘ गुब्बारे और अमेरिका पर जासूसी करने का चीन का प्रयास कुछ ऐसा है जैसी उससे अपेक्षा की जा सकती है। सवाल यह है कि जब हमने चीन से पूछा कि वे क्या कर रहे हैं, तो उन्होंने इस बात से इनकार नहीं किया कि यह उनका गुब्बारा नहीं है। उन्होंने सिर्फ इसके पीछे उनका क्या मकसद था ये नहीं बताया।’’
राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा ‘‘ बात चीन पर भरोसा करने की नहीं है। यह इस बात का फैसला करने का समय है कि क्या हमें चीन के साथ काम करना चाहिए और हमारे पास इसके अलावा विकल्प क्या हैं।’’ बाइडन ने कहा कि इससे अमेरिका-चीन संबंध कमजोर नहीं होने जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमने चीन को स्पष्ट कर दिया है कि हम क्या करने जा रहे हैं। वे हमारी स्थिति को समझते हैं। हम पीछे हटने वाले नहीं हैं। हमने सही कदम उठाया है और इससे संबंध कमजोर या मजबूत होने की बात नहीं है यह वास्तविकता है।’’
जो बाइडेन ने कहा कि उनका हमेशा से मानना था कि गुब्बारे को गिराना ही उचित है। उन्होंने कहा, ‘‘ मेरा रुख हमेशा से यही था। उसके कनाडा से अमेरिका आते ही मैंने रक्षा मंत्रालय से इसे तुरंत गिराने को कहा था। वे भी इसी फैसले पर पहुंचे हैं कि इसे जमीन पर गिराना ही सही है। यह कोई गंभीर खतरा नहीं है। हम इसके समुद्री क्षेत्र को पार करने तक इंतजार करेंगे।’’
चीन को फूटा गुब्बारा नहीं लौटाएगा अमेरिका
अमेरिका ने सोमवार को चीन के जासूसी गुब्बारे का अवशेष उसे लौटाने से इनकार कर दिया। इस गुब्बारे को शनिवार को साउथ कैरोलिना में अटलांटिक महासागर के तट पर मार गिराया गया था। अमेरिका सेना ने चीन के जासूसी गुब्बारे के अवशेषों को एकत्रित करने के अपने प्रयास तेज कर दिये हैं जो पिछले सप्ताह कई दिनों तक मोंटाना से साउथ कैरोलिना तक अमेरिका के आसमान में उड़ता दिखा था। व्हाइट हाउस ने गुब्बारे के बारे में मिली आरंभिक सूचना के आधार पर सोमवार को पूरे यकीन से कहा कि यह एक जासूसी गुब्बारा था। अधिकारियों ने कहा कि इसने अंतरराष्ट्रीय नियमों एवं देशों की संप्रभुता का उल्लंघन किया है।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा, ‘‘मैं इसे (गुब्बारे के अवशेष को) लौटाने की मंशा या ऐसी किसी योजना के बारे में नहीं जानता।’’ उन्होंने कहा कि अमेरिकी सेना ने समुद्र से कुछ अवशेष बरामद किए हैं और वे अब भी समुद्र में उन्हें तलाश रहे हैं। शनिवार को गुब्बारे को एक लड़ाकू विमान द्वारा मार गिराए जाने से पहले किर्बी ने कहा कि इसके बारे में कई अहम सूचना एकत्रित की गई है। नॉर्दर्न कमांड के कमांडर जनरल ग्लेन वानहर्क के अनुसार, गुब्बारा 200 फुट की ऊंचाई पर था। इसमें अमूमन एक क्षेत्रीय जेट विमान के बराबर आकार का कई हजार पाउंड का एक पेलोड था।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव केरिन ज्यां पीयरे ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन ने सेना, खुफिया समुदाय को निर्देश दिया है कि वे गुब्बारे के बारे में सूचनाएं एकत्र करें ताकि चीन की क्षमताओं के बारे में वे ज्यादा से ज्यादा जान सकें। विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने पत्रकारों से कहा कि चीन इसके बारे में जानता है कि वह क्या है। अमेरिकी अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा चीन की जासूसी के खिलाफ रक्षात्मक तरीकों की मजबूती में सुधार के आदेशों के कारण यह गुब्बारा पकड़ा गया।
व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा कि बाइडन के कार्यभार संभालने के बाद से अमेरिका ने ‘‘अपने क्षेत्र में निगरानी बढ़ा दी है। हमने चीजों का पता लगाने की अपनी क्षमता में सुधार किया है जो पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन में नहीं थी।’’ ट्रंप प्रशासन के दौरान के कई अधिकारियों ने कहा है कि उन्हें अपने कार्यकाल के दौरान चीनी गुब्बारे के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
इस्लामाबाद: पाकिस्तान की महाकंगाली अब देश के लिए बड़ा दवा संकट बन सकता है। पाकिस्तान की दवा निर्माता कंपनियों ने धमकी दी है कि वे उत्पादन बंद कर सकती हैं। इन कंपनियों ने कहा कि रुपये के दाम में ऐतिहासिक गिरावट आने की वजह से उत्पादन की लागत बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि अगले 7 दिन से ज्यादा का दवाइयों का स्टॉक अब उत्पादन करना और उसे मुहैया कराना उनके लिए ‘पूरी तरह से असंभव’ हो गया है। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक देश की 10 बड़ी दवा कंपनियों ने स्वास्थ्य मंत्रालय को चेतावनी दी है। इन पाकिस्तानी कंपनियों ने दावा किया कि वे अपने उत्पादन को बंद करने जा रही हैं। उन्होंने मांग की कि सरकार तत्काल दवाइयों के दाम बढ़ाए नहीं तो उनके लिए उत्पादन को बंद करना ही एकमात्र विकल्प होगा। पाकिस्तानी दवा निर्माता कंपनियों के संगठन के पूर्व चेयरमैन काजी मंसूर ने द न्यूज से कहा कि रुपये के अवमूल्यन और कई सामानों के दाम में भारी बढ़ोत्तरी के कारण दवाओं के उत्पादन की लागत कई गुना बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि दवाओं के निर्माण में जरूरी एपीआई की कीमतों और पैकेजिंग के सामान के दाम में वृद्धि के कारण, दवा कंपनियों के लिए यह व्यवहारिक नहीं रह गया है कि वे दवाओं को वर्तमान दाम में बेचें।’ Pakistan IMF Loan: पाकिस्तान को कंगाली से निकालने के लिए क्या शहबाज शरीफ ने आईएमएफ के साथ किया देश की आजादी का सौदा? समझें
रुपये के मूल्य में 67 फीसदी गिरावट
इन कंपनियों ने पाकिस्तानी स्वास्थ्य मंत्री अब्दुल कादिर पटेल को लिखे पत्र में कहा कि स्थानीय दवा निर्माता इंडस्ट्री कच्चे माल पर बहुत ज्यादा निर्भर है जो विदेश से मंगाया जाता है। यह कच्चा माल आता है तभी पाकिस्तान के अंदर दवाओं का निर्माण किया जा सकता है। कंपनियों ने कहा कि एपीआई के दाम में भारी बढ़ोत्तरी से दवा उद्योग को बड़ा झटका लगा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इससे दवाओं के दाम में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि तेल के दाम में बढ़ोत्तरी से भी दवा उद्योग पर भारी मार पड़ी है।
कंपनियों ने कहा कि दवा को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने में भी काफी परेशानी हो रही है। पाकिस्तानी दवा उद्योग ने यह धमकी ऐसे समय पर दी है जब पाकिस्तानी रुपये के दाम में डॉलर के मुकाबले जुलाई 2020 से अब तक 67 फीसदी गिरावट आई है। कंपनियों ने कहा कि पाकिस्तान में कोरोना, बाढ़, डेंगू समेत कई स्वास्थ्य आपदाएं आने के बाद भी दवाओं को तय समय पर दिया गया था लेकिन अब कंपनियों के लिए भारी मुश्किल पैदा हो गई है। इसी वजह से ये कंपनियां अब सरकार को तत्काल दाम बढ़ाने के लिए कह रही हैं। उन्होंने कहा कि अगर दाम नहीं बढ़ाए गए तो पूरा स्थानीय दवा उद्योग तबाह हो जाएगा।