प्रोटियाज़ की ‘देरी से’ मिली विजय यात्रा: क्या जीत का जश्न सिर्फ समय का खेल है?

खेल समाचार » प्रोटियाज़ की ‘देरी से’ मिली विजय यात्रा: क्या जीत का जश्न सिर्फ समय का खेल है?

क्रिकेट की दुनिया में जीत का जश्न मनाना हर टीम और उसके प्रशंसकों के लिए एक खास पल होता है। लेकिन क्या हो जब जीत के सौ दिन बाद जश्न मनाया जाए? क्या उस पल की चमक फीकी पड़ जाती है? दक्षिण अफ्रीका की प्रोटियाज़ टीम ने हाल ही में आईसीसी टेस्ट मेस जीतकर इतिहास रचा, लेकिन उनके विजय मार्च ने एक अनोखी बहस छेड़ दी है: क्या क्रिकेट के व्यस्त कार्यक्रम ने प्रशंसकों और टीम के बीच के जश्न के तार को कमजोर कर दिया है?

मेस का अनमोल “बॉडीगार्ड”: क्रेग स्टेन

केप टाउन की सड़कों पर निकली प्रोटियाज़ टीम के साथ एक शख्स ऐसा भी था जिस पर सबकी निगाहें थीं, हालांकि वो मैदान का सितारा नहीं था। यह थे क्रेग स्टेन, आईसीसी टेस्ट मेस के व्यक्तिगत सुरक्षा गार्ड। 76 सेंटीमीटर लंबी, पांच किलोग्राम वजनी, सोने और चांदी से चमकती यह ट्रॉफी जब भी खिलाड़ियों या कोचिंग स्टाफ के हाथों में नहीं होती थी, तो सुरक्षित रूप से क्रेग की बांहों में होती थी। उनका मिशन स्पष्ट था: इस बेशकीमती ट्रॉफी को किसी भी कीमत पर सुरक्षित रखना। क्रेग की सतर्कता और समर्पण बताता है कि यह सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं, बल्कि दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट के लिए गौरव और कड़ी मेहनत का प्रतीक है। शायद, असली नायक तो वही था जो इस मेस को `देर से` मिली यात्रा में सकुशल संभाले हुए था!

देर से आया जश्न, क्या उत्साह भी फीका पड़ा?

प्रोटियाज़ ने विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को पांच विकेट से हराकर मेस पर कब्जा किया था। यह जीत 14 जून को मिली थी, यानी केप टाउन में परेड से पूरे 105 दिन पहले। 1998 के बाद यह दक्षिण अफ्रीका की पुरुष या महिला टीम द्वारा जीती गई पहली सीनियर वैश्विक ट्रॉफी थी। स्वाभाविक रूप से, प्रशंसकों को उम्मीद थी कि इस ऐतिहासिक जीत का जश्न तुरंत मनाया जाएगा।

लेकिन जब टीम केप टाउन की धूप से तर सड़कों पर एक खुली बस में निकली, तो नजारा उतना भव्य नहीं था जितना उम्मीद की जा रही थी। सड़कों पर भीड़ कम थी; कुछ प्रशंसक इक्का-दुक्का दिखाई दिए, तो कुछ राहगीर तो हैरान ही रह गए कि यह क्या चल रहा है। एक निर्माण कार्यकर्ता ने तो अपनी उलझन से उबर कर टीम को जोरदार सलामी दी, जो शायद इस बात का प्रतीक था कि कई लोगों को इस परेड की जानकारी ही नहीं थी। शायद, जीत की खबर तो समय पर पहुंची थी, लेकिन जश्न का निमंत्रण रास्ते में कहीं अटक गया।

यह नजारा 2019 के रग्बी विश्व कप विजेता स्प्रिंगबॉक् स की विजय यात्रा से बिल्कुल उलट था। तब जोहानिसबर्ग में इंग्लैंड को हराने के नौ दिन बाद स्प्रिंगबॉक् स केप टाउन की सड़कों पर उतरे थे, और पूरा शहर अपने नायकों को देखने उमड़ पड़ा था। गलियां खचाखच भरी थीं, बालकनी से लेकर रेस्तरां तक में प्रशंसक जमा थे। अंतर स्पष्ट था: 96 दिनों का विशाल अंतर। सवाल उठता है, क्या क्रिकेट के जश्न के लिए बहुत देर हो चुकी थी?

टीम का दृष्टिकोण: “देर आए, दुरुस्त आए”

मुख्य कोच शुकरी कॉनराड ने इस देरी पर एक मजाकिया टिप्पणी की, “जैसा कि मैं हमेशा अपनी बेटियों से कहता था, देर भली, पर गर्भवती नहीं।” उनकी बात पर रिपोर्टर खूब हंसे, लेकिन उनका संदेश गंभीर था: “हमने अपनी `गीस` (भावना/जोश) नहीं खोई है और न ही हम उस एहसास को भूले हैं। यह एक शानदार अवसर है कि हम देश को यह दिखा सकें कि हम उनकी कितनी सराहना करते हैं, और देश भी हमें अपनी सराहना दिखा सके।”

कॉनराड ने आगे कहा, “मुझे नहीं लगता कि हम इसे कभी भूलेंगे। और हालांकि हमें सौ से अधिक दिन हो गए हैं, यह अगले विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप चक्र को शुरू करने के लिए आदर्श समय पर आया है।”

खिलाड़ी एडन मार्कराम ने भी इस बात से सहमति जताई। उन्होंने कहा कि यह कुछ व्यस्त दिन थे, लेकिन विभिन्न शहरों के लोगों के साथ इस जीत को साझा करना खास रहा। उन्होंने स्वीकार किया कि मैच के तुरंत बाद जश्न मनाना आदर्श होता, “जब आप उस पल में जी रहे होते हैं और जश्न मना रहे होते हैं। लेकिन यह एक आदर्श दुनिया में होता।” आदर्श दुनिया… क्रिकेट के व्यस्त कैलेंडर में इसकी उम्मीद करना शायद एक `सॉफ्ट डिसमिसल` जैसा है।

आधुनिक क्रिकेट का कठोर कार्यक्रम: एक विवशता

सवाल यह नहीं है कि क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका (CSA) ने जश्न मनाने की परवाह नहीं की, बल्कि यह है कि उनके पास अवसर ही नहीं था। लॉर्ड्स में जीत के 14 दिन बाद ही टीम जिम्बाब्वे में टेस्ट खेल रही थी, फिर ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में वनडे और टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच हुए। इन 105 दिनों में से लगभग 79 दिन टीम मैदान पर थी या यात्रा कर रही थी। ऐसे में मेस का जश्न मनाने के लिए कोई खाली समय ही नहीं बचा था।

शायद CSA की गलती जश्न की कमी में नहीं, बल्कि इस दौरे के प्रचार की कमी में थी। यही वजह थी कि लोग इतने हैरान हुए। कॉनराड ने स्वीकार किया, “इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में हमारे लिए दो कठिन महीने रहे हैं। लेकिन कुछ प्रेरणा लेना अच्छा है, और यह निश्चित रूप से हमें वह देता है।”

निष्कर्ष: चमक बरकरार, भले ही देर से

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट का पहिया कभी नहीं रुकता। एक मैच खत्म होता है, और दूसरा शुरू हो जाता है। प्रोटियाज़ की आईसीसी टेस्ट मेस विजय यात्रा एक मार्मिक अनुस्मारक है कि खेल की व्यस्तता और व्यावसायिकता अक्सर मानवीय जश्न के क्षणों पर हावी हो जाती है। भले ही केप टाउन की सड़कें स्प्रिंगबॉक् स जैसी भीड़ से नहीं पटीं, मेस की चमक कम नहीं हुई है। यह टीम के लिए एक प्रेरणा है, और दक्षिण अफ्रीका के लिए गर्व का प्रतीक। जब भी भविष्य में कोई और ट्रॉफी जीतेगी, क्रेग स्टेन जैसे लोग इसे सुरक्षित रखने के लिए तैयार रहेंगे, और शायद, दुनिया एक बार फिर सीखेगी कि कुछ चीजें इंतजार के लायक होती हैं, भले ही थोड़ा लंबा इंतजार करना पड़े। लेकिन क्या प्रशंसक भी इतनी देर तक इंतज़ार करने को तैयार रहेंगे, यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब समय ही देगा।