प्रगनानंद: मानसिक शक्ति का जादू और भारत के शतरंज ताज पर कब्ज़ा

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शतरंज की दुनिया में, जहाँ हर चाल एक रणनीति होती है और हर खिलाड़ी एक कहानी लिखता है, भारत के युवा ग्रैंडमास्टर रमेशबाबू प्रगनानंद ने एक नई इबारत लिखी है। महज 19 साल की उम्र में, उन्होंने 2025 में खुद को भारत के क्लासिकल शतरंज के नंबर 1 खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर लिया है, अपने ही हमवतन डी. गुकेश को पीछे छोड़ते हुए। यह `पुनरुत्थान` शब्द शायद एक किशोर के लिए अजीब लगे, लेकिन प्रगनानंद के लिए, 2025 सिर्फ एक साल नहीं, बल्कि एक मानसिक क्रांति का गवाह रहा है।

एक नई मानसिकता, नई जीत

पिछले साल के अंत में, प्रगनानंद ने स्वयं स्वीकार किया था कि 2024 के दूसरे छमाही में उनके खेल की गुणवत्ता से वे संतुष्ट नहीं थे। कोच आरबी रमेश के नेतृत्व में अपनी टीम के साथ मिलकर, उन्होंने सुधार के लिए कड़ी मेहनत की। और परिणाम? इस साल तीन उच्च-स्तरीय खिताब – टाटा स्टील चेस मास्टर्स, सुपरबेट चेस क्लासिक और उज़चेस कप – ने साबित कर दिया है कि प्रगनानंद न केवल अपने खेल के शिखर पर वापस आ गए हैं, बल्कि लगातार बेहतर हो रहे हैं। उनकी सफलता का रहस्य उनकी बदली हुई मानसिक रणनीति में निहित है – हर बाजी जीतने के लिए लड़ने की इच्छा, और सबसे कठिन परिस्थितियों में भी आगे बढ़ते रहने का दृढ़ संकल्प, सिर्फ खेल के भीतर ही नहीं, बल्कि पूरे टूर्नामेंट में भी।

उज़्बेकिस्तान से भारत के शिखर तक

इस वर्ष उनकी जीत का सिलसिला किसी चमत्कार से कम नहीं रहा है। उज़चेस कप में उनकी जीत इसकी सबसे बड़ी मिसाल है। टूर्नामेंट के केवल दो राउंड शेष रहते हुए, वे लीडर नोदिरबेक अब्दुसत्तरोव से 1.5 अंक पीछे थे। उन्हें अर्जुन एरिगैसी और फिर खुद अब्दुसत्तरोव जैसे अपने सबसे मजबूत प्रतिद्वंद्वियों का सामना करना था। ऐसी स्थिति में, हार मानना आसान होता है, लेकिन प्रगनानंद ने `लड़ने की इच्छा` नामक अपनी नई मानसिक शक्ति का प्रदर्शन किया।

उन्होंने अर्जुन एरिगैसी को मात दी और अन्य परिणामों ने भी उनके पक्ष में काम किया। अंततः, उन्होंने अब्दुसत्तरोव को हराकर तीन-तरफ़ा टाई-ब्रेक में जीत हासिल की। टाई-ब्रेक में उनकी महारत इस साल एक स्थापित पैटर्न बन गई है। जनवरी में टाटा स्टील मास्टर्स में उन्होंने शीर्ष भारतीय खिलाड़ी गुकेश को ब्लिट्ज़ टाई-ब्रेक में हराया था, और रोमानिया के सुपरबेट क्लासिक में उन्होंने अलिरेज़ा फिरौज़ा और मैक्सिम वाचियर-लाग्रेव के खिलाफ तीन-तरफ़ा टाई-ब्रेक जीता। यह कहना गलत नहीं होगा कि जब घड़ी तेजी से चलती है और दबाव चरम पर होता है, तब प्रगनानंद का दिमाग एक सुपरकंप्यूटर की तरह काम करता है।

टाई-ब्रेक जीतने से कहीं अधिक, प्रगनानंद को उन मुश्किल रास्तों को याद करना पसंद है जिनसे वे वहाँ तक पहुंचे। उज़्बेकिस्तान में उन्होंने काले मोहरों से एरिगैसी को हराकर खुद को एक मौका दिया। वाइके आन ज़ी में टाटा स्टील मास्टर्स में, उन्होंने 13 में से 11वें राउंड में फैबियानो कारुआना के खिलाफ काले मोहरों से एक बड़ी जीत दर्ज की, जिससे वे उस समय के लीडर गुकेश के करीब रह सके। यह दिखाता है कि सिर्फ जीतना ही नहीं, बल्कि जीत के लिए संघर्ष करना ही उनकी नई पहचान है।

रैंकिंग से परे: खेल की गुणवत्ता पर ध्यान

हालांकि, इन सभी उपलब्धियों के बावजूद, प्रगनानंद रैंकिंग के बारे में ज्यादा परेशान नहीं दिखते। उन्होंने हाल ही में बातचीत में कहा, “यह कभी भी बदल सकता है, मैं गुकेश से केवल एक अंक आगे हूँ, इसलिए इसका बहुत मतलब नहीं है।” यह एक युवा खिलाड़ी की परिपक्वता को दर्शाता है, जो क्षणभंगुर शीर्ष स्थान से अधिक अपने खेल की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करता है। उनका मानना है कि अगर खेल अच्छा होगा, तो रैंकिंग अपने आप बेहतर हो जाएगी।

कैंडिडेट्स और भविष्य की चुनौतियां

अदानी स्पोर्ट्सलाइन द्वारा समर्थित, यह नया और मानसिक रूप से मजबूत प्रगनानंद अब फिडे सर्किट 2025 स्टैंडिंग में भी शीर्ष पर बैठे हैं। यदि वे अपना स्थान बनाए रखते हैं, तो वे फिडे सर्किट के माध्यम से 2026 फिडे कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई करेंगे। लेकिन वे कुछ भी संयोग पर नहीं छोड़ रहे हैं। वर्ष में अभी बहुत समय बाकी है, और चीजें बदलने की बहुत संभावना है। फिडे ग्रैंड स्विस और फिडे विश्व कप (जहाँ उन्होंने 2023 में मैग्नस कार्लसन के खिलाफ दूसरा स्थान हासिल किया था) बाद में कैंडिडेट्स के लिए सीधे क्वालीफाई करने के बड़े अवसर प्रदान करते हैं, और प्रगनानंद इसके लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

उनका बाकी साल का शेड्यूल काफी व्यस्त है। “मैं थोड़ा आराम करना चाहूँगा, लेकिन ऐसा नहीं लगता कि मुझे वह मिलने वाला है,” उन्होंने कहा। सितंबर में ग्रैंड स्विस से पहले, वे इस सप्ताह क्रोएशिया में ग्रैंड चेस टूर इवेंट में खेलेंगे, और फिर अगले महीने सिंकफील्ड कप के लिए सेंट लुइस जाएंगे, जिसके बीच में एक फ्रीस्टाइल चेस टूर्नामेंट और ईस्पोर्ट्स वर्ल्ड कप भी है। इसी महीने रियाद में होने वाले ईस्पोर्ट्स वर्ल्ड कप के लिए उन्हें टीम लिक्विड द्वारा साइन किया गया है। यदि वे क्वालीफाइंग राउंड को पार कर मुख्य इवेंट में पहुँचते हैं, तो वे मैग्नस कार्लसन और फैबियानो कारुआना जैसे टीम के साथियों के साथ स्थान साझा करेंगे – एक ऐसा अनुभव जिसका उन्हें बेसब्री से इंतजार है, हालाँकि वे याद दिलाते हैं कि इस बारे में सोचने से पहले, उन्हें क्वालीफाइंग टूर्नामेंट जीतना है।

निष्कर्ष

यह निश्चित है कि प्रगनानंद का सफर अभी लंबा है, लेकिन जिस मानसिक दृढ़ता और जीत की ललक के साथ उन्होंने इस साल खेल दिखाया है, वह उन्हें न केवल भारत के शीर्ष पर बनाए रखेगा, बल्कि विश्व शतरंज पटल पर भी एक अजेय शक्ति के रूप में स्थापित करेगा। उनका लक्ष्य स्पष्ट है: कैंडिडेट्स में जगह बनाना, और अंततः शतरंज के सर्वोच्च ताज के लिए चुनौती देना। यह सिर्फ एक युवा खिलाड़ी का उदय नहीं, बल्कि एक नए युग की शुरुआत है, जहाँ मानसिक शक्ति और अथक प्रयास सफलता की नई परिभाषा लिख रहे हैं।