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Pakistan News: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने पीएमएल-एन नेताओं को ‘समझौते’ के तहत बरी करने के दावे को बताया गलत

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Pakistan’s Defense Minister Khawaja Asif

Pakistan News: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने शुक्रवार को एक वरिष्ठ नेता की इस टिप्पणी को खारिज कर दिया कि हाल ही में भ्रष्टाचार के मामलों में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और पीएमएल-एन के अन्य नेताओं को सेना के साथ हुए एक समझौते के कारण बरी किया गया है। उन्होंने इस दावे को गलत बताया। लाहौर की एक भ्रष्टाचार रोधी अदालत ने इस हफ्ते प्रधानमंत्री और उनके बेटे हमजा शहबाज के खिलाफ 16 अरब रुपये के धनशोधन मामले को खारिज कर दिया था। इससे पहले इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएलएन) की उपाध्यक्ष मरियम नवाज को चर्चित भ्रष्टाचार मामले में आरोप मुक्त करार दिया था। 

पू्र्व गृह मंत्री को बताया गद्दार

पूर्व गृह मंत्री और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के असंतुष्ट नेता एतेजाज़ एहसान ने इस सप्ताह कहा था कि सेना ने भ्रष्टाचार के मामलों से मुक्त होने में शरीफ परिवार की मदद की। एहसान ने कहा था, “बाजवा (सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा) साहब ने उन्हें (शरीफ परिवार को) मामलों में दोषसिद्धि से बचाया है और उन्होंने एक बड़ा अपराध किया है।” एहसान की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि एहसान एक ‘गद्दार’ हैं और उन्होंने निजी कुंठा के चलते यह टिप्पणी की है। 

‘हम संविधान का सम्मान करते हैं’

आसिफ ने कहा कि पीएमएल-एन नेताओं ने हमेशा संविधान और अदालतों का सम्मान किया है और हाल के अदालती फैसलों ने उनकी बेगुनाही साबित की है। उन्होंने कहा, “हमने अपनी कथनी और करनी से साबित कर दिया है कि हम संविधान का उल्लंघन नहीं करना चाहते और अदालतों ने समझ के आधार पर फैसला सुनाया है।” 

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यूक्रेन युद्ध में तबाह हुआ रूस, क्‍या भारत से वापस खरीद रहा अपने हथियार, आखिर क्‍यों उठ रहे हैं ये सवाल?

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मॉस्‍को: रूस और भारत पिछले छह दशक से मजबूत रणनीतिक साझीदार हैं। लेकिन यूक्रेन की जंग ने इन दोनों के रिश्‍तों पर भी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। अब जो खबरें आ रही हैं उसके मुताबिक रूस हो सकता है भारत से अपने हथियार वापस मांग ले। निक्‍केइ एशिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक रूस, म्‍यांमार और भारत से अपने हथियारों को वापस मांगने पर विचार कर रहा है। अगर ऐसा होता है और यह रिपोर्ट सच साबित होती है तो फिर भारत और रूस के रिश्‍ते सबसे कठिन दौर में पहुंच सकते हैं। रूस की तरफ से म्‍यांमार और भारत को भारी संख्‍या में टैंक्‍स और मिसाइलें दी गई हैं। रूस, यूक्रेन में उपयोग के लिए निर्धारित पुराने हथियारों को बेहतर बनाने के लिए फिर से उनका आयात कर सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस उन्‍हीं देशों से ये हथियार वापस मांगेगा जिनके साथ उसके लंबे समय से सैन्य संबंध हैं।

रूस पर लगा बैन
फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका, यूरोपियन यूनियन और जापान ने रूस को संभावित सैन्य प्रयोग वाले सामानों का निर्यात करने से बैन कर दिया था। अमेरिकी रिसर्च कंपनी इम्पोर्टजेनियस, भारत के एक्जिम ट्रेड को मिले आंकड़ों के बाद रूस के टैंकों और मिसाइलों जैसे आयातित हथियारों के रिकॉर्ड की जांच की गई। इसके मुताबिक यूरालवैगनजावॉड (UralVagonZavod), जो रूसी सेना के लिए टैंक बनाने वाली कंपनी है उसने नौ दिसंबर, 2022 को 24 मिलियन डॉलर के साथ म्यांमार सेना से सैन्य उत्पादों का आयात किया।
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ब्रिटिश थिंक टैंक मिलिट्री बैलेंस की एक सालाना रिपोर्ट के मुताबिक रूस के पास करीब 5000 टैंक हैं। ब्रसेल्स स्थित थिंक इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप से जुड़े रूस के विश्लेषक ओलेग इग्नाटोव ने कहा, ‘रूस के पास स्‍टोर में बहुत पुराने टी -72 टैंक हैं, जिन्हें आधुनिकीकरण की जरूरत है। बाद में इन टैंकों को फ्रंट लाइन पर भेजा जा सकता है।’

भारत तीसरा सबसे बड़ा खरीददार
रूस बड़े पैमान पर टी-72 टैंकों का प्रयोग कर रहा है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) के मुताबिक रूस हथियारों का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। भारत इसका सबसे बड़ा ग्राहक है। पिछले एक दशक में रूस की तरफ से भारत को 35 फीसदी हथियार निर्यात किए गए हैं। सिपरी के मुताबिक भारत के बाद चीन और अल्जीरिया ने रूस से सबसे ज्‍यादा हथियार खरीदे। चीन ने 15 फीसदी तो अल्‍जीरिया ने 10 फीसदी रूसी हथियार अपनी सेनाओं के लिए खरीदे।
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मिसाइल के लिए पुर्जे
रूस की एनपीके केबीएम, मशीन-बिल्डिंग डिजाइन ब्यूरो ने भी भारत से कुछ पार्ट्स खरीदे। यह कंपनी मिसाइल के उत्‍पादन से जुड़ी है और भारतीय रक्षा मंत्रालय से 150,000 डॉलर में जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के लिए अगस्‍त और नवंबर 2022 में नाइट-विजनके लिए कुल छह पुर्जें खरीदे। सभी पुर्जे यह सुनिश्चित करते हैं कि मिसाइल रात में और कम रोशनी में भी दुश्‍मन को निशाना बना सके। केबीएम ने फरवरी 2013 में भारत को ये पुर्जे निर्यात किए थे। कहा जा रहा है कि हो सकता है कि रूस ने मरम्मत के लिए पुर्जों का फिर से आयात किया हो। लेकिन इस साल मार्च के अंत तक भारत वापस भेजे जाने वाले सामानों का कोई रिकॉर्ड नहीं था।

क्‍या वाकई मिलेगा सहयोग
न तो केबीएम और न ही भारतीय मंत्रालय की तरफ से इस पर कोई टिप्‍पणी की गई है। पिछले दिनों जापान के हिरोशिमा में आयोजित जी-7 शिखर सम्मेलन में नेताओं ने रूस को मिल रहे सैन्य समर्थन को खत्‍म करने के लिए कहा है। टोक्यो स्थित हितोत्सुबाशी यूनिवर्सिटी में हथियार नियंत्रण पर रिसर्च करने वाले प्रोफेसर नोबुमासा अकियामा ने कहा, ‘लेकिन उन देशों से सहयोग हासिल करना मुश्किल है, जो रूसी निर्मित हथियारों पर भरोसा करते हैं।’



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भारत के इस दोस्त देश को समुद्र में मिला गैस का बड़ा भंडार, इंडिया को भी होगा फायदा!

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भारत के इस दोस्त देश को समुद्र में मिला गैस का बड़ा भंडार, इंडिया को भी होगा फायदा!

Israel News: भारत के दोस्त इजरायल के हाथ ऐसा खजाना लग गया है जिससे उसकी किस्मत बदल सकती है। भारत को भी इसका फायदा मिल सकता है। दरअसल, इजरायल के ऊर्जा और इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर मंत्रालय, ग्रीक-ब्रिटिश हाइड्रोकार्बन एक्‍सप्‍लोरेशन और उत्पादन कंपनी एनर्जियन ने ऐलान किया है कि देश में नेचुरल गैस का बड़ा भंडार मिला है। इस आधिकारिक ऐलान में इजरायल की किस्मत बदलती दिख रही है। जिस क्षेत्र पर प्राकृतिक गैस क्षेत्र की खोज हुई उसे कैटलन नाम दिया गया है, जिसे हिब्रू में ‘ओर्का’ कहा जाता है। ऊर्जा मंत्रालय के मुताबि​क यह साल 2015 के बाद से इजरायल द्वारा मान्यता प्राप्त पहली प्राकृतिक गैस खोज है।

यह खोज क्यों है खास?

देश के ऊर्जा मंत्री इजरायल काट्ज ने प्राकृतिक गैस क्षेत्र की खोज के लिए एक औपचारिक पहचान प्रमाण पत्र एनर्जेन के सीईओ मैथ्यू रिगास को सौंपा है। एक अनुमान के नया क्षेत्र करीब 68 बिलियन क्यूबिक मीटर है और तकनीकी तौर पर इसे मई 2022 में तलाशा गया था। इजरायली तट के अन्य क्षेत्रों की तुलना में कैटलन को छोटा माना जाता है। फिर भी इस खोज को काफी अहम करार दिया जा रहा है। 

लंबे समय से की जा रही थी खोज

समुद्र के अंदर कैटलन गैस फील्ड इजरायल के आर्थिक जल क्षेत्र के तहत आता है। इससे अलग एफ्रोडाइट क्षेत्र ज्यादातर साइप्रस के प्रादेशिक जल में है। एनर्जेन ने साल 2016 में भूमध्य सागर में इजरायल के आर्थिक जल में स्थित कारिश और तानिन प्राकृतिक गैस क्षेत्रों का अधिग्रहण किया था। सरकार ने घरेलू ऊर्जा बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की मांग की थी। करीश क्षेत्र से उत्पादन अक्टूबर 2022 में शुरू हुआ।

2004 में पहली बार मिला था नेचुरल गैस का भंडार

साल 2004 में इजरायल के तट पर पहली बार प्राकृतिक गैस का भंडार मिला था। तब से देश के राजस्व में करीब 20 अरब इजरायली शेकेल यानी 5.35 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है। साल 2022 में, इजरायल को अपने अपतटीय गैस क्षेत्रों का दोहन करने वाली कंपनियों से रॉयल्टी में 1.7 अरब शेकेल यानी 45.5 लाख डॉलर हासिल हुए थे। 

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दक्षिण अफ्रीका में वैज्ञानिकों को मिला सबसे पुराना कब्रिस्‍तान, खुलेंगे इंसानी सभ्‍यता के कई बड़े राज!

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जोहान्सबर्ग: दक्षिण अफ्रीका में जीवाश्म विज्ञानियों को दुनिया के सबसे पुराने कब्रिस्‍तान का पता लगा है। इन वैज्ञानिकों का कहना है कि यह इंसानों को दफन करने की वह सबसे पुरानी ज्ञात जगह है जहां पर ऐसे इंसानों को दफनाया जाता था जिनका दिमाग छोटा होता था। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये ऐसे मनुष्‍य थे जिन्हें पहले जटिल व्यवहार के लिए अक्षम माना जाता था। मशहूर जीवाश्म विज्ञानी ली बर्जर के नेतृत्व में इस खोज को पूरा किया गया है। रिसर्चर्स ने सोमवार को कहा कि उन्हें जोहान्‍सबर्ग में यूनेस्‍को की वर्ल्‍ड हैरिटेज साइट के पास जो कुछ भी मिला है, उसने उन्‍हें हैरान कर दिया है। यह कब्रिस्‍तान होमो नलेदी का है जो एक पेड़ पर चढ़ने वाला और पाषाण युग का मानव था।

100 फीट नीचे दबा कब्रिस्‍तान
कब्रिस्‍तान उस गुफा के अंदर मिला है जहां पर पत्‍थर युग में इंसान रहते थे। यह करीब 30 मीटर या 100 फीट जमीन में दबा हुआ। अभी तक इस रिसर्च को पब्लिश नहीं किया गया है और इसे आने वाले दिनों में ईलाइफ में रिलीज किया जाएगा। वैज्ञानिकों ने लिखा है, ‘ये कब्रिस्‍तान बताने के लिए काफी है कि कम से कम एक लाख साल पहले भी मानवजाति का हस्‍तक्षेप था और रिकॉर्ड में दर्ज किए गए सबसे पुराने सबूत हैं। वैज्ञानिकों ने जो निष्कर्ष निकाला है वह मानव विकास की वर्तमान समझ को चुनौती देता है। आमतौर पर यह माना जाता है कि जटिल गतिविधियों जैसे कि मृतकों को दफनाने के लिए बड़े दिमाग वाले मनुष्‍यों की जरूरत होती थी।
China News: धरती के 10 किमी नीचे कौन सा खजाना ढूंढ रहा चीन, जिनपिंग के आदेश पर शुरू हुई खुदाई
मीडिल ईस्‍ट और अफ्रीका में भी मिला
इससे पहले मीडिल ईस्‍ट और अफ्रीका में मानवजाति का सबसे पुराना कब्रिस्‍तान मिला था और वह भी करीब एक लाख साल पुराना था। हालांकि वैज्ञानिक बर्जर के नेतृत्व वाली टीम की रिसर्च अक्‍सर विवादों में रही है। उन्‍होंने हाल ही में अपनी एक खोज को कम से कम 200,000 ईसा पूर्व का करार दिया था। अमेरिका के रहने वाले बर्जर ने बताया, ‘होमो नलेदी हमें बताता है कि हम उतने खास नहीं हैं।’ होमो नलेदी इंसानी सभ्‍यता का वह रूप था जिसे बंदरों और आधुनिक मानवों के बीच की कड़ी माना जाता है। कहा जाता है कि इनका दिमाग संतरे के आकार जितना ही होता था। इनकी लंबाई भी करीब 1.5 मीटर यानी 5 फीट ही होती थी।

कैसे होते थे होमो नलेदी
हाथ और पैर की मुड़ी हुई उंगलियों के अलावा इनके हाथ उपकरण चलाने में सक्षम थे और ये भी आज के इंसानों की तरह पैरों का प्रयोग चलने के लिए करते थे। साल 2013 में बर्जर ने ही होमो नलेदी की खोज की थी। इस खोज के साथ इस धारणा को खत्म करने में मदद मिली कि इंसानों का विकास एक सीधी रेखा पर हुआ था। प्रजाति का नाम ‘राइजिंग स्टार’ गुफा पर रखा गया है, जहां पहली बार इंसानों की हड्डियां साल 2013 में मिली थीं। स्मिथसोनियन ह्यूमन ओरिजिन्स प्रोग्राम के निदेशक रिक पोट्स ने कहा, ‘अभी भी बहुत कुछ सामने आना बाकी है।’ हालांकि वह इस रिसर्च का हिस्‍सा नहीं थे।



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