इस्लामाबाद : पाकिस्तान के फेडेरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू ने लगभग 300 बिलियन रुपए के नए टैक्स उपायों के प्रस्तावों का मसौदा तैयार किया है। ये उपाय कर कानून संशोधन अध्यादेश 2023 के तहत लागू किए जाएंगे। सूत्रों के हवाले से बिजनस रेकॉर्डर ने बुधवार को बताया कि अध्यादेश अगले 7 से 10 दिनों में पेश किया जाएगा। शुरुआत में राजस्व से होने वाली कमाई 200 अरब रुपए थी जिसे अब बढ़ाकर 300 अरब रुपए कर दिया गया है। शहबाज सरकार जनता पर टैक्स का बोझ ऐसे समय में डाल रही है जब अवाम पहले से आसमान छू रही महंगाई के बोझ तले दबी है। सरकार कई चीजों पर टैक्स बढ़ाने को लेकर विचार कर रही है। आने वाले समय में पाकिस्तान के लोगों को संपत्ति खरीदने-बेचने, निर्यात होने वाले सामान के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल के आयात पर, सिगरेट, कोला पर और बैकिंग लेनदेन पर अतिरिक्त टैक्स देना पड़ सकता है। प्रस्तावों पर एफबीआर और वित्त मंत्रालय के बीच चर्चा चल रही है लेकिन अभी तक इसे अंतिम रूप नहीं दिया गया है।
पाकिस्तान को आर्थिक कंगाली के तूफान से सिर्फ आईएमएफ का लोन ही निकाल सकता है। लेकिन यहां से भी उसके हाथ सिर्फ निराशा लगी है। खबर है कि आईएमएफ ने लोन रिव्यू के लिए अपनी टीम को पाकिस्तान भेजने से इनकार कर दिया है। मौजूदा समय में यह पाकिस्तान के लिए सबसे बुरी खबर है। आईएमएफ ने पाकिस्तानी वित्त मंत्रालय से कहा है कि जब तक उनका देश संस्था की शर्तों को पूरा नहीं करता, रिव्यू टीम नहीं भेजी जाएगी।
‘पाकिस्तान बना बनाना रिपब्लिक’
पाकिस्तान आर्थिक और राजनीतिक संकट एक साथ जूझ रहा है। एक तरफ देश में खाने-पीने की चीजों का अकाल पड़ा हुआ है, लोग आटे-दाल के लिए तरस रहे हैं तो वहीं विपक्ष पर जेल जाने का खतरा मंडरा रहा है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेता फवाद चौधरी की गिरफ्तारी के बाद पूर्व पाक पीएम इमरान खान ने मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) सिकंदर सुल्तान राजा पर तंज कसते हुए कहा कि पाकिस्तान एक बनाना रिपब्लिक बन गया है, जो कानून के शासन से रहित है।
टोरंटो: ऑस्ट्रेलिया के बाद कनाडा में हिंदुओं के गौर शंकर मंदिर में तोड़फोड़ की गई है और भारत विरोधी चित्र बनाए गए हैं। बताया जा रहा है कि कनाडा के ब्राम्पटन प्रांत में यह घटना हुई है। इस घटना से भारतीय समुदाय बहुत आहत है। ऑस्ट्रेलिया में हिंदू मंदिर पर हमले के पीछे खालिस्तान समर्थकों का हाथ माना जाता है। इन खालिस्तानियों ने मेलबर्न में कथित जनमत संग्रह कराया था और इस दौरान भारतीयों की पिटाई कर दी थी। इन खालिस्तानियों ने भारतीय झंडे का अपमान किया था। भारत ने कनाडा में मंदिर में तोड़फोड़ की कड़ी निंदा की है। टोरंटो में भारतीय महावाणिज्य दूतावास ने मंगलवार को एक बयान जारी करके ब्राम्पटन में गौर शंकर मंदिर पर हमले की कड़ी निंदा की। भारत ने एक बयान जारी करके कहा, ‘इस घृणित कृत्य से कनाडा में भारतीय समुदाय की भावनाओं को गहरा ठेस पहुंची है। हमने कनाडा के अधिकारियों के साथ इस मामले पर अपनी चिंताओं को उठाया है।’ फिलहाल मामले की कनाडा के अधिकारियों द्वारा जांच की जा रही है। ब्रैम्पटन के मेयर पैट्रिक ब्राउन ने मंदिर को विकृत करने की निंदा की।
खालिस्तानियों ने हिंदू मंदिरों पर किया हमला
ब्राउन ने ट्वीट किया, ‘बर्बरता के इस घृणित कृत्य का हमारे शहर या देश में कोई स्थान नहीं है।’ उन्होंने कहा कि उन्होंने इस घृणित अपराध पर पील क्षेत्रीय पुलिस प्रमुख निशान दुरैयप्पा के साथ अपनी चिंताओं को उठाया है। ब्राउन ने कहा, ‘हर कोई अपने पूजा स्थल में सुरक्षित महसूस करने का हकदार है।’ यह घटना केवल जनवरी में खालिस्तानी समूहों द्वारा भारत विरोधी भित्तिचित्रों के साथ ऑस्ट्रेलिया में तीन हिंदू मंदिरों को निशाना बनाने के बाद हुई है।
जुलाई 2022 में कनाडा के रिचमंड हिल पड़ोस में एक विष्णु मंदिर में महात्मा गांधी की एक मूर्ति को खंडित कर दिया गया था। सितंबर 2022 में कनाडा के बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर को कथित खालिस्तानी तत्वों ने भारत विरोधी भित्तिचित्रों के साथ विकृत कर दिया था। भारत ने तब कड़े शब्दों में बयान जारी कर कनाडाई अधिकारियों से भारतीयों के खिलाफ घृणा अपराध की बढ़ती घटनाओं की ठीक से जांच करने का आग्रह किया है।
उन्होंने आशंका प्रकट की कि धमाके से पहले बम हमलावर पुलिस लाइंस में रह रहा होगा क्योंकि पुलिस लाइंस के अंदर फैमिली क्वाटर्स भी हैं। पेशावर पुलिस, आतंकवाद निरोधक विभाग, फ्रंटियर रिजर्व पुलिस, इलीट फोर्स एवं संचार विभाग के मुख्यालय भी इसी विस्फोट स्थल के आसपास हैं।
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ब्रिटेन के ग्रामीण क्षेत्रों में बिकने को तैयार खेतनुमा परमाणु बंकर
नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन युद्ध के आरंभ होने के बाद से ही तीसरे विश्वयुद्ध की आशंकाओं ने पूरी दुनिया को घेर रखा है। यूक्रेन पर रूस की ओर से परमाणु हमला किए जाने को लेकर अमेरिका समेत पूरा यूरोप चिंतित है। अब जिस तरह से युद्ध में हारते यूक्रेन को बचाने के लिए अमेरिका और यूरोपीय संघ सामने आया है, उसने तीसरे विश्वयुद्ध के खतरे को और भी बढ़ा दिया है। इस बीच ब्रिटेन से चौंकाने वाली खबर आई है। ब्रिटेन के ग्रामीण इलाकों में खुले आम धरती पर होने वाले महाविनाश से बचाने के लिए “परमाणु बंकर” 70 हजार पाउंड में बेचे जा रहे हैं। ऐसे में क्या माना जाए कि दुनिया में परमाणु युद्ध होने तय हो गया है, जिसके बाद इस तरह खुलेआम ग्रामीण क्षेत्रों में परमाणु बंकर बेचे जा रहे हैं। यह देखने में बिलकुल खेतनुमा हैं।
परमाणु बंकर में क्या है
ब्रिटेन के डर्बीशायर स्थित ग्रामीण इलाकों में 12 फीट गहरा एक भूमिगत परमाणु बंकर 70,000 पाउंड में बेचा जा रहा है, जिसमें दो कमरे हैं। इसे परमाणु हमले का सामना करने के लिए प्रबलित कंक्रीट से बनाया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में इसे भूमिगत रूप से छिपा हुआ यह परमाणु बंकर भूखंड के तौर पर बिक्री को तैयार है। 70 हजार पाउंड देकर इसे आप भी हासिल कर सकते हैं।
ब्रिटेन के ग्रामीण इलाकों में परमाणु कयामत के दिन बंकर के लिए छिपा हुआ भूखंड 70,000 पाउंड में बेचा जा रहा है।
खुली आंखों से देखा जा सकता है परमाणु बंकर
डर्बीशायर के बोल्सोवर में ऑब्जर्वर पोस्ट फील्ड व्हिटवेल स्थित है। खुली आंखों से देखा जा सकने वाला यह परमाणु बंकर भूखंड उसके मौजूदा मालिक द्वारा फसल उगाने के लिए दलदलनुमा क्षेत्र किसान के खेत के तौर पर दिखाई देगा। यह दो अलग-अलग लॉट से बना है। डर्बीशायरलाइव की रिपोर्ट के अनुसार, पहला लगभग 21.55 एकड़ में फैला है। इसमें करीब चार परमाणु बंकर हैं और यह £280,000 मूल्य का है। यहां खेत के मालिक ने हाल के वर्षों में अपनी फसलें भी रखी हैं। वहीं दूसरा भाग 4.61 एकड़ खंड में है, जिसमें शीतयुद्ध का एक आश्रय भी शामिल है। ऐसे में परमाणु बंकर युक्त इस खेत की कुल कीमत 3 लाख 50000 पाउंड हो जाती है। 70 हजार पाउंड देकर इसमें से एक बंकर खरीदा जा सकता है। डर्बीशायर काउंटी काउंसिल ने इसे आश्रय के रूप में पंजीकृत किया है, जिसे स्मारक के तौर पर सील कर दिया गया है।
प्राधिकरण की वेबसाइट ने किया अलग दावा
ब्रिटेन के ग्रामीण इलाकों में खुले आम बिकने को तैयार इन परमाणु बंकरों के बारे में खुलासा होने से दुनिया भर में हलचल पैदा हो गई है। वहीं डर्बीशायर के प्राधिकरण की वेबसाइट कहती है कि “पिछली डेढ़ शताब्दी में इस साइट का उपयोग इसके अच्छे वैंटेज प्वाइंट के लिए किया गया है। व्हिटवेल लोकल हिस्ट्री ग्रुप के अनुसार इसे रॉयल ऑब्जर्वर कॉर्प्स द्वारा 1939 के बाद से एक ऑब्जर्वेशन प्वाइंट के रूप में इस्तेमाल किया गया था और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हर दिन इसका उपयोग इसी उद्देश्य के लिए किया गया था।
परमाणु बंकर के पास बना आश्रय स्थल 1970 के दशक का
प्राधिकरण के अनुसार 1970 के दशक में परमाणु हमले के स्थिति में इसके पास में एक भूमिगत आश्रय स्थल भी बनाया गया था। आश्रय के अंदर दो कमरे हैं। ब्रिटेन के गृहमंत्रालय ने परमाणु हमले के खिलाफ एक कम्युनल एरिया डब्ल्यू/सी (1) के तौर पर पूरे देश में कुल 870 थर्मो-न्यूक्लियर फॉलआउट शेल्टर सामरिक रक्षा के हिस्से के रूप में बनाए गए थे। यह ऑब्जर्वेशन प्वाइंट के तौर पर भी इस्तेमाल होते थे। साइज में 18 फीट x 10 फीट माप वाले इन बंकरों को 12 फीट नीचे भूमिगत बनाया गया था। जो कि प्रबलित कंक्रीट से बने थे और प्रत्येक की लागत £2,000 पाउंड थी। 1992 में आश्रयों का विमोचन किया गया था जब तत्कालीन गृह सचिव ने फैसला किया था कि वे अब आवश्यक नहीं थे।”
अब खेत व घुड़सवारी के रूप में हो सकता है इस्तेमाल
चेस्टरफ़ील्ड में स्थित डब्ल्यूटी पार्कर एस्टेट एजेंटों के एजेंट कहते हैं कि अब इसके आसपास की भूमि “अन्य कृषि / घुड़सवारी प्रकार के उपयोग के लिए इस्तेमाल की जा सकती है, जो नियोजन सहमति प्राप्त करने के अधीन है”। एजेंट कहते हैं कि “अप्रयुक्त बंकर के लिए एक ओवरहेड लाइन है। हालांकि हमें किसी भी मुख्य सेवा से जुड़े होने की जानकारी नहीं है। “प्लान में हरे रंग से दिखाया गया भूमि का एक क्षेत्र अपंजीकृत प्रतीत होता है। यह चारों ओर संभवतः बंकर के हिस्से को घेर रखा है। जो कि विक्रेता के पंजीकृत शीर्षक संख्या DY431357 के तहत आता है। यह कई वर्षों से विक्रेता के स्वामित्व में है। “इस प्रकार, विक्रेता भविष्य में किए गए किसी भी तीसरे पक्ष के स्वामित्व के दावों के खिलाफ खरीदार को क्षतिपूर्ति करेगा। हम हरे रंग की भूमि के स्वामित्व से अवगत नहीं हैं और यह बिक्री में शामिल नहीं है।”