महिला क्रिकेट विश्व कप का रोमांच अपने चरम पर है, लेकिन कुछ टीमों के लिए यह रोमांच शुरुआती झटकों के साथ आया है। टूर्नामेंट की दो मजबूत दावेदार, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका, दोनों ही अपने पहले मुकाबले में लड़खड़ा गईं। अब, इंदौर के होल्कर स्टेडियम में उनका आमना-सामना है, और यह सिर्फ एक मैच नहीं, बल्कि “कमबैक” यानी वापसी का एक अनोखा इम्तिहान है। दोनों टीमें जानती हैं कि यहां से हर कदम महत्वपूर्ण है, और एक और हार उनके विश्व कप अभियान को बहुत मुश्किल बना सकती है।
न्यूजीलैंड की चुनौती: डिवाइन का शतक भी न बचा पाया `व्हाइट फर्न्स` को
न्यूजीलैंड की टीम ने अपने चिर-प्रतिद्वंद्वी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हार का कड़वा स्वाद चखा। 89 रनों की करारी शिकस्त। कप्तान सोफी डिवाइन ने बेशक 112 रनों की शानदार पारी खेली, मानो उन्होंने अपनी टीम की पूरी बल्लेबाजी का बोझ अकेले ही उठाने की कसम खा ली हो। लेकिन क्रिकेट एक टीम गेम है, और उनकी यह शानदार पारी तब फीकी पड़ गई जब टीम की आखिरी पांच विकेट सिर्फ 19 रन पर ढेर हो गईं। ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 326 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया, जिसमें न्यूजीलैंड के गेंदबाजों की ढीली लाइन-लेंथ और अहम मौकों पर विकेट न चटका पाना भी एक बड़ा कारण रहा। 22वें ओवर में 128 रन पर 5 विकेट गंवा चुकी ऑस्ट्रेलियाई टीम को 300 के पार जाने देना वाकई चिंता का विषय है। अब सवाल यह है कि क्या कप्तान डिवाइन को बाकी टीम का साथ मिलेगा, या फिर उन्हें यह जंग अकेले ही लड़नी होगी?
दक्षिण अफ्रीका का संकट: 69 रन पर ऑल आउट, क्या यह मज़ाक है?
अगर न्यूजीलैंड की हार निराशाजनक थी, तो दक्षिण अफ्रीका की हार ने तो क्रिकेट पंडितों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया। इंग्लैंड के खिलाफ सिर्फ 69 रनों पर ऑल आउट होना और 10 विकेट से मैच गंवाना, यह सिर्फ हार नहीं, बल्कि आत्मसम्मान पर चोट है। जिस टीम में लाउरा वॉल्वार्ड्ट, ताज़मिन ब्रिट्स, सुने लूस और मारिजाने कैप जैसे अनुभवी बल्लेबाज हों, उसका इस तरह से बिखर जाना समझ से परे है। आंकड़ों पर गौर करें तो विश्व कप से पहले पाकिस्तान के खिलाफ भी टीम 115 रन ही बना पाई थी, जो उनकी बल्लेबाजी में लगातार आ रही गिरावट की ओर इशारा करता है। यह ऐसा प्रदर्शन है जिसके बाद अक्सर ड्रेसिंग रूम में “क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है, लेकिन इतना भी नहीं!” जैसी बातें सुनने को मिलती हैं। दक्षिण अफ्रीका को अगर प्रतियोगिता में बने रहना है, तो उनके प्रमुख बल्लेबाजों को न सिर्फ रन बनाने होंगे, बल्कि विकेट पर टिकने की कला भी दिखानी होगी।
इंदौर की पिच और रणनीतिक फायदे
मैच इंदौर में खेला जाएगा, जहां न्यूजीलैंड अपना लगातार दूसरा मैच खेल रही है। यह उन्हें पिच की प्रकृति और परिस्थितियों को बेहतर ढंग से समझने का एक छोटा सा फायदा दे सकता है। गुवाहाटी से आ रही दक्षिण अफ्रीकी टीम को यहां की परिस्थितियों से तालमेल बिठाने में थोड़ा समय लग सकता है। इंदौर की पिच आमतौर पर बल्लेबाजों के लिए मददगार मानी जाती है, जहां गेंद बल्ले पर आसानी से आती है। ऐसे में दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज शायद इस पिच पर खुलकर खेलना चाहेंगे, बशर्ते वे शुरुआती झटकों से बच सकें। न्यूजीलैंड के लिए एमेलिया केर की लेग-स्पिन गेंदबाजी निर्णायक साबित हो सकती है, जो 10 ओवरों में अपनी जादूगरी दिखा सकती हैं।
वापसी की उम्मीद: कौन पड़ेगा किस पर भारी?
कागजों पर न्यूजीलैंड को थोड़ा मजबूत माना जा सकता है, खासकर उनकी गेंदबाजी में गहराई और घरेलू परिस्थितियों की समझ के कारण। लेकिन क्रिकेट का खेल कभी भी कागजी आंकड़ों पर नहीं चलता। दक्षिण अफ्रीका के पास भी मैच का रुख पलटने वाले खिलाड़ी हैं, बस उन्हें अपने आत्मविश्वास को वापस लाना होगा। यह मैच सिर्फ दो टीमों के बीच की टक्कर नहीं है, बल्कि हार के दबाव से उबरने और विश्व कप में अपनी जगह बनाने की जिद का मुकाबला है।
दोनों टीमों के लिए यह मैच `करो या मरो` से कम नहीं है। एक जीत जहां खोए हुए आत्मविश्वास को वापस लाएगी और टूर्नामेंट में आगे बढ़ने की राह आसान करेगी, वहीं एक और हार उनके अभियान पर लगभग विराम लगा सकती है। इंदौर में होने वाला यह मुकाबला महिला क्रिकेट विश्व कप के सबसे दिलचस्प मुकाबलों में से एक बनने की पूरी क्षमता रखता है, जहां दर्शक दो टीमों को हार का गम भुलाकर जीत के लिए बेताब देखेंगे। कौन दिखाएगा वह जज्बा, कौन बनेगा `कमबैक किंग` – इसका फैसला जल्द ही होगा।