क्रिकेट विश्व कप के एक बेहद रोमांचक मुकाबले में, जहां रनों की बारिश हुई और दर्शकों की सांसें थम गईं, ऑस्ट्रेलिया की महिला क्रिकेट टीम ने एक बार फिर अपनी अजेय गाथा को आगे बढ़ाया। भारत द्वारा दिए गए 331 रनों के विशाल लक्ष्य का पीछा करते हुए, ऑस्ट्रेलियाई टीम ने तीन विकेट और एक ओवर शेष रहते हुए शानदार जीत दर्ज की। यह मैच महिला क्रिकेट के बदलते परिदृश्य और उसकी बढ़ती प्रतिस्पर्धा का एक आदर्श उदाहरण था।
भारत की बल्लेबाजी: रिकॉर्ड और उम्मीदों का संगम
टॉस हारकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम ने एक मजबूत शुरुआत की। स्मृति मंधाना और प्रतिका रावल ने मिलकर टीम को एक ठोस मंच प्रदान किया। मंधाना, अपनी क्लासिकल बल्लेबाजी के लिए जानी जाती हैं, उन्होंने 80 रनों की शानदार पारी खेली। इस पारी के दौरान उन्होंने महिला वनडे क्रिकेट में 5000 रन पूरे करने वाली सबसे युवा और सबसे तेज खिलाड़ी बनने का गौरव हासिल किया। यह उपलब्धि भारत की पारी का एक मुख्य आकर्षण थी, जिसने न केवल व्यक्तिगत कौशल को दर्शाया बल्कि भारतीय क्रिकेट के लिए एक नया मील का पत्थर भी स्थापित किया।
प्रतिका रावल ने भी 72 रनों का महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिससे स्कोरबोर्ड तेजी से आगे बढ़ा। मध्यक्रम में हरमनप्रीत कौर, जेमिमा रोड्रिग्स और ऋचा घोष ने भी उपयोगी योगदान दिए, जिससे भारतीय टीम 330 रनों के प्रभावशाली स्कोर तक पहुंचने में सफल रही। हालांकि, पारी के अंत में विकेटों के लगातार गिरने से भारत को उस निर्णायक गति को बनाए रखने में विफल रही, जिससे शायद 350+ का स्कोर भी संभव हो सकता था। ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज अनबेल सदरलैंड ने बेहतरीन गेंदबाजी करते हुए 40 रन देकर 5 विकेट झटके, जो भारत की पारी को धीमा करने में अहम साबित हुए।
ऑस्ट्रेलिया का पीछा: दृढ़ संकल्प और एलिस हिली का जादू
331 रनों का लक्ष्य किसी भी टीम के लिए पहाड़ जैसा होता है, खासकर विश्व कप जैसे बड़े मंच पर। लेकिन ऑस्ट्रेलियाई टीम ने इसे चुनौती के रूप में स्वीकार किया। उनकी शुरुआत धीमी रही, पहले चार ओवरों में मात्र 16 रन बने, लेकिन इसके बाद एलिस हिली ने गियर बदले। अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी से उन्होंने भारतीय गेंदबाजों को कोई मौका नहीं दिया और देखते ही देखते अपना शतक पूरा कर लिया। हिली ने 142 रनों की अविश्वसनीय पारी खेली, जो इस बड़े चेज़ की नींव बनी।
भारतीय स्पिनरों, खासकर श्री चारानी (3 विकेट) और दीप्ति शर्मा (2 विकेट) ने कुछ विकेट निकालकर ऑस्ट्रेलिया पर दबाव बनाने की कोशिश की। एलिस पेरी को चोट के कारण मैदान से बाहर भी जाना पड़ा, जिससे ऑस्ट्रेलिया को एक बड़ा झटका लगा। लेकिन, क्रिकेट में `कंगारू` टीम को शायद ही कभी हार मानते देखा जाता है। चोट से उबरकर एलिस पेरी ने 45वें ओवर में वापसी की और अंत तक डटी रहीं। जब ऑस्ट्रेलिया को अंतिम सात गेंदों पर 6 रनों की आवश्यकता थी, पेरी ने शानदार छक्का जड़कर अपनी टीम को जीत दिलाई। यह पीछा सिर्फ बड़े शॉट्स का खेल नहीं था, बल्कि समझदारी भरी बल्लेबाजी, साझेदारी बनाने और दबाव में शांत रहने का भी प्रदर्शन था।
मैच का सबक: रणनीति और परिपक्वता
यह मुकाबला महिला क्रिकेट के बदलते स्वरूप का प्रमाण है। अब बड़े स्कोर बन रहे हैं और उनका पीछा भी कुशलता से किया जा रहा है। भारत ने एक मजबूत बल्लेबाजी प्रदर्शन किया, लेकिन उनकी गेंदबाजी और अंतिम ओवरों में विकेटों को बचाए रखने में विफलता महंगी साबित हुई। कभी-कभी, क्रिकेट में, एक विशाल स्कोर भी जीत की गारंटी नहीं होता। यह एक ऐसा सबक है जो भारतीय टीम ने शायद इस मैच से सीखा होगा, खासकर जब ऑस्ट्रेलियाई टीम ने न सिर्फ लक्ष्य का पीछा किया बल्कि एक ओवर शेष रहते हुए जीत दर्ज की।
ऑस्ट्रेलियाई टीम ने एक बार फिर दिखाया कि क्यों वे विश्व क्रिकेट में एक पावरहाउस मानी जाती हैं। उनकी गहराई, अनुभव और दबाव में शांत रहने की क्षमता अद्वितीय है। एलिस हिली की पारी और एलिस पेरी की वापसी ने एक कहानी बुनी जो क्रिकेट प्रेमियों के जेहन में लंबे समय तक रहेगी।
यह मुकाबला क्रिकेट प्रेमियों के लिए एक यादगार अनुभव रहा, जिसने महिला क्रिकेट की बढ़ती लोकप्रियता और प्रतिस्पर्धा को उजागर किया। भारतीय टीम को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने और ऑस्ट्रेलियाई टीम को अपनी अजेय बढ़त जारी रखने के लिए बधाई। अगले मुकाबले और भी रोमांचक होने की उम्मीद है।