महिला विश्व कप: भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच महासंग्राम – एक अनकही कहानी

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महिला क्रिकेट विश्व कप: भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका – `अजेय` भारत की अग्निपरीक्षा या प्रोटियाज का वापसी का बिगुल?

महिला क्रिकेट विश्व कप का रोमांच अपने चरम पर है, और विशाखापत्तनम का डॉ. वाई.एस. राजशेखर रेड्डी एसीए-वीडीसीए क्रिकेट स्टेडियम एक और महामुकाबले का गवाह बनने के लिए तैयार है। यह मुकाबला भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच है, जो टूर्नामेंट की दो ऐसी टीमें हैं जिनकी यात्राएं जितनी अलग हैं, उतनी ही दिलचस्प भी। एक तरफ `अजेय` भारतीय टीम है, तो दूसरी ओर `अप्रत्याशित` और संघर्षरत दक्षिण अफ्रीकी खेमा।

भारतीय टीम: जीत के पर्दे के पीछे की कहानी

भारतीय महिला टीम ने टूर्नामेंट में अब तक अपनी जीत की लय बरकरार रखी है। स्कोरकार्ड शायद यह दर्शाते हैं कि उन्होंने सहज जीतें हासिल की हैं, लेकिन मैदान पर कहानी कुछ और ही बयां करती है। श्रीलंका और पाकिस्तान जैसी अपेक्षाकृत कमजोर मानी जाने वाली टीमों ने भी भारतीय बल्लेबाजों और गेंदबाजों को कड़ी चुनौती दी। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि भारतीय टीम को इन `आसान` जीतों के लिए भी पसीना बहाना पड़ा है।

कमजोरियां जो दिखने लगी हैं:

  • शीर्ष क्रम की चुनौतियां: भारतीय टीम का तथाकथित `स्थिर` शीर्ष क्रम कुछ मौकों पर लड़खड़ाया है, जिससे कम रैंकिंग वाली टीमों के खिलाफ भी दबाव में आया।
  • बल्लेबाजी की गहराई की परीक्षा: दबाव की स्थितियों में बल्लेबाजी की गहराई की कमी महसूस की गई है।
  • निराशाजनक फील्डिंग: कई कैच छूटे और मिसफील्डिंग ने टीम की चिंताएं बढ़ाई हैं।
  • डॉट बॉल का बोलबाला: बीच के ओवरों में बहुत अधिक डॉट बॉल खेलने से रन गति धीमी पड़ती है, जो बड़े मैचों में भारी पड़ सकती है।
  • बाएं हाथ की स्पिन के खिलाफ संघर्ष: मध्य क्रम की बल्लेबाज बाएं हाथ की स्पिन गेंदबाजों के सामने सहज नहीं दिखी हैं।
  • छठे गेंदबाजी विकल्प की कमी: टीम में एक विश्वसनीय छठे गेंदबाजी विकल्प का अभाव भी चिंता का विषय है।

हालांकि, जेमिमा रोड्रिग्स जैसे खिलाड़ियों का आत्मविश्वास शानदार है। उन्होंने हाल ही में कहा था, “प्रतिद्वंद्वियों के लिए यह जानना डरावना है कि हमने अभी तक अपना `परफेक्ट मैच` नहीं खेला है, लेकिन फिर भी हम जीत की राह पर हैं।” यह कथन एक ओर जहां टीम के जीतने वाले जज्बे को दिखाता है, वहीं यह भी स्वीकार करता है कि सुधार की गुंजाइश है। अब जबकि वे 2022 विश्व कप में उन्हें हराने वाली टीमों के खिलाफ उतरने जा रहे हैं, भारतीय टीम को अपनी इन दरारों को जल्द से जल्द भरना होगा। एक भी चूक उनकी विश्व कप यात्रा को पटरी से उतार सकती है, यह उन्हें अनुभव से पता है।

दक्षिण अफ्रीका: अप्रत्याशितता और वापसी का संकल्प

इसके विपरीत, दक्षिण अफ्रीकी टीम की यात्रा अब तक काफी चुनौतीपूर्ण रही है। एक सप्ताह के भीतर तीन मैच, सभी उच्च रैंकिंग वाली टीमों के खिलाफ, और सभी अलग-अलग शहरों में – यह शेड्यूल किसी भी टीम के लिए थका देने वाला हो सकता है। विजाग में अपने एकमात्र अभ्यास सत्र में भी उनके सितारे नदारद दिखे, और हल्की बूंदाबांदी ने मुश्किलों को और बढ़ाया।

टूर्नामेंट के अपने शुरुआती मैच में मात्र 69 रन पर ऑल आउट होने की भयावहता को भी प्रोटियाज टीम ने झेला है। हालांकि, टीम के सदस्य इसे एक `बुरा दिन` मानकर आगे बढ़ गए हैं। नडीन डी क्लर्क के अनुसार, “कभी-कभी इसे स्वीकार करना वाकई मुश्किल होता है, खासकर आपका पहला मैच। इस विश्व कप को लेकर बहुत प्रचार हुआ था और आप उतरते हैं और 70 पर आउट हो जाते हैं, जो कभी अच्छा नहीं लगता। हम इससे काफी बेहतर हैं।” यह कथन उनकी वापसी की दृढ़ता को दर्शाता है। दक्षिण अफ्रीकी टीम अपने अप्रत्याशित स्वभाव के लिए जानी जाती है, और वे किसी भी दिन किसी भी टीम को चौंकाने की क्षमता रखती हैं, भले ही रिकॉर्ड उनके पक्ष में न हों।

विशाखापत्तनम का रणक्षेत्र और मौसम का मिजाज

विशाखापत्तनम में होने वाला यह मुकाबला दोनों टीमों के लिए `सही ताल` खोजने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। हालांकि, मैच के दिन, खासकर शुरुआत में बारिश की संभावना है, जो खेल में देरी कर सकती है। Colombo की तरह, अगर बारिश के देवता शांत रहते हैं, तो दर्शकों को एक रोमांचक मुकाबला देखने को मिल सकता है।

रिकॉर्ड्स और प्रतिद्वंद्विता: अतीत का साया

वनडे में भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच 33 मैचों में भारत 20-12 से आगे है (एक मैच का कोई परिणाम नहीं)। विश्व कप में भी भारत 3-2 से बढ़त बनाए हुए है। हाल के दिनों में भारत ने अपने प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ पांच मैचों की लगातार जीत दर्ज की है। लेकिन, पिछले दो विश्व कप में लीग मैचों में दक्षिण अफ्रीका के हाथों मिली अप्रत्याशित हार को देखते हुए, भारतीय टीम अपनी हालिया प्रभुत्व को हल्के में लेने की गलती नहीं करेगी।

भारतीय टीम की कुछ खिलाड़ी महत्वपूर्ण मील के पत्थर के करीब हैं:

  • स्मृति मंधाना: महिला वनडे में 5000 रन पूरे करने से 81 रन दूर हैं (दूसरी भारतीय)।
  • हरलीन देओल: 1000 वनडे रन पूरे करने से 25 रन दूर हैं।
  • ऋचा घोष: 1000 वनडे रन पूरे करने से 53 रन दूर हैं।
  • दीप्ति शर्मा: 150 वनडे विकेट पूरे करने से 4 विकेट दूर हैं।

यह मैच सिर्फ जीत-हार से कहीं बढ़कर है। यह भारतीय टीम के लिए अपनी कमजोरियों को पहचान कर उन्हें दूर करने और आत्मविश्वास को बढ़ाने का मौका है। वहीं, दक्षिण अफ्रीका के लिए यह वापसी करने, अपनी क्षमता साबित करने और विश्व कप में अपनी छाप छोड़ने का एक सुनहरा अवसर है। इस महामुकाबले में कौन सी टीम अपनी लय खोज पाएगी, यह देखना दिलचस्प होगा!