क्रिकेट का मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स के मैदान पर जारी टेस्ट मैच का चौथा दिन किसी थ्रिलर फिल्म के क्लाइमेक्स से कम नहीं था। जहां खेल के पहले हिस्से में भारतीय गेंदबाजों ने इंग्लिश बल्लेबाजों को घुटनों पर ला दिया, वहीं दूसरे हिस्से में इंग्लैंड के तेज गेंदबाजों ने भारतीय बल्लेबाजी क्रम में भूचाल ला दिया। यह दिन पल-पल बदलते समीकरणों और अप्रत्याशित मोड़ों से भरा रहा, जिसने क्रिकेट प्रेमियों को दांतों तले उंगलियां दबाने पर मजबूर कर दिया।
भारत की गेंदबाजी का जादू: सुंदर की सुनहरी चाल
चौथे दिन की शुरुआत से ही भारतीय गेंदबाजों का इरादा स्पष्ट था – इंग्लैंड को जल्द से जल्द समेटना। और उन्होंने इसमें कोई कसर नहीं छोड़ी। दिन के हीरो बनकर उभरे ऑलराउंडर वॉशिंगटन सुंदर, जिन्होंने अपनी ऑफ-स्पिन से इंग्लैंड के मध्य क्रम को ध्वस्त कर दिया। सुंदर ने अपनी फिरकी का ऐसा जाल बुना कि इंग्लिश बल्लेबाज उसमें फंसते चले गए, और उन्होंने अपने विदेशी करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए मात्र 22 रन देकर 4 महत्वपूर्ण विकेट चटकाए। उनके इस लाजवाब प्रदर्शन को तेज गेंदबाजों मोहम्मद सिराज और जसप्रीत बुमराह का बखूबी साथ मिला, जिन्होंने लगातार दबाव बनाए रखा और सही समय पर विकेट निकाले।
ऐसा लग रहा था मानों सुंदर ने लॉर्ड्स की पिच पर कोई गुप्त मंत्र फूंक दिया हो, क्योंकि उनके सामने बड़े-बड़े बल्लेबाज भी बेबस नजर आ रहे थे। इंग्लैंड की पूरी टीम 192 रनों पर ढेर हो गई, जिससे भारत को जीत के लिए 193 रनों का लक्ष्य मिला – एक ऐसा लक्ष्य जो देखने में तो आसान लग रहा था, पर लॉर्ड्स की अप्रत्याशित पिच पर चुनौती भरा था।
लक्ष्य का पीछा: भारतीय बल्लेबाजी का लड़खड़ाना
जहां भारतीय खेमा इंग्लैंड को कम स्कोर पर समेटने से आत्मविश्वास से भरा हुआ था, वहीं पारी की शुरुआत होते ही यह आत्मविश्वास बिखरने लगा। इंग्लैंड के युवा तेज गेंदबाज ब्रायडन कार्स ने अपनी धारदार और उछाल भरी गेंदों से भारतीय बल्लेबाजों को परेशान करना शुरू कर दिया। उनके साथ क्रिस वोक्स और जोफ्रा आर्चर ने भी सटीक गेंदबाजी करते हुए भारतीय सलामी बल्लेबाजों को टिकने नहीं दिया। यशश्वी जायसवाल और करुण नायर जल्दी पवेलियन लौट गए, और कुछ ही देर में शुभमन गिल भी कार्स का शिकार बन गए। मानो एक खुशी का पल अगले ही पल चिंता में बदल गया हो, क्योंकि भारतीय टीम ने 58 रनों पर ही अपने 4 महत्वपूर्ण विकेट गंवा दिए।
केएल राहुल: उम्मीद की किरण
एक तरफ जहां विकेटों का पतझड़ जारी था, वहीं दूसरी तरफ केएल राहुल धैर्य और दृढ़ता के साथ क्रीज पर डटे रहे। उन्होंने इंग्लैंड के तेज गेंदबाजों के सामने अपनी तकनीक का बेहतरीन प्रदर्शन किया और समझदारी भरी बल्लेबाजी करते हुए 33 रन बनाकर नाबाद लौटे। राहुल की यह पारी भारतीय टीम के लिए उम्मीद की एक पतली सी किरण थी, क्योंकि वह जानते थे कि अगर पांचवें दिन कोई बल्लेबाज टिक सकता है, तो वह शायद यही बल्लेबाज है। दिन का खेल खत्म होते-होते इंग्लैंड ने अपनी स्थिति काफी मजबूत कर ली थी, और उन्होंने भारतीय खेमे पर मनोवैज्ञानिक दबाव बना दिया था।
पांचवें दिन का महासंग्राम: क्या बदलेगा इतिहास?
चौथे दिन के अंत में मैच एक ऐसी स्थिति में आ खड़ा हुआ है, जहां दोनों टीमों के पास जीत का समान मौका है। भारत को जीत के लिए अभी भी 135 रनों की जरूरत है, जबकि इंग्लैंड को 6 विकेट चाहिए। लॉर्ड्स का मैदान एक बार फिर इतिहास रचने के लिए तैयार है। क्या केएल राहुल अपने बचे हुए बल्लेबाजों के साथ मिलकर भारत को इस मुश्किल लक्ष्य तक पहुंचा पाएंगे? या इंग्लैंड के गेंदबाज बाकी बचे विकेट लेकर मैच को अपने नाम करेंगे?
यह क्रिकेट की अनिश्चितता ही है, जो इसे इतना दिलचस्प बनाती है। एक पल में मैच आपकी मुट्ठी में लगता है, और अगले ही पल वह आपसे कोसों दूर चला जाता है। पांचवां दिन सिर्फ एक क्रिकेट मैच का नहीं, बल्कि दृढ़ता, रणनीति और धैर्य का महासंग्राम होगा। सभी की निगाहें अब लॉर्ड्स पर टिकी हैं, यह देखने के लिए कि इस रोमांचक कहानी का अंतिम अध्याय कौन लिखेगा।