पुणे में FIDE महिला ग्रैंड प्रिक्स में संयुक्त विजेता बनकर कोनेरू हम्पी ने न केवल अपनी श्रेष्ठता साबित की है, बल्कि कैंडिडेट्स टूर्नामेंट 2026 में अपनी जगह बनाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम उठाया है। भारतीय शतरंज की यह महारानी अब विश्व चैंपियन के ताज के करीब पहुंचने के बेहद नज़दीक खड़ी हैं, और उनकी यात्रा भारतीय शतरंज के लिए एक उज्ज्वल भविष्य का संकेत है।
एक महत्वपूर्ण जीत और कैंडिडेट्स की राह
हाल ही में संपन्न हुए FIDE महिला ग्रैंड प्रिक्स पुणे इवेंट में, भारत की शीर्ष महिला शतरंज खिलाड़ी कोनेरू हम्पी ने चीन की झू जिनर (Zhu Jiner) के साथ संयुक्त रूप से पहला स्थान हासिल किया। यह परिणाम उनके लिए बेहद महत्वपूर्ण रहा, क्योंकि इससे वह समग्र ग्रैंड प्रिक्स श्रृंखला में दूसरे स्थान पर पहुंच गईं। यह स्थिति उन्हें 2026 FIDE महिला कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए एक मजबूत दावेदार बनाती है, जो अंततः 2027 में मौजूदा विश्व चैंपियन जू वेंजुन (Ju Wenjun) को चुनौती देने वाली खिलाड़ी का निर्धारण करेगा।
ग्रैंड प्रिक्स श्रृंखला छह आयोजनों से बनी है, जहाँ प्रत्येक 20 खिलाड़ियों को इनमें से तीन में भाग लेने की अनुमति है। प्रत्येक ग्रैंड प्रिक्स इवेंट में अधिकतम 10 खिलाड़ी होते हैं। उन्हें दसवें से पहले स्थान के बीच समाप्त करने के आधार पर 10 से 130 तक अंक दिए जाते हैं। यह प्रणाली खिलाड़ियों को निरंतर उच्च-स्तरीय प्रदर्शन के लिए प्रेरित करती है।
अब तक छह में से पांच ग्रैंड प्रिक्स श्रृंखला कार्यक्रम पूरे हो चुके हैं, जिसमें हम्पी और जिनर की पुणे में संयुक्त जीत भी शामिल है। अगले महीने ऑस्ट्रिया में अंतिम इवेंट होना बाकी है। हम्पी ने अपने तीन इवेंट्स का कोटा पहले ही पूरा कर लिया है: कज़ाकिस्तान में संयुक्त-पांचवें स्थान पर, मोनाको में शीर्ष स्थान के लिए तीन-तरफा टाई, और अब पुणे में शीर्ष स्थान के लिए दो-तरफा टाई। उनकी निरंतरता और दबाव में शांत प्रदर्शन करने की क्षमता वास्तव में प्रशंसनीय है।
वर्तमान स्थिति और `ऑस्ट्रियाई ड्रामा`: एक तकनीकी पहेली
वर्तमान में, एलेक्जेंड्रा गोर्याचकिना (Aleksandra Goryachkina) अपने आवंटित तीन इवेंट्स पूरे करने के बाद 308.34 अंकों के साथ शीर्ष पर हैं। हम्पी अपने तीन इवेंट्स के बाद 279.17 अंकों के साथ दूसरे स्थान पर हैं। अब केवल तीन अन्य खिलाड़ी ही हम्पी को समग्र ग्रैंड प्रिक्स श्रृंखला में पीछे छोड़ सकती हैं — अन्ना मुजीचुक (Anna Muzychuk), झू जिनर (Zhu Jiner) और टैन झोंगयी (Tan Zhongyi)। ये तीनों ही अगले महीने ऑस्ट्रिया में अंतिम और निर्णायक इवेंट में एक्शन में होंगी।
शतरंज के बिसात पर यह अंतिम चाल की तरह है, जहाँ हर खिलाड़ी को अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए सटीक दांव लगाने होंगे। ऑस्ट्रिया का इवेंट एक जटिल तकनीकी पहेली से कम नहीं होगा, खासकर हम्पी के प्रशंसकों के लिए, जिन्हें दूसरों के प्रदर्शन पर पैनी नज़र रखनी होगी:
- झू जिनर (Jiner): वर्तमान में हम्पी से 44.17 अंक पीछे हैं। हम्पी से आगे निकलने के लिए उन्हें ऑस्ट्रिया में छठे या उससे बेहतर स्थान पर रहना होगा। उनके लिए यह सबसे सीधा रास्ता है, मानो जीत की राह बस कुछ कदम दूर हो।
- अन्ना मुजीचुक (Muzychuk): यदि जिनर सातवें या उससे नीचे समाप्त करती हैं, तो मुजीचुक को हम्पी से आगे निकलने के लिए शीर्ष दो में जगह बनानी होगी। यदि वह तीसरे स्थान पर आती हैं, तो वह 279.17 अंकों के साथ हम्पी के बराबर आ जाएंगी। इस स्थिति में, उन्हें हम्पी से आगे निकलने के लिए तीसरे स्थान पर रहते हुए 9 में से 6.5 या उससे अधिक अंक हासिल करने होंगे। यह वाकई एक जटिल गणना है, जो किसी उच्च-स्तरीय गणितीय समस्या से कम नहीं!
- टैन झोंगयी (Zhongyi): उनके लिए कार्य सबसे कठिन है। उन्हें ऑस्ट्रिया में स्पष्ट जीत हासिल करनी होगी, और साथ ही उपरोक्त स्थितियां भी बनी रहनी चाहिए। संयुक्त पहला स्थान भी उन्हें हम्पी से आगे नहीं ले जा पाएगा। उनके लिए यह `करो या मरो` की स्थिति है।
तो, हम्पी की किस्मत काफी हद तक ऑस्ट्रिया में इन तीन खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर निर्भर करेगी। शतरंज केवल आपकी चालों का खेल नहीं, बल्कि दूसरों की चालों और संभावित परिणामों के अनुमान का भी खेल है। यह अनिश्चितता ही इस खेल को और रोमांचक बनाती है।
कैंडिडेट्स के लिए अन्य मार्ग: एक सुरक्षा कवच
अगर ग्रैंड प्रिक्स श्रृंखला से सीधा क्वालीफिकेशन नहीं भी मिलता है, तो भी कोनेरू हम्पी और अन्य भारतीय खिलाड़ियों के लिए कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में पहुंचने के कई अन्य अवसर हैं। ग्रैंड प्रिक्स श्रृंखला 2024-25, कैंडिडेट्स के चार मार्गों में से एक है। यह कई तरह से एक सुरक्षा कवच प्रदान करता है।
1. FIDE महिला विश्व कप (जुलाई, जॉर्जिया)
यह जॉर्जिया के बटुमी में आयोजित होने वाला एक नॉकआउट टूर्नामेंट होगा जिसमें 128 खिलाड़ियों का मजबूत क्षेत्र होगा। विश्व कप से शीर्ष तीन खिलाड़ी कैंडिडेट्स के लिए क्वालीफाई करेंगे। यह एक जबरदस्त चुनौती होगी, लेकिन हम्पी जैसे अनुभवी और उच्च दबाव में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी के लिए यह एक और सुनहरा अवसर है। नॉकआउट प्रारूप में अप्रत्याशित परिणाम भी आ सकते हैं, जो इसे और भी रोमांचक बनाता है।
2. FIDE महिला ग्रैंड स्विस टूर्नामेंट (सितंबर, उज़्बेकिस्तान)
यह उज़्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित किया जाएगा। इस इवेंट में शीर्ष दो खिलाड़ी कैंडिडेट्स के लिए क्वालीफाई करेंगे। पिछले विश्व चैंपियनशिप साइकिल में, महिला वर्ग में आर वैशाली (R Vaishali) और ओपन वर्ग में विदित गुजराती (Vidit Gujrathi) ने ग्रैंड स्विस मार्ग से कैंडिडेट्स के लिए क्वालीफाई किया था। यह दर्शाता है कि यह मार्ग कितना प्रभावी हो सकता है और भारतीय खिलाड़ियों के लिए कितना अनुकूल साबित हुआ है।
3. FIDE महिला इवेंट्स 2025-26 श्रृंखला में सर्वोच्च स्थान
एक स्थान FIDE महिला इवेंट्स 2025-26 श्रृंखला में सर्वोच्च स्थान पाने वाली खिलाड़ी के लिए आरक्षित है। ओपन वर्ग के विपरीत, जहाँ बड़ी संख्या में विभिन्न आयोजनों पर विचार किया जाता है, FIDE महिला इवेंट्स 2025-26 केवल कुछ प्रमुख आयोजनों पर ध्यान केंद्रित करेगा। इनमें विश्व रैपिड और ब्लिट्ज़ चैंपियनशिप 2024 और 2025 (दोनों रैपिड और ब्लिट्ज़ प्रारूप), महिला ग्रैंड प्रिक्स श्रृंखला 2024-25, महिला विश्व कप और महिला ग्रैंड स्विस शामिल हैं।
विशेष रूप से, कोनेरू हम्पी ने 2024 में विश्व रैपिड चैंपियनशिप जीती थी, और मौजूदा स्थिति में वह विश्व चैंपियन जू वेंजुन के पीछे FIDE महिला इवेंट्स 2025-26 श्रृंखला में दूसरे स्थान पर हैं। यदि वह इस स्थान को बनाए रख पाती हैं, तो वह इस मार्ग से भी कैंडिडेट्स के लिए आसानी से क्वालीफाई कर सकती हैं। यह एक `सेफ्टी नेट` जैसा है, जो उनकी मजबूत और बहुआयामी स्थिति को दर्शाता है। यह दिखाता है कि एक खिलाड़ी की उत्कृष्टता उसे कई मार्गों से सफलता दिला सकती है।
भारतीय शतरंज के लिए एक उज्ज्वल भविष्य
कोनेरू हम्पी की यह यात्रा न केवल उनके व्यक्तिगत करियर के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भारतीय महिला शतरंज के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है। उनकी निरंतर उच्च-स्तरीय प्रदर्शन की क्षमता और विभिन्न क्वालीफिकेशन मार्गों पर उनकी मजबूत दावेदारी यह सुनिश्चित करती है कि भारत की नज़रें कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में एक बार फिर अपनी महिला खिलाड़ी को खेलते देखने पर टिकी हैं। आर वैशाली, डी हरिका (D Harika) और दिव्या देशमुख (Divya Deshmukh) जैसी अन्य भारतीय प्रतिभाओं के लिए भी भविष्य में ऐसे अवसर पैदा होंगे, लेकिन अभी सारी निगाहें कोनेरू हम्पी पर हैं, जो `चेक-मेट` की बजाय `क्वालीफाई-मेट` की तलाश में हैं! भारतीय शतरंज के प्रशंसक बेसब्री से उनके अगले कदम का इंतजार कर रहे हैं, उम्मीद है कि वह जल्द ही शीर्ष पर अपना स्थान सुरक्षित कर लेंगी।