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King Charles III News: महारानी एलिजाबेथ के जिंदा रहते ही राजा बनने का अभ्यास कर रहे थे चार्ल्स… डेविड कैमरन का खुलासा

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लंदन: ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने रविवार को खुलासा किया कि महाराज चार्ल्स तृतीय ने महाराज और राष्ट्र प्रमुख बनने का अभ्यास किया था। कैमरन 2010 और 2016 के बीच ब्रिटेन के प्रधानमंत्री थे। उन्होंने खुलासा किया कि 10 डाउनिंग स्ट्रीट में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने तत्कालीन प्रिंस ऑफ वेल्स (चार्ल्स) के साथ बैठक की थी, ताकि वह अपनी पदोन्नति की तैयारी कर सकें। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद नए संप्रभु के रूप में 73 वर्षीय महाराज चार्ल्स तृतीय अपने नियमित कार्यक्रमों के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में प्रधानमंत्री के साथ साप्ताहिक बैठकें करेंगे। कैमरन ने बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “जब महारानी एलिजाबेथ द्वितीय सिंहासन पर काबिज थीं, तब प्रिंस चार्ल्स के साथ मैंने बैठकें कीं, क्योंकि वह इस बारे में सोचना शुरू करना चाहते थे कि उन बैठकों को कैसे संचालित किया जाए।”

डेविड कैमरन ने महारानी की जमकर की तारीफ
कंजर्वेटिव पार्टी के पूर्व नेता ने नए महाराज को दिवंगत महारानी की तरह एक ‘शानदार राजनयिक’ के रूप में वर्णित किया। उन्होंने कहा कि वह नए राष्ट्र प्रमुख के रूप में ब्रिटिश सरकार को समर्थन देने के मामले में ‘अत्यंत योग्य उत्तराधिकारी’ साबित होंगे। कैमरन ने कहा, “मैंने उन्हें राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठकों में कार्रवाई करते हुए देखा है। वह सभी को व्यक्तिगत रूप से जानते हैं। वह उनके साथ शानदार ढंग से बातचीत करते हैं।”

दिवंगत महारानी का ताबूत होलीरूडहाउस पैलेस के लिए रवाना
दिवंगत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के ताबूत को रविवार को एबर्डीनशायर के बाल्मोरल कैसल से दिवंगत महारानी के स्कॉटलैंड स्थित आधिकारिक आवास होलीरूडहाउस पैलेस ले जाने के लिए यात्रा शुरू हो गई और इस दौरान हजारों लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए रास्ते में इंतजार कर रहे हैं। लगभग छह घंटे की यात्रा के बाद महारानी के ताबूत को सोमवार दोपहर तक होलीरूडहाउस के थ्रॉन रूम में रखा जाएगा, जहां शाही परिवार के सदस्य उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।



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आटा खत्‍म, अब ईरान से खाने की तस्‍करी कर रहे पाकिस्‍तानी, रमजान में चोरी को मजबूर जिन्‍ना का देश

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इस्‍लामाबाद: पाकिस्‍तान में कंगाली और रेकॉर्ड तोड़ महंगाई से बुरा हाल है और देश की जनता अब खाने की तस्‍करी करने को मजबूर हो गई है। रमजान के महीने में पाकिस्‍तानी जनता को ईरान से सस्‍ते खाने की तस्‍करी करने को मजबूर होना पड़ा है। पाकिस्‍तान में शहरी इलाकों में वार्षिक खाद्यान महंगाई 41.9 प्रतिशत और ग्रामीण इलाकों में 47 प्रतिशत पहुंच गई है। यह पिछले साल से क्रमश: 14.3 और 14.6 प्रतिशत अधिक है। आलम यह है कि सभी सब्जियों के दाम तीन अंक में पहुंच गए हैं। डॉलर के लिए तरस रहे पाकिस्‍तान के लोग अब ‘बढ़‍िया खाना’ ईरान से तस्‍करी कर रहे हैं। यह खाना अब रावलपिंडी और इस्‍लामाबाद जैसे शहरों में थोड़ा कम दाम में उपल‍ब्‍ध है। रावलपिंडी और इस्‍लामाबाद में कई वेंडरों ने इन ईरानी खानों के लिए एक खास स्‍थान तैयार कर दिया है। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक इनमें तेल और चीज भी शामिल हैं। इस ईरानी खाने के लिए अगर कोई मोलभाव करना चाहता है तो उसके लिए पेशावर का साप्‍ताहिक बाजार शानदार जगह है।

पाकिस्‍तान में खाने का दाम आसमान छू रहा

डॉन ने बताया कि ग्रामीण पाकिस्‍तान में एक परिवार को इस साल फरवरी में जिस खाने के लिए 14700 पाकिस्‍तानी रुपया खर्च करना पड़ रहा था, उसके लिए उन्‍हें पिछले साल मात्र 10 हजार रुपये देने पड़ रहे थे। यही नहीं शहरी इलाके में इसी खाने को अब 14,190 रुपये में खरीदना पड़ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्‍तान में यह हालात अभी लंबे समय तक चल सकते हैं क्‍योंकि पिछले साल देश को भयानक बाढ़ से जूझना पड़ा था और इसमें काफी फसलें तबाह हो गई थीं।

इसके अलावा कमजोर होता पाकिस्‍तानी रुपया और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनिया में जरूरी सामानों की कीमतें बहुत बढ़ गई हैं। यही नहीं पाकिस्‍तान में राजनीतिक हालात बहुत खराब हैं जिससे आईएमएफ समेत दुनिया के अन्‍य देश कर्ज देने से कतरा रहे हैं। इसके अलावा कई जमाखोर भी संकट में सक्रिय हो गए हैं और वे खाद्यान को जमा कर रहे हैं। साथ इन खाद्यान की पड़ोसी अफगानिस्‍तान में तस्‍करी भी पाकिस्‍तान के लिए चिंता का सबब बन गई है। देश में खाने की बढ़ती कीमतों को देखते हुए अब पाकिस्‍तानी ईरान से तस्‍करी करने को मजबूर हो गए हैं।

डिफॉल्‍ट होने की कगार पर पाकिस्‍तान

तस्‍करी करके लाए गए इस ईरानी खाने के प्रति पाकिस्‍तानी लोग अच्‍छी रुचि दिखा रहे हैं। यह खाना कई बार तो पाकिस्‍तान में उपलब्‍ध उसी फूड आइटम से 50 फीसदी सस्‍ता है। डॉन ने बताया कि इस खाने को ईरान से आधिकारिक रूप से नहीं मंगाया जा रहा है, बल्कि बलूचिस्‍तान बॉर्डर और अफगानिस्‍तान के रास्‍ते तस्‍करी करके लाया जा रहा है। पाकिस्‍तान इस समय गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है और देश के डिफॉल्‍ट होने का खतरा है।



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डोकलाम को सुलझाने में चीन की भी समान भूमिका, ड्रैगन के सुर में सुर मिला रहे भूटानी PM

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थिंपू : भूटान के प्रधानमंत्री इन दिनों चीन के सुर में सुर मिला रहे हैं। एक इंटरव्यू में भूटानी पीएम लोटे शेरिंग ने कहा कि डोकलाम विवाद को हल करने में चीन की भी समान भूमिका है। उनके हालिया बयान इस विवादित और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र पर भूटान के बदलते पक्ष को दिखाते हैं। इससे पहले भूटान ने दावा किया था कि चीन ने उसकी सीमा में कोई गांव नहीं बसाया है। डोकलाम भारत, चीन और भूटान तीनों देशों को जोड़ने वाला केंद्र बिंदु है। साल 2017 के डोकलाम गतिरोध के बाद से यह तीनों देशों के बीच तनाव का प्रमुख कारण रहा है।

बेल्जियन अखबार La Libre को दिए एक हालिया इंटरव्यू में शेरिंग ने कहा, ‘समस्या को हल करना अकेले भूटान के हाथ में नहीं है। हम तीन देश हैं। कोई मुल्क बड़ा या छोटा नहीं है, तीनों समान हैं, प्रत्येक की गिनती एक तिहाई के रूप में होती है।’ चीन ने डोकलाम के पास भूटान के क्षेत्र में गांवों और सड़कों का निर्माण किया है जो क्षेत्र में भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं। भारत डोकलाम में चीन के विस्तार का विरोध करता है और अपने रणनीतिक सिलीगुड़ी कॉरिडोर के लिए इसे सबसे बड़ा खतरा मानता है।

Bhutan PM on China: डोकलाम पर भूटान के पीएम का बयान भारत के लिए चिंता की बात क्यों? समझें इसके रणनीतिक मायने

ट्राई-जंक्शन को शिफ्ट करना चाहता है चीन

शेरिंग का बयान दिखाता है कि भूटान भारत और चीन के साथ डोकलाम की स्थिति पर बातचीत करने और विवाद को हल करने में इच्छुक है। चीन का लक्ष्य ट्राई-जंक्शन को दक्षिण की ओर शिफ्ट करना है जिससे पूरा डोकलाम कानूनी रूप से चीन का हिस्सा बन जाएगा। भारत इस कदम का विरोध करता है। एक तरफ भूटानी पीएम दावा कर रहे हैं कि चीन उनकी सीमा में नहीं घुसा है तो वहीं सैटेलाइट तस्वीरें बताती हैं कि चीन ने भूटान के क्षेत्र में 10 गांव बसा लिए हैं।

Indian Army News: जानिए कौन हैं कर्नल गीता राणा? जो चीन सीमा के पास तैनात होने वाली पहली महिला अर्मी अफसर बनीं

‘सिलीगुड़ी कॉरिडोर’ तक पहुंचना चाहता है चीन

साल 2017 में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच दो महीने से अधिक समय तक तनावपूर्ण गतिरोध चला था। भारतीय सैनिकों ने डोकलाम पठार में प्रवेश किया था ताकि चीन को माउंट जिपमोची और आसपास के झम्फेरी रिज की ओर अवैध रूप से निर्मित सड़क का विस्तार करने से रोका जा सके। भारतीय सेना का दावा है कि चीनी सेना को झम्फेरी तक पहुंचने दिया गया तो उन्हें सिलीगुड़ी कॉरिडोर के लिए एक ‘साफ रास्ता’ मिल जाएगा।



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रूस ने दुनिया को दिखा रहा महाविनाशक यार्स परमाणु मिसाइल, अमेरिका तक मचा सकती तबाही

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मास्‍को: यूक्रेन में चल भीषण युद्ध के बीच रूस की सेना ने अपनी महाविनाशक यार्स अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल के साथ अभ्‍यास शुरू किया है। इस मिसाइल की रेंज 12 हजार किमी है और यह अमेरिका तक तबाही मचा सकती है। यह रूसी यार्स इतना खतरनाक है कि केवल एक मिसाइल अपने साथ कई परमाणु बम ले जा सकती है। इस अभ्‍यास में रूस के हजारों की तादाद में सैनिक भी हिस्‍सा ले रहे हैं। माना जा रहा है कि इस अभ्‍यास के जरिए रूस अपनी परमाणु ताकत का प्रदर्शन कर रहा है। रूस के रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को कहा, ‘कुल 3000 सैनिक और 300 हथियार इस अभ्‍यास में हिस्‍सा ले रहे हैं।’ रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन का इरादा है कि यार्स मिसाइल सिस्‍टम को रूस के ‘अपराजेय हथियारों’ में शामिल किया जाए। यह यार्स मिसाइल टोपोल सिस्‍टम की जगह लेगी और जमीनी रास्‍ते से परमाणु हमला करने का मुख्‍य हथियार बनाने का इरादा है। इसके दौरान यार्स मोबाइल सिस्‍टम के साथ रूस के तीन इलाकों में अभ्‍यास किया जाएगा। रूस ने यह नहीं बताया कि किस इलाके में यह अभ्‍यास किया जाएगा।

रूसी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि रणनीतिक मिसाइल को संभालने वाले सैनिक इसे छिपाकर करेंगे और इस बात के प्रत्‍येक कदम उठाए जाएंगे जिससे उसकी अंतरिक्ष से निगरानी नहीं की जा सके। इसमें एयरोस्‍पेस फोर्स का भी इस्‍तेमाल किया जाएगा। यह मिसाइल 12000 किमी तक कई परमाणु बमों के साथ हमला कर सकती है जिससे रूसी परमाणु प्रतिरोधक क्षमता काफी बढ़ गई है। इसे ट्रक पर लेकर कहीं भी ले जाया जा सकता है या फिर उसे मिसाइल साइलो में रखा जा सकता है।

यूक्रेन पर पिछले साल हमला करने के बाद रूस ने या तो खुद से या फिर चीन तथा दक्षिण अफ्रीका के साथ कई सैन्‍य अभ्‍यास किया है। यही नहीं रूस ने अपने करीबी बेलारूस के साथ भी कई जोरदार युद्धाभ्‍यास किए हैं। ये अभ्‍यास यूक्रेन की सीमा पर आयोजित किए गए हैं। रूस ने पिछले दिनों ऐलान किया है कि वह बेलारूस में परमाणु हथियार तैनात करने जा रहा है। इन हथियारों की तैनाती से नाटो देशों के साथ रूस और बेलारूस की टेंशन बढ़ गई है। बेलारूस लगातार यूक्रेन को चेतावनी दे रहा है।



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