King Charles III Coronation ब्रिटेन के लिए शनिवार का दिन बेहद खास रहा. बड़े भव्य आयोजन के साथ किंग चार्ल्स III का ब्रिटेन के महाराजा के रूप में राज्याभिषेक किया गया.महाराजा चार्ल्स तृतीय और उनकी पत्नी कैमिला शनिवार को लगभग एक हजार साल पुराने धार्मिक समारोह में होने वाले ऐतिहासिक राज्याभिषेक के लिए वेस्टमिंस्टर एबे पहुंचे.
वेस्टमिंस्टर एबे 1066 में विलियम द कॉन्करर के बाद से हर ब्रिटिश राज्याभिषेक का स्थान रहा है महाराज चार्ल्स तृतीय और उनकी पत्नी महारानी कैमिला ने भी इस भव्य परंपरा का पालन किया.
शाही जोड़े ने बकिंघम पैलेस से वेस्टमिंस्टर एबे तक की यात्रा की. वे बग्घी में सवार होकर राज्याभिषेक स्थल तक पहुंचे. राज्याभिषेक के बाद चार्ल्स और कैमिला गोल्ड स्टेट कोच में बैठकर राजमहल वापस आये.कैंटरबरी के आर्चबिशप जस्टिन वेल्बी ने उन्हें राजमुकुट पहनाया. यह मुकुट इंग्लैंड के महाराज की शक्ति का प्रतीक है.
इस दौरान हिंदू, सिख, मुस्लिम, बौद्ध और यहूदी समुदायों के धार्मिक नेता एवं प्रतिनिधि भी मौजूद रहे.देश के पहले हिंदू प्रधानमंत्री ऋषि सुनक इस दौरान कुलस्सियों की बाइबिल पुस्तक से संदेश पढ़े. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और उनकी पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ इस ऐतिहासिक अवसर पर भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
कोसोवो: यूक्रेन युद्ध के बीच यूरोप में एक और विवाद तेज होता जा रहा है। कोसोवो में सर्बिया के प्रदर्शनकारियों के हमले में नाटो के 30 शांतिरक्षक सैनिक घायल हो गए हैं। अब नाटो ने फैसला किया है कि वह 700 अतिरिक्त सैनिकों को भेजने जा रहा है। अभी नाटो के 3800 शांतिरक्षक सैनिक कोसोवा में तैनात हैं। नाटो के महासचिव जेंस स्टोल्टेनबर्ग ने कहा कि हमने पश्चिमी बाल्कन के लिए 700 और सैनिक तैनात करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो अतिरिक्त रिजर्व बटालियन को हाई अलर्ट पर रखेंगे ताकि उन्हें तत्काल तैनात किया जा सके। इस बीच सर्बिया ने अपनी सेना को सर्वोच्च अलर्ट पर कर दिया है।एक बटालियन में आमतौर पर 300 से लेकर 1000 सैनिक होते हैं। नाटो के कमांडर एडमिरल स्टुअर्ट मुन्स्च ने कहा कि अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती एक सही फैसला है ताकि सुरक्षा को मजबूत किया जा सके। नाटो ने कहा है कि हंगरी और इटली के 30 शांतिरक्षक सैनिक घायल हो गए हैं। इन सैनिकों को फैक्चर हुआ है और आगजनी की वजह से वे बुरी तरह से घायल गए हैं। कोसोवो में साल 1998 से ही विवाद चल रहा है जब जातीय अल्बानी विद्रोहियों ने सर्बिया के शासन के खिलाफ विद्रोह कर दिया था।
सर्बिया ने अपनी सेना को सर्वोच्च अलर्ट पर किया
इस विद्रोह के खिलाफ सर्बिया ने बहुत क्रूर अभियान चलाया। इस हिंसा में 13 हजार लोग मारे गए जिसमें ज्यादातर लोग अल्बानिया के थे। इसके बाद नाटो की सेना ने साल 1999 में हस्तक्षेप किया और सर्बिया को कोसोवो के इलाके से पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया। इसके बाद वहां पर शांतिरक्षक सैनिकों की तैनाती की गई। सर्बिया ने कोसोवो को देश बनाए जाने को मान्यता देने से इंकार कर दिया है। कोसोवो में अल्बानिया के लोगों की बहुलता है लेकिन देश के उत्तरी इलाके में सर्बिया की सीमा के पास बड़ी तादाद में सर्बिया के मूल के लोग भी रहते हैं।
ताजा विवाद उस समय शुरू हुआ जब अल्बानिया मूल के अधिकारी चुनाव में चुने गए जिसका सर्बिया के लोगों ने पूरी तरह से बायकॉट किया था। ये अधिकारी जब म्यूनिंशिपल बिल्डिंग में घुसे तब सर्बिया के लोगों ने उसका विरोध किया। इसके बाद कोसोवो की पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे ताकि भीड़ को तितर बितर किया जा सके। इसके जवाब में अब सर्बिया ने अपनी सेना को सर्वोच्च अलर्ट पर कर दिया है। यही नहीं सर्बिया ने भारी तादाद में नए सैनिकों को कोसोवो की सीमा पर भेजा है। सर्बिया को चीन और रूस का साथ मिल रहा है। चीन ने कई घातक हथियार सर्बिया को दिए हैं। यूक्रेन युद्ध में भी सर्बिया रूस के साथ खड़ा दिख रहा है।
सैन्य जासूसी उपग्रह प्रक्षेपित कर अपने पड़ोसी दक्षिण कोरिया और जापान में को तनाव में झोंकने की उत्तर कोरिया की कोशिश फिलहाल नाकाम हो गई है। उत्तर कोरिया ने स्वयं इस बात की पुष्टि की है कि उनका जासूसी उपग्रह प्रक्षेपित करने का पहला प्रयास विफल रहा है। देश की सरकारी मीडिया ने एक बयान में कहा कि उत्तर कोरिया के जासूसी उपग्रह ले जा रहे रॉकेट की गति पहले और दूसरे चरण के अलग होने के बाद कमजोर पड़ गई और यह कोरियाई प्रायद्वीप के पश्चिमी तट के समुद्री क्षेत्र में गिर गया। इससे राष्ट्र अध्यक्ष किम जोंग उन भी हैरान है। उत्तर कोरिया अब यह जानने का प्रयास कर रहा है कि उसके जासूसी उपग्रह को किसी दुश्मन ने मार गिराया है या फिर वह किसी तकनीकी खामी के चलते विफल हो गया।
वैज्ञानिक उत्तर कोरिया के इस अभियान के विफल होने के कारणों का पता लगा रहे हैं। इससे पहले दक्षिण कोरिया की सेना ने कहा था कि उत्तर कोरियाई रॉकेट ने ‘‘असामान्य तरीके से उड़ान’’ भरी और इसके बाद यह समुद्र में गिर गया। ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ ने एक बयान में कहा कि रॉकेट को उत्तर कोरिया के उत्तर-पश्चिमी टोंगचांग-री क्षेत्र से सुबह करीब साढ़े छह बजे प्रक्षेपित किया गया। यहीं देश का मुख्य अंतरिक्ष प्रक्षेपण केंद्र स्थित है। इससे पहले जापान के तटरक्षक बल ने सोमवार को कहा था कि उत्तर कोरिया के जलमार्ग अधिकारियों से मिले नोटिस के अनुसार प्रक्षेपण 31 मई से 11 जून के बीच किया जा सकता है।
जापान ने अपने रक्षा क्षेत्र में प्रवेश करते ही दिया था उपग्रह को मार गिराने का आदेश
जापान के रक्षा मंत्री ने अपनी सेना को आदेश दिया था कि यदि कोई उपग्रह जापानी क्षेत्र में प्रवेश करता है तो उसे मार गिराया जाए। जापान का तटरक्षक बल पूर्वी एशिया में समुद्री सुरक्षा सूचना का समन्वय करता है और उसे आगे भेजता है, इसी कारण उत्तर कोरिया ने यह नोटिस उसे भेजा है। उपग्रह को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने के लिए उत्तर कोरिया का लंबी दूरी की मिसाइल प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करना संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों द्वारा लगाए प्रतिबंधों का उल्लंघन है। उत्तर कोरिया को आशंका है कि कहीं दक्षिण कोरिया या जापान ने उसके जासूसी उपग्रह को मार तो नहीं गिराया या फिर कहीं अमेरिका ने इसे विफल करने की कोई गुप्त साजिश तो नहीं की।
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व्लादिमिर पुतिन, रूस के राष्ट्रपति
एक महीने में दो बार रूस के राष्ट्रपति पुतिन को टारगेट बनाकर किए गए ड्रोन हमले से दुनिया भर में सनसनी फैल गई है। मंगलवार को सुबह मास्को पर फिर जोरदार तरीके से ड्रोन हमला किया गया। रूस ने इसके लिए यूक्रेन को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि यूक्रेन ने अभी तक हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। यह हमला पुतिन के घर के पास ही हुआ बताया जा रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि एक महीने में क्या दो बार यूक्रेन पुतिन की हत्या का ट्रायल कर चुका है, क्या वाकई यूक्रेन पुतिन की जान लेना चाहता है, क्या जेलेंस्की अब पुतिन पर आखिरी वार करने वाले हैं?…यह सवाल इसलिए हैं कि यूक्रेन ने पुतिन के घर को लक्ष्य में रखकर मई के पहले हफ्ते में और अब आखिरी हफ्ते में दो बार ड्रोन हमला किया है।
रूस के अनुसार मंगलवार को यूक्रेन के ड्रोन हमले में मास्को में कई इमारतों को नुकसान पहुंचा है और कई लोग घायल भी हुए हैं। हालांकि रूस ने यूक्रेन के 5 ड्रोन को मार गिराने का दावा किया है। जबकि उसके 3 ड्रोन तकनीकी वजहों से लक्ष्य से भटक गए और वह जहां गिरे, वहां नुकसान कर गए। रूस ने आरोप लगाया है कि यूक्रेन का यह मानव रहित आतंकी हमला है, जिसे पुतिन को टारगेट करके किया गया है। रूसी रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि उसने यूक्रेन के 5 ड्रोन को पैंटिर-एस एयर डिफेंस सिस्टम के जरिये मार गिराया।
मास्को में खलबली
मास्को में यूक्रेन के ड्रोन हमले से खलबली मच गई है। एक माह में दूसरी बार तथाकथित रूप से यूक्रेन ने मास्को और पुतिन को टारगेट बनाकर ड्रोन हमला किया है। इस बार हमले की सबसे पहली सूचना मास्को शहर के मेयर सर्गेई सोबयानिन ने दी। उन्होंने मंगलवार को सुरक्षा एजेंसियों को बताया कि ड्रोन हमले से राजधानी मास्को में कई इमारतों को क्षति पहुंची है। हालांकि यह मामूली रूप से है। कुछ लोगों को अस्थाई रूप से सुरक्षित ठिकानों की ओर भेज दिया गया है। दो लोगों के घायल होने की सूचना है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार पुतिन द्वारा कीव पर दोबारा हमला शुरू करवाए जाने के बाद मंगलवार सुबह मास्को पर संदिग्ध कामीकेज ड्रोन से हमला किया गया।
पुतिन के आधिकारिक आवास को बनाया निशाना
यह हमला कीव का मास्को पर रिएक्शन हो सकता है। इस हमले में राजधानी के दक्षिण-पश्चिम स्थित रूबलोवका के कुलीन जिले समेत मास्को के कई समृद्ध उपनगरों में इमारतों को नुकसान पहुंचा है। हमला पुतिन के गांव उसोवो के पास किया गया। यह राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास नोवो-ओगारियोवो के नजदीक है। इससे माना जा रहा है कि राष्ट्रपति पुतिन और उनके आवास को लक्षित करके यह हमला किया गया है। ड्रोन ने मध्य मास्को से छह मील दूर लेनिस्की प्रास्पेक्ट और प्रोसोयुन्जया स्ट्रीट के फ्लैटों को भी निशाना बनाया। इसमें कई लोग घायल हुए और इमारतों को नुकसान पहुंचा।