कहा जाता है कि क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है, और कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम में खेले गए तीसरे अनऑफिशियल वनडे मुकाबले ने इस कहावत को एक बार फिर सच साबित कर दिया। भारत ए और ऑस्ट्रेलिया ए के बीच यह मैच सिर्फ एक मुकाबला नहीं था, बल्कि सीरीज का निर्णायक युद्ध था, जहां जीत-हार सिर्फ अंकों का खेल नहीं, बल्कि युवा प्रतिभाओं के धैर्य और कौशल की अग्निपरीक्षा थी। इस अग्निपरीक्षा में भारत ए ने शानदार प्रदर्शन करते हुए ऑस्ट्रेलिया ए को 2 विकेट से धूल चटा दी और 2-1 से सीरीज अपने नाम कर ली। इस जीत के शिल्पकार रहे तूफानी सलामी बल्लेबाज प्रभसिमरन सिंह, जिन्होंने अपने बल्ले से 102 रनों की आतिशी पारी खेलकर ऑस्ट्रेलिया के मंसूबों पर पानी फेर दिया।
ऑस्ट्रेलिया ए की पारी: शुरुआती लड़खड़ाहट से विशाल स्कोर तक
टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी ऑस्ट्रेलिया ए की शुरुआत किसी बुरे सपने से कम नहीं थी। अर्शदीप सिंह और हर्षित राणा की घातक गेंदबाजी के सामने मेहमान टीम के टॉप ऑर्डर ने घुटने टेक दिए। छठे ओवर तक 26 रन पर 3 विकेट गंवाकर ऑस्ट्रेलिया ए गहरे संकट में थी। ऐसा लग रहा था कि भारतीय गेंदबाज उन्हें सस्ते में समेट देंगे। लेकिन, क्रिकेट में वापसी की कहानियां भी कम नहीं होतीं। कूपर कॉनोली ने 49 गेंदों में 64 रनों की तेजतर्रार पारी खेलकर पारी को संभाला। उनकी यह पारी एक डूबते जहाज को किनारे लाने जैसी थी। हालांकि, भारत ने फिर से वापसी करते हुए कॉनोली सहित दो सेट बल्लेबाजों को पवेलियन भेज दिया, जिससे स्कोर 135 पर 6 विकेट हो गया।
लेकिन कहानी अभी खत्म नहीं हुई थी। लियाम स्कॉट और जैक एडवर्ड्स ने मिलकर ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी की बागडोर संभाली। दोनों ने न सिर्फ तेजी से रन बनाए बल्कि 152 रनों की शानदार साझेदारी करके अपनी टीम को 300 रनों के पार पहुंचा दिया। जैक एडवर्ड्स ने 89 और लियाम स्कॉट ने 73 रनों का योगदान दिया। 50 ओवर में 317 रन का स्कोर खड़ा करके ऑस्ट्रेलिया ए ने भारत ए के सामने एक चुनौती भरा लक्ष्य रख दिया था। भारतीय गेंदबाजों में अर्शदीप सिंह और हर्षित राणा ने 3-3 विकेट लेकर बेहतरीन प्रदर्शन किया। ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने सोचा होगा कि 300 का स्कोर भारत ए के लिए पहाड़ जैसा होगा, लेकिन उन्हें शायद `प्रभसिमरन` नाम के तूफान का अंदाजा नहीं था।
भारत ए की धमाकेदार चेज: प्रभसिमरन का तूफान और सामूहिक प्रयास
318 रनों का लक्ष्य, वनडे क्रिकेट में हमेशा ही मुश्किल माना जाता है, खासकर सीरीज के निर्णायक मुकाबले में। लेकिन भारतीय टीम ने शायद कुछ और ही सोच रखा था। प्रभसिमरन सिंह ने शुरुआत से ही ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों पर कहर बरपाना शुरू कर दिया। उनके बल्ले से निकले हर शॉट में आत्मविश्वास और जीत की भूख साफ झलक रही थी। उन्होंने सिर्फ 68 गेंदों में 102 रनों की विस्फोटक पारी खेलकर टीम को ऐसी शुरुआत दी, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। उनके तूफान के आगे ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज बेबस नजर आए।
प्रभसिमरन और अभिषेक शर्मा ने पहले विकेट के लिए ताबड़तोड़ 83 रन जोड़े। हालांकि, अभिषेक और तिलक वर्मा जल्दी आउट हो गए, लेकिन प्रभसिमरन ने एक छोर संभाले रखा। उनके आउट होने के बाद, श्रेयस अय्यर और रियान पराग ने जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली। दोनों ने शानदार अर्धशतकीय पारियां खेलीं (प्रत्येक ने 62 रन बनाए) और यह सुनिश्चित किया कि भारत ए रन रेट को बनाए रखे और दबाव में न आए। अय्यर और पराग की साझेदारी ने मैच को भारत की ओर झुका दिया था।
अंतिम ओवरों का रोमांच और विपराज निगम का फिनिशिंग टच
मैच में एक और मोड़ तब आया जब ऑस्ट्रेलिया ए के गेंदबाजों, खासकर तनवीर सांघा और टॉड मर्फी ने कुछ अहम विकेट झटककर भारतीय खेमे में थोड़ी चिंता पैदा कर दी। सेट बल्लेबाज आउट हुए और अचानक से जीत की राह थोड़ी मुश्किल लगने लगी। सांघा ने 4 और मर्फी ने भी 4 विकेट लिए, जिससे भारत ए के कुछ विकेट जल्दी गिर गए। लगा कि मैच अब ऑस्ट्रेलिया की पकड़ में आ रहा है।
लेकिन विपराज निगम ने धैर्य और समझदारी का परिचय दिया। उन्होंने नाबाद 24 रन बनाकर टीम को जीत की दहलीज तक पहुंचाया। अंतिम पलों में दबाव को झेलते हुए, निगम ने सुनिश्चित किया कि भारत ए 4 ओवर शेष रहते 2 विकेट से यह रोमांचक मुकाबला जीत जाए। यह जीत सिर्फ प्रभसिमरन के शतक की बदौलत नहीं थी, बल्कि श्रेयस अय्यर और रियान पराग के संयमित अर्धशतकों और विपराज निगम के शांत फिनिशिंग टच का भी परिणाम थी।
यह सीरीज जीत भारत की युवा प्रतिभाओं के लिए एक बड़ा आत्मविश्वास बूस्टर है। उन्होंने दिखाया कि वे दबाव में भी अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं और बड़े लक्ष्य का पीछा करने की क्षमता रखते हैं। कानपुर का यह मुकाबला लंबे समय तक याद रखा जाएगा, जहां एक युवा बल्लेबाज के तूफान और टीम के सामूहिक प्रयास ने एक शानदार जीत की कहानी लिखी।