फुटबॉल की दुनिया अजीबोगरीब कहानियों से भरी है। कुछ कहानियां मैदान पर शानदार गोलों और ट्रॉफियों की होती हैं, जबकि कुछ मन के भीतर लड़ी गई लड़ाइयों की दास्तां होती हैं। जोसिप इलिचिच की कहानी इन दोनों का एक अनूठा संगम है – एक ऐसा खिलाड़ी जिसने अपनी प्रतिभा से यूरोप को मंत्रमुग्ध किया, लेकिन साथ ही डिप्रेशन और कोविड महामारी के व्यक्तिगत तूफानों का सामना भी किया। यह केवल फुटबॉल की नहीं, बल्कि अदम्य मानवीय भावना की कहानी है।
एक रहस्यमयी प्रतिभा का उदय: बचपन और शुरुआती संघर्ष
जोसिप इलिचिच का जन्म बोस्निया में हुआ था, लेकिन उन्हें अपने पिता की याद नहीं। डेढ़ साल की उम्र में उन्हें खोने के बाद, उनकी माँ और भाई ने उन्हें पाला। उनकी माँ ने उन्हें सिखाया कि जीवन में हर बाधा से कैसे लड़ना है, और सड़कों पर खेले गए फुटबॉल ने उनके बाएं पैर को वो जादू दिया जिसके लिए वह जाने जाएंगे। उनकी प्रतिभा को सबसे पहले स्लोवेनिया के मारिबोर में पहचान मिली, लेकिन असली मोड़ इटली में आया।
पालेर्मो और फियोरेंटीना: गलत समझा गया कलाकार
पालेर्मो में, इलिचिच को वो संरक्षण मिला जिसकी उन्हें ज़रूरत थी। तत्कालीन अध्यक्ष ज़म्पारिनी उनके खेल के कायल थे। इलिचिच बताते हैं, “वह मेरे फुटबॉल से प्यार करते थे, जैसे पास्टोरे या मिकोली के खेल से। उन्होंने हमेशा मुझे बचाया।” वह एक ऐसा खिलाड़ी थे जिसे बाहर से “आलसी” या “उदास” समझा जाता था, लेकिन मैदान पर उनकी इच्छाशक्ति अटूट थी।
इसके बाद फियोरेंटीना का समय आया, जो उनके लिए थोड़ा कड़वा अनुभव रहा। उन्होंने चार साल में दो बार टीम के शीर्ष स्कोरर और सर्वश्रेष्ठ असिस्ट-मैन होने के बावजूद आलोचना का सामना किया। “क्या मैं वास्तव में खराब था?” वह पूछते हैं। “हम चौथे स्थान पर आए, यूरोप लीग के सेमीफाइनल में पहुंचे, लेकिन वह भी काफी नहीं था।” यह एक ऐसी विडंबना थी कि उनकी प्रतिभा को कुछ हद तक गलत समझा गया, या शायद उसे पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया गया।
अटलांटा का स्वर्णिम युग और गैस्पेरिनी का जादू
2017 में अटलांटा में उनका आगमन एक नए अध्याय की शुरुआत थी। कोच जियान पिएरो गैस्पेरिनी ने इलिचिच में एक ऐसा स्पार्क देखा जो शायद कोई और नहीं देख पाया था। गैस्पेरिनी के तहत, अटलांटा केवल एक फुटबॉल टीम नहीं, बल्कि एक <स्ट्रॉन्ग>घटनास्ट्रॉन्ग> बन गई। उनकी तैयारी इतनी कठोर थी कि इलिचिच कहते हैं, “एक ट्रेनिंग के बाद मैं उल्टी कर देता था।” लेकिन इसी कठोरता ने उन्हें और टीम को अजेय बना दिया।
वह दौर अटलांटा के लिए जादुई था। उन्होंने बड़े-बड़े क्लबों को ध्वस्त किया, जैसे लिवरपूल को एनफील्ड में दो गोल मारे, एसी मिलान को पांच, और पर्मा को भी पांच। इलिचिच, पाप्यू गोमेज़, मूरियल और पासालिच की चौकड़ी ऐसी थी कि वे आँखें बंद करके भी गोल कर सकते थे। “हमने वो किया जो किसी ने नहीं किया,” इलिचिच गर्व से कहते हैं। “हम मजबूत, जादुई थे।” उन्हें 2019 में कोप्पा इटालिया फाइनल न जीतने का अफसोस हमेशा रहेगा, जिसे वह “कभी न खेला गया” फाइनल मानते हैं।
“कोच ने मुझे हर सीमा से आगे धकेला, ट्रेनिंग के बाद मैं उल्टी करता था।” – जोसिप इलिचिच
वैलेन्सिया की रात और अंधेरे की आहट
10 मार्च 2020 को, वैलेन्सिया के खिलाफ चैंपियंस लीग के एक मैच में, इलिचिच ने चार शानदार गोल करके इतिहास रच दिया। वह अपने करियर के चरम पर थे, शायद बैलन डी`ओर के हकदार। “मैं ऐसे फॉर्म में था जो मैंने पहले कभी नहीं देखा था,” वह याद करते हैं। टीम को विश्वास था कि वे चैंपियंस लीग फाइनल में पहुँच सकते हैं। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। उसी रात, दुनिया धीमी पड़ने लगी, कोविड-19 का साया गहराने लगा, और इलिचिच के जीवन में भी अंधेरा छाने लगा।
कोविड, डिप्रेशन और व्यक्तिगत युद्ध
कोविड-19 महामारी ने इलिचिच को गहरे अवसाद में धकेल दिया। वह बर्गामो में 42 दिनों तक अपने परिवार से दूर अकेले रहे। “मैं नहीं जानता था कि मैं दोबारा खेल पाऊँगा या नहीं,” वह कहते हैं। “जब आप घर में बंद होते हैं, तो आप सोचना शुरू कर देते हैं।” इटली में ताबूतों को ले जाते ट्रकों की भयानक तस्वीरें और फियोरेंटीना के पूर्व साथी डेविड एस्टोरी की दुखद मौत का सदमा उनके मन में पहले से था। पैसे और कॉन्ट्रैक्ट उनके लिए मायने नहीं रखते थे; वह बस ठीक होना चाहते थे।
इस मुश्किल समय में, उनकी पत्नी के बारे में झूठी अफवाहों ने उन्हें और भी पीड़ा पहुंचाई। “मुझ पर विश्वास करना मुश्किल है कि मेरी पत्नी किसी और के साथ होगी,” वह गुस्से से कहते हैं। “उसे अविश्वसनीय अपमान सहना पड़ा।” उन्होंने स्पष्टीकरण क्यों नहीं दिया? “लोग पूछते कि मुझे क्या हुआ है, मैं पहले जैसा क्यों नहीं हूँ। लेकिन परिवार, दोस्त और साथी सच्चाई जानते थे।” यह उनकी गरिमा और निजता को बनाए रखने का उनका तरीका था, एक ऐसे समय में जब उन्हें सबसे ज्यादा अकेलापन महसूस हो रहा था।
“निजी बातों पर मैं कभी बात नहीं करता। मुझे अपनी कहानी बताने के लिए पैसे की पेशकश की गई, लेकिन विवरण मैं अपने पास रखता हूँ।” – जोसिप इलिचिच
वापसी और गैसपेरिनी का अटूट विश्वास
इस अंधेरे दौर में, गैस्पेरिनी उनके साथ चट्टान की तरह खड़े रहे। 2018 में एक संक्रमण के बाद अस्पताल में भर्ती होने पर, इलिचिच को लगा कि वह शायद दोबारा नहीं उठेंगे। लेकिन गैस्पेरिनी ने कहा, “जोसिप, उठो, हमें खेलना है।” वैलेन्सिया में चार गोल के बाद जब इलिचिच ने बदलाव का अनुरोध किया, तो गैस्पेरिनी ने उन्हें नज़रअंदाज़ कर दिया, यह जानते हुए कि वह और कर सकते हैं। “उन्होंने मुझे उन सीमाओं से आगे धकेला जो मैंने सोची थीं।” गैस्पेरिनी ने एक बार कहा था कि 2020 में इलिचिच बैलन डी`ओर के हकदार थे।
अटलांटा से विदाई और स्लोवेनिया में शांति
टेंडन की समस्याओं के कारण इलिचिच को आखिरकार अटलांटा छोड़ना पड़ा। वह अब उस गति को बनाए नहीं रख सकते थे। उन्होंने सिविला से दो साल के अनुबंध की पेशकश भी ठुकरा दी। “मैं उन गतियों को अब और नहीं संभाल सकता था,” उन्होंने स्वीकार किया। आखिरकार, वह मारिबोर वापस चले गए, जहाँ उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी।
बर्गामो को अलविदा कहना दुःखद था, लेकिन 12 साल बाद घर लौटना खुशी भी लाया। 2023 में जब अटलांटा के प्रशंसक उनसे मिलने मारिबोर आए और उनके लिए गाने गाए, तो वह भावुक हो गए। “जब आप करियर के अंत के करीब आते हैं, तो आप समझना शुरू करते हैं कि आपने क्या किया है।”
इलिचिच की विरासत: एक अमर प्यार
जोसिप इलिचिच अटलांटा में एक किंवदंती बन चुके हैं। 2024 में जब वह अटलांटा-रियल मैड्रिड मैच देखने गए, तो उन्हें लगा कि लोग उन्हें भूल चुके होंगे। “लेकिन प्रशंसक गा रहे थे,” उन्होंने बताया। लुका मोड्रिच ने भी उन्हें बताया कि कैसे पूरा स्टेडियम उनके लिए गा रहा था। यह प्यार, सम्मान और अटूट जुड़ाव का प्रतीक था।
अटलांटा ने 2024 में यूरोपा लीग जीतकर अपनी ट्रॉफी की कमी पूरी की, और इलिचिच इस बात से खुश हैं। उनकी टीम ने भले ही बड़े खिताब न जीते हों, लेकिन उन्होंने फुटबॉल के इतिहास में एक ऐसा अध्याय लिखा है जो हमेशा याद रखा जाएगा। उनकी कहानी दिखाती है कि सबसे गहरी अंधेरी गुफाओं से भी, प्रकाश की ओर एक रास्ता होता है, और यह कि असली जीत मैदान पर गोलों से कहीं बढ़कर है—यह खुद पर विजय और दूसरों के साथ साझा किए गए भावनात्मक बंधनों में है।
जोसिप इलिचिच, एक ऐसा नाम जो केवल एक फुटबॉलर का नहीं, बल्कि एक योद्धा का प्रतीक है जिसने हर मुश्किल का सामना किया और अंततः शांति और सम्मान पाया। उनकी कहानी हमें याद दिलाती है कि जीवन के खेल में, सबसे शानदार जीत अक्सर वही होती है जिसे हम अपने अंदर हासिल करते हैं।