जोस मोरिन्हो का फेनरबाकी से निष्कासन: एक ‘स्पेशल वन’ के जादू का अंत या नई शुरुआत?

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फुटबॉल जगत में एक और चौंकाने वाली खबर ने सबको हैरान कर दिया है। `स्पेशल वन` के नाम से मशहूर पुर्तगाली मैनेजर जोस मोरिन्हो को तुर्की क्लब फेनरबाकी ने उनके पद से बर्खास्त कर दिया है। चैंपियंस लीग के शुरुआती दौर में बेनफिका के हाथों मिली हार इस फैसले की तात्कालिक वजह बनी, लेकिन मोरिन्हो के तुर्की कार्यकाल के दौरान कई विवादों और उम्मीदों पर खरा न उतरने की कहानी भी इस फैसले के पीछे छिपी है।

जोस मोरिन्हो फेनरबाकी की बेंच पर गहन मुद्रा में

फेनरबाकी के कोच के रूप में जोस मोरिन्हो, शायद अपने अगले कदम के बारे में सोच रहे थे।

फेनरबाकी ने एक आधिकारिक बयान जारी कर इस बात की पुष्टि की। क्लब ने कहा, “हम 2024-2025 सीज़न से हमारी टीम के कोच जोस मोरिन्हो से अलग हो गए हैं। हम टीम के लिए उनके प्रयासों के लिए उनका धन्यवाद करते हैं और उनके भविष्य के करियर के लिए शुभकामनाएं देते हैं।” मोरिन्हो ने फेनरबाकी के साथ लगभग एक साल बिताया, जिसमें उन्होंने 62 मैचों में टीम का नेतृत्व किया। खबर है कि उन्हें लगभग 15 मिलियन यूरो का भारी-भरकम मुआवजा मिलेगा। यह रकम उनके लिए एक `विदाई उपहार` जैसी है, भले ही उनके कार्यकाल का अंत सुखद न रहा हो।

अपेक्षाओं का बोझ और चैंपियंस लीग का सपना

जब मोरिन्हो पिछले साल 1 जुलाई को फेनरबाकी से जुड़े थे, तो तुर्की लीग में एक नए युग की उम्मीद की जा रही थी। रोमा से विदाई के बाद `स्पेशल वन` की यह नई चुनौती थी। उन्होंने टीम को लीग में दूसरे स्थान पर पहुँचाया, लेकिन कोई भी बड़ा खिताब जीतने में असफल रहे, जो उनके कद के मैनेजर से अपेक्षित था। तुर्की में उनके 14 महीने के कार्यकाल में ट्रॉफी का सूखा जारी रहा। चैंपियंस लीग के लिए क्वालीफाई करने में विफलता उनके लिए अंतिम कील साबित हुई, जहाँ बेनफिका जैसी मजबूत टीम के खिलाफ हार ने उनके सपनों को चकनाचूर कर दिया। यह सच है कि बेनफिका एक मजबूत टीम थी, जैसा कि मोरिन्हो ने स्वयं कहा, `सबसे अच्छी टीम जीती`, लेकिन `स्पेशल वन` से उनके प्रशंसक इससे कुछ ज़्यादा ही उम्मीद करते हैं, ख़ासकर हार के बाद एक रणनीति की गहन व्याख्या।

`स्पेशल वन` का गुम होता जादू?

यह पहली बार नहीं है कि मोरिन्हो चैंपियंस लीग के मुख्य ड्रॉ से बाहर हुए हैं। 2019/2020 सीज़न में टोटेनहम के साथ अंतिम बार इस टूर्नामेंट में दिखे थे, जहाँ वे राउंड ऑफ़ 16 से बाहर हो गए थे। तब से, यूरोपीय फुटबॉल में उनकी चमक फीकी पड़ती दिख रही है। 2016/17 में मैनचेस्टर यूनाइटेड के साथ यूरोपा लीग जीतने के बाद, उनका एकमात्र यूरोपीय खिताब 2022 में रोमा के साथ कॉन्फ़्रेंस लीग था। वह भी `छोटी लीग` मानी जाती है, और उसके बाद भी रोमा से उनकी विदाई हुई। क्या यह संकेत है कि मोरिन्हो का `विशेष स्पर्श` अब पहले जैसा नहीं रहा? या शायद वह पुरानी वाइन की तरह हैं, जिसे हर जगह पसंद नहीं किया जाता, लेकिन जब सही जगह मिलती है तो उसका स्वाद अनमोल होता है।

मैदान पर और बाहर के विवाद

मोरिन्हो का कार्यकाल सिर्फ मैदान पर प्रदर्शन की कमी के लिए नहीं, बल्कि अपने विवादित व्यवहार के लिए भी जाना जाता है। पिछले अप्रैल में, गालाटासराय के खिलाफ कप मैच के बाद, मोरिन्हो ने अपने विरोधी कोच ओकान बुरुक की नाक पकड़ ली थी, जिसके बाद गालाटासराय ने उन पर `तुर्की फुटबॉल को भारी नुकसान पहुँचाने` का आरोप लगाया था। इस घटना के वीडियो फुटेज भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए थे। कुछ हफ्ते पहले, उन्हें नस्लवादी टिप्पणी करने और मैच अधिकारियों का अपमान करने के लिए चार मैचों का प्रतिबंध भी झेलना पड़ा था। मोरिन्हो ने हमेशा अपनी शर्तों पर खेला है, और अक्सर विवादों में घिरे रहते हैं। क्या उनका यह `विवादित व्यक्तित्व` अब उनके करियर पर भारी पड़ रहा है, या यह सिर्फ उनके `ब्रांड` का एक हिस्सा है जिसे कुछ क्लब अब सहन नहीं कर पा रहे हैं?

जोस मोरिन्हो विवाद के दौरान ओकान बुरुक की नाक पकड़ते हुए

एक विवादास्पद क्षण: जोस मोरिन्हो विरोधी कोच ओकान बुरुक की नाक पकड़ते हुए।

आगे क्या?

जोस मोरिन्हो के पास एक शानदार करियर रहा है, जिसमें उन्होंने कई बड़े क्लबों को महत्वपूर्ण खिताब दिलाए हैं। लेकिन हालिया बर्खास्तगी एक पैटर्न को दर्शाती है: उच्च अपेक्षाएँ, शुरुआती उत्साह, और फिर विवादों और ट्रॉफी सूखे के साथ विदाई। अब सवाल यह है कि `स्पेशल वन` का अगला पड़ाव क्या होगा? क्या वह किसी नई चुनौती के लिए यूरोप में रहेंगे, या `रेगिस्तान` की ओर बढ़ेंगे, जहाँ पैसों की बारिश उनके अनुभव का सम्मान कर सकती है? फुटबॉल जगत को एक बात तो तय है, मोरिन्हो के बिना बोरियत महसूस होती रहेगी, चाहे वह खेल के लिए हो या उनके मैदान से बाहर के `नाटकों` के लिए। उनकी वापसी जहां भी होगी, वह सुर्खियां तो बटोरेंगे ही, और यही तो जोस मोरिन्हो का `विशेष` तरीका है।