Photo:FILE सीनियर सिटीजन और सुपर सीनियर सिटीजन के बीच टैक्स में अंतर
Tax saving tips : वरिष्ठ नागरिकों के लिए सरकार ने टैक्स को लेकर खास प्रावधान किए हैं। सीनियर सिटीजन और सुपर सीनियर सिटीजन दोनों को ही लाभ के मामले में समानता है देखने को मिलती है। इसके बावजूद भी आप बेहद आसानी से नए फाइनेंसियल ईयर में टैक्स सेविंग कर सकते हैं। क्या आप सुपर सीनियर सिटीजन के बारे में जानते हैं? इन दोनों के बीच क्या अंतर है। यहां सीनियर सिटीजन और सुपर सीनियर सिटीजन के बीच अंतर के अलावा टैक्स सेविंग के टिप्स जानें।
सीनियर सिटीजन और सुपर सीनियर सिटीजन में क्या अंतर है?
भारत के वे नागरिक जिनकी उम्र 60 साल या फिर इससे ज्यादा है उन लोगों की गिनती सीनियर सिटीजन की कैटेगरी में होती है। वहीं दूसरी तरफ 80 वर्ष या इससे अधिक उम्र होने के बाद वाले लोगों की गिनती सुपर सीनियर सिटीजन की लिस्ट में होते है। इनमें पुरुष के अलावा महिलाएं भी शामिल हैं। इन दोनों को ही समान रूप से टैक्स में कटौती के अलावा कई तरह के कर लाभ मिलते हैं। 60 वर्ष से कम उम्र वाले लोगों की गिनती इन दोनों में से किसी लिस्ट में नहीं होती है।
सीनियर सिटीजन और सुपर सीनियर सिटीजन टैक्स सेविंग तुलना
सीनियर सिटीजन और सुपर सीनियर सिटीजन के बीच आयकर लाभ की तुलना करें तो इनमें बहुत कम अंतर और अधिक समानताएं हैं। इन दोनों ही सिटीजन को मानक कटौती, डाकघर और बैंक में ब्याज दर की कटौती, अग्रिम टैक्स की भुगतान, प्रीमियम हेल्थ इंश्योरेंस के अलावा भी कई तरह के आयकर लाभ मिलते हैं। पुराने टैक्स रूल के अनुसार वरिष्ठ नागरिक 3,00,000 रुपये तक की आय पर टैक्स सेविंग कर सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ सुपर सीनियर सिटीजन के लिए यह रकम 500000 रुपये है।
सीनियर सिटीजन और सुपर सीनियर सिटीजन के लिए ई-फाइलिंग की सुविधा
आईटीआर फाइल करने के लिए भी सीनियर सिटीजन और सुपर सीनियर सिटीजन को कई तरह की सुविधाएं मिलती है। वरिष्ठ नागरिक केवल ऑनलाइन ही पोर्टल के जरिए टैक्स रिटर्न लेने के लिए ई-फाइलिंग कर सकते हैं। सुपर सीनियर सिटीजन अपने आसपास मौजूद कार्यालय में जाकर पेपर मोड के जरिए ऑफलाइन भी आईटीआर फाइल कर सकते हैं। सुपर सीनियर सिटीजन को इसके तहत केवल आईटीआर 1 और आईटीआर 4 दाखिल कर सकते हैं।
खुदकुशी करने वाले शख्स की पहचान सुदर्शन देवराय के रूप में की है। देवराय ने नांदेड़ जिले की हिमायतनगर तहसील में रविवार आधी रात के बाद कथित तौर पर खुदकुशी कर ली।
कनाडा और भारत के बीच कूटनीतिक रिश्ते बुरे दौर में जाते हुए दिखाई दे रहे हैं। कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो द्वारा भारत पर अनर्गल आरोपों के बाद कनाडा ने भारतीय राजनयिक को बर्खास्त कर दिया था। अब इस कदम के जवाब में भारत सरकार ने भी कनाडा के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। भारत सरकार ने भी एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को बर्खास्त कर दिया है और उन्हें 5 दिनों में देश छोड़ने का आदेश दिया है।
उच्चायुक्त तलब
कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के भारत विरोधी कदमों के बाद भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने विरोध जताने के लिए भारत में कनाडा के उच्चायुक्त कैमरून मैकेई को तलब किया था। ऐसा माना जा रहा था कि कनाडा को जवाब देने के लिए भारत सरकार भी कड़ा कदम उठा सकती है।
विदेश मंत्रालय का बयान
भारतीय विदेश मंत्रालय ने जारी किए गए बयान में कहा है कि भारत में कनाडा के उच्चायुक्त कैमरून मैकेई को आज तलब किया गया। उन्हें भारत में रह रहे एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को निष्कासित करने के भारत सरकार के फैसले के बारे में सूचित किया गया। संबंधित राजनयिक को अगले पांच दिनों के भीतर भारत छोड़ने के लिए कहा गया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह निर्णय हमारे आंतरिक मामलों में कनाडाई राजनयिकों के हस्तक्षेप और भारत विरोधी गतिविधियों में उनकी भागीदारी पर भारत सरकार की बढ़ती चिंता को दर्शाता है।
क्यों तल्ख हुए रिश्ते?
G-20 समिट में फटकार खाने के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत विरोधी कदमों में जुट गए हैं। ट्रू़डो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का कनेक्शन भारत से जोड़ते हुए भारत के एक राजनयिक को निकाल दिया था। हालांकि, भारत सरकार ने कनाडाई पीएम के आरोपों को बेबुनियाद और आधारहीन करार दिया है। भारत ने साथ ही कनाडा से आतंकी तत्वों पर कार्रवाई करने की मांग की है। भारत ने कहा है कि इस तरह के बयान खालिस्तानियों से ध्यान हटाने के लिए दिए गए हैं।
India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्पेशल स्टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्शन
महिला आरक्षण बिल को लेकर स्थिति लगभग साफ होती नजर आ रही है। खबर है कि सरकार मंगलवार को ही संसद में बिल पेश कर सकती है। हालांकि, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। सोमवार को कैबिनेट बैठक में विधेयक पर मुहर लगा दी गई थी। इधर, महिला आरक्षण का श्रेय लेने के लिए कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में होड़ लगती नजर आ रही है।
खास बात है कि मंगलवार से ही विशेष सत्र नए संसद भवन में पहुंच रहा है। ऐसे में अगर सरकार महिला आरक्षण बिल आज पेश कर देती है, तो नई संसद में पेश होने वाला यह पहला बिल होगा। हालांकि, यह बिल करीब 27 सालों से लंबित है और कांग्रेस की अगुवाई वाली UPA सरकार ने साल 2010 में इसे राज्यसभा में पास करा लिया था।