इटली ने इज़राइल को हराकर विश्व कप प्लेऑफ में प्रवेश किया: चुनौतियों भरा सफ़र जारी

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माटेओ रेतेगुई गोल करते हुए

माटेओ रेतेगुई इटली के लिए गोल दागते हुए।

फ़ुटबॉल की दुनिया में, इटली की राष्ट्रीय टीम, जिसे `अज़ूरी` के नाम से जाना जाता है, हमेशा से एक ऐसी शक्ति रही है जिसकी उपस्थिति बड़े टूर्नामेंट्स में स्वाभाविक मानी जाती है। चार बार की विश्व कप विजेता टीम के लिए क्वालीफायर मैचों में संघर्ष करना शायद उनके इतिहास को देखते हुए थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन 2026 फीफा विश्व कप क्वालीफायर ने इस बात को एक बार फिर साबित कर दिया है कि आधुनिक फुटबॉल में कोई भी जीत आसान नहीं होती। उडीन में इज़राइल के खिलाफ हुए मुकाबले में 3-0 की निर्णायक जीत, एक तरह से राहत की सांस लेकर आई है, लेकिन यह कहानी अभी खत्म नहीं हुई है। यह तो बस प्लेऑफ की ओर एक कदम है, जहां असली परीक्षा बाकी है।

मैच का मिजाज़: जीत की भूख और मैदान के बाहर का तनाव

मैच से पहले, उडीन शहर में हुई झड़पों ने माहौल को तनावपूर्ण बना दिया था। भले ही ये झड़पें स्टेडियम से दूर थीं, लेकिन उनका असर खिलाड़ियों के मन पर पड़ना स्वाभाविक था। ऐसे माहौल में, जहां स्टेडियम में दर्शक भी मात्र दस हज़ार थे, इटली के खिलाड़ियों को केवल अपने खेल पर ध्यान केंद्रित रखना एक चुनौती थी। लेकिन चुनौतियों का सामना करना ही तो चैंपियन की निशानी होती है, और इस मैच में माटेओ रेतेगुई और गोलकीपर जियानलुइगी डोन्नारुम्मा ने यही साबित किया।

कोच गट्टूसो ने टीम में कुछ बदलाव किए और 4-2-4 से 3-5-2 के फॉर्मेशन में गए। इस मैच से पहले गट्टूसो के नेतृत्व में इटली ने लगातार चार जीत दर्ज की थीं, और उनका लक्ष्य इस लय को बनाए रखना था। इज़राइल की टीम एस्टोनिया जितनी कमजोर नहीं थी; उनके खिलाड़ियों ने अच्छी गुणवत्ता का प्रदर्शन किया, गेंद पर नियंत्रण बनाए रखा और जवाबी हमलों से इटली को कई बार परेशान किया। विशेष रूप से ग्लौख, सोलोमन और बारिबो ने इटली के डिफेंस की परीक्षा ली।

रेतेगुई का दोहरा धमाका और डोन्नारुम्मा का जादू

मैच का पहला हाफ इटली के लिए उतना आसान नहीं रहा, जितना स्कोरलाइन बताती है। इज़राइल ने कुछ महत्वपूर्ण अवसर बनाए, और अगर डोन्नारुम्मा ने सोलोमन के एक शानदार शॉट पर चमत्कारिक बचाव न किया होता, तो कहानी कुछ और हो सकती थी। लेकिन फुटबॉल अप्रत्याशितताओं का खेल है, और कभी-कभी एक छोटी सी गलती ही मैच का रुख बदल देती है। हाफ टाइम से ठीक पहले, रेतेगुई को पेनल्टी बॉक्स में फाउल किया गया। उन्होंने खुद इस पेनल्टी को गोल में बदला और इटली को 1-0 की बढ़त दिलाई। टालिन में पेनल्टी चूकने के बाद, रेतेगुई ने इस बार कोई गलती नहीं की, गेंद को चूमा और आत्मविश्वास से नेट में पहुंचाया।

दूसरे हाफ में, कोच गट्टूसो ने रास्पेडोरी की जगह पियो एस्पोसिटो को मैदान पर भेजा। टीम की आक्रमण क्षमता में थोड़ी और जान आई। हालाँकि, इज़राइल ने अभी भी कुछ खतरनाक मूव्स बनाए। डोन्नारुम्मा ने एक बार फिर ग्लौख के एक शक्तिशाली शॉट को रोककर अपनी क्लास दिखाई। “पिछले चैंपियंस लीग के सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर” होने का खिताब उन्होंने ऐसे ही नहीं जीता था, और उनका यह बचाव गोल करने के बराबर था। यह बचाव अज़ूरी के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।

इसके बाद, रेतेगुई ने फिर कमाल दिखाया। नए-नवेले मैदान पर आए तोरिएल से गेंद छीनकर उन्होंने पेनल्टी बॉक्स के किनारे से एक शानदार घुमावदार शॉट लगाया, जो सीधे ऊपरी कोने में जा लगा। यह गोल इतना शानदार था कि इसने मैच में इटली की बढ़त को दोगुना कर दिया और टीम पर से दबाव हटा दिया। फिर, दिमार्को के एक बेहतरीन क्रॉस पर मैनसिनी ने हेडर से तीसरा गोल दागकर जीत सुनिश्चित की। इस मैच में कैंबियाघी और पिककोली ने भी इटली के लिए डेब्यू किया।

प्लेऑफ का रास्ता: एक और कठिन परीक्षा

यह जीत इटली को 2026 विश्व कप के प्लेऑफ में ले गई है, जो अगले मार्च में खेले जाएंगे। प्रत्यक्ष क्वालीफिकेशन अब एक “अकल्पनीय चमत्कार” ही होगा, क्योंकि नॉर्वे के पास गोल अंतर में काफी बड़ी बढ़त है। मोलदोवा और नॉर्वे के खिलाफ बचे हुए दो ग्रुप स्टेज मैचों का परिणाम शायद इटली की सीधी योग्यता को प्रभावित न कर पाए। तो अब सारी उम्मीदें प्लेऑफ पर टिकी हैं।

यह एक ऐसा मोड़ है जहां इतिहास और वर्तमान आपस में टकराते हैं। एक तरफ, चार बार के विश्व चैंपियन होने का गौरव है, और दूसरी तरफ, विश्व कप में जगह बनाने के लिए एक और कठिन परीक्षा का सामना करने की सच्चाई है। कुछ प्रशंसकों के लिए, प्लेऑफ में जगह बनाना भी एक उत्सव का कारण है, जबकि कुछ अन्य “चार सितारों” वाली जर्सी पहनकर इस स्थिति में आने को राष्ट्रीय टीम के पतन के रूप में देखते हैं। शायद यह भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों जैसा ही है, जो अतीत की विश्व कप जीतों का हवाला देते हुए आज की टीम की आलोचना करते हैं, लेकिन फिर भी हर मैच में उम्मीद लगाए बैठे रहते हैं।

आगे का सफर: विश्वास और दृढ़ संकल्प

गट्टूसो के नेतृत्व में टीम ने दिखाया है कि उनमें जीतने की भूख और दृढ़ संकल्प है। लगातार चार जीत और सोलह गोल स्कोर करना किसी भी कोच के लिए एक शानदार शुरुआत है। लेकिन असली चुनौती प्लेऑफ में होगी, जहां एक भी गलती विश्व कप के सपने को तोड़ सकती है। इटली के खिलाड़ियों को यह समझना होगा कि अब “पुराने गौरव” की बातें छोड़ कर केवल वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करना है। जैसा कि एक प्रशंसक ने टिप्पणी की, “ब्लासन से कुछ नहीं होता, ब्राजील भी बाहर हो जाता अगर उन्हें अतिरिक्त दो स्थान नहीं मिलते।”

अज़ूरी के लिए, यह यात्रा अब और अधिक रोमांचक और चुनौतीपूर्ण होने वाली है। प्लेऑफ में उनका सामना कुछ सबसे मजबूत यूरोपीय टीमों से हो सकता है। यह सिर्फ फुटबॉल का खेल नहीं होगा, यह इटली के जुनून, रणनीति और दृढ़ता की असली परीक्षा होगी। क्या गट्टूसो की टीम इस बाधा को पार कर पाएगी और विश्व कप में अपनी जगह बना पाएगी? यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन एक बात तय है: इटली का फुटबॉल, कभी भी बोरिंग नहीं होता!