खेल, खासकर युवा स्तर पर, सिर्फ जीत या हार के बारे में नहीं होता; यह अनुशासन, सम्मान और टीम वर्क जैसे मूल्यों को सीखने का एक मंच होता है। लेकिन इटली के कोलेग्नो में एक अंडर-14 फुटबॉल टूर्नामेंट के बाद हुई एक घटना ने इन सभी सिद्धांतों को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। यह एक कहानी है जहाँ कथित पीड़ित ही बाद में झगड़े का सूत्रधार निकला, और न्याय ने अपनी राह बदल ली।
मैदान पर शुरू हुई झड़प: एक वीडियो ने बदली पूरी कहानी
मामला 13 वर्षीय गोलकीपर टॉमस सैर्रित्ज़ु से जुड़ा है, जो वोलपियानो पियानेसे (Volpiano Pianese) टीम के लिए खेलता है। मैच के बाद, सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेज़ी से वायरल हुआ, जिसमें टॉमस को कारमग्नोल (Carmagnola) टीम के एक प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी, क्रिश्चियन बर्बेरो, को मारते हुए देखा गया। इसके बाद, क्रिश्चियन के पिता मैदान में घुस आए और उन्होंने टॉमस को पीट दिया। यह घटना इतनी तेजी से फैली कि शुरू में टॉमस को एक युवा खिलाड़ी के रूप में देखा गया, जो एक वयस्क के हाथों हिंसा का शिकार हुआ था। उसे इटली के राष्ट्रीय टीम के गोलकीपर जियानलुइगी डोनारुम्मा जैसे बड़े नामों से सहानुभूति और यहाँ तक कि प्रशिक्षण के लिए निमंत्रण भी मिले। ऐसा लगा मानो वह अन्याय का शिकार हुआ एक छोटा नायक हो।
परन्तु, यह तो कहानी का एक पहलू था। वीडियो के गहन विश्लेषण और खेल न्यायाधीश के फैसले ने एक अलग ही तस्वीर पेश की। यह पता चला कि टॉमस ही था जिसने पहले क्रिश्चियन को मारा था, जिससे पूरी हाथापाई शुरू हुई।
खेल न्यायाधीश का कठोर फैसला: जब सबक सिखाना ज़रूरी हो गया
ट्यूरिन की प्रांतीय समिति की खेल न्यायाधीश, वकील रॉबर्टा लापा, ने इस मामले में एक सख्त और अनुकरणीय फैसला सुनाया। उन्होंने स्पष्ट किया कि युवा आयु में हिंसक व्यवहार को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, खासकर जब यह खेल के स्वस्थ सिद्धांतों और सम्मान को ठेस पहुँचाता हो।
सजा का विवरण:
- टॉमस सैर्रित्ज़ु (वोलपियानो पियानेसे गोलकीपर): एक साल का प्रतिबंध (सितंबर 2026 तक) क्योंकि उसने “मैच के अंत में हिंसक और गैर-खिलाड़ी जैसा आचरण करते हुए एक हाथापाई शुरू की और प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी को थप्पड़ों और घूंसों से मारा।” यह एक ऐसा फैसला था जिसने उसकी “पीड़ित” की छवि को पूरी तरह बदल दिया।
- क्रिश्चियन बर्बेरो (कारमग्नोल खिलाड़ी): टॉमस के समान ही एक साल का प्रतिबंध, क्योंकि उसने “प्रतिद्वंद्वी द्वारा शुरू की गई हाथापाई में सक्रिय रूप से भाग लिया और प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी की गर्दन पर मुक्का मारा।”
- एंजेलो सैर्रित्ज़ु (टॉमस के पिता और वोलपियानो पियानेसे के अधिकारी): छह महीने का प्रतिबंध, क्योंकि “एक क्लब प्रतिनिधि के रूप में शांत करने के बजाय, उन्होंने मैदान में घुसे एक गैर-सूचीबद्ध व्यक्ति के साथ हिंसक झड़प की।”
- क्लबों पर जुर्माना: वोलपियानो पियानेसे और कारमग्नोल दोनों पर €150 का जुर्माना लगाया गया, जबकि टूर्नामेंट आयोजक, कोलेग्नो पर €200 का जुर्माना लगा।
न्यायाधीश ने कहा, “युवा लड़कों द्वारा अपनाए गए हिंसक आचरण की गंभीरता को देखते हुए, जो खेल के स्वस्थ सिद्धांतों को धूमिल करता है… यह न्यायपालिका एक महत्वपूर्ण और अनुकरणीय प्रतिबंध लगाने का उचित समझती है।”
पीड़ित की बदलती पहचान और खेल की सीख
यह घटना युवा फुटबॉल में एक महत्वपूर्ण सबक के रूप में सामने आई है। टॉमस को पहले जिस सहानुभूति की लहर मिली थी, वह वीडियो सामने आने के बाद नाटकीय रूप से बदल गई। उसके लिए लगाए गए “वीरता” के तमाम तमगों की चमक फीकी पड़ गई, जब यह स्पष्ट हुआ कि वह खुद ही झगड़े का सूत्रधार था। जिन पिता ने उसे पीटा था, उन्होंने बाद में माफी मांगते हुए कहा कि उन्हें अपने बेटे की सुरक्षा का डर था, लेकिन उनके हिंसक कृत्य को भी माफ़ नहीं किया जा सकता।
यह सिर्फ व्यक्तिगत खिलाड़ियों या माता-पिता का मामला नहीं है, बल्कि पूरे खेल समुदाय के लिए एक चेतावनी है। युवा खिलाड़ियों को यह समझना होगा कि मैदान पर आक्रामकता, चाहे वह किसी भी रूप में हो, गंभीर परिणाम दे सकती है। माता-पिता और क्लब के अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे खेल भावना का सम्मान करें और बच्चों को सिखाएं कि जीत और हार से बढ़कर, मैदान पर सम्मान और नैतिकता मायने रखती है।
निष्कर्ष: अनुशासन ही खेल का असली गहना
कोलेग्नो की यह घटना हमें याद दिलाती है कि खेल के मैदान पर अनुशासन और सम्मान सर्वोपरि हैं। चाहे वह 13 साल का खिलाड़ी हो या उसका वयस्क अभिभावक, नियमों का उल्लंघन करने पर जवाबदेही तय होनी चाहिए। इस कठोर फैसले से यह उम्मीद की जा सकती है कि यह युवा खिलाड़ियों, उनके माता-पिता और क्लबों को एक मजबूत संदेश देगा कि खेल सिर्फ प्रतियोगिता नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण का एक माध्यम भी है। और इस माध्यम में, हिंसा और असम्मान के लिए कोई जगह नहीं है। यह घटना दर्शाती है कि कभी-कभी न्याय का मार्ग अप्रत्याशित हो सकता है, लेकिन इसका उद्देश्य हमेशा एक ही होता है: सही को स्थापित करना और गलत को सुधारना।