इतालवी महिला वॉलीबॉल: विश्व कप सेमीफाइनल में वेलास्को का मास्टरक्लास!

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जूलियो वेलास्को इतालवी वॉलीबॉल टीम के साथ

जूलियो वेलास्को, इतालवी महिला वॉलीबॉल टीम के कोच, पोलैंड पर जीत के बाद।

वॉलीबॉल की दुनिया में, कुछ नाम ऐसे होते हैं जो केवल आंकड़ों से कहीं ज़्यादा होते हैं। जूलियो वेलास्को उन्हीं में से एक हैं। थाईलैंड में चल रहे विश्व कप के सेमीफाइनल में इटली की महिला टीम (अज़ूर्रे) के शानदार प्रवेश के बाद, एक बार फिर यह साबित हो गया है कि वेलास्को सिर्फ एक कोच नहीं, बल्कि रणनीति और प्रेरणा के जादूगर हैं। पोलैंड को 3-0 से रौंदकर, इतालवी टीम ने न केवल अपनी अजेय यात्रा जारी रखी, बल्कि यह भी दिखाया कि कैसे एक `शब्द` भी खेल का रुख बदल सकता है।

अजेय सफर और वेलास्को का मंत्र

इटली ने इस विश्व कप में अब तक 5 मैच खेले हैं और सभी में जीत हासिल की है, सिर्फ एक सेट गंवाया है। यह प्रदर्शन पेरिस 2024 के उनके 6-0 के रिकॉर्ड की याद दिलाता है। लेकिन वेलास्को का मानना है कि `हमें घमंड नहीं करना चाहिए।` यह उनका विनम्र स्वभाव और खिलाड़ियों को ज़मीन से जोड़े रखने का तरीका है।

“हम बहुत मजबूत महसूस करते हैं, लेकिन हम जानते हैं कि हर मैच की अपनी कहानी होती है। पोलैंड के खिलाफ़ मैच कठिन था क्योंकि वे एक मजबूत टीम हैं। हमने 3-0 से जीत हासिल की, यह बहुत अच्छा है। लेकिन अब हमें घमंड नहीं करना चाहिए।”

यह वेलास्को का पहला सबक है: जीत का जश्न मनाओ, लेकिन हमेशा अगले चुनौती के लिए तैयार रहो।

क्या पसंद आया और क्या बदल गया?

वेलास्को ने अपनी टीम के कई गुणों को उजागर किया:

  • शानदार शुरुआत: विशेष रूप से मैच की शुरुआत में ब्लॉक बहुत प्रभावी था, बाद में रक्षा भी मज़बूत हुई।
  • संतुलन ही शक्ति: टीम की सबसे बड़ी खूबी उसका संतुलन है। जब भी ज़रूरत पड़ी, बेंच से आने वाली खिलाड़ियों ने बेहतरीन योगदान दिया।
  • कम त्रुटियाँ: सर्विस में इटली की त्रुटियाँ नगण्य थीं, जबकि पोलैंड ज़्यादा गलतियाँ कर रही थी, जो दर्शाता है कि दबाव में विपक्षी टीम को जोखिम लेने पड़ रहे थे।

यह सब ज़मीनी स्तर पर किए गए कठोर अभ्यास का परिणाम है, खासकर ब्लॉक और रिसेप्शन जैसे मूलभूत कौशल पर।

रणनीति का उस्ताद: एक टाइम-आउट की कहानी

वेलास्को की अनुभव और सामरिक सूझबूझ का एक और उदाहरण पोलैंड के खिलाफ़ मैच में देखने को मिला। जब टीम थोड़ी मुश्किल में दिखी, तो एक टाइम-आउट बुलाया गया। उन्होंने खिलाड़ियों से कुछ `रणनीतिक बातें` कीं:

  • पोलैंड की खिलाड़ी दामस्के (नंबर 24) पर ध्यान केंद्रित करने को कहा, जो अपने डायगोनल अटैक से परेशानी पैदा कर रही थी।
  • फिर स्टेसियाक की बात की, जो ब्लॉक के बीच से गेंद निकाल रही थी।

बस इतना ही! खिलाड़ियों ने तुरंत उन निर्देशों पर अमल किया, कुछ महत्वपूर्ण गेंदें उठाईं और “फिर से ज़ोरदार वापसी की”। यह दिखाता है कि वेलास्को केवल एक खेल कोच नहीं, बल्कि एक मानसिक कोच भी हैं, जो खिलाड़ियों के दिमाग में सही समय पर सही बात बैठा सकते हैं।

खिलाड़ियों के प्रति समर्पण: एक पिता-संरक्षक

मैच के दूसरे सेट में एक घटना ने वेलास्को के मानवीय पक्ष को उजागर किया। पोलैंड की एक खिलाड़ी ने निरविनी (जो टीम की सबसे युवा खिलाड़ी हैं) को ब्लॉक करने के बाद उन्हें अपमानजनक अंदाज़ में घूरा। वेलास्को ने इसे देखा और तुरंत उस खिलाड़ी की तरफ़ इशारा करते हुए कहा, “मुझे देखो!”

“पोलैंड की एक खिलाड़ी ने निरविनी को ब्लॉक करने के बाद उसे भड़काऊ अंदाज़ में घूरा। मेरे हिसाब से उसने थोड़ी ज़्यादा ही प्रतिक्रिया दी। जश्न मनाना ठीक है, लेकिन अगर आप स्टेला (निरविनी) को छूते हैं, जो समूह में सबसे छोटी है, तो मुझे गुस्सा आता है। इसलिए मैंने उसे अपनी तरफ देखने का इशारा किया।”

यह दिखाता है कि वेलास्को सिर्फ एक कोच नहीं, बल्कि अपने खिलाड़ियों के लिए एक संरक्षक भी हैं। कौन निरविनी को छेड़ने की हिम्मत करेगा जब वेलास्को वहाँ हों? यह खिलाड़ियों को सुरक्षा और विश्वास की भावना देता है।

सितारे और टीम भावना

सिल्ला और ईगोनू जैसी स्टार खिलाड़ियों के प्रदर्शन से वेलास्को खुश हैं, लेकिन उनका मानना है कि पूरी टीम उन्हें प्रभावित कर रही है। जर्मनी पर 3-0 की जीत, जो मनोवैज्ञानिक रूप से एक कठिन मैच था, ने टीम का आत्मविश्वास बढ़ाया है। वेलास्को का ज़ोर हमेशा टीम वर्क पर रहता है, जहां हर खिलाड़ी अपनी भूमिका निभाती है और अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करती है।

थाईलैंड का प्यार और भविष्य की उम्मीदें

थाईलैंड में इतालवी टीम को ज़बरदस्त जनसमर्थन मिल रहा है। प्रशंसक हर मैच के बाद खिलाड़ियों को अनगिनत उपहार देते हैं, जिससे उन्हें “इटली लौटने के लिए एक अतिरिक्त सूटकेस” खरीदने की ज़रूरत पड़ सकती है, वेलास्को ने मज़ाकिया लहज़े में कहा। यह एक सुखद संयोग है कि पिछले साल इटली ने नेशंस लीग का पहला खिताब भी बैंकॉक में ही जीता था, जिससे थाईलैंड उनके लिए एक लकी चार्म बन गया है। थाई प्रशंसकों का इतालवी लड़कियों को समर्थन देना टीम की वैश्विक लोकप्रियता को दर्शाता है।

सेमीफाइनल में इटली का सामना ब्राज़ील या फ्रांस में से किसी एक से होगा। वेलास्को मज़ाक में कहते हैं कि वे उस टीम से मिलना पसंद करेंगे जो हारती है। यह दिखाता है कि वे अपनी टीम की ताकत में कितना विश्वास रखते हैं, लेकिन वे किसी भी प्रतिद्वंद्वी को कम नहीं आंकते। जूलियो वेलास्को के नेतृत्व में, इतालवी महिला वॉलीबॉल टीम केवल जीत ही नहीं रही है, बल्कि एक विरासत बना रही है — साहस, समर्पण और बेहतरीन रणनीति की विरासत। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह `मास्टरक्लास` उन्हें विश्व कप के शिखर तक पहुँचा पाता है!