न्यूजीलैंड का वनडे सीरीज में 3-0 से सूपड़ा साफ करने के बाद अब भारत की नजरें मेहमानों को टी20 सीरीज में भी धूल चटाने पर होगी। वनडे सीरीज के बाद रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे सीनियर खिलाड़ियों को आराम दिया गया है और टी20 टीम की कमान ऐसे में हार्दिक पांड्या संभालेंगे। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले ही टी20 टीम का ऐलान कर दिया है। इस टीम में पृथ्वी शॉ जैसे विस्फोटक बल्लेबाज को भी लंबे समय के बाद चुना गया है, मगर स्क्वॉड को देखकर लगता नहीं है कि उन्हें प्लेइंग इलेवन में मौका मिलेगा।
जब भी भारतीय टीम कोई सीरीज खेलती थी तो टी20 स्क्वॉड में अकसर फैंस की नजरें पृथ्वी शॉ के नाम पर रहती थी। दरअसल, शॉ घरेलू क्रिकेट में लंबे समय से रन बना रहे थे, मगर फिर भी उन्हें लगातार नजरअंदाज किया जा रहा था। जब फैंस स्क्वॉड में शॉ का नाम नहीं देखते थे तो सोशल मीडिया पर जबकर उनका गुस्सा बीसीसीआई पर फूटता था। अब शॉ के टीम में वापसी के बाद भी फैंस को उनको नीली जर्सी में खेलने हुए देखने के लिए इंतजार करना पड़ सकता है।
दरअसल, पृथ्वी शॉ एक सलामी बल्लेबाज हैं और मौजूदा स्क्वॉड को देखते हुए ऐसा लग नहीं रहा कि वह पहले 11 खिलाड़ियों में अपनी जगह बना पाएंगे। सलामी बल्लेबाजों के रूप में इस स्क्वॉड में पृथ्वी शॉ के अलावा शुभमन गिल, ईशान किशन, ऋतुराज गायकवाड़ और राहुल त्रिपाठी है। हार्दिक पांड्या न्यूजीलैंड के खिलाफ भी उन्हीं दो सलामी बल्लेबाजों के साथ जाएंगे जो श्रीलंका के खिलाफ खेले थे।
जी हां, न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले टी20 में ईशान किशन और शुभमन गिल की जोड़ी ही पारी का आगाज करती हई नजर आ सकती है। श्रीलंका टी20 सीरीज के बाद जरूर गिल की जगह पर खतरा मंडराने लगा था क्योंकि क्रिकेट के सबसे छोटे फॉर्मेट में वो कुछ कमाल नहीं दिखा पाए थे। श्रीलंका के खिलाफ तीन मैच की टी20 सीरीज में उनके बल्ले से 58 रन ही रन निकले थे, मगर अगले 6 वनडे मुकाबलों में उन्होंने जो रन बनाए उसके दम पर वह अपनी जगह पक्की कर सकते हैं। गिल ने श्रीलंका के खिलाफ 69 की औसत से 207 रन ठोके, वहीं न्यूजीलैंड के खिलाफ उन्होंने 180 की बेमिसाल औसत के साथ सबसे अधिक 360 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने दोहरा शतक भी जड़ा। ऐसे में शॉ का बतौर सलामी बल्लेबाज तो खेलना मुश्किल नजर आ रहा है।
बात नंबर तीन की करें तो श्रीलंका के खिलाफ आखिरी मुकाबले में राहुल त्रिपाठी ने शानदार पारी खेल कप्तान और कोच का भरोसा जीता है। ऐसे में वहां भी शॉ का खेलना मुश्किल है। नंबर तीन के नीचे तो वैसे ही उनकी जगह नहीं बनती, ऐसे में शॉ को प्लेइंग इलेवन में जगह बनाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।
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बिहार में अफीम की अवैध फसल को पुलिस ने नष्ट कर दिया।
औरंगाबाद: बिहार में होम्योपैथ की दवा से शराब बनाने के बाद अब जुगाड़ से अफीम की खेती का एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। सूबे के औरंगाबाद जिले के मदनपुर और ढिबरा थाना क्षेत्र में करीब 10 एकड़ जमीन में अवैध रूप से लगायी गयी अफीम की फसल को पुलिस ने नष्ट किया है। पुलिस अधीक्षक स्वप्ना गौतम मेश्राम ने मंगलवार की शाम आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि मदनपुर थाना अंतर्गत बादम गांव और ढ़िबरा थाना अंतर्गत छुछिया, ढाबी एवं महुआ गांव के जंगली इलाके में अफीम की खेती किये जाने की खुफिया जानकारी मिली थी।
‘चारों ओर लगाई थी मक्का और अरहर की फसलें’
एसपी ने बताया कि इन इलाकों के लोगों की नजर से छिपाने के लिए अफीम की फसल के चारों ओर कुछ दूरी तक वैसी मक्का और अरहर जैसी फसलें लगाई गई थीं, जिनकी ऊंचाई अधिक थी। मेश्राम ने बताया कि मदनपुर थाना क्षेत्र में करीब 3 एकड़ और ढिबरा थाना क्षेत्र में करीब 7 एकड में लगायी गयी अफीम की अवैध फसल को नष्ट करने के लिए पुलिस की 2 अलग-अलग टीमों का गठन किया गया था। पुलिस द्वारा नष्ट की गयी अफीम की फसल की कीमत करीब 20 करोड़ रुपये आंकी गयी है। अफीम की फसल में मोटी-मोटी गांठे उभर आई थी जिसका मतलब है के यह जल्द ही तैयार होने वाली थी।
‘इस मामले में अभी किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है’ बता दें कि पौधों की इन्हीं गांठों में चीरा लगाया गया था ताकि उनसे निकलने वाले चिपचिपे पदार्थ को जमा कर अफीम तैयार किया सके। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इस मामले में तत्काल किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है और अभी अफीम की खेती करनेवालों को चिन्हित किया जा रहा है। इस तरह की खेती करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि माओवादियों द्वारा अफीम की खेती कराने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इन इलाकों में पहले भी माओवादियों द्वारा अफीम की खेती कराने के कई मामले सामने आ चुके हैं।
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ऊंसल ने कहा कि तुर्की मूल के कुछ लोगों की जब अपने परिवार के सदस्यों से फोन पर बातचीत नहीं हो पाई, तो वे अपने देश के लिए रवाना हो गये। ऊंसल 25 साल पहले दिल्ली आ गये थे, जबकि ज्यादातर लोग वही रहे।
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तुर्की में भूकंप ने भारी तबाही मचाई है।
तुर्की और सीरिया में आए 7.8 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप और उसके बाद के झटकों ने पूरी दुनिया को दहलाकर रख दिया है। भूकंप के कारण धराशाई हुई इमारतें लाशें उगल रही हैं और अब तक 5 हजार से ज्यादा लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। हजारों इमारतों के मलबे में बचे लोगों को ढूंढ़ने के लिए बचावकर्मी काम में लगे हुए हैं। तुर्की की तस्वीरें देखकर आपके मन में भी कहीं न कहीं ख्याल आया होगा कि क्या भारत में भी भविष्य में ऐसा विनाशकारी भूकंप आ सकता है? आइए, समझते हैं:
धरती पर कैसे आता है भूकंप?
भूकंप या भूचाल पृथ्वी की सतह के हिलने को कहते हैं। पृथ्वी के स्थलमण्डल में ऊर्जा के अचानक मुक्त हो जाने के कारण पैदा होने वाली भूकम्पीय तरंगों की वजह से धरती का कोई हिस्सा हिलने लगता है। हर साल हजारों छोटे-बड़े भूकंप आते ही रहते हैं लेकिन कई बार ये बहुत विनाशकारी साबित होते हैं। चीन के शांग्सी में 1556 में आए भूकंप को इतिहास का सबसे विनाशकारी भूकंप माना जाता है। इस भूकंप के चलते कुल मिलाकर 8 लाख लोगों की मौत हुई थी, जिसमें से 1 लाख लोग तो तुरंत चल बसे थे।
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दुनिया के इन इलाकों में भूकंप का ज्यादा खतरा।
भारत में हैं भूकंप के 4 जोन भारत की बात करें तो यहां भी हर साल सैकड़ों भूकंप आते हैं। हालांकि अधिकांश भूकंपों के बारे में लोगों को पता भी नहीं चलता क्योंकि इनकी तीव्रता काफी कम होती है। भारतीय मानक ब्यूरो यानी कि BIS ने भारत को 4 अलग-अलग ‘सेस्मिक’ या यूं कहें कि भूकंप के जोन में बांटा है। दूसरे और तीसरे जोन में तो खतरे की कोई विशेष बात नहीं है, लेकिन चौथे और पांचवे जोन में कभी भी तेज भूकंप दस्तक दे सकता है। देश का लगभग 11 प्रतिशत क्षेत्र जोन 5 में, 18 प्रतिशत जोन 4 में, जोन 3 में 30 प्रतिशत और जोन 2 में बाकी का हिस्सा आता है।
दूसरे सेस्मिक जोन में आते हैं ये इलाके भारत में भूकंप का जोन नंबर एक नहीं है क्योंकि इस जोन में किसी भी क्षेत्र को अंकित नहीं किया गया है। दूसरे जोन की बात करें तो राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु एवं उत्तर प्रदेश का कुछ हिस्सा आता है। शहरों की बात करें तो त्रिची, बुलंदशहर, मुरादाबाद, गोरखपुर और चंडीगढ़ इस जोन में आते हैं। इन इलाकों में कभी भूकंप आया तो तबाही के आसार न के बराबर होंगे क्योंकि उनकी तीव्रता ज्यादा नहीं होगी।
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भारत में हैं 4 अलग-अलग सेस्मिक जोन।
क्या तीसरे सेस्मिक जोन में है आपका शहर? तीसरे सेस्मिक जोन की बात करें तो इसमें केरल, गोवा, लक्षद्वीप समूह, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कुछ हिस्से, गुजरात और पंजाब के कुछ हिस्से, पश्चिम बंगाल के कुछ इलाके, पश्चिमी राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार के कुछ इलाके, झारखंड का उत्तरी हिस्सा, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक के कुछ हिस्से आते हैं। इस जोन में आने वाले शहरों में चेन्नई, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता और भुवनेश्वर शामिल हैं। इन इलाकों में भूकंप आने पर थोड़ी-बहुत तबाही हो सकती है।
जोन 4 में खतरनाक रूप ले सकता है भूकंप चौथे जोन की बात करें तो इसमें जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल, उत्तराखंड के कुछ हिस्स आते हैं। इसके अलावा हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात के कुछ हिस्सों के अलावा पश्चिमी तट के पास महाराष्ट्र का कुछ हिस्सा और पश्चिमी राजस्थान का छोटा हिस्सा आता है। इस जोन में आने वाला भूकंप व्यापक तबाही ला सकता है और जान-माल का भारी नुकसान हो सकता है। इस जोन के अंतर्गत आने वाले कई इलाकों में काफी घनी जनसंख्या है, जो खतरे को और बढ़ा सकती है।
जोन 5 में आने वाले भूकंप लाएंगे भारी तबाही जोन 5 में कश्मीर घाटी, हिमाचल प्रदेश का पश्चिमी हिस्सा, उत्तराखंड का पूर्वी इलाका, गुजरात का कच्छ, उत्तरी बिहार के हिस्से, भारत के सभी पूर्वोत्तर राज्य, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह आते हैं। इन इलाकों में आने वाला भूकंप बेहद खतरनाक होता है और इसमें जानमाल का भारी नुकसान होता है। भारत के इतिहास के सबसे खतरनाक भूकंप इन्हीं इलाकों में आए हैं। सबसे ताजा उदाहरण 26 जनवरी 2001 का है, जब गुजरात के भुज में आए भूकंप में 20 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई थी और हजारों लोग घायल हुए थे।