हॉलीवुड में फिर मचा बवाल: मैट निक्स की नई डार्क कॉमेडी सीरीज़ ‘एब्सोल्यूट सिनेमा’ और ‘चार्ली किर्क’ विवाद

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हॉलीवुड में एक बार फिर रचनात्मक स्वतंत्रता और संवेदनशीलता की बहस छिड़ गई है। वजह है अनुभवी शो-रनर मैट निक्स की आगामी वेब सीरीज़, जिसे `एब्सोल्यूट सिनेमा` नाम दिया जा रहा है। इस सीरीज़ ने अपने डार्क ह्यूमर और विवादास्पद कथानक के कारण रिलीज़ से पहले ही सुर्खियां बटोर ली हैं। ऐसा लगता है कि कुछ कहानियाँ कहने से पहले ही सुनाने वाले को मुश्किल में डाल देती हैं, और `एब्सोल्यूट सिनेमा` उन चुनिंदा कहानियों में से एक बन रही है।

कौन हैं मैट निक्स और क्या है `एब्सोल्यूट सिनेमा`?

मैट निक्स, जिन्हें `बर्न नोटिस` और `द गिफ़्टेड` जैसी सफल सीरीज़ के लिए जाना जाता है, इस बार दर्शकों को एक बिल्कुल अलग दुनिया में ले जा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो यह सीरीज़ छात्रों के जीवन, उनकी अकादमिक चुनौतियों और शायद उनके `मज़ेदार` लेकिन स्याह पक्ष पर आधारित है। रूसी कहावत `От сессии до сессии мочить студентов весело` (सत्र से सत्र तक छात्रों को `भिगोना` मज़ेदार है – जिसका मतलब यहाँ पर `तंग करना`, `मज़ाक उड़ाना` या यहाँ तक कि `परेशान करना` हो सकता है) की तर्ज़ पर, शो में अकादमिक दुनिया की विडंबनाओं और छात्र जीवन की कटु सच्चाइयों पर गहरा व्यंग्य किया गया है। निक्स अपनी तेज़-तर्रार स्क्रिप्ट और अप्रत्याशित मोड़ों के लिए जाने जाते हैं, और इस बार भी उन्होंने सामाजिक टिप्पणियों को अपनी कहानी का आधार बनाया है।

विवाद की जड़: `मृत` चार्ली किर्क का उपहास

हालांकि, इस सीरीज़ का सबसे बड़ा विवाद एक विशेष एपिसोड को लेकर उठा है, जिसे कथित तौर पर प्रसारित होने से रोक दिया गया है। जानकारी के अनुसार, इस रद्द किए गए एपिसोड में अमेरिकी राजनीतिक टिप्पणीकार चार्ली किर्क का एक `काल्पनिक` और `व्यंग्यात्मक` चित्रण किया गया था। समस्या यह नहीं थी कि उनका मज़ाक उड़ाया गया, बल्कि यह थी कि उन्हें शो में `मृत` दिखाया गया था और फिर उनका उपहास किया गया। यह एक ऐसा कदम था जिसने तुरंत ही `सीमा पार` करने का आरोप झेल लिया। ऐसा लगता है कि कुछ व्यंग्य इतने कड़वे हो जाते हैं कि पचा पाना मुश्किल होता है।

चार्ली किर्क वास्तविक जीवन में एक प्रमुख सार्वजनिक हस्ती हैं और जीवित हैं। ऐसे में उन्हें `मृत` दिखाकर उनका मज़ाक उड़ाना निश्चित रूप से विवादों को न्योता देता है। यह घटना एक बार फिर इस बात पर बहस छेड़ रही है कि रचनात्मक स्वतंत्रता की सीमाएँ कहाँ तक होनी चाहिए और क्या किसी भी कीमत पर मनोरंजन को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। यह संवेदनशील विषय हमेशा ही कलाकारों और दर्शकों के बीच एक नाजुक संतुलन की मांग करता रहा है।

आगे क्या? ट्रेलर और पोस्टर

फिलहाल, सीरीज़ का ट्रेलर और पोस्टर जारी किए गए हैं, जो इसके डार्क और अनोखे अंदाज़ की झलक देते हैं। इन विज़ुअल्स से यह स्पष्ट होता है कि मैट निक्स किसी भी तरह से हल्के-फुल्के मनोरंजन का इरादा नहीं रखते हैं। उनका लक्ष्य दर्शकों को सोचने पर मजबूर करना और शायद थोड़ा असहज भी करना है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि मैट निक्स की यह विवादास्पद पेशकश ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अपनी जगह बना पाती है या फिर इसे और बदलावों से गुज़रना होगा। एक बात तो तय है, `एब्सोल्यूट सिनेमा` सिर्फ एक सीरीज़ नहीं, बल्कि मनोरंजन की दुनिया में चल रही एक गंभीर बहस का प्रतीक बनने वाली है। यह कला और नैतिकता के बीच के पुराने द्वंद्व को एक बार फिर नए सिरे से परिभाषित करने का प्रयास कर रही है, और इस सफर में दर्शक क्या भूमिका निभाते हैं, यह देखना बाकी है।