गेमिंग कंट्रोल: क्या आपका दिमाग तय करता है कि आप ‘उल्टे’ खेलेंगे या ‘सीधे’?

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क्या आपने कभी सोचा है कि जब आप कोई नया वीडियो गेम शुरू करते हैं, तो सेटिंग्स मेनू में जाते ही आपके हाथ स्वाभाविक रूप से `कंट्रोल इनवर्ट` (नियंत्रण उलटने) के विकल्प पर क्यों रुक जाते हैं? या शायद आप उन खिलाड़ियों में से हैं जो इस सेटिंग को कभी नहीं बदलते, क्योंकि आपके लिए `नॉर्मल कंट्रोल` ही सही हैं। गेमिंग की दुनिया में यह एक सदियों पुरानी, ​​गहरी बहस का विषय है – `सीधा` या `उल्टा` कंट्रोल? यह सिर्फ व्यक्तिगत पसंद का मामला नहीं है; विज्ञान के पास इसका जवाब है, और यह आपके दिमाग की कार्यप्रणाली से कहीं अधिक गहराई से जुड़ा हुआ है जितना आपने कभी सोचा होगा!

विज्ञान की नई खोज: दिमाग और गेमिंग नियंत्रण का रिश्ता

लंदन की ब्रुनेल यूनिवर्सिटी के डॉ. जेनिफर कॉर्बेट और डॉ. जैप मुनेके ने हाल ही में इस दिलचस्प गेमिंग रहस्य पर से पर्दा उठाने का प्रयास किया है। उनके वैज्ञानिक शोध, जिसका शीर्षक है `Why axis inversion? Optimising interactions between users, interfaces, and visual displays in 3D environments`, ने गेमर्स की इस आदत के पीछे के न्यूरोसाइंस को समझने का लक्ष्य रखा। उन्होंने पाया कि खिलाड़ी की `इनवर्टेड` या `नॉर्मल` कंट्रोल चुनने की प्रवृत्ति के पीछे कई कारक काम करते हैं, लेकिन मुख्य रूप से यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपका दिमाग 3D वातावरण में वस्तुओं को कैसे समझता है

तालाबंदी के दौरान शुरू हुए इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने पाया कि यह धारणा कि किसी को फ्लाइट सिमुलेटर खेलने या उनके पहले गेम के कारण `इनवर्टेड` नियंत्रण पसंद आते हैं, पूरी तरह से सही नहीं थी। डॉ. कॉर्बेट ने बताया, “कई लोगों ने हमें बताया कि फ्लाइट सिमुलेटर, एक खास प्रकार के कंसोल, या उनका पहला गेम ही उनके इनवर्ट करने या न करने का कारण था। कई ने तो समय के साथ अपनी पसंद बदलने की बात भी कही।” यह फीडबैक इतना महत्वपूर्ण था कि शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में एक नया अनुभाग जोड़ दिया, जो इन व्यक्तिगत अनुभवों पर केंद्रित था।

आपके दिमाग का रहस्य: मानसिक रोटेशन और साइमन प्रभाव

इस घटना को समझने के लिए, डॉ. कॉर्बेट और मुनेके ने प्रतिभागियों को प्रश्नावली भरने और स्थानिक जागरूकता (spatial awareness) के प्रयोगों में भाग लेने को कहा। इन प्रयोगों में यादृच्छिक आकृतियों को मानसिक रूप से घुमाना, एक चित्र में `अवतार` वस्तु के दृष्टिकोण को अपनाना, और `साइमन प्रभाव` (जहां स्क्रीन पर लक्ष्य और प्रतिक्रिया बटन विपरीत दिशा में होने पर प्रतिक्रिया देना कठिन होता है) पर काबू पाना शामिल था।

अध्ययन के नतीजे काफी चौंकाने वाले थे। `इनवर्टेड` कंट्रोल पसंद करने वाले लोगों के बारे में पुरानी धारणाएँ गलत साबित हुईं। सबसे बड़ा निर्णायक कारक यह था कि गेमर्स कितनी तेज़ी से चीजों को मानसिक रूप से घुमा सकते थे और साइमन प्रभाव को पार कर सकते थे। डॉ. कॉर्बेट के अनुसार, “जो लोग इन कार्यों में जितनी तेज़ी से प्रदर्शन करते थे, उनके `इनवर्ट` करने की संभावना उतनी ही कम थी।” दिलचस्प बात यह है कि जो लोग कभी-कभी इनवर्ट करते थे, वे इन कार्यों में सबसे धीमे पाए गए। और जबकि `नॉन-इनवर्टर्स` (जो इनवर्ट नहीं करते) आमतौर पर तेज़ थे, `इनवर्टर्स` (जो इनवर्ट करते हैं) वास्तव में थोड़े अधिक सटीक थे। यानी, इनवर्टर्स थोड़ा धीमे सोचकर भी ज्यादा सही निर्णय ले रहे थे!

क्या नियंत्रण बदलने से आप बेहतर गेमर बनेंगे? एक अप्रत्याशित सलाह!

अब आते हैं सबसे दिलचस्प पहलू पर: क्या आपके नियंत्रणों को बदलना आपको बेहतर गेमर बना सकता है? शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि हां, बिलकुल! डॉ. कॉर्बेट ने एक ऐसी सलाह दी जो आपकी गेमिंग की दुनिया को हमेशा के लिए बदल सकती है: “जो लोग `नॉन-इनवर्टर्स` हैं, उन्हें एक बार `इनवर्जन` को आज़माना चाहिए – और `इनवर्टर्स` को `नॉन-इनवर्जन` को फिर से मौका देना चाहिए।” उनका सुझाव है कि आपको कुछ घंटों तक नए कंट्रोल के साथ खेलने के लिए खुद को मजबूर करना पड़ सकता है।

यह कुछ हद तक उस स्थिति जैसा है जब 20वीं सदी के मध्य तक बाएं हाथ के बच्चों को दाहिने हाथ से लिखने के लिए मजबूर किया जाता था, जिससे कई लोगों को जीवन भर लिखावट और सीखने की समस्याएँ होती थीं। आज भी, कई बड़े लोग यह महसूस नहीं करते कि वे स्वाभाविक रूप से बाएं हाथ से काम करने वाले हैं और यदि वे स्विच करें तो कहीं बेहतर लिख ​​सकते हैं। शायद आप भी अपनी गेमिंग क्षमताओं को ऐसे ही सीमित कर रहे हों!

तो, अगली बार जब आप अपने नियंत्रक सेटिंग्स पर विचार करें, तो अपनी सामान्य पसंद (चाहे वह इनवर्ट करना हो या न करना हो) पर फिर से विचार करें। क्या पता, यह छोटा सा बदलाव आपको Battlefield 6 या Call of Duty: Black Ops 7 में लंबी पारी खेलने में मदद कर दे? अपने दिमाग को एक नई चुनौती दें, और देखें कि आपका गेमप्ले कितना बेहतर हो सकता है। आखिर, असली खेल तो दिमाग में ही चलता है!