लुइगी डी सिएर्वो, सीरी ए लीग के सीईओ, जो फुटबॉल के भविष्य के लिए वाणिज्यिक विस्तार का समर्थन कर रहे हैं।
आधुनिक फुटबॉल, अपने गौरवशाली इतिहास और जुनून के साथ, अब एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहाँ पारंपरिक खेल भावना और व्यावसायिक हितों के बीच संतुलन बनाना एक चुनौती बन गया है। हाल ही में, इतालवी सीरी ए में AC मिलान और कोमो के बीच एक लीग मैच को ऑस्ट्रेलिया में खेलने का निर्णय इसी बहस को फिर से गरमा गया है। यह सिर्फ एक खेल आयोजन नहीं, बल्कि वैश्विक फुटबॉल के भविष्य और उसके नैतिक आयामों पर एक गहरा विचार-विमर्श है।
“यह तो बिल्कुल पागलपन है!”: रैबियो की सीधी बात
इस लंबी यात्रा से सीधे प्रभावित होने वाले खिलाड़ियों में से एक, AC मिलान के अनुभवी मिडफील्डर एड्रियान रैबियो ने इस फैसले पर अपनी असहमति खुलकर व्यक्त की है। फ्रेंच राष्ट्रीय टीम के शिविर से उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा, “जब मुझे पता चला कि AC मिलान ऑस्ट्रेलिया में सीरी ए का मैच खेलेगा, तो मैं हैरान रह गया। यह तो बिल्कुल पागलपन है!” रैबियो की चिंता खिलाड़ियों के स्वास्थ्य, लंबी यात्रा से होने वाली थकान और इतनी दूर जाकर एक घरेलू लीग मैच खेलने की निरर्थकता पर केंद्रित है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि यह “पूरी तरह से आर्थिक समझौतों” का मामला है, जिसका उद्देश्य लीग को “दृश्यता” देना है – ऐसी बातें जो “हमारी समझ से परे हैं।” उनका यह बयान, हालांकि सीधा और स्पष्ट है, लेकिन यह कई खिलाड़ियों की अंदरूनी भावना को दर्शाता है जो खेल के बढ़ते वाणिज्यीकरण से असहज महसूस कर रहे हैं। आखिर, जब दुनिया जलवायु परिवर्तन पर चिंता व्यक्त कर रही है, तो दो इतालवी टीमों के लिए हजारों मील का सफर तय करना, क्या यह वास्तव में एक “स्मार्ट” व्यापारिक चाल है?
लीग का दृष्टिकोण: “सम्मान करें, आप करोड़ों कमाते हैं!”
लुइगी डी सिएर्वो, सीरी ए लीग के सीईओ, ने रैबियो की टिप्पणियों पर तुरंत प्रतिक्रिया दी। रोम में लीग की बैठक के बाद, उन्होंने खिलाड़ियों को “सम्मान” का पाठ पढ़ाते हुए कहा, “रैबियो भूल जाते हैं, जैसे कि सभी खिलाड़ी जो लाखों यूरो कमाते हैं, कि उन्हें एक गतिविधि करने के लिए भुगतान किया जाता है – यानी फुटबॉल खेलना। उन्हें अपने नियोक्ता, यानी AC मिलान द्वारा अर्जित धन का सम्मान करना चाहिए, जिसने इस मैच को विदेश में खेलने के लिए सहमति दी और उस पर जोर दिया।” डी सिएर्वो का तर्क है कि खिलाड़ियों की स्वास्थ्य चिंताएं निराधार हैं क्योंकि वे व्यापार श्रेणी में (Business Class) यात्रा करते हैं और शीर्ष खिलाड़ी इतनी “थकान” को “बलिदान” के रूप में देख सकते हैं। उन्होंने इस निर्णय को “सद्भाव” और “असाधारण घटना” के रूप में भी प्रस्तुत किया, जबकि आयोजन की चुनौतियों को स्वीकार किया।
डी सिएर्वो का यह बयान, हालांकि एक व्यावसायिक परिप्रेक्ष्य से सही लग सकता है, लेकिन इसमें एक सूक्ष्म विडंबना छिपी है। क्या लाखों का वेतन खिलाड़ियों को उनके शरीर और मन पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में शिकायत करने का अधिकार छीन लेता है? क्या “खेल का वैश्वीकरण” हमेशा पारंपरिक खेल सिद्धांतों और प्रशंसकों की भावनाओं पर हावी होना चाहिए? शायद अगला मैच चंद्रमा पर खेला जाएगा, क्योंकि वहाँ का `मार्केट पोटेंशियल` अभी तक अनछुआ है और `खिलाड़ी तो बिजनेस क्लास में जाएंगे ही`!
प्रशंसकों की पीड़ा: “हमें क्या मिला?”
इस व्यावसायिक होड़ में सबसे ज्यादा उपेक्षित वर्ग वे जुनूनी प्रशंसक हैं जो स्टेडियमों को भरते हैं और अपनी टीम को घर में समर्थन देते हैं। मिलान और कोमो के स्थानीय प्रशंसक इस मैच को अपने घरेलू मैदान पर देखने से वंचित रह जाएंगे। यह सिर्फ एक मैच का नुकसान नहीं है, बल्कि उस कनेक्शन का ह्रास है जो खेल को अपनी जड़ें देता है। सोशल मीडिया पर टिप्पणियों से साफ पता चलता है कि कई प्रशंसक लीग और क्लबों के इस कदम से नाराज हैं, इसे केवल पैसे कमाने का एक “घटिया तरीका” मानते हैं। कुछ ने तो “दृश्य हड़ताल” (मैच न देखने) का भी सुझाव दिया है। क्या क्लबों को अपने वित्तीय हितों की पूर्ति के लिए अपने वफादार प्रशंसक आधार की उपेक्षा करनी चाहिए? यह सवाल फुटबॉल के नैतिक केंद्र पर वार करता है। अगर `उत्पाद` को बेचने के लिए `उपभोक्ता` ही नाराज हो जाए, तो फिर यह कैसा व्यापार है?
खेल बनाम व्यापार: एक अंतहीन द्वंद्व
ऑस्ट्रेलिया में सीरी ए मैच खेलने का यह निर्णय फुटबॉल के बढ़ते वैश्वीकरण और वाणिज्यीकरण की एक बड़ी प्रवृत्ति का हिस्सा है। NBA और NFL जैसी अमेरिकी लीगें नियमित रूप से अपने खेल विदेशों में खेलती हैं ताकि नए बाजारों तक पहुंच बनाई जा सके। हालांकि, फुटबॉल के मामले में, यह अक्सर लीग की अखंडता और घरेलू प्रशंसकों के साथ इसके संबंधों पर सवाल उठाता है। क्या प्रीमियर लीग या ला लीगा को भी इसी रास्ते पर चलना चाहिए, या यूरोपीय फुटबॉल को अपने पारंपरिक लोकाचार को बनाए रखना चाहिए?
यह बहस केवल खिलाड़ियों की यात्रा की असुविधा या लीग के राजस्व के बारे में नहीं है। यह इस बात पर है कि फुटबॉल को भविष्य में क्या बनना चाहिए: एक वैश्विक मनोरंजन उद्योग जो नए बाजारों को भुनाता है, या एक खेल जो अपनी जड़ों, अपने स्थानीय समुदायों और अपने खिलाड़ियों के कल्याण को प्राथमिकता देता है। डी सिएर्वो का तर्क है कि “उत्पाद” को बेचने की क्षमता इतालवी फुटबॉल को जीवित रखने के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन क्या इस प्रक्रिया में “उत्पाद” अपनी आत्मा खो रहा है? अगर हम हर चीज़ को पैसे के तराजू पर तौलेंगे, तो उस खेल का क्या बचेगा जिसे `खूबसूरत खेल` कहा जाता है?
निष्कर्ष: फुटबॉल का भविष्य चौराहे पर
AC मिलान और कोमो के बीच ऑस्ट्रेलिया में होने वाला यह मैच सिर्फ एक खेल आयोजन नहीं, बल्कि फुटबॉल की आत्मा पर एक परीक्षण है। यह हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम खेल को कैसे परिभाषित करते हैं, खिलाड़ियों को क्या देना चाहते हैं, और प्रशंसकों के साथ हमारे संबंध कितने गहरे हैं। जब जेट लैग से जूझते खिलाड़ी सुदूर स्टेडियम में दौड़ेंगे, तो यह सिर्फ गोल स्कोरिंग का प्रदर्शन नहीं होगा, बल्कि एक ऐसे खेल का प्रतीक होगा जो अनिश्चित भविष्य की ओर अपनी वाणिज्यिक यात्रा कर रहा है। शायद, अब समय आ गया है कि फुटबॉल के हितधारक इस बहस पर फिर से विचार करें और यह तय करें कि “सुंदर खेल” को वास्तव में किसकी सेवा करनी चाहिए – डॉलर, या दशकों का जुनून?