फ़ुटबॉल का अखाड़ा: जब इटली और इज़राइल ने स्कोरबोर्ड को आग लगा दी!

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क्या आप एक ऐसे फ़ुटबॉल मैच की कल्पना कर सकते हैं जहाँ गोलों की बारिश हो, रक्षापंक्ति एक खुली किताब की तरह दिखे, और अंत में जीत-हार का फैसला अंतिम पलों के रोमांच पर टिका हो? इज़राइल और इटली के बीच हुए हालिया विश्व कप क्वालीफायर मुकाबले में ठीक ऐसा ही कुछ देखने को मिला। 9 गोल, अनगिनत दिल की धड़कनें और अज़ूरी (इतालवी टीम का उपनाम) के लिए एक बेहद ज़रूरी, लेकिन बेतरतीब जीत। स्कोरबोर्ड 5-4 चिल्ला रहा था, मानो कोई बास्केटबॉल मैच चल रहा हो, फ़ुटबॉल नहीं!

गट्टूसो का तूफानी आगाज: क्या यह जीत या चेतावनी?

नए कोच जेन्नारो गट्टूसो के नेतृत्व में इटली ने दो मैचों में छह अंक हासिल कर लिए हैं, जो आंकड़े तो शानदार लगते हैं। लेकिन इज़राइल के खिलाफ़ हुई यह 5-4 की जीत, जीत से ज़्यादा एक चेतावनी मालूम पड़ती है। जिस तरह से इटली की “छलनी जैसी रक्षापंक्ति” (colabrodo difesa) ने चार गोल खाए, वह किसी भी कोच के लिए चिंता का विषय है। एक समय तो ऐसा लगा कि इटली अपने हाथों से विश्व कप के सपने को अलविदा कह देगा, जब 87वें से 89वें मिनट के बीच इज़राइल ने 4-2 की बढ़त को 4-4 में बदल दिया। लेकिन फिर आया टोनाली का वो जादुई क्षण जिसने स्कोर 5-4 किया और इतालवी प्रशंसकों को राहत की सांस लेने का मौका मिला।

मैदान पर ड्रामा: आत्मघाती गोल से लेकर शानदार वापसी तक

मैच की शुरुआत ही इटली के लिए अच्छी नहीं रही। एक अर्ध-खाली स्टेडियम, जिसमें इज़राइल की टीम यरूशलम में हुए आतंकी हमले के पीड़ितों के सम्मान में काली पट्टी पहनकर उतरी थी। शायद इटली ने इज़राइल को कम आंका, या उनकी रक्षात्मक रणनीति में कुछ गंभीर खामियां थीं। लोकेटेली का आत्मघाती गोल और बिटोन के क्रॉस पर हुई गलतियां दर्शाती हैं कि टीम की शुरुआत कितनी खराब थी। इज़राइल के खिलाड़ी बिटोन और सोलोमन ने इतालवी रक्षा को लगातार परेशान किया। गट्टूसो के 4-4-2 फॉर्मेशन में बाईं ओर की कमी ने इज़राइली आक्रमणकारियों को खुलकर खेलने का मौका दिया।

लेकिन इटली की आक्रमण शक्ति ने हर बार बचाव किया। मोइसे कीन ने शानदार दो गोल दागकर अपनी क्षमता दिखाई। इसके बाद पोलिटानो और सब्स्टीट्यूट के तौर पर आए रास्पाडोरी ने भी गोल करके इटली को आगे रखा। रास्पाडोरी का गोल तो एस्टोनिया के खिलाफ पिछले मैच की याद दिलाता है, जहां उन्होंने मैदान पर आते ही स्कोर किया था।

रक्षात्मक गलतियाँ, हालांकि, खत्म होने का नाम नहीं ले रही थीं। बास्टोनी का आत्मघाती गोल और फिर अंतिम क्षणों में डोर पेरेत्ज़ का गोल, जिसने इज़राइल को 4-4 की बराबरी पर ला खड़ा किया, ने इतालवी प्रशंसकों के दिलों की धड़कनें बढ़ा दीं। कमेंट सेक्शन में कई प्रशंसकों ने इटली की वर्तमान रक्षा की तुलना लीजेंड्स (माल्दिनी, नेस्टा) से की, और निराशा ज़ाहिर की कि एक समय की मजबूत रक्षा अब ऐसी कैसे हो गई है!

टोनाली का अंतिम प्रहार: जब `अज़ूरी` का दिल जीत गया

जब सब कुछ खत्म होता दिख रहा था, तब सैंड्रो टोनाली ने अपनी सूझबूझ और दृढ़ता का परिचय दिया। अतिरिक्त समय में, जब दबाव चरम पर था, टोनाली ने कैंबियासो से मिली गेंद पर एक अद्भुत शॉट या क्रॉस से 5-4 का निर्णायक गोल दाग दिया। यह केवल एक गोल नहीं था, यह इटली के “महान दिल” (gran cuore) का प्रमाण था, जो हार मानने को तैयार नहीं था। यह उस टीम की भावना को दर्शाता है जो तकनीकी खामियों के बावजूद लड़ने की हिम्मत रखती है।

आगे की राह: विश्व कप की उम्मीदें

इस रोमांचक जीत के साथ इटली ग्रुप में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है, इज़राइल के बराबर अंकों के साथ, हालांकि इज़राइल ने एक मैच ज़्यादा खेला है। नॉर्वे, जो अपने अगले मैच में अपेक्षाकृत कमजोर मोलदोवा से भिड़ेगा, संभवतः अपनी बढ़त बनाए रखेगा। ऐसे में इटली के लिए विश्व कप क्वालीफिकेशन की राह आसान नहीं होगी। गट्टूसो के लिए यह एक स्पष्ट संदेश है: आक्रमण में धार ज़रूरी है, लेकिन रक्षा में स्थिरता उससे भी ज़्यादा महत्वपूर्ण है। इस तरह के “पागलपन भरे” मैच हर बार काम नहीं आएंगे।

यह मैच सिर्फ़ एक फ़ुटबॉल मुकाबला नहीं था; यह दृढ़ता, त्रुटियों, नाटकीयता और अंत में जीत की एक कहानी थी। गट्टूसो को अपनी टीम को एक मज़बूत इकाई बनाने के लिए अभी भी बहुत काम करना है, खासकर रक्षात्मक मोर्चे पर। क्या वे इस अनुभव से सीखेंगे और विश्व कप के लिए अपनी राह आसान करेंगे? यह तो समय ही बताएगा। लेकिन एक बात तय है, इस `अज़ूरी` टीम के मैच दिल के मरीज़ों के लिए नहीं हैं!

यह लेख इतालवी फ़ुटबॉल समाचार के विश्लेषण पर आधारित एक स्वतंत्र रचना है। इसमें व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं।