फुटबॉल आइकन सेबिनो नेला: संघर्ष, साहस और जीवन के प्रति एक अनोखा दृष्टिकोण

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सेबिनो नेला। इटालियन फुटबॉल का एक ऐसा नाम, जो न केवल मैदान पर अपनी बेजोड़ ताकत और दृढ़ता के लिए जाना जाता था, बल्कि जीवन के मैदान पर भी उन्होंने उतनी ही बहादुरी से लड़ाइयाँ लड़ी हैं। फुटबॉल के मैदान से लेकर कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से जूझने तक, सेबिनो नेला की कहानी सिर्फ एक खिलाड़ी की नहीं, बल्कि एक ऐसे इंसान की है जिसने हर चुनौती का सामना मुस्कुराते हुए किया और कभी हार नहीं मानी। अपनी हालिया बातचीत में, उन्होंने अपने करियर, व्यक्तिगत जीवन, और जीवन के सबसे कठिन दौर—कैंसर से अपनी लड़ाई—के बारे में खुलकर बात की है।

फुटबॉल के मैदान में एक मेहनती योद्धा का जन्म

सेबिनो नेला की फुटबॉल यात्रा किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। एक समय था जब उनके दुबले-पतले शरीर के कारण उन्हें जेनोआ क्लब से नकार दिया गया था। लेकिन किस्मत और पिता के एक दोस्त की `सिफारिश` ने उन्हें एक मौका दिया। जहाँ आज के खिलाड़ी अत्याधुनिक सुविधाओं में पलते हैं, वहीं नेला ने मिट्टी के मैदानों पर अपना कौशल निखारा। घास का पहला मैदान तो उन्होंने तब देखा जब उन्होंने सेरी बी में पदार्पण किया।

उनके शुरुआती दिन संघर्षों से भरे थे। प्रतिदिन तीन घंटे बस में यात्रा, स्कूल, प्रशिक्षण और फिर अपने माता-पिता के रेस्तरां में मदद करना। किताबों से दोस्ती आधी रात को होती थी, और नींद तुरंत आ जाती थी। उनके माता-पिता ने उनके लिए अकल्पनीय त्याग किए। उनकी माँ ने अपने लिए मोज़े नहीं खरीदे ताकि उन्हें फुटबॉल के जूते दिला सकें। यह बताता है कि इटालियन फुटबॉल के इस सितारे ने अपनी सफलता की नींव कितनी मेहनत और त्याग पर रखी थी।

रोमा के साथ उनका पहला अनुबंध, 40 मिलियन लीरा का, उनके परिवार के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ। यह वह क्षण था जब उनके माता-पिता ने काम करना बंद कर दिया। नेला कहते हैं कि उनके जीवन का सबसे खूबसूरत पल वह था जब उन्होंने जेनोआ के साथ अपने पदार्पण के बाद पहली बार पुरस्कार राशि घर लाई, और उनके पिता खुशी से रो पड़े।

“सेबेस्टियानो वह आदमी है जो फुटबॉल की जर्सी के नीचे छिपा है। सेबिनो वह खिलाड़ी है।” – सेबिनो नेला

रोमा की जर्सी में गौरव और निराशा

रोमा क्लब के साथ नेला का कार्यकाल उनके करियर का शिखर था। उन्हें “पिक्किया सेबिनो” (Picchia Sebino) कहा जाता था, जिसका अर्थ लोग अकसर `मारने वाला सेबिनो` समझते थे। लेकिन नेला स्पष्ट करते हैं कि इसका मतलब था `मैदान पर दृढ़ और जुझारू`। प्रतिद्वंद्वी टीमों के प्रशंसकों के अपमान ने उन्हें और मजबूत बनाया, उनकी ऊर्जा को दोगुना कर दिया।

उन्होंने 1983 में स्कुडेटो (इतालवी लीग खिताब) जीता, जो उनके करियर का एक सुनहरा पल था। हालांकि, उन्होंने दो बड़ी निराशाओं का भी सामना किया: लिवरपूल के खिलाफ चैंपियंस लीग फाइनल हारना और फिर लेसे के खिलाफ हार जो उन्हें एक और स्कुडेटो जीतने से रोक दिया। चैंपियंस लीग की हार को उन्होंने पचा लिया, लेकिन लेसे वाली हार उन्हें ज़्यादा परेशान करती है। उन्होंने महान फल्काओ से भी निराश होने की बात कही जब उन्होंने लिवरपूल के खिलाफ पेनल्टी नहीं ली। यह दिखाता है कि एक खिलाड़ी के रूप में वह कितने भावुक और प्रतिबद्ध थे।

सेबिनो नेला रोमा की जर्सी में

सेबिनो नेला, रोमा के साथ अपने शानदार दिनों में।

किताब, संगीत और जीवन के गहरे रंग

नेला सिर्फ फुटबॉल तक ही सीमित नहीं रहे। उन्होंने अपनी किताब, Il vento in faccia e la tempesta nel cuore (सामने की हवा और दिल में तूफान), में `सेबेस्टियानो` – उस व्यक्ति की कहानी बताई, जो प्रसिद्धि और ग्लैमर के पीछे छिपा था। उनका कहना है कि उन्हें केवल किस्से-कहानियां सुनाने में दिलचस्पी नहीं थी, बल्कि वे अपने वास्तविक अनुभवों और भावनाओं को साझा करना चाहते थे।

संगीत के प्रति उनका प्रेम भी गहरा है। मशहूर गायक एंटोनेलो वेंडीटी ने उन्हें एक गाना, “कोरेन्डो कोरेन्डो” (Correndo Correndo), समर्पित किया था, जिसे नेला आज भी रोज़ सुनते हैं। वे आजकल के संगीत उत्सवों (जैसे सैनरेमो) को पसंद नहीं करते, उनका मानना है कि वे अब `राजनीतिक शो` बन गए हैं। एक ऐसे समय में जब तात्कालिकता हावी है, उनकी यह टिप्पणी हमें सोचने पर मजबूर करती है।

कैंसर से लड़ाई: जीवन का सबसे मुश्किल मैच

यह वह अध्याय है जहाँ सेबिनो नेला की प्रेरणादायक कहानी वास्तव में चमक उठती है। उन्हें कोलोन कैंसर हुआ, और उन्होंने इससे एक फुटबॉल मैच की तरह ही लड़ा – एक-एक लक्ष्य निर्धारित करते हुए। कीमोथेरेपी के बाद रात भर होने वाले दर्द से जूझते हुए, उन्होंने खुद को कहा, “चार घंटे शौचालय में बिताने के बजाय, मैं साढ़े तीन घंटे बिताने की कोशिश करूँगा।” और यह काम कर गया!

लेकिन इस दौरान एक बात जो उन्हें परेशान करती थी, वह थी लोगों की टिप्पणी, “आपके जैसे मजबूत शरीर वाले को इससे बाहर निकलने में कोई शक नहीं था।” वे विनम्रता से कहते हैं कि यह सिर्फ किस्मत थी कि वे बचे, जबकि उनके कई साथी जैसे विन्सेन्ज़ो डी`एमिको, पाओलो रॉसी, सिनीसा मिहाईलोविक और जियानलुका विएली जैसी महान हस्तियाँ इस बीमारी के आगे हार गईं।

नेला का परिवार भी कैंसर से बुरी तरह प्रभावित रहा है। उन्होंने अपने पिता और भाई को इसी बीमारी से खोया है। उनकी एक बहन आठ साल के इलाज के बाद हार मान गई, और दूसरी बहन 14 सालों से कैंसर के साथ जी रही है। ऐसे दर्दनाक अनुभव के बाद भी, उनका साहस और सकारात्मक दृष्टिकोण अचंभित करता है। वह कहते हैं कि उन्हें पीला दिखना पसंद नहीं था, इसलिए अब वह हमेशा धूप सेंककर टैन रहने की कोशिश करते हैं। यह छोटी सी बात उनकी अदम्य भावना को दर्शाती है – जीवन की चुनौतियों के सामने भी अपना आत्म-सम्मान और खुशी बनाए रखना। कैंसर से लड़ाई में उनका यह रवैया लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है।

वर्तमान और भविष्य की ओर एक दूरदर्शी

आज, सेबिनो नेला अपनी जिंदगी को एक नए दृष्टिकोण से देखते हैं। वह न्यूज़ीलैंड में एक माओरी से बात करने का सपना देखते हैं, राजनीति और भू-राजनीति पढ़ना पसंद करते हैं, और शतरंज खेलते हैं। समुद्र किनारे टहलना उन्हें शांति देता है। फुटबॉल के मौजूदा परिदृश्य पर भी उनकी गहरी पकड़ है। वह मानते हैं कि नेपोली अपनी सफलता दोहरा सकता है, इंटर सबसे अच्छा खेल रहा है, और एसी मिलान एक `वाइल्डकार्ड` हो सकता है। रोमा के लिए, टॉप चार में आना एक असाधारण उपलब्धि होगी।

सेबिनो नेला का जीवन का सफर हमें सिखाता है कि सफलता केवल खेल के मैदान तक सीमित नहीं होती, बल्कि यह जीवन की हर चुनौती में आपकी दृढ़ता, साहस और मानवीय भावना की जीत होती है। वे एक ऐसे फुटबॉल खिलाड़ी हैं जो सिर्फ अपने खेल के लिए नहीं, बल्कि अपनी असाधारण मानवीय भावना और जीवन के प्रति अदम्य उत्साह के लिए हमेशा याद किए जाएँगे। वह सचमुच जीवन के असली चैंपियन हैं।