100 फीट नीचे दबा कब्रिस्तान
कब्रिस्तान उस गुफा के अंदर मिला है जहां पर पत्थर युग में इंसान रहते थे। यह करीब 30 मीटर या 100 फीट जमीन में दबा हुआ। अभी तक इस रिसर्च को पब्लिश नहीं किया गया है और इसे आने वाले दिनों में ईलाइफ में रिलीज किया जाएगा। वैज्ञानिकों ने लिखा है, ‘ये कब्रिस्तान बताने के लिए काफी है कि कम से कम एक लाख साल पहले भी मानवजाति का हस्तक्षेप था और रिकॉर्ड में दर्ज किए गए सबसे पुराने सबूत हैं। वैज्ञानिकों ने जो निष्कर्ष निकाला है वह मानव विकास की वर्तमान समझ को चुनौती देता है। आमतौर पर यह माना जाता है कि जटिल गतिविधियों जैसे कि मृतकों को दफनाने के लिए बड़े दिमाग वाले मनुष्यों की जरूरत होती थी।
मीडिल ईस्ट और अफ्रीका में भी मिला
इससे पहले मीडिल ईस्ट और अफ्रीका में मानवजाति का सबसे पुराना कब्रिस्तान मिला था और वह भी करीब एक लाख साल पुराना था। हालांकि वैज्ञानिक बर्जर के नेतृत्व वाली टीम की रिसर्च अक्सर विवादों में रही है। उन्होंने हाल ही में अपनी एक खोज को कम से कम 200,000 ईसा पूर्व का करार दिया था। अमेरिका के रहने वाले बर्जर ने बताया, ‘होमो नलेदी हमें बताता है कि हम उतने खास नहीं हैं।’ होमो नलेदी इंसानी सभ्यता का वह रूप था जिसे बंदरों और आधुनिक मानवों के बीच की कड़ी माना जाता है। कहा जाता है कि इनका दिमाग संतरे के आकार जितना ही होता था। इनकी लंबाई भी करीब 1.5 मीटर यानी 5 फीट ही होती थी।
कैसे होते थे होमो नलेदी
हाथ और पैर की मुड़ी हुई उंगलियों के अलावा इनके हाथ उपकरण चलाने में सक्षम थे और ये भी आज के इंसानों की तरह पैरों का प्रयोग चलने के लिए करते थे। साल 2013 में बर्जर ने ही होमो नलेदी की खोज की थी। इस खोज के साथ इस धारणा को खत्म करने में मदद मिली कि इंसानों का विकास एक सीधी रेखा पर हुआ था। प्रजाति का नाम ‘राइजिंग स्टार’ गुफा पर रखा गया है, जहां पहली बार इंसानों की हड्डियां साल 2013 में मिली थीं। स्मिथसोनियन ह्यूमन ओरिजिन्स प्रोग्राम के निदेशक रिक पोट्स ने कहा, ‘अभी भी बहुत कुछ सामने आना बाकी है।’ हालांकि वह इस रिसर्च का हिस्सा नहीं थे।