फ़ुटबॉल के इतिहास में चार बार की विश्व चैंपियन इटली की टीम एक बार फिर सीधे क्वालीफिकेशन हासिल करने में नाकाम रही है। `अज़ूरी` नाम से मशहूर यह टीम अब 2026 फीफा विश्व कप में अपनी जगह बनाने के लिए प्लेऑफ की जटिल और तनावपूर्ण राह पर चल पड़ी है। यह ऐसा रास्ता है जिस पर उन्हें पहले भी कड़वे अनुभव मिल चुके हैं। क्या इस बार इतिहास बदलेगा या एक और निराशा हाथ लगेगी?
प्लेऑफ का जटिल गणित: इटली के लिए क्या मायने
हालिया परिणामों को देखते हुए, नॉर्वे के खिलाफ इज़राइल का `चमत्कार` नहीं हो पाया। इसका सीधा अर्थ है कि इटली को अब मार्च 2026 में होने वाले दो प्लेऑफ मैचों के लिए कमर कसनी होगी, जिसमें एक सेमीफाइनल और एक फाइनल शामिल है। अच्छी खबर यह है कि फीफा रैंकिंग में शीर्ष 10 में होने के कारण इटली को `सीडेड` टीम का दर्जा मिला है। इसका मतलब है कि वे सेमीफाइनल मुकाबला अपने घरेलू मैदान पर खेलेंगे, जो निश्चित रूप से एक बड़ा फायदा है।
हालांकि, फाइनल मैच की मेजबानी का फैसला ड्रॉ से होगा, और जैसा कि इतिहास गवाह है, घर पर खेलना भी हमेशा जीत की गारंटी नहीं देता। मिलान में स्वीडन के खिलाफ और पालेर्मो में उत्तरी मैसेडोनिया के खिलाफ पिछली हारें इटली के प्रशंसकों के ज़हन में अभी भी ताज़ा हैं, जो एक कड़वी याद दिलाती हैं कि कभी-कभी जीत के लिए सिर्फ़ मैदान नहीं, बल्कि आत्मविश्वास भी चाहिए होता है।
क्या आप जानते हैं? फीफा विश्व कप 2026 में टीमों की संख्या बढ़ाकर 48 कर दी गई है, लेकिन इसके बावजूद यूरोपीय टीमों के लिए सीधे क्वालीफाई करना उतना ही मुश्किल बना हुआ है, मानो यह फ़ुटबॉल का सबसे बड़ा मज़ाक हो। 55 यूरोपीय राष्ट्रों में से केवल 16 ही विश्व कप में पहुंच पाएंगे, जबकि कुछ अन्य महाद्वीपों के लिए यह अनुपात काफी बेहतर है।
संभावित विरोधी और छिपे हुए खतरे
21 नवंबर को ज़्यूरिख में होने वाले ड्रॉ में इटली के प्रतिद्वंद्वियों का पता चलेगा। इटली पहली सीडेड टीम होने के नाते वेल्स, रोमानिया, उत्तरी आयरलैंड या मोलदोवा जैसी `कमज़ोर` मानी जाने वाली टीम से सेमीफाइनल में भिड़ सकती है। इन टीमों के खिलाफ घरेलू मैदान पर जीत की उम्मीद करना स्वाभाविक है। लेकिन इटली के लिए असली चुनौती सेमीफाइनल से आगे बढ़कर फाइनल में होगी।
दूसरे और तीसरे पॉट में स्कॉटलैंड, हंगरी, पोलैंड, बोस्निया और उत्तरी मैसेडोनिया जैसी टीमें हो सकती हैं। स्कॉटलैंड अपने घरेलू मैदान ग्लासगो में किसी भी टीम के लिए एक डरावना प्रतिद्वंद्वी हो सकता है, जहां दर्शकों का शोर प्रतिद्वंद्वी के कानों में ज़हर घोल देता है। हंगरी ने भी हाल के वर्षों में अपनी ताकत दिखाई है और वे भी आसानी से हार मानने वाले नहीं हैं। और फिर उत्तरी मैसेडोनिया का भूत है, जिसने पिछले विश्व कप में इटली के सपनों को ऐसे तोड़ा था, जैसे कांच का महल ढह गया हो। क्या इस बार अज़ूरी अपनी पुरानी गलतियों से सबक सीख पाएगी और इस बार कोई अप्रत्याशित `विघ्न` नहीं पड़ेगा?
यूरोपीय क्वालीफिकेशन का बदलता स्वरूप
फीफा विश्व कप 2026 के लिए यूरोपीय क्वालीफिकेशन प्रणाली थोड़ी अलग और जटिल है, जिसका सार समझना महत्वपूर्ण है:
- सीधे क्वालीफाई करने वाले: 12 ग्रुप विजेता सीधे कनाडा-अमेरिका-मेक्सिको में होने वाले विश्व कप के लिए क्वालीफाई करेंगे।
- प्लेऑफ की राह: 12 ग्रुप रनर-अप टीमें और नेशनल लीग की सर्वश्रेष्ठ 4 टीमें (जो सीधे क्वालीफाई नहीं कर पाईं) मिलकर कुल 16 टीमें प्लेऑफ में हिस्सा लेंगी।
- मिनी-टूर्नामेंट: ये 16 टीमें चार मिनी-टूर्नामेंट में विभाजित होंगी। प्रत्येक मिनी-टूर्नामेंट में दो सेमीफाइनल और एक फाइनल होगा। इन चार टूर्नामेंट के विजेता ही विश्व कप में अपनी जगह बना पाएंगे।
यह प्रणाली यूरोपीय टीमों के लिए केवल 4 अतिरिक्त स्थान प्रदान करती है, जो 48-टीमों वाले विश्व कप में यूरोपीय फ़ुटबॉल की गहराई और उसकी ऐतिहासिक सफलता को देखते हुए वाकई कम है। कई फुटबॉल प्रेमियों का मानना है कि यह फीफा का एक आर्थिक फैसला है, जो दुनिया के अन्य हिस्सों से टीमों को शामिल करने के लिए यूरोपीय टीमों के अवसरों को सीमित कर रहा है, भले ही इसके लिए खेल के स्तर से समझौता करना पड़े।
अज़ूरी की राह: उम्मीद और चुनौती
इटली के लिए यह सिर्फ़ फ़ुटबॉल का मैच नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव और फ़ुटबॉल संस्कृति की साख का सवाल है। दो बार लगातार विश्व कप से बाहर रहना (और यह तीसरा मौका हो सकता है) किसी भी फ़ुटबॉल प्रेमी के लिए असहनीय है, खासकर इटली जैसे राष्ट्र के लिए, जिसने चार बार विश्व कप का ताज अपने सिर पर पहना है।
हेड कोच गेन्नारो गट्टूसो को टीम को मानसिक और रणनीतिक रूप से तैयार करना होगा। घरेलू मैदान पर खेलना एक वरदान हो सकता है, जहां प्रशंसकों का समर्थन टीम को नई ऊर्जा देता है, लेकिन अगर टीम पिछली हारों के बोझ तले दब गई, तो यह अभिशाप भी बन सकता है, जहां हर गलती को ज़्यादा तवज्जो दी जाएगी।
फ़ुटबॉल अप्रत्याशित है, और इटली ने अतीत में कई चमत्कारी जीत दर्ज की हैं। 1982 और 2006 में, उन्होंने ऐसे समय में विश्व कप जीता जब उनसे किसी को उम्मीद नहीं थी। क्या वे इस बार भी ऐसा कर पाएंगे और 2026 विश्व कप में अपनी जगह पक्की करेंगे? या `अज़ूरी` का प्लेऑफ का दुःस्वप्न एक बार फिर हकीकत में बदल जाएगा? नवंबर के ड्रॉ और मार्च के मैचों का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा, जब दुनिया इटली के फ़ुटबॉल भाग्य का फैसला देखेगी।