एनबीए की दुनिया में खिलाड़ियों के ट्रेड और कॉन्ट्रैक्ट के मसले आम हैं, लेकिन कुछ मामले इतने दिलचस्प हो जाते हैं कि उन पर सबकी नज़रें टिक जाती हैं। ऐसा ही एक मामला इन दिनों लिथुआनियाई सेंटर जोनास वैलनचुनस को लेकर चर्चा में है, जिसमें डेनवर नगेट्स, सैक्रामेंटो किंग्स और ग्रीस का पैनाथिनाइकोस क्लब शामिल हैं। एक ऐसा खिलाड़ी जो अचानक खुद को दो महाद्वीपों के बीच फंसा हुआ पा रहा है।
ट्रेड का खेल: क्या किंग्स ने नगेट्स को चकमा दिया?
हाल ही में डेनवर नगेट्स ने सैक्रामेंटो किंग्स के साथ एक ट्रेड किया। इस ट्रेड में डेनवर ने क्रोएशियाई खिलाड़ी डेरियो शारिक के बदले जोनास वैलनचुनस को हासिल किया। कागज़ पर यह ट्रेड डेनवर के लिए एक शानदार कदम लग रहा था। वैलनचुनस, पिछले सीज़न में औसतन 10.4 पॉइंट्स और 7.7 रीबाउंड्स के साथ, दिग्गज निकोला जोकीच के लिए एक अनुभवी और भरोसेमंद बैकअप सेंटर साबित हो सकते थे। जोकीच को अक्सर ज़्यादा मिनट खेलने पड़ते हैं क्योंकि उनके पास कोई मज़बूत विकल्प नहीं होता, ऐसे में वैलनचुनस उनकी मदद कर सकते थे।
दूसरी ओर, सैक्रामेंटो के लिए यह ट्रेड मुख्य रूप से $5 मिलियन बचाने का एक तरीका था, क्योंकि शारिक का कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने वाला था। हालांकि, अब लग रहा है कि शायद किंग्स इस ट्रेड के पीछे कुछ और ही सोच रहे थे। क्या उन्हें वैलनचुनस की यूरोप लौटने की इच्छा का पहले से अंदाज़ा था? अगर ऐसा है, तो सैक्रामेंटो किंग्स, जिन्हें अक्सर ट्रेड में नुकसान उठाने वाली टीम माना जाता है, ने इस बार डेनवर नगेट्स को मात दे दी है। यह एक ऐसी चाल लगती है जिसमें किंग्स ने बहुत कुछ दिए बिना अपनी स्थिति बेहतर कर ली, भले ही यह संयोग से हुआ हो।
यूरोप का बुलावा: पैनाथिनाइकोस का आकर्षक ऑफर
कहानी में असली ट्विस्ट तब आता है जब ग्रीस के जाने-माने क्लब पैनाथिनाइकोस का नाम सामने आता है। पैनाथिनाइकोस ने वैलनचुनस को तीन साल का, 12 मिलियन यूरो का एक बेहद आकर्षक कॉन्ट्रैक्ट ऑफर किया है। पैसों के अलावा, पैनाथिनाइकोस उन्हें टीम में एक केंद्रीय भूमिका, एक मुख्य खिलाड़ी के तौर पर देख रहा है। यह कुछ ऐसा है जो शायद एनबीए में अब उन्हें आसानी से न मिले, खासकर डेनवर में जोकीच के बैकअप के तौर पर।
यही कारण है कि वैलनचुनस कथित तौर पर एथेंस पहुंच गए हैं और उनका झुकाव यूरोप लौटने की ओर है। उनके लिए यूरोप एक परिचित जगह है, “घर” जैसा। एथेंस में प्रशंसक उनका बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, ठीक वैसे ही जैसे वर्षों पहले एक और लिथुआनियाई स्टार, सारूनस जसिकेविसियस का हुआ था। डेनवर में शायद उनके आगमन पर सड़कों पर कोई जश्न न मने। ऐसे में, वैलनचुनस के लिए एथेंस, कोलोराडो से ज़्यादा आकर्षक लग रहा है, यह समझना मुश्किल नहीं है।
डेनवर की मुश्किल स्थिति: कॉन्ट्रैक्ट का पेंच
लेकिन डेनवर नगेट्स इतनी आसानी से हार मानने को तैयार नहीं हैं। वे वैलनचुनस के साथ हुए एनबीए कॉन्ट्रैक्ट पर ज़ोर दे रहे हैं। वैलनचुनस को यूरोप में खेलने के लिए पहले डेनवर से अपना कॉन्ट्रैक्ट खत्म करवाना होगा। कानूनी तौर पर, डेनवर के पास अभी भी अंतिम फैसला लेने का अधिकार है। पर क्या होगा अगर वैलनचुनस एनबीए में खेलने से साफ मना कर दें? क्या डेनवर उन्हें जबरदस्ती रोके रखेगा?
ऐसा करना शायद डेनवर के लिए समझदारी भरा न हो। इससे उन्हें कोई खेल लाभ नहीं मिलेगा, और उल्टा उनकी छवि को भारी नुकसान पहुंचेगा। सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना होगी, और अन्य खिलाड़ी भी इसे देखेंगे, जो भविष्य के लिए एक बुरा संकेत होगा। इसलिए, डेनवर की सबसे अच्छी उम्मीद यही है कि वे वैलनचुनस को मना लें, उन्हें अपना मन बदलने के लिए राज़ी कर लें।
जोकीच का हस्तक्षेप: क्या वह ही बचा सकते हैं?
नगेट्स के लिए इस मुश्किल घड़ी में, नए अधिकारियों या मालिक के लिए वैलनचुनस को मनाना आसान नहीं होगा। तो फिर कौन है जो शायद यह काम कर सकता है? शायद वह लंबा, बड़ा खिलाड़ी जो सर्बिया के सोमबोर से आता है: निकोला जोकीच! शायद सिर्फ़ वही वैलनचुनस से सीधे, आमने-सामने बात कर सकते हैं। उनसे टीम की मदद करने का अनुरोध कर सकते हैं, उन्हें एक साथ मिलकर एनबीए खिताब जीतने का लालच दे सकते हैं।
पर क्या जोकीच ऐसा करेंगे? हाल ही में उन्हें एक घुड़दौड़ में देखा गया था। ज़ाहिर है, उनकी घोड़ा जीत गया था… (क्या यह इस बात का संकेत है कि वह हमेशा सही घोड़ा चुनते हैं, चाहे वह इंसान हो या जानवर?) यह देखना बाकी है कि क्या `जोकर` इस `वैलनचुनस सागा` में दखल देते हैं या नहीं।
फिलहाल, जोनास वैलनचुनस का भविष्य अनिश्चित है। डेनवर एक पशोपेश में है, सैक्रामेंटो शायद दूर बैठे मुस्करा रहा है, और पैनाथिनाइकोस उम्मीद भरी नज़रों से एथेंस में उनका इंतजार कर रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस कहानी का अंत क्या होता है।