डोटा 2 रियाद मास्टर्स 2025: PARIVISION की हार, सैटानिक के कड़वे बोल और किस्मत का खेल!

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ईस्पोर्ट्स की दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट्स में से एक, रियाद मास्टर्स 2025 के सेमीफाइनल में टीम स्पिरिट के खिलाफ PARIVISION की 0-2 की करारी हार ने डोटा 2 समुदाय को स्तब्ध कर दिया है। यह मुकाबला सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि रणनीतिक कौशल, टीम वर्क और कभी-कभी, किस्मत के एक पतले धागे पर टिका एक रोमांचक युद्ध था। इस हार के बाद, PARIVISION के खिलाड़ी एलन `सैटानिक` गैल्यामोव ने अपने दिल की बात कही, जिसमें निराशा, आत्म-विश्लेषण और पेशेवर गेमिंग के उतार-चढ़ाव की झलक साफ दिखाई दी।

जब उम्मीदें टूट गईं: सैटानिक की निराशा

सेमीफाइनल में Team Spirit जैसी दिग्गज टीम से हारना किसी भी खिलाड़ी के लिए एक बड़ा झटका होता है। सैटानिक की बातों में यह निराशा साफ झलक रही थी। उन्होंने बताया कि टीम ने जीत की पूरी उम्मीद की थी, और हार खासकर दूसरे गेम में, बेहद दर्दनाक थी।

“यह वह परिणाम नहीं था जिसकी हमें उम्मीद थी। मुझे लगा था कि हम जीतेंगे। यह हार बहुत कड़वी है। खासकर दूसरा गेम तो हमें 100% जीतना ही चाहिए था।”

डोटा 2 में `हाई-ग्राउंड` पर गलती करना अक्सर हार का कारण बन जाता है। सैटानिक ने इस बात पर जोर दिया कि दूसरे गेम में उनकी टीम ने `हाई-ग्राउंड` पर चढ़ाई में बड़ी चूक की, जिससे उन्हें खेल गंवाना पड़ा। उन्होंने यह भी बताया कि `रोशन` (Roshan) पर हुई गलती और विरोधी टीम के `स्प्लिट-पुश` को रोकने में उनकी विफलता ने उन्हें मुश्किल में डाला।

रणनीतिक चूकें या `किस्मत` का खेल?

सैटानिक ने दूसरे गेम में हुई एक बड़ी रणनीतिक चूक को भी उजागर किया – हाई-ग्राउंड पर बहुत जल्दी चढ़ाई करना। PARIVISION की रणनीति हमेशा `ओवरफ़ार्म` करने और धीरे-धीरे अधिकतम लाभ बनाने की रही थी, लेकिन इस अहम क्षण में वे अपनी ही अवधारणा से भटक गए।

“पता नहीं हम हाई-ग्राउंड पर क्यों गए। शायद हम अपनी मूल अवधारणा को भूल गए थे। हमने इस बारे में बहुत बात की थी कि हम सिर्फ विरोधियों को `ओवरफ़ार्म` करेंगे, और जितना हो सके उतना अधिक लाभ बढ़ाएंगे।”

उन्होंने `लोटस ऑर्ब` (Lotus Orb) के गलत इस्तेमाल का भी जिक्र किया। `मुझे लगा था कि मैं `रैम्पेज` के बेहद करीब था, लेकिन किस्मत और कोलैप्स ने हाथ नहीं दिया`, ऐसा कहते हुए सैटानिक ने शायद उस पल की विडंबना को समझाया, जब एक छोटी सी गलती ने पूरी टीम को मुश्किल में डाल दिया और गेम 50-50 की स्थिति में आ गया।

ईस्पोर्ट्स में अक्सर यह बहस छिड़ती है कि क्या यह सिर्फ कौशल का खेल है या भाग्य का भी इसमें बड़ा हाथ होता है। सैटानिक ने इस पर भी खुलकर अपनी राय रखी:

“हां, बेशक किस्मत भी थी। `डोटा` सिर्फ कौशल का खेल नहीं है, यह किस्मत का भी खेल है। नेचर प्रॉफेट (Nature`s Prophet) 0.1 हेल्थ पर बचेगा या नहीं – कुछ ऐसा। `डोटा` स्पष्ट रूप से भाग्य से जुड़ा है, इसमें कुछ भी नकारा नहीं जा सकता।”

यह स्वीकारोक्ति दिखाती है कि सबसे अनुभवी खिलाड़ी भी मानते हैं कि खेल के दौरान कुछ अनिश्चितताएं होती हैं जिन पर उनका नियंत्रण नहीं होता।

ड्राफ्टिंग बनाम निष्पादन: Nature`s Prophet और Collapse का जादू

सैटानिक ने यह भी स्पष्ट किया कि Team Spirit को दो बार Nature`s Prophet चुनने देना उनके लिए कोई समस्या नहीं थी। उनका मानना था कि ड्राफ्टिंग में नहीं, बल्कि उनके अपने `थ्रो` (गलतियों) में समस्या थी। पहले गेम में उन्होंने स्वीकार किया कि उनका ड्राफ्ट भारी था, लेकिन दूसरे गेम में उनका ड्राफ्ट `सुपर वर्किंग` था और उन्हें 100% जीतना चाहिए था।

लेकिन इस हार के पीछे Team Spirit के खिलाड़ी `Collapse` के शानदार प्रदर्शन को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सैटानिक ने Collapse की तारीफ करते हुए कहा कि उनके `प्राइमल बीस्ट` (Primal Beast) के प्रदर्शन ने खेल में बहुत बड़ा अंतर डाला।

“प्राइमल बीस्ट ने खेल में बहुत कुछ किया – उसने दो बार एगिस (Aegis) चुराया, और हर जगह मारकाट मचाई। कोलैप्स बस अपनी ज़ोन में घुस गया और जीत गया – शाबाश!”

यह दिखाता है कि कैसे एक खिलाड़ी का असाधारण प्रदर्शन पूरे मैच का रुख बदल सकता है, भले ही प्रतिद्वंद्वी टीम कितनी भी मजबूत स्थिति में क्यों न हो।

आगे की राह: तीसरे स्थान के लिए जंग

PARIVISION अब 19 जुलाई को तीसरे स्थान के लिए खेलेगी, जो एक तरह से उनके लिए वापसी करने और टूर्नामेंट को सकारात्मक नोट पर समाप्त करने का अवसर है। यह हार निश्चित रूप से PARIVISION के लिए एक सीख होगी, जिससे वे अपनी गलतियों को सुधारकर भविष्य के टूर्नामेंट्स में और मजबूत होकर उभरेंगे।

ईस्पोर्ट्स की दुनिया में ऐसे उतार-चढ़ाव आम हैं, जहां हर गेम एक नई कहानी कहता है और हर हार एक नए संकल्प को जन्म देती। सैटानिक की ईमानदारी दर्शाती है कि शीर्ष स्तर पर भी, गलतियां होती हैं, और यह उन्हें स्वीकार करने और उनसे सीखने की क्षमता ही है जो एक चैंपियन को परिभाषित करती है।