Dota 2 ईस्पोर्ट्स समुदाय में इन दिनों एक नई बहस छिड़ी हुई है। दरअसल, DPC (Dota Pro Circuit) के खत्म होने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि अब टूर्नामेंट का एक नया, अधिक खुला और प्रतिस्पर्धी युग शुरू होगा। हालांकि, जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। प्रमुख Dota 2 टीमों के मैनेजर अल्डार “जंबा” जांबिनोव ने हाल ही में टूर्नामेंट शेड्यूल में हो रही भयानक अराजकता की ओर ध्यान आकर्षित किया है, जिसने पूरे समुदाय को चिंता में डाल दिया है।
टूर्नामेंटों का टकराव: एक मुश्किल पहेली
जंबा के अनुसार, इस समय कई बड़े टूर्नामेंटों के क्वालिफायर एक ही समय पर हो रहे हैं। कल्पना कीजिए कि एक ही सप्ताह में DreamLeague Season 27 (20-26 सितंबर), BLAST Slam IV (22-28 सितंबर), और FISSURE PLAYGROUND 2 (17-26 सितंबर) के लिए क्वालीफायर चल रहे हैं। यह स्थिति पेशेवर खिलाड़ियों और उनकी टीमों के लिए किसी दुःस्वप्न से कम नहीं है।
समस्या केवल इन बड़े नामों तक ही सीमित नहीं है। इन बड़े इवेंट्स के साथ-साथ, कई टियर-2 और टियर-3 स्तर के टूर्नामेंट भी चल रहे हैं। अक्सर, जिन टीमों को बड़े टूर्नामेंटों के लिए क्वालीफाई करना होता है, वे इन छोटे टूर्नामेंटों में भी भाग लेती हैं। इसका सीधा परिणाम है एक अव्यवस्थित शेड्यूल, जहां एक ही टीम को एक दिन में कई बेस्ट-ऑफ-3 मैच खेलने पड़ते हैं, और कभी-कभी तो मैच रात 11 बजे (मास्को समय) के बाद शुरू होते हैं।
जब DPC रद्द हुआ, तो सबने कहा, `यह तो अच्छा ही है! और ज्यादा टूर्नामेंट होंगे, और ज्यादा क्वालिफायर होंगे, टियर-2 (और टियर-3) सीन पनपेगा।` लेकिन हकीकत में, तीन बड़े ऑर्गेनाइज़र क्वालिफायर के लिए शेड्यूल को सिंक्रोनाइज़ भी नहीं कर पा रहे हैं।
— अल्डार “जंबा” जांबिनोव
अव्यवस्था का कारण: रेगुलेशन की कमी?
जंबा ने इस बात पर जोर दिया कि टूर्नामेंट ऑर्गेनाइज़र (TOs) एक-दूसरे के शेड्यूल के साथ तालमेल बिठाने के लिए कानूनी रूप से बाध्य नहीं हैं। इसका मतलब है कि प्रत्येक TO अपने हिसाब से शेड्यूल तय करने के लिए स्वतंत्र है, जिससे यह `हर कोई अपने लिए` वाली स्थिति बन जाती है। ऐसे में, टीमों को जल्द ही एक मिलियन-डॉलर टूर्नामेंट और दूसरे मिलियन-डॉलर टूर्नामेंट के बीच चुनाव करना पड़ सकता है। यह न केवल खिलाड़ियों पर शारीरिक और मानसिक दबाव डालता है, बल्कि उनके प्रदर्शन पर भी नकारात्मक असर डाल सकता है।
आश्चर्य की बात यह भी है कि अक्टूबर में कुछ खाली दिन उपलब्ध थे, जिनका उपयोग इन क्वालिफायर को फैलाने के लिए किया जा सकता था। लेकिन, PGL को छोड़कर, अधिकांश TOs ने सितंबर के आखिरी दो हफ्तों में ही अपने इवेंट्स को भर दिया। यह निर्णय समझ से परे है और यह दर्शाता है कि शायद खिलाड़ियों के कल्याण और गेम के समग्र स्वास्थ्य पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
खिलाड़ी और मैनेजरों की दुविधा
कल्पना कीजिए एक Dota 2 प्रो प्लेयर की, जिसे लगातार घंटों तक खेलना है, कभी-कभी देर रात तक। नींद की कमी, तनाव और लगातार यात्राएं उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकती हैं। यह सिर्फ एक मैच हारने की बात नहीं है; यह एक करियर को खतरे में डालने की बात है। मैनेजरों को इन अव्यवस्थित शेड्यूलों के बीच अपनी टीमों के लिए सबसे अच्छा रास्ता निकालने की कोशिश करनी पड़ रही है। जंबा ने बताया कि कई मैनेजर एक चैट में एकजुट हुए हैं और अपनी तरफ से TOs को इष्टतम विकल्प सुझाने की कोशिश कर रहे हैं। यह एक दिल को छू लेने वाली पहल है, लेकिन यह इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि बाहरी विनियमन के अभाव में समुदाय को खुद ही रास्ता तलाशना पड़ रहा है।
आगे क्या?
DPC के अंत के बाद, Valve ने कहा था कि इसका उद्देश्य टियर-2 और टियर-3 सीन को बढ़ावा देना था। लेकिन अगर टीमों को बड़े टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए छोटे टूर्नामेंट छोड़ने पड़ते हैं, तो यह विकास कैसे संभव होगा? यह अव्यवस्था न केवल शीर्ष स्तर के खिलाड़ियों को प्रभावित करती है, बल्कि उन उभरती हुई प्रतिभाओं को भी निराश कर सकती है जो Dota 2 में अपना करियर बनाना चाहते हैं।
इस स्थिति को देखते हुए, यह सवाल उठना स्वाभाविक है: क्या Dota 2 ईस्पोर्ट्स को एक केंद्रीकृत विनियमन प्रणाली की आवश्यकता है? एक ऐसी प्रणाली जो यह सुनिश्चित कर सके कि सभी प्रमुख टूर्नामेंटों के शेड्यूल व्यवस्थित और संतुलित हों। फिलहाल, हम केवल यह देख सकते हैं कि टीमें इस चुनौती का सामना कैसे करती हैं और क्या समुदाय के अपने प्रयास कोई ठोस परिणाम ला पाते हैं। एक बात तो तय है, Dota 2 ईस्पोर्ट्स एक चौराहे पर खड़ा है, और अगले कुछ महीने यह तय करेंगे कि इसका भविष्य किस दिशा में जाएगा।