दिल्ली, भारतीय क्रिकेट के मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यहाँ से निकले खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय पटल पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। लेकिन पिछले कुछ घरेलू सीज़न में टीम के प्रदर्शन में कुछ कमी देखने को मिली है, जिससे दिल्ली के क्रिकेट प्रेमियों की उम्मीदें आहत हुई हैं। इसी पृष्ठभूमि में, दिल्ली एवं जिला क्रिकेट एसोसिएशन (DDCA) ने आगामी घरेलू सीज़न के लिए अपने कोचिंग स्टाफ और चयन समितियों में महत्वपूर्ण बदलावों और निरंतरता की घोषणा की है। यह सिर्फ नियुक्तियों की घोषणा नहीं, बल्कि दिल्ली क्रिकेट को फिर से उसकी पुरानी साख दिलाने की एक नई रणनीति का आगाज है।
पुरुष टीम: सरनदीप सिंह पर फिर जताया भरोसा
DDCA ने पूर्व भारतीय ऑफ-स्पिनर और राष्ट्रीय चयनकर्ता सरनदीप सिंह को दिल्ली की सीनियर पुरुष टीम के मुख्य कोच के रूप में बरकरार रखा है। सरनदीप, जिन्होंने 2000 से 2003 तक भारत के लिए तीन टेस्ट और पांच वनडे खेले हैं, को पिछले सीज़न में इस भूमिका के लिए नियुक्त किया गया था। उनका कार्यकाल जारी रखना यह दर्शाता है कि DDCA कुछ हद तक स्थिरता और निरंतरता में विश्वास रखता है, भले ही पिछले सीज़न में टीम रणजी ट्रॉफी और विजय हजारे ट्रॉफी के नॉकआउट चरणों में पहुंचने में विफल रही थी। हाँ, सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के क्वार्टर फाइनल तक पहुँचना एक छोटी सी राहत थी, लेकिन दिल्ली जैसी टीम के लिए यह पर्याप्त नहीं माना जाता।
“जब टीम प्रमुख टूर्नामेंट्स के नॉकआउट चरणों तक न पहुँच पाए, ऐसे में मुख्य कोच को बनाए रखना, एक दिलचस्प फैसला है। यह दिखाता है कि या तो DDCA को लगता है कि `अभी तो हमने खेल शुरू ही किया है`, या फिर पिछली कमियों के लिए सिर्फ कोच ही जिम्मेदार नहीं था। क्रिकेट की दुनिया में, ऐसे निर्णय अक्सर आत्मविश्वास और कभी-कभी `अधूरे काम` को पूरा करने के अवसर के रूप में देखे जाते हैं।”
सरनदीप को कुलदीप रावत, वी. अरविंद और क्षितिज शर्मा (बंटू सिंह की जगह) जैसे सहायक कोचों का साथ मिलेगा। चयन पैनल में भी निरंतरता दिखाई गई है, जहाँ के.पी. भास्कर को यशपाल शर्मा और मनु नायर के साथ बरकरार रखा गया है। यह संयोजन पुरुष टीम को पिछली असफलताओं से सीखने और इस सीज़न में मजबूत वापसी करने में मदद करेगा, ऐसी उम्मीद की जा सकती है।
महिला क्रिकेट में नया अध्याय: रीमा मल्होत्रा और दीप्ति ध्यानी
दिल्ली के महिला क्रिकेट में इस बार नेतृत्व के स्तर पर कई रोमांचक और प्रगतिशील बदलाव देखने को मिले हैं, जो निश्चित रूप से इस क्षेत्र में एक नई ऊर्जा का संचार करेंगे। पिछले सीज़न में महिला टीम का अंडर-23 टी20 ट्रॉफी जीतना और तीन प्रतियोगिताओं में नॉकआउट तक पहुँचना, इन बदलावों को और भी महत्वपूर्ण बनाता है।
चयन समिति की कमान रीमा मल्होत्रा के हाथों में
पूर्व भारतीय महिला क्रिकेटर रीमा मल्होत्रा, जो पहले राज्य महिला टीम की मेंटर थीं, अब चयन समिति की अध्यक्ष होंगी। रीमा, जिन्होंने 2003 से 2013 तक भारत के लिए एक टेस्ट, 41 वनडे और 22 टी20ई खेले हैं, की यह नियुक्ति बेहद महत्वपूर्ण है। उनका अनुभव और खेल की गहरी समझ दिल्ली की महिला क्रिकेट प्रतिभाओं को पहचानने और उन्हें सही दिशा देने में मील का पत्थर साबित होगी। उनकी नियुक्ति इस बात का भी संकेत देती है कि उनकी पूर्ववर्ती, पूर्व भारतीय ऑलराउंडर अमिता शर्मा, राष्ट्रीय महिला चयन समिति की ओर बढ़ सकती हैं – यह दिल्ली के लिए एक और गौरव का क्षण होगा।
दीप्ति ध्यानी नई मुख्य कोच
दिल्ली की सीनियर महिला टीम की नई मुख्य कोच दीप्ति ध्यानी होंगी। ध्यानी, जो भारतीय महिला ओपनर प्रतिका रावल की कोच रही हैं, अपने साथ एक अनुभवी सपोर्ट स्टाफ लेकर आएंगी, जिसमें बल्लेबाजी कोच के रूप में गौतम वढेरा, गेंदबाजी कोच के रूप में आशीष मल्होत्रा और क्षेत्ररक्षण कोच के रूप में मनदीप कौर शामिल हैं। यह एक संतुलित टीम है जो महिला खिलाड़ियों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान केंद्रित करेगी और उन्हें राष्ट्रीय पटल पर चमकने के लिए तैयार करेगी।
जूनियर महिला क्रिकेट में निरंतरता और प्रतिभा पोषण
युवा प्रतिभाओं को निखारना किसी भी क्रिकेट प्रणाली का आधार होता है। ऋषभ पंत और मयंक यादव जैसे सितारों के बचपन के कोच देवेंद्र शर्मा को जूनियर महिला चयन समिति में बरकरार रखा गया है, जिसमें तिलक राज शर्मा (अध्यक्ष) और सुषमा चौधरी भी शामिल हैं। यह जमीनी स्तर पर प्रतिभा को पोषित करने की DDCA की प्रतिबद्धता को उजागर करता है, जो भविष्य के लिए मजबूत आधार तैयार करने में सहायक होगा।
उच्च प्रदर्शन समूह और मेंटर्स का बदलता स्वरूप
उच्च प्रदर्शन समूह (High Performance Group) में भी कुछ महत्वपूर्ण नियुक्तियाँ हुई हैं। बंटू को महिला टीम का और गुरशरण सिंह को पुरुष टीम का मुख्य बल्लेबाजी कोच नामित किया गया है। इन्हें क्रमशः कैलाश रावत और सुमित डोगरा का सहयोग मिलेगा। यह कदम बल्लेबाजी कौशल को विशेष बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है। दिलचस्प बात यह है कि पिछले साल दिल्ली राज्य क्रिकेट टीमों के लिए पेश किए गए मेंटर्स का 2025/26 सीज़न के लिए कोई उल्लेख नहीं है। यह शायद DDCA की नई सोच को दर्शाता है, जहाँ सीधे कोचिंग और विशेषज्ञता पर अधिक जोर दिया जा रहा है, और मेंटरशिप की अवधारणा को या तो पुनर्गठित किया गया है या फिलहाल एक अलग रणनीति के तहत देखा जा रहा है। शायद, “मार्गदर्शन” अब “सीधी कोचिंग” में बदल गया है, जो परिणामों पर अधिक केंद्रित है।
आगे की राह: चुनौतियाँ और उम्मीदें
ये नियुक्तियाँ दिल्ली क्रिकेट के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हैं। पुरुष टीम को पिछली असफलताओं से उबरकर एक नई पहचान बनानी होगी, जहाँ निरंतरता और रणनीतिक कौशल का प्रदर्शन आवश्यक है। वहीं, महिला टीम को अपनी पिछली सफलताओं को दोहराते हुए और भी आगे बढ़ना होगा, ताकि दिल्ली महिला क्रिकेट एक शक्ति के रूप में उभरे। इन अनुभवी कोचों और चयनकर्ताओं के नेतृत्व में, उम्मीद है कि दिल्ली क्रिकेट न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि युवा प्रतिभाओं को निखारने में भी एक मिसाल कायम करेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह `बदलाव की बयार` दिल्ली के क्रिकेट मैदानों पर खिताबी आंधी ला पाती है। दिल्ली के क्रिकेट प्रेमियों की निगाहें अब आगामी सीज़न पर टिकी हैं, जहाँ नई रणनीतियाँ और नया जोश सफलता की नई इबारत लिखेंगे, ऐसी कामना की जा सकती है।