पिछले कुछ वर्षों से, वीडियो गेम का बड़े पर्दे पर आना एक नियमित प्रवृत्ति बन गई है। कुछ ने शानदार सफलता हासिल की है, जबकि कुछ ने अपने प्रशंसकों को निराश किया है। अब, हॉरर गेम प्रेमियों के लिए एक नई खबर सामने आई है: पोलिश स्टूडियो ब्लूबर टीम के समीक्षकों द्वारा प्रशंसित हॉरर गेम `द मीडियम` (The Medium) को फिल्म में रूपांतरित किया जा रहा है। सवाल यह है कि क्या यह फिल्म गेम-टू-फिल्म अनुकूलन के `अभिशाप` को तोड़ने में कामयाब होगी, या बस एक और घोषणा बनकर रह जाएगी?
`द मीडियम` – एक अद्वितीय हॉरर अनुभव
`द मीडियम` कोई साधारण हॉरर गेम नहीं है। यह मारियान नाम की एक अलौकिक क्षमता वाली महिला की कहानी है, जो आत्माओं से बात कर सकती है और उन्हें परलोक जाने में मदद करती है। खेल की सबसे अनूठी विशेषता इसकी दोहरी वास्तविकता है – खिलाड़ी एक साथ वास्तविक दुनिया और आत्मा की दुनिया दोनों में मौजूद होता है, पहेलियाँ सुलझाने और खतरों से बचने के लिए इन दोनों के बीच स्विच करता है। गेमस्पॉट ने इस नवाचार के लिए इसे 9/10 की शानदार रेटिंग दी थी। यह दोहरी दुनिया का कॉन्सेप्ट ही है जो फिल्म के लिए सबसे बड़ी चुनौती और अवसर प्रस्तुत करता है। क्या हॉलीवुड के जादूगर इसे ठीक से पर्दे पर उतार पाएंगे, या यह सिर्फ एक सस्ता CGI स्टंट बन कर रह जाएगा?
हॉरर जॉनर के दिग्गज गैरी डौबरमैन की एंट्री
इस परियोजना की बागडोर गैरी डौबरमैन के हाथ में है, जिनकी कंपनी `कॉइन ऑपरेटेड` ने `द मीडियम` के फिल्म अधिकार खरीदे हैं। डौबरमैन हॉरर जॉनर के कोई नए खिलाड़ी नहीं हैं। उनके पिछले कामों में समीक्षकों द्वारा प्रशंसित `इट` (It), साथ ही `एनाबेल` (Annabelle) और `द नन` (The Nun) जैसी डरावनी फ्रेंचाइजी शामिल हैं। उन्होंने सोनी की `अंटिल डॉन` (Until Dawn) फिल्म पर भी काम किया है, जो एक और प्रसिद्ध हॉरर गेम पर आधारित है। उनका ट्रैक रिकॉर्ड निश्चित रूप से हॉरर प्रेमियों के लिए उम्मीद की किरण है।
ब्लूबर टीम के सीईओ पियोट्र बाबिएनो ने डौबरमैन पर पूरा विश्वास जताया है। उन्होंने एक बयान में कहा,
“गेम्स को फिल्मों में ढालना अक्सर कई हितों को संतुलित करने के बारे में होता है, लेकिन `द मीडियम` के साथ, मुझे गहरी भावना है कि गैरी हमारे लिए एकदम सही साथी हैं।”
बाबिएनो ने आगे कहा कि वे फिल्म के लिए अपनी दृष्टि पर डौबरमैन के साथ “पूरी तरह से तालमेल” में थे। यह सुनना आश्वस्त करने वाला है, क्योंकि अक्सर निर्माता और गेम डेवलपर के बीच तालमेल की कमी ही अनुकूलन को डुबो देती है।
क्या `गेम-टू-फिल्म` अभिशाप टूटेगा?
हॉलीवुड में एक अलिखित नियम है: गेम-आधारित फिल्में अक्सर अपने स्रोत सामग्री के साथ न्याय नहीं कर पातीं। भले ही `सुपर मारियो ब्रदर्स मूवी` जैसी हालिया सफलताओं ने इस प्रवृत्ति को कुछ हद तक बदला है, लेकिन अब भी सैकड़ों वीडियो गेम फिल्मों की घोषणाएं होती हैं, जिनमें से कुछ ही वास्तव में बन पाती हैं, और उनमें से भी बहुत कम सफल होती हैं। `द मीडियम` भी अभी अपने शुरुआती दौर में है; एक लेखक और निर्देशक की तलाश जारी है। कास्टिंग की घोषणाएं तो तब होंगी जब फिल्म विकास के अगले चरणों में पहुंचेगी।
यह महत्वपूर्ण है कि यह याद रखा जाए कि केवल अधिकार बेचने का मतलब यह नहीं है कि फिल्म बनेगी ही। हॉलीवुड में ऐसे दर्जनों वीडियो गेम प्रोजेक्ट हैं जिनकी घोषणा तो हुई है, लेकिन वे कभी प्रोडक्शन में नहीं पहुंचे। तो, जबकि गैरी डौबरमैन जैसे अनुभवी हाथ में `द मीडियम` का होना प्रशंसनीय है, हमें अपनी उम्मीदों पर थोड़ा लगाम लगाकर चलना होगा। आखिरकार, हॉरर गेम्स की आत्मा को बड़े पर्दे पर उतारना, किसी प्रेतवाधित घर में आधी रात को अकेले टहलने से कम चुनौतीपूर्ण नहीं है।
कुल मिलाकर, `द मीडियम` फिल्म रूपांतरण की खबर गेमिंग और हॉरर दोनों समुदायों के लिए रोमांचक है। गैरी डौबरमैन का अनुभव और ब्लूबर टीम का विश्वास एक मजबूत शुरुआत का संकेत देता है। अब देखना यह है कि क्या मारियान की दुहरी दुनिया की कहानी, हॉलीवुड के जादू से, गेमिंग के प्रशंसकों और नए दर्शकों दोनों को समान रूप से मोहित कर पाएगी। आशा है कि यह फिल्म केवल एक `घोषणा` बनकर न रह जाए, बल्कि सचमुच एक यादगार सिनेमाई अनुभव साबित हो। अपनी आभासी दुनिया को सिनेमाई वास्तविकता में बदलने की इस दौड़ में, `द मीडियम` एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी हो सकता है।