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Crimea Bridge: क्रीमिया पुल का जुलाई 2023 तक इस्तेमाल नहीं कर पाएगा रूस, यूक्रेन ने पुतिन को दिया गहरा जख्म

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मॉस्को: रूस को क्रीमिया से जोड़ने वाले केर्च पुल पर हुए विस्फोट ने पूरी दुनिया को हिला दिया। इस विस्फोट के पीछे यूक्रेन का हाथ बताया जा रहा है। खुद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसे यूक्रेन का आतंकवादी हमला करार दिया था। इस हमले के कारण क्रीमिया पुल का एक हिस्सा ढह गया था। अब रूसी सरकार की वेबसाइट पर प्रकाशित एक दस्तावेज में कहा गया है कि क्रीमिया प्रायद्वीप और दक्षिणी रूस के बीच पुल की मरम्मत जुलाई 2023 तक पूरी होनी है। इसके बाद ही क्रीमिया पुल पर वाहनों का आवागमन सामान्य हो सकेगा। वर्तमान में रूसी अधिकारियों और इंजीनियरों की एक बड़ी टीम पुल की गहनता से जांच कर रही है। इसमें वो रेलवे ब्रिज भी शामिल है, जिस पर गुजर रही पेट्रोलियम मालगाड़ी में आग लग गई थी। रूस ने दावा किया है कि रेल ब्रिज पर ऑपरेशन सामान्य कर दिया गया है। रोड ब्रिज पर एक लेन में ट्रैफिक को धीरे-धीरे गुजारा जा रहा है।

यूक्रेन में मनाया गया जश्न, पर जिम्मेदारी नहीं ली
क्रीमिया पुल पर पिछले शनिवार को विस्फोट हुआ था। कुछ यूक्रेनी अधिकारियों ने इस घटना का जश्न मनाया लेकिन कीव ने जिम्मेदारी का दावा नहीं किया। हालांकि, अमेरिकी खुफिया एजेंसी की जांच रिपोर्ट में इस हमले के पीछे यूक्रेन का ही हाथ बताया जा रहा है। रूस ने खुद बताया कि इस हमले को ट्रक के अंदर रखे विस्फोटकों के जरिए अंजाम दिया गया। रूसी जांच एजेंसी ने ट्रक मालिक का भी पता लगाया था। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का दावा है कि अनमैंड वेसल के जरिए यह धमाका किया गया। इस घटना के वीडियो में धमाके के समय पुल के नीचे नाव जैसी कोई आकृति नजर भी आ रही है। हालांकि, अभी इसमें संदेह है कि यूक्रेन ने सच में किसी रिमोट कंट्रोल शिप के जरिए इस घटना को अंजाम दिया है।

3.7 अरब डॉलर की लागत से रूस ने बनाया थआ 19 किमी लंबा पुल
1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद क्रीमिया प्रायद्वीप यूक्रेन के हिस्से में आया। 2014 में रूस ने अचानक सैन्य कार्रवाई कर क्रीमिया को रूस में मिला लिया था। इसके बाद से ही क्रीमिया पर रूस का नियंत्रण है। रूस ने लगभग 3.7 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत से क्रीमिया पुल का निर्माण किया था। यह यूरोप का सबसे लंबा पुल है, जो रूस को केर्च जलडमरूमध्य के रास्ते क्रीमिया से जोड़ता है। क्रीमिया पुल वास्तव में दो पुल हैं: एक गाड़ियों के लिए और दूसरा ट्रेन के लिए। सड़क पुल दो अलग-अलग लेन में बंटी हुई हैं। जबकि रेल पुल सिर्फ एक है और वह सड़क पुल से काफी ऊंचा है। 19 किलोमीटर लंबा यह पुल क्रीमिया में रूस की मौजूदगी का एक प्रमुख रास्ता है। यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से ही इस पुल का महत्व काफी बढ़ गया था। रूस ने इसी रास्ते से पूर्वी यूक्रेन में अपनी सेना को रसद और गोला-बारूद की आपूर्ति की है।



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भारत जाकर फ्लॉप साबित हुए प्रचंड… प्रधानमंत्री के दौरे से नाराज नेपाल का विपक्ष, ओली के विदेश मंत्री ने गिनाई कमियां

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काठमांडू : नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड शनिवार को अपनी चार दिवसीय आधिकारिक भारत यात्रा पूरी करके काठमांडू लौट गए। नेपाल का सत्तारूढ़ गठबंधन प्रचंड की यात्रा को ‘सफल’ बता रहा है। वहीं मुख्य विपक्षी दल सीपीएन-यूएमएल के नेताओं ने यह कहते हुए यात्रा की आलोचना की है कि ‘भारतीय एजेंडे की जीत हुई जबकि नेपाल के एजेंडे को दरकिनार कर दिया गया’। नेपाल के अखबार द काठमांडू पोस्ट के साथ बातचीत में यूएमएल के डेप्युटी जनरल सेक्रेटरी और नेपाल के पूर्व विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने प्रचंड की भारत यात्रा की आलोचना की है।

उनसे पूछा गया कि एक पूर्व विदेश मंत्री के रूप में आप प्रधानमंत्री की भारत यात्रा को कैसे देखते हैं? उन्होंने कहा, ‘यह दौरा नेपाल के लिए फायदेमंद नहीं था। जिस तरह से समझौते हुए हैं, अगर ध्यान से देखें तो साफतौर पर इन फैसलों से भारतीय प्राथमिकताओं को ठोस रूप मिला है, जबकि नेपाल की प्राथमिकताओं पर चर्चा नहीं हुई। जब कुछ चर्चा हुई भी तो उसमें अस्पष्टता थी। इसलिए यह नेपाली पक्ष की अपेक्षाओं को पूरा करने में विफल रहा। प्रधानमंत्री के दावे के विपरीत कोई ‘ऐतिहासिक सफलता’ हासिल नहीं हुई है।’

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‘नेपाल और भारत के बीच भरोसे की कमी’

उनसे पूछा गया, ‘आपके अनुसार द्विपक्षीय चर्चाओं का एजेंडा क्या होना चाहिए था?’ उन्होंने कहा, ‘मैं नेपाल और भारत के बीच भरोसे की कमी देखता हूं। नेपाल के प्रधानमंत्री को भारत जाने के लिए पांच महीने तक इंतजार करना पड़ा। ऐसा लग रहा था कि यह यात्रा हमारे आग्रह पर हो रही है। हमारे पास तैयारी के लिए पांच महीने थे, हम इसे ‘आधिकारिक यात्रा’ के बजाय ‘राजकीय यात्रा’ बना सकते थे। इससे पता चलता है कि कहीं न कहीं गैप है।’

कैसी होनी चाहिए थी यात्रा?

ग्यावली ने कहा, ‘इस यात्रा को भरोसे की कमी को पूरा करने और आपसी विश्वास का माहौल बनाने पर केंद्रित होना चाहिए था। नेपाल क्या चाहता है और भारत की चिंताएं क्या हैं इस पर खुली बातचीत होनी चाहिए थी। इसकी शुरुआत राजनीतिक एजेंडे से हो सकती थी।’ उन्होंने कहा कि कालापानी का मुद्दा अभी तक सुलझा नहीं है। नेपाल की सबसे बड़ी चिंता व्यापार घाटा है, जो गंभीर स्थिति में है। एक व्यापार संधि आवश्यक थी लेकिन इसे भी हासिल नहीं किया जा सका।



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खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने फिर किया जबरदस्त हमला, दो पाकिस्तानी सैनिकों की मौत

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Image Source : PTI
प्रतीकात्मक फोटो

आतंकियों ने पाकिस्तान की नाक में दम कर रखा है। लगातार एक के बाद एक आतंकी हमलों को अंजाम देकर आतंकियों ने पाकिस्तानी सेना और सरकार के हौसलों को तोड़ दिया है। ऐसे में पीएम शहबाज शरीफ की सरकार असहाय नजर आ रही है। ताजी घटना के अनुसार पाकिस्तान के अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ में दो पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हो गई है। हालांकि पाकिस्तान की ओर से दो दहशतगर्दों के भी मारे जाने की बात कही गई है।

पाकिस्तानी फौज की अंतर-सेवा जनसंपर्क (आईएसपीआर) के हवाले से ‘डॉन’ अखबार ने सोमवार को खबर दी है कि सूबे के उत्तर वज़ीरीस्तान जिले में सैनिकों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ हुई। खबर के मुताबिक, मुठभेड़ में दो आतंकवादी ज़ख्मी भी हुए हैं। सेना के बयान में कहा गया है कि आतंकवादियों के पास से हथियार और गोला बारूद बरामद किया गया है जबकि इलाके में और आतंकवादियों को खत्म करने के लिए खोज अभियान चलाया जा रहा है।

पाकिस्तान ने किया इस क्षेत्र को आतंकियों से मुक्त कराने का दावा

सेना के बयान में कहा गया है, “ पाकिस्तान के सशस्त्र बल आतंकवाद के खतरे को खत्म करने के लिए दृढ़ हैं।” अफगान सीमा से सटे उत्तर वज़ीरीस्तान जिले में पिछले हफ्ते इसी तरह की दो अलग अलग घटनाओं में कम से कम चार आतंकवादी मारे गए थे, जबकि पोलियो टीम की रखवाली करते हुए एक सैनिक की भी जान गई थी। पाकिस्तानी फौज का दावा है कि उसने उत्तरी वज़ीरीस्तान को आतंकवादियों से मुक्त कर दिया है, लेकिन कभी-कभी हमले और मुठभेड़ होती रहती हैं जिससे यह आशंका है कि तहरीक-ए-तालिबान इलाके में फिर से पैर जमा रहा है। पहले यह क्षेत्र उसका गढ़ होता था।

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बिलावल भुट्टो के बयान ने कुचल दी भारत से दोस्‍ती की उम्‍मीदें, क्‍यों कह रहे पाकिस्‍तानी विशेषज्ञ

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इस्‍लामाबाद: भारत और पाकिस्‍तान के बीच रिश्‍ते एक बार फिर से अब रसातल में पहुंच गए हैं और दोनों देशों में आम चुनाव के बाद ही अब किसी बातचीत की उम्‍मीद की जा रही है। पाकिस्‍तान में अक्‍टूबर के आसपास चुनाव कराने की तैयारी है। इस चुनाव में इमरान खान के लड़ने की उम्‍मीद अब न के बराबर ही है। पाकिस्‍तानी सेना के पलटवार से इमरान खान की पार्टी टूट की कगार पर है। इस बीच सेना अब अपने लिए एक और लाडला बना रही है। पाकिस्‍तानी सेना पाकिस्‍तानी पीपुल्‍स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो को प्रधानमंत्री पद पर बढ़ाना चाहती है।

इस बीच पाकिस्‍तानी विश्‍लेषकों का कहना है कि बिलावल पर सेना ने यह दांव भारत दौरे के बाद लगाया है। वहीं पाकिस्‍तानी विशेषज्ञ यह भी कह रहे हैं कि बिलावल ने कश्‍मीर पर जहरीला बयान देकर भारत से दोस्‍ती की उम्‍मीदों को खत्‍म कर दिया है। पाकिस्‍तानी अखबार डॉन में मुनीजई जहांगीर लिखते हैं, ‘भारत के साथ बातचीत के फिर से शुरू होने सभी उम्‍मीदें उस समय कुचल दी गईं जब बिलावल भुट्टो ने यह कह दिया कि यह तब तक नहीं होगा जब तक कि भारत कश्‍मीर पर अगस्‍त साल 2019 के पहले की स्थित‍ि को बहाल नहीं करता है।’
फ्रांस में छुट्टियां मना रहे पाकिस्‍तान के पूर्व आर्मी चीफ बाजवा की भारी बेइज्‍जती, पत्‍नी के सामने अफगानी ने दी जमकर गालियां

जयशंकर ने बिलावल को दिया करारा जवाब

इससे पहले बिलावल ने भारतीय प्रधानमंत्री पर गुजरात दंगे को लेकर विवादित बयान दिया था। जहांगीर ने कहा कि बिलावल ने भारत के श्रीनगर में जी20 कार्यक्रम आयोजित करने की भी आलोचना की और धमकी भी दे दी कि ‘हम ऐसा जवाब देंगे कि उसे याद रखा जाएगा।’ उन्‍होंने कहा कि बिलावल के इस बयान को मीडिया ने तेजी से उठा लिया। इसी बीच कश्‍मीर के राजौरी में 5 भारतीय सैनिकों की हत्‍या कर दी गई। वह कहते हैं कि बिलावल जब गोवा में एससीओ की बैठक के बाद लौटे तो उधर भारतीय विदेश मंत्री ने आतंकवाद को हथियार बनाने को लेकर पाकिस्‍तान पर बेहद कड़ा बयान दे दिया।

रिश्तों में खटास के बावजूद हिंदुस्तान में हुआ बिलावल का ऐसा स्वागत… देखता रह गया पाकिस्तान

पाकिस्‍तानी विश्‍लेषक ने कहा कि जयशंकर ने करारा प्रहार करते हुए कहा कि पाकिस्‍तान का जी-20 या कश्‍मीर से कोई संबंध नहीं है। उन्‍हें पीओके को खाली करना चाहिए।’ उन्‍होंने कहा कि एससीओ का शिखर सम्‍मेलन भारत-पाकिस्‍तान के बीच विवाद का मंच बन गया। यह सार्क की याद दिलाता है जहां दोनों के बीच विवाद होता था। जहांगीर ने कहा कि अब दोनों देशों के बीच दो ही विकल्‍प बचा है, या तो दुनिया के अन्‍य देशों की तरह से क्षेत्रीय और आर्थिक एकजुटता की ओर बढ़ें या अपने लोगों के हितों पर चोट पहुंचाते रहें।



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