भारत की सांस्कृतिक और तकनीकी राजधानी चेन्नई, एक बार फिर शतरंज के दिग्गजों के लिए अखाड़ा बनने को तैयार है। जी हां, तीसरा चेन्नई ग्रैंड मास्टर्स टूर्नामेंट 6 अगस्त से शुरू हो रहा है, जो सिर्फ एक आम प्रतियोगिता नहीं, बल्कि 2026 विश्व चैम्पियनशिप चक्र की ‘गंभीर शुरुआत’ मानी जा रही है। यह वह मंच है जहां दुनिया के कुछ शीर्ष खिलाड़ी, जिनमें भारत की उम्मीदें भी शामिल हैं, अपनी शास्त्रीय शतरंज की लय को वापस पाने और आगामी चुनौतियों के लिए खुद को तैयार करने की कोशिश करेंगे। यह टूर्नामेंट शतरंज कैलेंडर का एक ऐसा महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे कोई भी गंभीर खिलाड़ी हल्के में नहीं ले सकता।
विश्व चैम्पियनशिप का प्रवेश द्वार
अगले तीन महीनों में, FIDE ग्रैंड स्विस टूर्नामेंट और FIDE विश्व कप से पांच कैंडिडेट्स स्पॉट तय किए जाएंगे। ऐसे में, चेन्नई ग्रैंड मास्टर्स सिर्फ एक अभ्यास सत्र नहीं है; यह FIDE सर्किट अंक हासिल करने और आत्मविश्वास बटोरने का एक शानदार अवसर है। खिलाड़ियों के लिए यह टूर्नामेंट किसी रणनीतिक युद्ध से कम नहीं, जहां हर चाल, हर निर्णय उनके विश्व चैम्पियनशिप के सपनों को पंख दे सकता है या तोड़ सकता है। इस टूर्नामेंट में हर एक जीत भविष्य के बड़े इम्तिहानों की कुंजी बन सकती है, और यही इसे इतना रोमांचक बनाता है।
शतरंज में सिर्फ दिमाग ही नहीं, धैर्य और दृढ़ संकल्प भी जीतता है। और शास्त्रीय प्रारूप धैर्य की सच्ची परीक्षा है, जहां समय भी एक प्रतिद्वंद्वी बन जाता है।
शास्त्रीय प्रारूप: जहां धैर्य और बुद्धिमत्ता की होती है परीक्षा
यह टूर्नामेंट शास्त्रीय प्रारूप में खेला जाएगा, जो शतरंज के शुद्धतम रूप को दर्शाता है। प्रत्येक खिलाड़ी 90 मिनट के साथ शुरुआत करेगा, और 40वीं चाल के बाद प्रति चाल 30 सेकंड का इंक्रीमेंट मिलेगा। यह वह प्रारूप है जहां खिलाड़ी अपनी रणनीतियों को गहराई से अंजाम देते हैं, गलतियों की गुंजाइश कम होती है, और मानसिक दृढ़ता सबसे महत्वपूर्ण होती है। ब्लिट्ज या रैपिड शतरंज के त्वरित निर्णय यहाँ काम नहीं आते; यहाँ हर चाल पर गहन चिंतन और दूरदर्शिता की आवश्यकता होती है। नौ राउंड के बाद अंकों की बराबरी पर रहने की स्थिति में, विजेता का निर्धारण ब्लिट्ज प्रारूप (3 मिनट + 2 सेकंड इंक्रीमेंट प्रति चाल) में टाई-ब्रेक के माध्यम से होगा।
बोर्ड पर दिग्गजों का जमावड़ा
मास्टर्स वर्ग में विश्व नंबर 6, भारत के प्रतिभाशाली युवा खिलाड़ी अर्जुन एरिगेसी, को खिताब का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। हालांकि, उन्हें चुनौती देने के लिए नीदरलैंड के विश्व स्तरीय खिलाड़ी अनीश गिरि, जर्मनी के उभरते सितारे विंसेंट केमर, भारत के ही अनुभवी ग्रांडमास्टर विदित गुजराती और युवा सनसनी निहाल सरीन जैसे मजबूत खिलाड़ी मौजूद हैं। अमेरिका के अवॉन्डर लियांग और रे रॉबसन, और भारत के वी प्रणव और कार्तिकेयन मुरली भी इस रोमांचक मुकाबले का हिस्सा होंगे। यह सुनिश्चित है कि एरिगेसी को अपनी राह इतनी आसान नहीं मिलेगी; यहां हर खिलाड़ी अपने शिखर पर पहुंचने को बेताब है और किसी को भी कम आंकना मुश्किल होगा।
भारतीय चुनौती: उभरती प्रतिभाओं का शक्ति प्रदर्शन
चैलेंजर्स वर्ग पूरी तरह से भारतीय खिलाड़ियों का गढ़ है, जो भारत में शतरंज की बढ़ती गहराई का एक और प्रमाण है। इसमें दो महिला खिलाड़ी – हारिका द्रोणावल्ली और वैशाली रमेशबाबू – भी शामिल हैं, जो महिला शतरंज में भारत की बढ़ती शक्ति को दर्शाती हैं। उनके साथ लियोन ल्यूक मेंडोंका, बी अधिबंन, पी इनीयन, अभिमन्यु पुराणिक, दीप्तयान घोष, आर्यन चोपड़ा, एम प्रनेश और हर्षवर्धन जीबी जैसे भारतीय सितारे अपनी चमक बिखेरेंगे। यह वर्ग भविष्य के भारतीय ग्रांडमास्टरों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रशिक्षण भूमि साबित होगा।
विश्व चैम्पियन कहाँ हैं? एक मीठी अनुपस्थिति
आप सोच रहे होंगे, विश्व चैम्पियन गुकेश डोम्माराजू और भारत के एक और चमकते सितारे आर. प्रज्ञानानंद अपने गृह नगर में हो रहे इस महत्वपूर्ण टूर्नामेंट से कैसे अनुपस्थित रह सकते हैं? खैर, उनकी अनुपस्थिति वास्तव में एक मीठी समस्या का संकेत है। गुकेश, और उनके साथ प्रज्ञानानंद भी, सेंट लुईस रैपिड एंड ब्लिट्ज टूर्नामेंट और सिंकफील्ड कप जैसे विश्व के सबसे प्रतिष्ठित ग्रैंड चेस टूर आयोजनों में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। जबकि हम उन्हें चेन्नई में खेलते देखना पसंद करते, उनकी वैश्विक व्यस्तताएं भारतीय शतरंज की बढ़ती धाक का प्रमाण हैं। जब आपके खिलाड़ी विश्व के सबसे बड़े मंचों पर धमाल मचा रहे हों, तो स्थानीय अनुपस्थिति को कौन याद रखता है, है ना? यह दर्शाता है कि भारतीय शतरंज अब सिर्फ घरेलू मैदान तक सीमित नहीं है, बल्कि वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है।
चेन्नई: शतरंज की एक नई राजधानी
यह वही चेन्नई है जहाँ 2023 में उद्घाटन चेन्नई ग्रैंड मास्टर्स जीतकर गुकेश ने अपने विश्व चैम्पियनशिप के सफर की नींव रखी थी। उस जीत ने उन्हें कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में जगह बनाने के लिए आवश्यक FIDE सर्किट अंक दिलाए, और बाकी सब, जैसा कि वे कहते हैं, इतिहास है। यह टूर्नामेंट केवल अंकों या फॉर्म बनाने के बारे में नहीं है; यह भारतीय शतरंज के सुनहरे भविष्य की कहानी का एक और अध्याय लिखने जा रहा है। चेन्नई अब सिर्फ आईटी हब नहीं, बल्कि भारतीय और वैश्विक शतरंज का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनकर उभरा है।
इस तीसरे चेन्नई ग्रैंड मास्टर्स का महत्व बहुत अधिक है। यह न केवल खिलाड़ियों को शास्त्रीय शतरंज की लय में वापस लाएगा, बल्कि यह 2026 विश्व चैम्पियनशिप चक्र के “होम स्ट्रेच” में प्रवेश करने वाले खिलाड़ियों के लिए एक महत्वपूर्ण लॉन्चपैड भी होगा। कई अलग-अलग प्रारूपों में शतरंज खेलने के बाद, खिलाड़ियों को शास्त्रीय प्रारूप में अपनी ताल और रणनीति को फिर से स्थापित करने का यह एक सुनहरा अवसर है। चेन्नई में शतरंज का यह महासंग्राम भारतीय और वैश्विक शतरंज प्रेमियों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव होने वाला है, जो भविष्य के विश्व चैम्पियनशिप नायकों की राह तय करेगा।