शतरंज की बिसात पर भारत का जलवा लगातार बढ़ता जा रहा है, और जुलाई 2025 की FIDE रैंकिंग इस बात की ताज़ा मिसाल है। चेन्नई के युवा ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञानानंद ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए क्लासिकल फॉर्मेट में भारत के नंबर 1 खिलाड़ी का खिताब अपने नाम कर लिया है। यह सिर्फ एक व्यक्तिगत जीत नहीं, बल्कि भारतीय शतरंज के उस स्वर्णिम युग का संकेत है, जहाँ युवा प्रतिभाएँ दिग्गज खिलाड़ियों को चुनौती दे रही हैं और विश्व पटल पर अपनी छाप छोड़ रही हैं।
प्रज्ञानानंद की ऐतिहासिक उड़ान
18 वर्षीय प्रज्ञानानंद, जिनकी FIDE रेटिंग अब 2779 है, ने इस मुकाम तक पहुँचने के लिए अथक परिश्रम और असाधारण कौशल का प्रदर्शन किया है। उनकी शांत और रणनीतिक खेल शैली ने उन्हें विश्व के कई शीर्ष खिलाड़ियों के खिलाफ शानदार जीत दिलाई है, जिससे उनका आत्मविश्वास और रेटिंग दोनों ही लगातार बढ़े हैं। यह उपलब्धि दिखाती है कि भारतीय शतरंज में एक नई पीढ़ी तैयार हो चुकी है, जो आने वाले दशकों तक इस खेल पर राज करने की क्षमता रखती है। यह भारतीय शतरंज के उस पुराने गढ़ को तोड़ने जैसा है जहाँ कुछ ही नाम अपनी पहचान बनाए हुए थे, और अब एक नई ऊर्जा के साथ पूरा परिदृश्य बदल रहा है।
युवा सितारों का उदय: भारत की नई शतरंज शक्ति
प्रज्ञानानंद अकेले नहीं हैं, जो भारतीय शतरंज के भविष्य का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। भारतीय शतरंज की युवा ब्रिगेड में अर्जुन एरिगैसी (2776) और डी गुकेश (2776) जैसे सितारे भी शामिल हैं, जो क्लासिकल रैंकिंग में प्रज्ञानानंद से बस कुछ ही अंकों के फासले पर हैं। यह तीनों युवा खिलाड़ी विश्व के शीर्ष 10 में अपनी जगह बनाने के बेहद करीब हैं, जो भारत के लिए एक अभूतपूर्व स्थिति है। इन खिलाड़ियों की मौजूदगी दर्शाती है कि भारत शतरंज की महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है। एक समय था जब हमारे पास विश्वनाथन आनंद जैसे इक्का-दुक्का सितारे होते थे, लेकिन आज तो सितारों की पूरी आकाशगंगा है, और वे सभी चमकने को बेताब हैं!
दिग्गजों का निरंतर प्रभाव: विश्वनाथन आनंद
यह सोचना भी बेमानी होगा कि भारतीय शतरंज की बात हो और `विशी` (विश्वनाथन आनंद) का ज़िक्र न हो। 54 वर्ष की उम्र में भी, विश्वनाथन आनंद 2743 की रेटिंग के साथ क्लासिकल रैंकिंग में शीर्ष 15 में बने हुए हैं। उनका अनुभव और निरंतर प्रदर्शन नई पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत है। वह भारतीय शतरंज के स्तंभ रहे हैं और अब भी मजबूती से खड़े हैं, मानो कह रहे हों, “अभी तो पार्टी शुरू हुई है, बच्चों!” उनकी उपस्थिति युवा खिलाड़ियों को मार्गदर्शन देती है और भारतीय शतरंज के गौरवशाली इतिहास को वर्तमान से जोड़ती है।
महिला शतरंज में भारतीय शक्ति
भारतीय महिला शतरंज खिलाड़ी भी विश्व पटल पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। कोनेरू हम्पी 2536 की रेटिंग के साथ क्लासिकल रैंकिंग में विश्व की 5वीं सर्वश्रेष्ठ महिला खिलाड़ी हैं, जो उनकी निरंतरता और श्रेष्ठता का प्रमाण है। वहीं, हरिका द्रोणावल्ली 2488 की रेटिंग के साथ शीर्ष 12 में हैं। युवा आर वैशाली (2478) और दिव्या देशमुख (2463) भी शीर्ष 20 में अपनी जगह बना चुकी हैं, जो महिला शतरंज में भारत की बढ़ती ताकत का प्रमाण है। यह महिला खिलाड़ियों की बढ़ती संख्या और सफलता भारतीय खेल परिदृश्य में एक सकारात्मक बदलाव है, जो लैंगिक समानता और खेल में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देता है।
वैश्विक संदर्भ और अन्य प्रारूप
भले ही मैग्नस कार्लसन (2839) क्लासिकल रैंकिंग में अभी भी विश्व के नंबर 1 खिलाड़ी बने हुए हैं, लेकिन भारतीय खिलाड़ियों की उनके करीब पहुँचने की रफ्तार काबिले तारीफ है। यह दर्शाता है कि भारतीय खिलाड़ी अब किसी भी चुनौती के लिए तैयार हैं। रैपिड और ब्लिट्ज फॉर्मेट में भी भारतीय खिलाड़ी अपनी मजबूत उपस्थिति बनाए हुए हैं। अर्जुन एरिगैसी, विश्वनाथन आनंद और निहाल सरीन रैपिड में शीर्ष 25 में हैं, जबकि ब्लिट्ज में प्रज्ञानानंद और आनंद भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। यह दर्शाता है कि भारतीय खिलाड़ी हर फॉर्मेट में अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं, जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा का सूचक है।
आगे की राह: भारत का शतरंज भविष्य
जुलाई 2025 की ये FIDE रैंकिंग केवल आंकड़े नहीं हैं; वे एक कहानी कहती हैं – भारत के शतरंज के भविष्य की कहानी। एक ऐसा भविष्य जहाँ युवा प्रतिभाएँ अपनी पहचान बना रही हैं, दिग्गज अभी भी चमक रहे हैं, और महिला खिलाड़ी नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। भारतीय शतरंज महासंघ और खेल प्रेमियों को इन प्रतिभाओं का समर्थन करते रहना चाहिए ताकि भारत वास्तव में शतरंज का वैश्विक केंद्र बन सके। आने वाले समय में शतरंज की दुनिया में भारत का डंका और ज़ोर से बजेगा, इसमें कोई संदेह नहीं। यह समय है जब हम अपनी युवा प्रतिभाओं को हर संभव सहयोग दें, ताकि वे अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का नाम और रोशन कर सकें।