भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की वार्षिक आम बैठक (AGM) से पहले प्रशासनिक गलियारों में हलचल तेज थी। कई बड़े नामों की उम्मीदवारी पर आपत्तियां उठीं, जिससे लगने लगा था कि चुनाव का रास्ता आसान नहीं होगा। लेकिन, चुनावी अधिकारी के सटीक और निष्पक्ष फैसलों ने क्रिकेट की इस `सियासी पिच` पर सभी विवादित `नो-बॉल` को खारिज कर दिया, जिससे दिग्गजों की राह साफ हो गई और एक नए नेतृत्व के लिए मंच तैयार हुआ।
आपत्तियाँ और उनकी खारिज: जब मैदान से बाहर भी होता है खेल
बीसीसीआई के चुनाव, किसी रोमांचक टेस्ट मैच से कम नहीं होते, खासकर जब बात नामांकन की हो। इस बार भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन (PCA) से पूर्व भारतीय स्पिनर हरभजन सिंह, उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (UPCA) से राजीव शुक्ला और कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (KSCA) से रघुराम भट्ट की उम्मीदवारी पर गंभीर आपत्तियां दर्ज की गईं। ऐसा लगा, जैसे इन दिग्गजों को एक और `गुगली` का सामना करना पड़ रहा हो!
हरभजन सिंह के मामले में आरोप था कि पीसीए में उनका `मुख्य क्रिकेट सलाहकार` का पद एक संवैधानिक चुनौती है और यह `हितों के टकराव` का मामला हो सकता है। एक पल को लगा कि `टर्बनेटर` को इस `ऑफ-स्पिन` से निपटने में मुश्किल होगी। हालांकि, पीसीए अध्यक्ष अमरजीत सिंह ने स्पष्ट किया कि हरभजन की भूमिका केवल `मानद` है। बीसीसीआई के चुनावी अधिकारी ए.के. ज्योति ने तथ्यों की जांच के बाद इस आपत्ति को खारिज कर दिया। भज्जी की राह अब साफ है, जैसे क्लीन बोल्ड होने से बच गए हों!
वहीं, राजीव शुक्ला की उम्मीदवारी पर उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन से जुड़े कुछ सवाल उठे थे। लेकिन, यूपीसीए के सीईओ अंकित चटर्जी ने सभी आवश्यक स्पष्टीकरण दिए, जिसके बाद चुनावी अधिकारी ने उनकी उम्मीदवारी को “सभी पहलुओं में पूर्ण” पाया। शुक्ला अब उपाध्यक्ष के रूप में अपनी वापसी सुनिश्चित कर चुके हैं।
रघुराम भट्ट के लिए कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन से जुड़ी एक आपराधिक मामले की बात उठाई गई थी। ऐसा लगा, जैसे क्रिकेट के मैदान के बाहर की समस्या उन्हें `लेग बिफोर विकेट` न करा दे। केएससीए के सीईओ शुभेंदु घोष के जवाब के बाद, ज्योति ने इस आपत्ति को भी खारिज कर दिया। भट्ट अब कोषाध्यक्ष का पद संभालने के लिए तैयार हैं।
इसके अलावा, हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन (HCA) से दलजीत सिंह, गोवा क्रिकेट एसोसिएशन (GCA) से रोहन गौंस देसाई, बड़ौदा क्रिकेट एसोसिएशन (BCA) से प्रणव अमीन और अरुणाचल क्रिकेट एसोसिएशन से नबाम विवेक के नामांकनों पर भी आपत्तियाँ थीं, जिन्हें चुनावी अधिकारी ने निराधार बताते हुए खारिज कर दिया। कुल मिलाकर, 35 राज्य संघों ने अपने प्रतिनिधि भेजे थे, जिनमें से सात पर आपत्तियां उठी थीं। यह दर्शाता है कि भारतीय क्रिकेट प्रशासन में `जागरूकता` और `बारीकी` से नजर रखने वालों की कमी नहीं है!
नए नेतृत्व का उदय: एक स्थिर भविष्य की ओर
इन सभी आपत्तियों के खारिज होने के बाद, बीसीसीआई अब एक नए युग की ओर कदम बढ़ा रहा है। आगामी वार्षिक आम बैठक में, भारतीय क्रिकेट को एक नया नेतृत्व मिलने जा रहा है, और खुशी की बात यह है कि सभी प्रमुख पदों पर निर्विरोध चुनाव होने वाले हैं।
मिथुन मन्हास बीसीसीआई के नए अध्यक्ष चुने जाएंगे। यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है, जो बोर्ड को एक नई दिशा दे सकता है। वर्तमान सचिव देवजीत सैकिया अपना कार्यकाल जारी रखेंगे, जबकि राजीव शुक्ला उपाध्यक्ष और रघुराम भट्ट कोषाध्यक्ष का पद संभालेंगे।
चयन समिति में नया जोश
भारतीय क्रिकेट के भविष्य को आकार देने वाली चयन समितियों में भी कुछ नए चेहरे देखने को मिलेंगे। पुरुष सीनियर चयन समिति में पूर्व भारतीय क्रिकेटर प्रज्ञान ओझा और आर.पी. सिंह को शामिल किया जाएगा। महिला पैनल में चार नए सदस्य आएंगे, जो महिला क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में मदद करेंगे। जूनियर चयन समिति के नए अध्यक्ष एस. शरथ होंगे, जिनकी भूमिका युवा प्रतिभाओं को निखारने में महत्वपूर्ण होगी।
AGM का व्यापक एजेंडा: सिर्फ चुनाव नहीं, एक रोडमैप
वार्षिक आम बैठक सिर्फ पदाधिकारियों के चुनाव तक सीमित नहीं है, बल्कि भारतीय क्रिकेट के आगामी वर्ष के लिए एक विस्तृत रोडमैप भी तैयार करती है। बैठक के एजेंडे में कई महत्वपूर्ण बिंदु शामिल हैं:
- बीसीसीआई की एपेक्स काउंसिल और आईपीएल गवर्निंग काउंसिल में प्रतिनिधियों का चुनाव और शामिल होना।
- वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सचिव की रिपोर्ट का अनुमोदन।
- वित्त वर्ष 2024-25 के लिए कोषाध्यक्ष की रिपोर्ट और ऑडिट किए गए खातों का अनुमोदन।
- वित्त वर्ष 2025-26 के लिए वार्षिक बजट का अनुमोदन।
- वित्त वर्ष 2025-26 के लिए लेखा परीक्षक या लेखा परीक्षकों की नियुक्ति और उनका पारिश्रमिक तय करना।
- लोकपाल और नैतिकता अधिकारी की नियुक्ति।
- नियम 25, 26 और 27 में उल्लिखित स्थायी समितियों, क्रिकेट समितियों और अंपायर समिति की नियुक्ति।
- यौन उत्पीड़न रोकथाम नीति के तहत गठित बीसीसीआई की आंतरिक समिति की रिपोर्ट।
- महिला प्रीमियर लीग (WPL) समिति का गठन।
- अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद और/या किसी समान संगठन में बीसीसीआई के प्रतिनिधि या प्रतिनिधियों की नियुक्ति।
निष्कर्ष: एक नया अध्याय, स्थिरता और प्रगति की ओर
बीसीसीआई के चुनावों में भले ही शुरुआत में कुछ `अनिश्चितता` दिखी हो, लेकिन चुनावी अधिकारी की निष्पक्षता और प्रक्रियाओं के पालन ने एक स्थिर और सुचारु परिवर्तन सुनिश्चित किया है। नए अध्यक्ष मिथुन मन्हास के नेतृत्व में, और अनुभवी व नए चेहरों के मिश्रण से बनी टीम के साथ, भारतीय क्रिकेट प्रशासन एक नए अध्याय की शुरुआत कर रहा है। उम्मीद है कि यह नया नेतृत्व भारतीय क्रिकेट को मैदान के अंदर और बाहर, दोनों जगह नई बुलंदियों पर ले जाएगा और देश के सबसे पसंदीदा खेल को और मजबूत बनाएगा। आखिरकार, क्रिकेट में भी `टीम वर्क` ही जीत की कुंजी होती है, चाहे वह मैदान पर हो या प्रशासनिक गलियारों में!